जीजा जी की बहन की चुत चुदाई- 1
(Gaon Ki Ladki Ki Garam Kahani)
गाँव की लड़की की कहानी में पढ़ें कि एक शादी में मेरी चचेरी बहन मिली. मैं उससे खुला हुआ था. मैंने उससे कहा कि कोई माल लड़की से सेटिंग करवा दे. उसने मेरी सेटिंग करवा भी दी.
मैं आपका दोस्त यश. आप सभी को मेरा नमस्ते, मैं एक बार फिर से हाजिर हूँ और इस बार हॉट और सेक्सी लड़कियों के लिए ये सेक्स स्टोरी स्पेशियली पेश कर रहा हूँ.
मेरी स्टोरी पढ़ कर बहुत भाभियों और लड़कियों ने मेल करके मुझे बहुत प्यार दिया. उसके लिए उन सभी का बहुत बहुत शुक्रिया.
मेरी एक सेक्स स्टोरी पढ़ कर मेरे एक दोस्त ने अपनी आपबीती मुझे भेजी है, उसी को आज मैं आपको सुना रहा हूँ.
मेरा नाम राहुल है. मेरी उम्र 20 साल है.
यह गाँव की लड़की की कहानी एक साल पहले की उस समय की है, जब मैं अपने गांव गया था.
वहां मेरी बुआ की लड़की की शादी थी और उस टाइम हल्की ठंड भी थी. नवंबर का महीना था.
जैसे ही हम बुआ के घर पहुंचे तो देखा वहाँ पर बहुत लोग आए हुए थे.
मैं तो बस एक दो लोगों को ही जानता था.
उनमें एक मेरी चाची की लड़की भी आई थी जिससे मेरी खूब पटती थी.
उसका नाम शालिनी था.
उससे मैं खुल कर बातें कर सकता था क्योंकि उसको मेरे बारे में सब पता था.
वह भी अपने बारे में मुझको सब बता देती थी.
शालिनी की वजह से ही मुझे एक प्यारी सी लड़की की चुदाई करने का मौका भी मिला था जिसका नाम रिया था.
आज उसी रिया की चुत चुदाई की कहानी को मैं सुना रहा हूँ.
मेरी दीदी यानि जिनकी शादी थी, उनका नाम काजल था, उनकी की ननद लगती थी रिया.
और वह इस शादी में आई थी.
उसका 32-30-34 का फिगर कमाल का था.
एकदम दूध सी गोरी चिट्टी और ऐसी गदराई कि समझो जवान कली मेरे सामने ही खिली हो.
उसकी भूरी आंखें अपनी प्यास को बुझाने का इशारा करती थीं.
वो शादी वाला दिन था.
उस दिन तक तो मैं, शालिनी और उसके कुछ भाई बहन, हम सब घुल मिल गए थे.
पर मैंने जैसा कहा कि शालिनी से मेरी हर तरह से बातें होती हैं, तो वही माहौल बना हुआ था.
ठंड का मौसम था, हम सब एक ही बिस्तर में बैठे हुए थे.
यही बात चल रही थी कि अभी तो टाइम है बारात आने में … कुछ देर बाद में तैयार होंगे.
सब लोग यही बातें करने में लगे थे.
फिर एक एक करके सब उठने लगे और तैयार होने जाने की कहने लगे.
कुछ देर बाद उधर बस शालिनी और मैं ही रह गए थे.
शालिनी बोली- और सुना राहुल, कैसा चल रहा है लाइफ में?
मैंने कहा- मस्त चल रहा है. यार तू इतनी सुंदर है, पर तूने कभी अपनी सहेलियों से मिलवाया ही नहीं कि वो तेरे इस दोस्त का भी कुछ भला कर दें.
शालिनी हंस कर बोली- अच्छा जी … करवाई तो थी मुलाकात … और तूने मजे भी खूब किए थे बेटा … मुझे सब पता है.
मैंने कहा- अरे यार, वो तो अब है नहीं. कोई और बता न. तू तो अपने बॉयफ्रेंड से मस्ती कर लेती है, पर मैं क्या करूँ?
शालिनी बोली- सुन, मैंने सुना है कि काजल दीदी की जो ननद है ना, वो बहुत सुंदर है. मैंने बस एक बार ही उससे कॉल पर ही बात की थी, दीदी ने करवाई थी.
मैं बोला- अच्छा जी, तो यार उससे ही कुछ करवा न!
“यार देख अगर वो शादी में आई होगी, तो देखूंगी कि तेरा उसके साथ कुछ हो जाए.”
मैंने कहा- ठीक है.
कुछ देर तक इधर उधर की बातें हुईं और हम सब तैयार हो गए.
मुझे भी पता था कि गांव में लड़की की शादी हो तो नौकरों की तरह बस काम ही काम करना पड़ता है.
इसलिए मैं तैयार ही नहीं हुआ और काम करने लगा.
कुछ देर बाद बारात भी आ गई.
सब बारात की खातिरदारी करने में लगे हुए थे.
मैं खाने के पास था, जहां सब हलवाई लोग होते हैं खाना बनाते हैं.
वहां जीजा जी और कुछ जान पहचान के लोग थे. सब हमारे उम्र के ही थे.
मेरे जीजा जी बोले- अरे साले साहब … आप तैयार क्यों नहीं हुए?
मैंने कहा- जीजा जी, आपको तो पता ही है कि गांव में तो लड़की की शादी … यानि फुल मेहनत से काम करना होता है.
जीजा जी बोले- हां ये तो है.
कुछ देर बाद शालिनी का मेरे पास कॉल आया- हैलो, कहां है तू?
मैंने कहा- क्यों क्या हुआ?
“तेरे लिए खुश खबरी है.”
मैंने कहा- यहां सबने लेबर बना रखा है मुझे … एक तू ही है जो मुझे अच्छी खबर देगी.
वो हंसने लगी.
मैंने बोला- अब हंस मत … बोल क्या बात है?
शालिनी बोली- यार तू है कहां?
मैंने कहा- हलवाइयों के पास.
वो बोली- तू घर में आ जा.
मैंने कहा- ठीक है आता हूं.
मैं घर के अन्दर गया.
शालिनी मिली और बोली- अरे भा, लड़की तो बहुत सुंदर है.
मैं बोला- कौन सी लड़की?
शालिनी बोली- अरे वही दीदी की ननद.
मैं बोला- तूने उसे कहां देख लिया … और तुझे कैसे पता?
शालिनी बोली- अरे पागल नाम तो पता था ना उसका … बस ढूंढ लिया!
मैं बोला- दिखा कहां है?
शालिनी बोली- पहले तैयार होकर आ … फिर दिखाती हूँ.
मैं भी तैयार हो कर आ गया, पर एक बात बताऊं, शालिनी भी उस टाइम किसी बम से कम नहीं लग रही थी.
वह तो कजिन है तो मन नहीं मानता … वर्ना शालिनी का फिगर भी 34-28-36 का है. उसे देखते ही किसी का भी लंड खड़ा हो जाए.
उस दिन मेरे मन मैं आया कि शालिनी से भी बात करूँ क्योंकि शालिनी मुझसे खुल कर इसी लिए तो बातें करती है.
मैंने उसको उसके बॉयफ्रेंड के साथ देख लिया था. तब वह उसकी चूत में उंगली डाल कर सहला रहा था.
फिर मैंने एक रूम में उसकी चुदाई भी देखी थी और रूम से बाहर आते टाइम उसने मुझे देख भी लिया था.
लेकिन बाद में हम दोनों में बात हुई कि किसी को बताना नहीं है.
मैंने भी उससे बोल दिया था कि जब मुझे हेल्प चाहिए होगी, तो तू करेगी और कैसी भी बात हो मुझे बताएगी.
इसलिए शालिनी मुझसे खुल कर सब बातें करती है.
मैं जब तैयार होकर शालिनी के पास गया तो बस मैं शालिनी को ही देखे जा रहा था.
वो भी उस टाइम आधी तैयार हुई पड़ी थी लेकिन जब मैं उसके पास गया तो उसको देख कर मन डोल गया था यार.
उसने ग्रीन कलर का गाउन पहना हुआ था और एक तरफ बाल किए हुए थे. बहुत ही सेक्सी लग रही थी.
मैंने उसके पास जाते ही बोल दिया- क्या लग रही है तू … कसम से अगर तू राज़ी हो जाए तो अभी तेरी चुदाई कर दूँ.
शालिनी थोड़ी हंसी और बोली- चल पागल.
फिर वो मुझे छत पर ले गई और ऊपर से ही मुझे रिया को दिखाने लगी.
जब मैंने रिया को देखा तो मैंने साफ बोला कि शालिनी इससे ही मुझे फ्रेंडशिप करनी है. कुछ भी कर यार.
गाँव की लड़की रिया ने लाल रंग का लहंगा और ब्लाउज़ पहना हुआ था और क्या लग रही थी.
मेरा मन हुआ कि बस मिल जाए तो अभी इसको पटक पटक कर इस गाँव की लड़की की चुदाई करूँगा. उसके गुलाबी होंठों का सारा रस पी लूंगा. उसकी आंखें भूरी थीं, जिसमें उसने काजल लगाया हुआ था.
उस वक्त ज्यादातर लड़के तो उसको ही देखने में लगे हुए थे.
उसने अपनी नाभि को चुन्नी से ढक रखा था, पर जब वो इधर उधर होती तो उसका पेट दिख जाता.
शालिनी रिया से नीचे मिल कर आ चुकी थी.
अब रिया उसको जानती थी.
शालिनी बोली- रुक, मैं तुझसे मिलवाती हूँ.
मैं छत पर ही था और वहां कुछ और लोग भी थे, पर ज्यादा नहीं.
कुछ देर में शालिनी रिया को लेकर छत पर आई और मुझसे मिलवाती हुई बोली- रिया, ये मेरा भाई है, इसका नाम राहुल है.
रिया ने हैलो बोलते हुए अपना हाथ मुझसे मिलाया और बोली- मेरा नाम रिया है.
यह वो एक कातिलाना मुस्कान देती हुई बोली थी, जिसमें सेक्स साफ झलक रहा था.
जैसे ही मैंने रिया का हाथ पकड़ा, मेरा लंड धीरे धीरे सलामी देने लगा.
कितना मुलायम हाथ था … मन तो कर ही नहीं रहा था कि इसका हाथ छोड़ दूँ. पर क्या करता, छोड़ना पड़ा.
फिर हम तीनों आपस में बातें करने लगे.
पर मेरी नज़र उसके गोरी गोरी 32 इंच की चूचियों पर थी.
ये सब शालिनी भी देख रही थी और कहीं न कहीं रिया को भी पता था, पर मुझे वो देख कर मुस्कुरा देती.
मैं भी उसको देख कर मुस्कुरा देता.
कुछ देर में शालिनी को कुछ काम था, तो वो चली गई और हम बातें करने लगे.
मैंने बोला- रिया आप बहुत ही सुंदर लग रही हो, बिल्कुल गुलाब की तरह!
रिया थोड़ा शर्माती हुई थैंक्स बोली.
कुछ देर हमने बातें की.
तभी शालिनी आई और बोली कि चलो नीचे.
जैसे ही रिया चलने को उठी, उसका पैर हल्का सा फिसल गया.
रिया गिर ही रही थी कि उसने एकदम से शालिनी को पकड़ लिया.
शालिनी भी सम्भाल नहीं पाई, उसने मुझे पकड़ लिया, पर मैं सीधा रिया के ऊपर जा गिरा.
रिया के चूचे मेरे सीने से दब गए और अनजाने में ही सही, पर उसके मुँह से मेरे मुँह से हल्का सा रगड़ गया.
अच्छी बात ये थी कि किसी को कुछ लगा नहीं, पर मुझे तो मज़ा आ गया था.
अब रिया मुझे देखने लगी.
मैंने पूछा- लगी तो नहीं कहीं?
रिया बोली- नहीं.
शालिनी ने बोला- मैं भी गिरी थी, तुझे मैं नहीं दिखी!
मैंने कहा- तुझे कुछ हो सकता है क्या?
इतने में रिया हंस दी.
अब हम तीनों नीचे गए और साथ में ही खाना भी खाया.
इतना टाइम बिताने पर जैसे लग रहा था कि हम बहुत दिनों से जानते हैं.
मैंने इशारे में शालिनी को मोबाइल नंबर मांगने को कहा.
वो शायद रिया ने देख लिया था और वह शालिनी को नम्बर बता रही थी, पर वह अपना चेहरा मेरी तरफ करके बोल रही थी … जैसे कि नम्बर मुझे ही दे रही हो.
अब शादी में भी मैं उसे देखता, वह मुझे देखती और मुस्कुरा देती.
शादी हो रही थी पर रिया को नींद आने लगी थी.
वह मेरे पास आई और बोली- राहुल, शालिनी कहां है?
मैंने कहा- यहीं कहीं होगी.
रिया बोली- यार, मुझे नींद आ रही है, पर यहां बहुत लोग हैं. मुझे अच्छा नहीं लगता. कोई जगह है, जहां ज्यादा भीड़ ना हो.
मैंने कहा- हां क्यों नहीं.
मैं उसको अपने कमरे में ले गया.
मतलब जहां बस मेरे घर का सामान था. वहां पर मेरी कुछ रिश्ते में लगने वाली बहनें भी सो रही थीं.
एक तरफ मेरी नज़र गई तो शालिनी भी वहीं सो रही थी.
मैंने रिया को शालिनी के साथ ही सुला दिया और मैं भी बाहर जाकर सो गया.
शादी में मेरे चाचा ताऊ के बुआ के लड़के खूब खिंचाई कर रहे थे कि पटा लिया तूने तो!
मैंने भी बोल दिया कि और क्या. क्योंकि अगर बोलता नहीं … ऐसा कुछ नहीं है, तो ये सब रिया को ओर परेशान करते. इसलिए बोल दिया ताकि सब साफ हो जाए.
फिर सुबह विदाई का समय हुआ, तो सब उठ कर आ गए थे.
रिया मेरे सामने ही खड़ी थी, वह अभी भी मुझे ही देख रही थी.
वह बोली- तुम भाभी को लेने मेरे घर तो आओगे ना!
मैंने कहा- पता नहीं.
इस पर उसका मुँह थोड़ा उतर सा गया.
सब फिर से रस्मों में लग गए और थोड़ी देर में सारी रस्में पूरी हो गईं.
सब लोग जाने लगे.
जाते जाते रिया को मैं देख रहा था और वह मुझे!
सब चले गए.
हम सब सामान समेटने लगे.
सारा काम खत्म हुआ और ये सब करते हुए रात हो गई थी.
सब खाना खा चुके थे.
मैंने सोचा कि रिया को कॉल कर लेता हूं. मगर सब लोग थे तो कर ही नहीं सका.
ये ही सोचते कब सो गया, पता ही नहीं चला.
सुबह शालिनी उठाने आई और शरारती हंसी में बोली- और … रात में कहां तक पहुंचा!
मैंने कहा- क्या मतलब?
“मतलब मिस रिया की मिस कॉल आई हुई थी.”
यह बात सुन कर मैंने अपने मोबाइल पर नज़र मारी तो देखा कि मोबाइल तो शालिनी के पास है, वो मुझसे मस्ती कर रही थी.
मैं मुस्कुरा दिया.
अब रिया के साथ आगे की सेक्स कहानी में किस तरह की मस्ती हुई, वो लिखूँगा.
आपको मेरी यह गाँव की लड़की की कहानी कैसी लग रही है, प्लीज मेल व कमेंट्स से जरूर बताएं.
लेखक के आग्रह पर इमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.
गाँव की लड़की की कहानी का अगला भाग: जीजा जी की बहन की चूत चुदाई- 2
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