पति ने मुझे पराये लंड की शौकीन बना दिया- 6
(Doctor Ka Bada Lund)
डॉक्टर का बड़ा लंड मैंने तब देखा जब मैं उसके फ्लैट में गयी. वे सो रहे थे और उनका लंड उनकी निक्कर से बाहर निकला हुआ था. लंड मुझे बहुत पसंद आया.
कहानी का पिछला भाग: डॉक्टर के लंड पर जगह बनाने की कोशिश
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घर में नहा, धो कर खाना बना कर मैं वापस करीब 12 बजे से पहले डॉक्टर अतुल ने दी हुई गोली पानी के साथ ले कर मेरे लिए और डॉक्टर अतुल के लिए दोपहर का खाना ले कर फिर वापस अस्पताल के लिए निकल गयी।
राज का खाना अस्पताल से ही दिया जाता था।
मुझे पता था कि डॉक्टर अतुल घर से तब तक लौटे नहीं होंगे।
अतुल ने अस्पताल के बिल्कुल करीब एक सिंगल बैडरूम का अपार्टमेंट लिया हुआ था।
मेरे पास उनके घर का पता तो था ही।
उनका फ्लैट अस्पताल के रास्ते में ही मुश्किल से चलते हुए पांच मिनट की दूरी पर था।
मैं अतुल से मिलने के लिए इतनी बेचैन हो रही थी कि पूरे रास्ते में मेरे दिमाग पर अतुल का ही ख्याल हावी हो रहा था।
मुझे लगा कि डॉक्टर अतुल ने पता नहीं कैसा जादू मुझ पर कर दिया था कि उनके अलावा मुझे और कुछ भी नहीं सूझ रहा था।
पिछली रात मैं अतुल के सपने देखते हुए ठीक से सो नहीं पायी थी।
मेरा हाल ऐसा हो रहा था की मैं उसी वक्त उनकी बांहों जाने कर उन्हें प्यार करने के लिए पागल हो रही थी।
और उनकी बांहों में जा कर उनसे प्यार करने का मतलब साफ़ था कि उनसे मेरी चुदाई होगी ही।
जो अस्पताल में नहीं हो पाया, वह घर में हो सकता था।
किसी से चुदवाने के लिए ऐसा पागलपन मैंने पहले कभी नहीं अनुभव किया था।
पिछली रात को ही मैंने पक्का तय कर लिया था कि जो भी हो, जैसे भी हो, कैसे भी कर के मुझे जल्द से जल्द अतुल से चुदवाना ही है।
मैं यह जानने के लिए बड़ी ही बेताब थी कि डॉक्टर अतुल जैसे हैंडसम मर्द का लण्ड कैसा होगा।
क्या उनका लण्ड लंबा होगा, मोटा होगा या छोटा ही होगा?
उनके आकर्षक गठे हुए बदन को देख कर तो मुझे पूरा यकीन था कि अतुल की तरह उनका लण्ड भी लंबा चौड़ा, भरा हुआ सख्त मजबूत होना चाहिए।
क्या मैं उसे ले पाऊंगी?
ऐसे कितने सारे विचार मेरे दिमाग में आकर मेरे दिमाग को खराब कर रहे थे।
एक बात पक्की थी कि लण्ड चाहे छोटा हो या बड़ा … मुझे डॉक्टर अतुल से जरूर चुदना था, इसके बारे में मेरे मन में कोई शक नहीं था।
मेरी चूत में एक अजीब सी टीस उठ रही थी और चूत में से प्रेम रस इतना ज्यादा रिस रहा था कि मेरी पैंटी क्या मेरा घाघरा भी गीला हो रहा था।
एक तरफ तो मुझे डॉक्टर से चुदवाने का पागलपन सवार था तो दूसरी तरफ मैंने अतुल को वचन भी दिया था कि मैं उनका उजड़ा हुआ घर बसाऊंगी।
ये दोनों बातें कैसे एक साथ हो सकेंगी?
यह बात मेरे दिमाग को चाट रही थी।
मैंने प्रभु से प्रार्थना की कि वे ही कोई ना कोई रास्ता निकालेंगे।
डॉक्टर अतुल की सोसायटी के सिक्योरिटी गेट पर रजिस्टर में जब मैं अपना नाम लिखवा रही थी. तब एक महिला जो बाहर से आ रही थी, मुझे डॉक्टर अतुल के फ्लैट पर जाने की एंट्री करते हुए देख कर मेरे बारे में पूछने लगी कि मैं कौन हूँ, क्यों डॉक्टर अतुल के घर जाना चाहती हूँ, वे मेरे क्या लगते हैं वगैरा।
जब वह महिला मेरे आगे चली गयी, तब मुझे गार्ड ने बताया की वह महिला डॉक्टर अतुल की पड़ोसन थी और डॉक्टर की पत्नी की ख़ास सहेली थी।
मेरे और पूछताछ करने पर मैं जान गयी कि डॉक्टर की पत्नी को बहका कर अतुल के दाम्पत्य जीवन में आग लगाने वाली महिला भी वही थी।
खैर मैं सिक्योरिटी गेट पर एंट्री कर डॉक्टर के माले पर पहुंची।
जैसे ही मैं डॉक्टर के दरवाजे पर पहुंची, तब वह महिला मुझे फिर वहीं टहलती हुई मिली।
मुझे लगा जैसे वह महिला मेरे आने का इंतजार ही कर रही थी।
अपना मुंह बनाते हुए मुझे बड़ी ही तीखी नजर से देखती हुई वह सामने के अपने फ्लैट में चली गयी।
मुझे पता था कि उस समय डॉक्टर अतुल सो रहे होंगे।
इसलिए मैंने बेल बजाना ठीक नहीं समझा।
मैंने दरवाजे पर हल्के से दस्तक दी।
अंदर से कोई जवाब नहीं आया तो कुछ देर बाद दुबारा मैंने दस्तक दी।
जब तब भी दरवाजा नहीं खुला तो मैंने बाजू में रखे हुए गमले को अच्छी तरह से छानबीन कर के चाभी ढूंढ निकाल कर धीरे से दरवाजा खोला और चाभी फिर से गमले में छिपा कर रख दी।
अंदर जाकर मैंने देखा कि वह एक बैडरूम, हॉल और रसोई वाला फ्लैट था।
ड्राइंग रूम में चीजें इधर उधर बिखरी हुई पड़ी थीं।
टेबल पर चाय के दो कप जिसमें चाय के दाग भी सूख गए थे।
एक पानी की आधी भरी बोतल, दो तीन गिलास, कुछ किताबें बिखरी हुईं इधर उधर पड़ी थीं।
अतुल ड्राइंग रूम में नहीं थे।
मुझे उनके खर्राटों की हल्की सी आवाज बैडरूम में से आती हुई सुनाई दी।
बैडरूम का दरवाजा खुला हुआ था।
मैंने अंदर झाँक कर देखा कि पूरा बैडरूम भी ड्राइंगरूम की तरह बिखरा हुआ था।
सारा सामान कहीं मेज पर तो कहीं पलंग पर बिखरा हुआ था।
पलंग पर एक लैपटॉप खुला हुआ था।
फर्श पर लैपटॉप के एक्सटेंशन का केबल इधर उधर होता हुआ एक प्लग तक जा रहा था।
डॉक्टर अतुल पलंग पर अपनी टाँगें फैलाये गहरी नींद में सोये हुए थे।
उन्होंने ऊपर से कुछ नहीं पहना था।
अतुल की मांसल छाती पर काले बाल उनकी मर्दानगी दिखाते हुए बड़े सुहाने लग रहे थे।
उनका फिट कसरती बदन छाती के मांसल स्नायु और मांसल भरे हुए बाजू (biceps) किसी भी स्त्री का मन विचलित करने वाले थे।
अतुल की एकदम पतली कमर के नीचे एक चादर बिखरी हुई उनकी जाँघों को ढके हुए थी।
उन्होंने एक जांघिया ही पहने हुए था और चादर उसी को थोड़े हिस्से को ढक रही थी।
बाकी चादर पलंग के नीचे लटकी हुई थी।
डॉक्टर अतुल को उस हाल में देख कर मेरा मन हुआ कि मैं भी उनके साथ सो कर उनके जांघिए को निकाल कर उनका लण्ड मेरे हाथों में पकड़ूँ और फिर उसे खूब चूसूं।
पर मुझे मेरे पागलपन को नियंत्रण में रखना था।
पूरे फ्लैट का बुरा हाल था।
मुझे अपना घर एकदम टिच व्यवस्थित रखने की आदत थी।
मुझे मेरे पति राज की बात याद आयी कि जिस तरह से भी हो पाए, मैं डॉक्टर अतुल का ख्याल रखूं।
मैं मानती हूँ कि जो घर ही ठीक से सजा हुआ ना हो उसमें लक्ष्मी वास नहीं करती।
घर ठीक से सजा हुआ होना चाहिए।
मैं फ़ौरन घर ठीक करने में लग गयी।
पहले ड्राइंगरूम में मैंने एक के बाद एक सारी चीज़ें अपनी जगह सजा कर रख दीं।
देखते ही देखते मैंने ड्राइंगरूम और बाद में रसोई साफ़ कर सजा दी।
आखिर में मैं दबे पाँव बैडरूम में गयी और पहले सारी इधर-उधर बिखरी किताबों को सम्भाल कर उनकी जगह पर रखा और फिर पलंग पर बिखरी हुई कुछ डॉक्टरी की किताबें, एक गिलास, एक आधी भरी हुई बोतल, सब हटा कर साफ़ कर अलमारी में सजा कर रखीं।
पलंग में ही आधा लेटे और आधा बैठे, लैपटॉप पर काम करते हुए डॉक्टर अतुल शायद सो गए होंगे।
लैपटॉप पलंग पर लेटे हुए डॉक्टर अतुल के दूसरी और था।
मुझे उसे हटा कर बंद कर बाजू के टेबल पर रखना था।
मैं पलंग के बाहर नीचे खड़ी हुई वहाँ तक नहीं पहुँच सकती थी।
तब मैं पलंग पर चढ़ गयी।
घुटनों के बल आधी खड़ी होकर अतुल को छुए बिना उनके ऊपर झुक कर उनके दूसरी तरफ खुला हुआ लैपटॉप एक हाथ से उठा कर लेने लगी थी कि लैपटॉप ऊंचा उठाये हुए मैं अपना संतुलन खो बैठी और धड़ाम से अतुल के ऊपर ही जा गिरी।
मेरे उनके ऊपर गिरने से डॉक्टर अतुल चौंक कर जाग गए।
तक़दीर से लैपटॉप नीचे फर्श पर ना गिर कर पर पलंग के एक कोने पर ही जा गिरा।
डॉक्टर अतुल के ऊपर रखी चादर उनके ऊपर से सरक कर नीचे गिर पड़ी।
चादर के आवरण के हट जाने से डॉक्टर अतुल की निक्कर के एक पायसे के अंदर से उनका मोटा तगड़ा और काफी लंबा, बाहर निकला हुआ सख्ती से खड़ा लहराता हुआ लण्ड मुझे दिखाई पड़ा तो मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी।
निक्कर का पायसा ढीला होने के कारण जब डॉक्टर अतुल ने नींद में ही अपना एक पाँव ऊपर किया होगा तो ढीले पायसे में से उनका मोटा और काफी लम्बा लण्ड बाहर निकल पड़ा होगा।
हो सकता था कि जैसे मर्दों की आदत होती है कि अक्सर अपना लण्ड निक्कर से बाहर निकाल कर सहलाते सहलाते वह सो गए हों।
मैं यह देख कर हैरान रह गयी कि इतनी गहरी नींद में भी अतुल का लण्ड खासे बड़े अंडकोष से निकला और कुछ तना हुआ गोरा, लम्बा और मोटा दिख रहा था।
इतना बड़ा लण्ड मेरे पति का तो क्या कोई पोर्न वीडियो में ही शायद हो।
ऐसा गोरा और तगड़ा लण्ड मैंने तब तक नहीं देखा था।
मैं सहमी हुई बड़े असमंजस में थी कि मैं करूँ तो क्या करूँ!
एक तरफ तो मुझे उस तरह गहरी नींद की मदहोशी के हाल में सोफे पर नींद में से आधे अधूरे जगे बहुत ही प्यारे मासूम लगते हुए अतुल के ऊपर इतना ज्यादा प्यार उमड़ रहा था कि मेरा मन कर रहा था कि उसी समय मैं अतुल को अपनी बांहों में जकड़ कर उनसे बिनती करूँ कि मुझे ऐसे चोदे, ऐसे चोदे कि मैं उसे कभी भूल ना पाऊं।
दूसरी तरफ उनके ऐसे महाकाय, प्यारे गोरे से लण्ड देख कर मेरा मन ललचा गया कि मैं अतुल को खूब प्यार करूँ और उनके प्यार गोरे चिट्टे लण्ड को हाथ में पकड़ कर सहलाऊँ और मुंह में डाल कर अच्छे से चूसूं।
पर मैं ऐसा कैसे कर सकती थी?
एक तरफ मेरी चूत की खुजली मुझे चुदवाने के लिए आगे बढ़ने को मजबूर कर रही थी तो दूसरी तरफ लाज का बंधन मुझे रोक रहा था।
पर मेरे दिल से अतुल का बदन और ख़ासकर उनका महाकाय प्यारा लण्ड हट ही नहीं रहा था।
मैं अब बुरी तरह फँस चुकी थी।
मैंने घबरा कर डॉक्टर अतुल की ओर देखा।
डॉक्टर अतुल मेरे उनके ऊपर गिरने से उस गहरी नींद से चौंक उठे थे।
उनकी आँखें आधी खुली हुई आश्चर्य से मुझे धुंधली नजर से देख रही थीं।
शायद वे अभी गहरी नींद में से पूरी तरह जगे नहीं थे।
मैं अतुल के बदन पर ऐसे अटकी हुई थी कि उनकी एक तरफ मेरा सर और दूसरी तरफ मेरे पाँव और मेरा पेट उनके पेट के ऊपर बीच में।
मुझे अपने ऊपर 90 डिग्री पर लेटी देख अनायास ही अपनी लम्बी सशक्त बांहें फैला कर अतुल ने खींचकर मुझे घुमा कर आसानी से पाँव से पाँव और चेहरे से चेहरा मिलाते हुए उनके ऊपर लिटा दिया।
मुझे अपनी बांहों में भरते हुए जैसे नशे में हो ऐसे आधी नींद में लड़खड़ाती जुबान में मेरी आँखों में आंखें डालने की कोशिश करते हुए बोल पड़े- तुम सपने में से बाहर कैसे आ गयी? यह मैं सपना देख रहा हूँ या सच?
मेरा चेहरा एकदम अतुल के चेहरे के ऊपर, मेरी नाक डॉक्टर अतुल की नाक के ऊपर और मेरे होंठ डॉक्टर अतुल के ऊपर!
पता नहीं अतुल को क्या सूझी, उन्होंने मेरा सिर अपने दोनों हाथों में पकड़ा और उसे अपने ऊपर दबा कर मेरे होंठ कस कर अपने होंठों से भींच दिए।
अपनी जीभ से मेरे होंठों को अलग कर उन्होने अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसेड़ दी।
जिस बेरहमी और शिद्द्त से डॉक्टर अतुल ने मुझे उस समय चूमना शुरू किया, मुझे लगा कि अगर वह उसी तरह ज्यादा देर तक मुझे चूमते रहे तो मैं अपने आप ही अपने कपड़े निकाल कर डॉक्टर अतुल से चुदवाने को मिन्नत करने लगूंगी।
यह मेरे लिए कयामत का दिन था।
मेरे पति ने तो मुझे साफ़ साफ़ संकेत दे दिया था कि अगर मौक़ा मिले तो मैं डॉक्टर अतुल से चुदवाने को लेकर कोई झिझक ना दिखाऊं और ना ही मेरे पति की इजाजत लेने जाऊं।
आज विधाता ने ही ऐसा कुछ कर दिया कि मुझे कुछ करना ही नहीं पड़ा।
सामने से अतुल ने ही मुझे खींच कर अपनीं बांहों में भर लिया और मुझे जोश के साथ चूमने लगे।
इसका मतलब साफ़ था कि वे भी मुझे चाहने लगे थे और मुझे भोगना चाहते थे।
अतुल जीभ को बार बार मेरे मुंह के अंदर बाहर कर जैसे मेरे मुंह को अपनी जीभ से चोद रहे थे।
अपनी हरकतों से अतुल मुझे पागल कर रहे थे।
मैं भी अपने आप पर किसी तरह का नियंत्रण रखने में नाकाम हो रही थी।
बल्कि मैं डॉक्टर अतुल को मेरे मुंह को अपनी जीभ से चोदने में मैं पूरी तत्परता से उनका साथ दे रही थी।
कभी मैं उनकी जीभ और मुंह का रस चूस रही थी तो कभी मैं उनकी मेरे मुंह में से अंदर बाहर हो रही जीभ को चूस कर और उनके मुंह की लार निगल कर उनको और भी उकसा रही थी।
अतुल भी मेरी जीभ को चाटते हुए मेरी लार निगल रहे थे।
उनका जूनून देखने लायक था।
तो मैं भी उत्तेजना के मारी उतने ही जूनून से उनके साथ होंठों को चिपका कर उनको चूम रही थी।
मुझे अतुल के ऊपर उनको किस करते हुए अपना संतुलन बनाये रखने के लिए घुटनों के बल लेटना पड़ा था जिसके लिए मुझे मेरी साड़ी और घाघरा मेरी जाँघों के ऊपर तक चढ़ाना पड़ा।
मैं अतुल के ऊपर उनकी कमर को अपनी दो जाँघों के बीच में रख कर उस पोज़िशन में लेटी हुई थी।
अतुल का नंगा लण्ड तब मेरे इधर-उधर हिलने से मेरी जाँघों के बीच रगड़ने लगा।
डॉक्टर अतुल ने जब यह महसूस किया कि उनका लण्ड मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से रगड़ने की कोशिश कर रहा था तो वे भी बहुत उत्तेजित होकर मेरे मुंह को अपने मुंह से और जोर से दबाये और मुझे बड़ी ही बेसब्री से चूमने लगे।
मुझे लगा कि कोई देर नहीं जब मुझे डॉक्टर अतुल नंगी करके चोदने लगेंगे।
उस दोपहर मुझे उनसे चुदने से कोई नहीं रोक सकता था।
मेरी कहानी पर अपने विचार मुझे मेल और कमेंट्स से भेजते रहें.
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कहानी का अगला भाग: पति ने मुझे पराये लंड की शौकीन बना दिया- 7
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