फार्म हाउस पर मस्ती भरी चुदाई

(Gaon Ka Sex Ka Maja)

गांव का सेक्स का मजा मैंने लिया अपने फार्म हाउस में! मैं अपने साथ 19-20 साल के एक लड़के को ले गयी थी चूत चुदवाने के लिए. धान की बोरियों पर घोड़ी बन कर चुदी मैं!

दोस्तो, मेरे प्रिय अंतर्वासना पाठक, मेरी लंडखोर बहने और मेरे चोदू भाइयों को मेरा तहे दिल से और लबालब चूत से प्यार भरा नमस्कार।
मैं आपकी अंजु भाभी (अंजलि शर्मा) हाजिर हूं एक पुराने लन्ड की नई दास्तां लेकर।

अपने मेरी कहानी
नादान लड़के का जवान लन्ड
में पढ़ा कि कैसे मैंने पड़ोस के एक नौजवान लड़के को अपना प्यार दिया और उसके वर्जिन लन्ड को मेरी चूत की सैर करवाई।

यह कहानी सुनें.

उसी कहानी की अगली कड़ी ‘गांव का सेक्स का मजा’ मैं आपके लिए पेश कर रही हूं।

जैसा कि मैंने बताया मुझे ईशान से, उसके मासूमियत और उसके लन्ड से प्यार हो गया।
मैं उस दिन शांत हुई लेकिन मुझे ईशान के साथ और चोदमचोदी करनी थी।

उस शाम ईशान वापिस घर गया।

इसके बाद हमारी चैट और बढ़ गई।
अब ईशान भी मेरे घर आता या मैं वहां जाती तो मौका मिलते ही हम स्मूच करते या एक दूसरे से चिपक जाते।

मॉडर्न सेक्स लाइफ में अक्सर ये देखा जाता है कि जवान लौड़ों को भाभी या आंटी ज्यादा पसंद आती है।
और सच कहें तो भाभियों को भी जवान लौंडे ही आजकल काफी मजा देते हैं।

जब भी टाईम मिलता, ईशान मुझे ब्लू फिल्में दिखाता या शेयर करता।
कभी कभी मेरे रूम में साथ साथ हम ब्लू फिल्में चलाते।

मैं पहले से ही सेक्सी फिल्मों की चाहक हूं।
आपको बता दूँ कि जुलिया एन मेरी पसंदीदा पोर्नस्टार है।
उनका अंदाज और बॉडी मुझे बहुत अच्छी लगती हैं।

साथ ही हम अन्तर्वासना स्टोरीज भी साथ साथ पढ़ते।

एक दिन मेरे पति आउट ऑफ टाउन थे।
तो यह एक अच्छा मौका था ईशान के साथ हमबिस्तर होने का!

हमारा एक फॉर्महाउस शहर से दस किलोमीटर दूरी पर था जहां मैं ईशान के साथ जी भर के मजा ले सकती थी।
मैंने ईशान के साथ वहां जाने का पक्का किया।
मैं उसके साथ और कई प्यार भरे पल बिताना चाहती थी।

मैंने ईशान को यह बताया.
समस्या यह थी कि राधा भाभी यानि ईशान की मम्मी उसको मेरे साथ भेजेगी क्या?

मैंने ईशान को कहा- भाभी को मैं संभाल लूंगी। मैंने मेरे घर पर बता दिया कि मैं सहेली के घर पार्टी में जा रही हूं।

चार बजे मैं राधा भाभी के पास गई और उन्हें बताया- फॉर्महाउस पर कुछ अर्जेंट काम है तो मुझे जाना है। और अकेली वहां जाना ठीक नहीं है तो ईशान को साथ में लेती जाऊं क्या?

राधा भाभी स्वभाव की एकदम सीधी सादी महिला हैं।
तो उन्होंने झट से ईशान को बुलाकर मेरे साथ जाने को कहा।

लेकिन अब ईशान मेरा मजाक उड़ाने लगा।
कहता- मम्मी मेरा सर दुख रहा है। ठंड भी होगी रास्ते में!
ऐसे बहाने बनाते मेरी ओर देखता हुआ मुझे आंख मार रहा था।

तो मैंने भी इशारे से उसे रिक्वेस्ट करते हुए चलने को कहा।
लेकिन वह मेरे मजे ले रहा था।

फिर भी राधा भाभी के जोर देने पर उसने हां कर दी।

मैंने उस दिन गुलाबी साड़ी पहनी थी।
स्लीवलेस ब्लाउज पहने हुए मैं कहर ढा रही थी।

मैंने अच्छा सा मेकअप किया, बॉडी स्प्रे लगाकर मैं मेरे जवान यार के साथ गुलछर्रे उड़ाने निकली।

अब मैंने स्कूटी स्टार्ट की, ईशान मेरे पीछे बैठ गया और हम फॉर्महाउस की ओर निकल गए।

स्कूटी मैंने शार्टकट रास्ते से ले ली।
ट्रैफिक नहीं था तो ईशान मेरे खुली बाजुओं पर हाथ फेरने लगा और कभी मेरी कमर में हाथ डालकर पेट तक उसे घुमाने लगता।

ईशान मेरी तारीफ किए जा रहा था- आय हाय … भाभी क्या पटाखा लग रही है आप! और यह खुशबू क्या मस्त है। मेरे लिए इतना सज धज कर आई मेरी भाभी जान!
मैंने कहा- ईशान, रास्ते पर ज्यादा शैतानी मत करो, बाद में आराम से जो चाहे कर लो।

कभी शांत स्वभाव का ईशान मेरी संगत में आकर रंगीन हो चुका था।
मेरे समझाने से वह नहीं माना और पूरे रास्ते में वो मेरे अंग से खेलता रहा।

अब हम फॉर्महाउस पहुंच गए।
गेट अंदर जाते ही मेरा और ईशान का मूड बन गया।
एकदम मस्त नजारा था।

एक साइड में दो तीन गाय थी; उनके लिए शेड बनाया हुआ था।
दूसरी ओर एक ही बड़ा वाला कमरा था। जिसमें खेती उपयोग के समान और कुछ धान की गोनिया थीं।
बिल्कुल देसी विलेज लाइफ का अहसास हो रहा था।

मैंने स्कूटी अंदर ले जाकर बिल्कुल किसी को नजर न आए ऐसी जगह लगा दी।

हमने खेती बाड़ी का काम देखने एक आदमी रखा था, संपत नाम था उसका!
वो चालीस के आसपास का एक आदमी था जो वहीं रहता था।

गाड़ी की आवाज से वो बाहर आ गया।
मुझे देखकर वह खुश हो गया।

“सेठानी जी, आइए आइए, बड़े दिनों बाद आपके दर्शन हुए।” कहते मेरे पास आया।

मेरे साथ ईशान को देख वो मुस्कुराने लगा।
मैंने आंख मार के उसे इशारा किया।

आपको दिल से बता दूं कि संपत भी मेरी मुनिया की सैर कर चुका था।
मैं कितनी बड़ी रंडी हूं … यह जानता था वो!
जब भी मैं वहां अकेली जाती तो उससे चुदवा लेती।
बड़ा देहाती लन्ड है उसका!

हम सीधा गायों के शेड में गए।
मुझे देसी माहौल बड़ा अच्छा लगता है.
शहर से दूर, बिल्कुल शांत वातावरण, मिट्टी की खुशबू।

इससे मुझे बहुत लगाव था।
जब भी मेरा मन होता, मैं वहां जरूर जाती।

अंदर जाकर मैं तो सीधा नीचे बैठ गई।
ईशान खड़ा हुआ यहां वहां देख रहा था।

संपत हमारे लिए पानी लाया।
तब तक मैंने उसे चाय मंगवाई और स्कूटी के डिक्की में से मेरा सामान लाने बोला।

संपत के जाते ही ईशान ने मुझे पीछे से बैठे बैठे ही जकड़ लिया और मेरे बूब्स मसलने लगा।

मैं भी ईशान के साथ बच्ची हो जाती।
मैं भी उसके हाथ पकड़कर अपने बूब्स दबाने का न्योता दे रही थी।

इतने में ईशान ने संपत के बारे में पूछा तो मैंने उसे सब सच बता दिया।

सुनकर ईशान मुझे बोला- कितनी सेक्सी भाभी है मेरी! कितनों से चुद के बैठी है?
मैंने कहा- क्या करूं मेरा बच्चा … मेरा मन ही नहीं भरता।

ईशान कुछ ना बोलते हुए मेरी गर्दन और पीठ पर किस करता मेरी चूची दबा रहा था।

संपत आया तो वो ईशान से बोला- अरे बाबू जरा सब्र करो। सेठानी जी पूरी रात तुम्हारी सेवा करेंगी। बहुत मजा देंगी, पहले कुछ खाओ पियो!

पूरी रात का सुन कर ईशान चौंक गया और मुझे मम्मी की याद दिलाने लगा।
मैंने उसे कहा- राधा भाभी का मुझ पे छोड़ दो मेरा बच्चा … मैं वो संभाल लूंगी। तुम सिर्फ मजे ले लो।

मैंने राधा भाभी को कॉल करके बता दिया कि गाड़ी खराब होने की वजह से हम यहां अटके पड़े हैं. और ठंड के कारण देर से नहीं आ सकते तो कल सुबह जल्द आ जायेंगे।
भाभी ने ‘ठीक है’ कह दिया।
उनको मुझ पर विश्वास था।

फिर क्या था … संपत गाड़ी के डिक्की से शराब की दो बोतलें और एक कंबल लाया था।

पहले हमने चाय खत्म की और मैंने संपत को खाने और पीने का इंतजाम करने का ऑर्डर दिया।

मैंने उसे पैसे दिए और वह चला गया।
हम दोनों भी वहां से कमरे में गए।

कमरे में जाते ही मैंने ईशान को पीछे से दबोच लिया और उसकी गर्दन पर अपनी जीभ फेरते हुए उसके कान को काटने लगी।
साथ ही मैं उसे पीछे से धक्के देने लगी।

ईशान को भी मजा आने लगा था।

गाय जब अपने उफान पर होती है यानि गर्भवती होने को आती है तो वह कभी कभी बैल पर चढ़ती है.
उसी प्रकार मैं भी उफान पर आई थी तो ईशान पर पीछे से चढ़ने की कोशिश करने लगी।

इससे ईशान हंसने लगा- ओ भाभी, मेरी जान … आप मुझसे कितना प्यार करती हैं!
वो बोला।
मैंने कहा- तुझे देख कर मेरी चूत से अपने आप रस टपकता है मेरे राजा! कंट्रोल ही नहीं रहता।

ईशान बोला- ऐसा मैं पहला तो नहीं न?
मैंने कहा- हां मेला प्याला बच्चा … लेकिन, जो मजा तेरे साथ आता है वो और किसी के साथ नहीं आता।

तब तक संपत ने कुछ चखना लाया और मुझे आवाज लगाई।

अब हम वापिस शेड में गए और बैठकर शराब पीने लगे।

संपत ने तापड़ा किया, तापड़ा मतलब कुछ लकड़ियां डालकर आग जलाई।
जिससे ठंड कम हो।

साथ ही संपत ने मोबाईल पर गाने चला दिए, जिससे हम और भी जोश में आ गए।

अब मैं शराब का ग्लास लेकर उठ गई और नाचने लगी।
अब मैंने अपनी साड़ी उतार फैंकी और पेटीकोट में आ गई।

मैं पेग पे पेग मारते हुए नाच रही थी।
शराब की वजह से ठंड कम हुई और मैं झूमने लगी।

ईशान भी मस्त हो गया।
शायद उसने शराब पहली बार पी थी।

शराब गटक कर हमने खाना खाया और मैं ईशान के साथ कमरे में चली गई।
संपत ने हमारा बिस्तर लगाया था।

अंदर जाते ही मैंने ईशान को बिस्तर पर लिटा दिया और मैं उस पर सवार हो गई।
धान की गोनिया, गोबर की खुशबू से मैं और भी ज्यादा मस्त हुई।
ऐसा माहौल मुझे बहुत ही अच्छा लगता है।

मैंने ईशान का हुडी और पैंट उतार दिया।

मेरी साड़ी तो पहले ही उतर चुकी थी तो मैं जल्द से बाकी कपड़े निकाल के नंगी हुई।

अब मैंने ईशान की चड्डी निकाल कर उसका लन्ड चूसना शुरु किया।
लन्ड को गीला करके मैं सीधा उस पर बैठ गई और आहिस्ता से उसका लन्ड चूत में उतार लिया।

मैं झुक कर ईशान के सीने से लग गई और जी भर कर उसे लिप किस करने लगी।
ईशान मेरे चूचे दबाने लगा।

साथ ही मैं भी उसके निप्पल पर हाथ घुमाने लगी, जिससे ईशान अपना आपा खो रहा था।

मैं ईशान के लन्ड को उछल उछल कर अंदर ले रही थी।
यह काऊ गर्ल पोज में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।

मेरी हरकतें और मादकता के आगे बच्चा ज्यादा देर टिक नहीं पाया और पांच मिनट में ही ढेर हो गया।

फारिग होकर ईशान ठंडा पड़ गया।
कुछ देर उसके ऊपर लेट कर मैं उसे चूमती रही।
उसे शराब ज्यादा चढ़ गई थी।

कुछ पल बाद मैंने उसके ऊपर से उतर कर उसके लन्ड को मुंह से साफ किया।

बेसुध होकर ईशान सो गया।

मेरी तो हंसी निकल गई।
मगर मैं शांत नहीं हुई।
मेरी प्यास अभी तो और बढ़ गई थी।

दोस्तो, आंटी भाभी उमर की औरतें तगड़े लन्ड से ही संतुष्ट हो सकती हैं। उनमें गर्मी ही इतनी ज्यादा होती है।

और एक कमसिन लड़के से मेरी हवस मिटे तो मैं भी शिल्पा की लन्डखोर बेटी नहीं!

कुछ देर लेटने के बाद मेरी चूत फिर एक बार गर्म हो गई।

मैं उठकर फ्रेश हुई और एक स्वेटर पहन कर बाहर आई।

संपत अभी भी तापड़े के पास बैठ कर दारू पी रहा था।
मैं जाकर उसके बगल में बैठ गई।

मुझे देख कर उसने मुझे सिगरेट दी और मेरा पेग बनाया।

संपत एक देहाती मुस्टंडा आदमी था।
करारी मूंछें उसके तगड़े बदन पर बहुत भाती हैं।

आज तक चार पांच बार वो मेरी फुद्दी ले चुका था।

“लीजिए मालकिन, आ गई … पता था मुझे … वो बालक आपको क्या खाक रौंदेगा।” उसने दारू देते हुए कहा।

“तो तू किस लिए है मेरे शेर?” कहकर मैं सीधा उसके जांघों में बैठ गई।
मैं नीचे से पूरी नंगी थी।

संपत ने बिना समय गंवाए मेरे स्वेटर में हाथ डाला और आहिस्ता से मेरे बोबे मसलने लगा।

दारू खत्म कर के मैंने सीधा उसके मुंह में मुंह डाल दिया।
उसके बदन की गंध और पसीने की खुशबू की बात ही अलग थी।

वैसे भी मुझे मूंछें बहुत पसंद हैं।

किस खत्म करके हमने एक एक पैग और लगाया।

संपत ने झट से अपने कपड़े उतारे और मेरे सामने नंगा घुटनों के बल बैठ गया।
दारू चढ़ने से वह खड़ा नहीं रह पाया।

जल्द से मैंने उसके लन्ड पर कंडोम चढ़ाया और मैं उसके सामने कुतिया बन गई।
संपत ने पीछे से आकर मेरी चूत में हल्के से अपना लन्ड उतार दिया और धक्के देना चालू किया।

आग के पास मैं अपने नौकर से मैं अपनी हवस की आग शांत कर रही थी।

संपत अब फुल स्पीड में आकर मेरी चूत में ताबड़तोड़ देहाती झटके मारने लगा।
उसके हर एक झटके से मैं आगे सरकती और फिर अपनी गांड पीछे करके उसके लन्ड को अंदर आने का आमंत्रण देती।

चुदाई में हम दोनों माहिर थे।
न मैं और न ही संपत दोनों थकने का नाम नहीं ले रहे थे.

मगर मेरे घुटनों को नीचे मिट्टी और छोटे कंकर चुभने से मैं ज्यादा देर उस पोज में चुदवा नहीं पाई।
मैंने संपत को धक्का देकर हटाया।

अब उठकर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे अंदर कमरे में ले गई।

धान की गोनियों को देख मुझे वहां घोड़ी बन कर गांव का सेक्स का मजा लेने का मन हुआ।

तो मैं वहां गई और घोड़ी बन कर खड़ी हुई।

ईशान नशे में धुत्त सो गया था।

“ओह मेरे संपत बाबू, आ जा अपनी मालकिन को घोड़ी बनाकर पेल दे। ये बालक तो लुढ़क गया कब का!” मैंने संपत से कहा।

“अरे मालकिन आप की भूख तो इतनी है कि ये क्या मिटा पाएगा?” संपत बोल पड़ा।

मैंने कहा- चल बातें मत कर … लौड़ा चला, मुझे चढ़ गई है, सोना भी है।

दोस्तो, मुझे चुदवाते समय ज्यादा बोलना पसंद ही नहीं है।
उस वक्त मेरा ध्यान सिर्फ मेरी आग बुझाने में होता है।

संपत ने अपना काम शुरू किया- मालकिन, आपके चूतड़ बहुत ही मस्त हैं, क्या मैं इन्हें चमाट लगाऊं?
उसने डरते हुए पूछा।

“अरे पगले, मालकिन छोड़, बीवी! रण्डी! जो सोचना है सोच … जो करना है कर … लेकिन मुझे शांत कर!” मैं उसे उकसाते हुए बोली।

अब संपत ने मेरे चूतड़ों पर मारते हुए अपनी काम गति दोगुणी कर दी।

उसके देहाती चट्टान जैसे हाथों की दो चार थप्पड़ों से मेरे मुलायम चूतड़ जलने लगे।
पर मैं दर्द सहती हुई, घोड़ी बनी रही और उसका हर तगड़ा झटका झेलती रही।

लगभग दस मिनट होने को थे, संपत अपनी पूरी ताकत से मेरी चूत में झंडा गाड़ रहा था.

अब मैंने आगे होकर एक गोनी पर अपना सर रख दिया।
फिर संपत ने एक हाथ से मेरे बाल पकड़े और दूसरे हाथ से मेरे चूतड़ बजाता रहा।

मेरी चूत से मेरा पानी बहने लगा था।
मगर वो था कि झड़ने का नाम नहीं ले रहा था।

अब मैंने एक हाथ पीछे करके उसकी गोटियां को खुजाना शुरू किया।
इससे वह और जोश में आ गया।

मैंने अपना काम जारी रखा.

इसका जल्दी ही असर हुआ और संपत कराहते हुए झड़ने लगा।

उसके झड़ते ही मैं वहां से हटी और बिस्तर पर लुढ़क गई.
मेरी सांसें तेज हो गई थी।

कुछ देर बाद मैं शांत हो चुकी थी।

संपत बाहर चला गया … मेरे कपड़े कुछ बाहर थे और कुछ कमरे में।
शराब और चुदाई के मस्ती में मैं जाकर सीधा ईशान के कंबल में घुसी और उससे लपट कर सो गई।

तो इस तरह दोस्तो, मैंने फार्म हाउस पर मजे किए और दो दो लौड़े लेकर अपने आप को शांत किया।

आशा करती हूं मेरी बाकी कहानियों की तरह ही आप मेरी इस ‘गांव का सेक्स का मजा’ कहानी को भी प्यार देंगे.
तब तक के लिए लौड़ों को चोदो और चूतों को जी भर कर चुदवाओ!
यही सलाह देती हूं।

मिलती हूं फिर मेरी रंडीपन की नई कहानी लेकर।
आपकी प्यारी रण्डी अंजू भाभी
[email protected]

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