परपुरुष से शारीरिक सम्बन्ध- 1

(Clit Piercing Experience)

क्लिट पीयर्सिंग का अनुभव तब लिया मैंने जब अपने पति को करवा चौथ पर कुछ सरप्राइज देने का मन बनाया. लेकिन जब मैंने देखा कि मेरी चूत में बाली पहनाने वाला एक लड़का है तो …

दोस्तो, शाल्मलि एक ऐसी सजा है, जिसका वर्णन प्राचीन काल में किया है.
इस वर्णन में एक शल्मलि (सेमल) नाम का पेड़ होता है जिसके तने पर असंख्य सुई के समान नुकीले कांटे निकले होते हैं.
उस वृक्ष से उन स्त्रियों को निर्वस्त्र करके आलिंगन करवाया जाता है जिन्होंने अपनी सम्पूर्ण इच्छा से अपने पति के अलावा किसी परपुरुष से शारीरिक सम्बन्ध बनाए हों.

मैं राहुल वर्मा एक बार फिर से आप सबके सामने एक और सेक्स कहानी लेकर उपस्थित हुआ हूं.

यह कहानी मेरी नहीं है बल्कि मुझे मेरी एक पाठिका ने सुनाई.

तो आइए सुनते हैं यह कहानी पाठिका की जुबानी.

मेरे सिर के दोनों तरफ मगनलाल और आद्विक खड़े होकर मुझसे अपना लंड हिलवा रहे थे.
शायद इतनी देर से लगातार मुझे चोदने के बाद भी उनकी चुदाई की भूख शांत नहीं हुई थी.

औरत चीज ही ऐसी है, चाहे जितना चोदो न मन भरे, न लंड थके.

क्या हुआ कुछ समझ नहीं आ रहा क्या आप लोगों को?
रुको शुरू से सुनाती हूं पूरा किस्सा.

अपनी गोपनीयता और परिवार की इज्जत को बनाए रखने के लिए मैंने जगह और पात्रों के नामों को बदल दिया है.

मैं यानि इस कहानी का केंद्र बिंदु.
मेरा नाम काव्या है, मैं मध्य प्रदेश के भोपाल में रहती हूं.
मेरी उम्र 29 साल है. रंग ऐसा कि जैसे किसी ने दूध में जरा सी केसर मिला दी हो.

मैं अपने माता पिता की इकलौती संतान हूं तो मुझे बचपन से किसी भी चीज के लिए मना नहीं किया गया था.
इस वजह से मैं थोड़ी अकड़ू भी हूं.
अगर आप मुझे आसान शब्दों में जंगली बिल्ली कहोगे तो इस बात में भी कोई अचरज नहीं होगा.

बारहवीं कक्षा पास करते करते मेरे अन्दर बहुत सारे बदलाव आने लगे थे.
मेरे सीने का बोझ दिनों दिन बढ़ता जा रहा था, मेरी चूत पर भी क्यारी जैसी घास उगने लगी थी.

ब्रा पहनना भी मुझे कोई पहाड़ चढ़ने जैसा बोझिल काम लगता था इसलिए अक्सर मैं बिना ब्रा पहने ही स्कूल चली जाती, जहां मेरे निप्पलों की नोक देखकर मेरी क्लास के लड़कों और टीचर के पैंट में तम्बू बन जाता था.

कभी स्कूल जाते मां की नजर पड़ती, तो वे जबरदस्ती मुझे कमरे में ले जातीं और मेरी शर्ट उतार कर मुझे अपने हाथ से ब्रा पहनातीं.

बारहवीं पास करने के बाद मैंने शहर के एक कॉलेज में दाखिला ले लिया.

इसी दौरान मेरी लगभग सभी सहेलियों ने अपने लिए एक एक ब्वॉयफ्रेंड बना लिया था जिनसे वे गाहे बगाहे चुद कर आतीं और सभी को किस्सा सुनातीं.

इन्हीं सबके चलते मुझ पर भी बहुत दबाव बनाया गया कि मैं भी अपने लिए एक चोदू का इंतजाम कर लूं.

आखिर मैंने भी थक कर अपने लिए एक ब्वॉयफ्रेंड बना लिया जो मुझे इतना भी कुछ पसंद नहीं था.

जिससे मेरे शारीरिक सम्बन्ध के नाम पर केवल कभी किस करना या फिर उसके बहुत मनाने पर उससे अपने दूध दबवाना और चूत के पंख खोल कर ऊपर से लंड रगड़वा लेना ही होता था.
क्योंकि मैं किसी ऐसे लड़के से अपनी नथ नहीं उतरवाना चाहती थी जिसे मैं पसंद भी नहीं करती.

मुझे तो अभी भी अपने राजकुमार का इंतजार था जिस पर मैं अपना सर्वस्व न्योछावर कर दूं.

कॉलेज खत्म हुआ और मेरे माता पिता ने झांसी में एक अच्छा सा परिवार देखकर उससे मेरा विवाह कर दिया.

परिवार के नाम पर केवल तीन लोग थे.
मेरे ससुर जो सरकारी पोस्ट ऑफिस में एक अच्छे पद कार्यरत थे.
मेरी सास जो सांसारिक सुख से ज्यादा आध्यात्मिक सुख की चिंता में भगवान को मनाने में लगी रहती थीं.
और अंत में मेरे पति अविनाश … जिनकी उम्र 34 साल थी.
उनका रंग गोरा, लंबे चौड़े और अच्छी बॉडी थी.
अविनाश भारत की एक नामी इंश्योरेंस कंपनी में हेड थे.

शादी होकर जब मैं ससुराल पहुंची, तो मेरा बहुत अच्छे से स्वागत हुआ.

सुहागरात वाली रात मेरे पति ने मुझे मेरा तोहफ़ा दिया और मुझसे सेक्स करने के विषय पर मेरे विचार पूछे.

जिस पर मैंने सेक्स करने को अभी कुछ दिनों के लिए टाल दिया.
तो मेरे पति ने भी दोबारा जोर नहीं दिया.

इससे मुझे अपने भाग्य पर गर्व हुआ.
मैंने भगवान को बारम्बार धन्यवाद दिया कि कितना मेच्योर और अंडरस्टैंडिंग पति मिला है.

कुछ दिन बाद हमने अपना हनीमून प्लान किया और हम लोग इंडोनेशिया घूमने चले गए.
वहां मैंने पहली बार सेक्स किया.

फिर तो जैसे सेक्स की रेल चल पड़ी.
सुबह सेक्स, शाम में सेक्स, रात में सेक्स, बीच पर सेक्स … यहां तक कि मैंने वहां पर नंगी होकर समुद्र के किनारे सनबाथ भी लिया.

हमारा हनीमून बहुत अच्छा रहा और हम वहां से चार दिन बाद वापस आ गए.

वहां से आने के बाद सब अच्छा चल रहा था.
पति शाम को ऑफिस से घर आते खाने खाते, फिर रात को मुझे सेक्स का भोग लगाते और हम दोनों थक कर नंगे एक दूसरे की बांहों में चिपक कर सो जाते.

धीरे धीरे सेक्स हमारी दिनचर्या का एक हिस्सा बन गया था.
जितना मुझे चुदने में मज़ा आने आता था, उतना ही अविनाश को मुझे चोदने में!

लेकिन कहते हैं न कि किसी चीज की अति नहीं करनी चाहिए तो हमारी भी खुशहाल जीवन को किसी की नज़र लगी.

हुआ यूं कि एक दिन पति शाम को ऑफिस से घर आए और सोफे पर बैठ गए.

उनका उदास चेहरा देखकर मुझसे रहा न गया और मैंने उसका कारण पूछा.

तो उन्होंने बताया कि उनके काम से खुश होकर ऑफिस में उनकी पदोन्नति कर दी गई है.
इतना सुनते ही मैंने खुशी से उनके चेहरे को यहां वहां चूम लिया.

लेकिन जब उन्होंने पूरी बात बताई तो मुझे भी विषय की गंभीरता समझ आयी.

उन्होंने बताया- प्रमोशन के चलते मुझे टीम लीडर बना दिया गया और मुझे तीन दिन बाद से आगरा में ऑफिस ज्वाइन करना है.

अविनाश ने बहुत कोशिश की पर उनका जाना तय था … तो बहुत बोझिल मन से वे आगरा चले गए.

जिस दिन वे घर से गए, उस दिन मुझे बहुत अजीब सा लगा.
दिन तो किसी तरह कट भी गया लेकिन रात तो काटना और भी मुश्किल हो रहा था.

मैं बेड पर लेटी हुई किसी तरह सोने की कोशिश कर रही थी.
तभी मेरा फोन बजने लगा. देखा तो अविनाश फोन कर रहे थे.

फोन उठाते ही उन्होंने मेरा हाल पूछा.
अब मैं उनसे क्या कहती कि मेरी क्या हालत हो रही है.
लेकिन शायद वे समझ गए थे इसलिए उन्होंने बातों बातों में मुझसे फोन सेक्स करना चालू कर दिया.

फोन सेक्स करना मेरे लिए एक नया अनुभव था लेकिन उतना मजेदार नहीं था … क्योंकि जो मजा एक असली लंड देता है, वह कोई दूसरी चीज कहां मजा दे सकती है!

बहुत देर तक बात करने के बाद उन्होंने रविवार को घर आने को बोला.

फिर हम दोनों एक दूसरे को बॉय बोल कर सो गए.

अब तो यह जैसे जीवन का हिस्सा हो गया था.
रविवार को अविनाश घर आते और बाकी दिन हम दोनों एक दूसरे के साथ फोन सेक्स करते.

धीरे धीरे मुझे इसकी आदत हो गई थी.
लेकिन अब काम के बोझ के कारण अविनाश अब किसी किसी हफ्ते घर नहीं आते.

एक बार अविनाश सितंबर को घर आए, फिर उनको घर आने का मौका ही नहीं मिला.
हर बार रविवार बोल कर टाल देते.

ऐसा करते करते अब करवाचौथ भी आने आने वाला था इसलिए उन्होंने मुझसे कहा कि मैं ही करवाचौथ को उनके पास चली आऊं.
यह बात मुझे अच्छी भी लगी इसलिए मैं वहां जाने की तैयारी में लगी.

जैसे जैसे दिन पास आ रहे थे, वैसे मेरी तैयारी तेज होती जा रही थी.

उनके पास जाने से चार दिन पहले मैंने अपना पार्लर ट्रीटमेंट करवाना शुरू कर दिया.

पार्लर वाली मेरी पहचान की थी इसलिए मुझे उसे बताना ही नहीं पड़ा कि मुझे कैसा ट्रीटमेंट करवाना है.
शायद वह मेरे चेहरे की खुशी देख कर समझ गई थी कि मुझे क्या चाहिए इसलिए उसने मेरा सुहागरात पर जैसा ट्रीटमेंट करते, वैसा करना शुरू कर दिया.

पहले उसने मेरी फुल बॉडी वैक्स की, फिर उसके अगले दिन उसने बाकी का ट्रीटमेंट किया.
अब सच में मैं एक दुल्हन के जैसी लग रही थी.

घर आकर मैं सोच रही थी कि अविनाश को क्या गिफ्ट दूं.
इसलिए मैं गूगल पर सर्च करने लगी.

बहुत देर बाद मुझे एक विचार आया.
मैंने अपनी स्कूटी निकाली और एक टैटू वाली शॉप पहुंच गई.

वहां पहुंच कर देखा कि रिसेप्शन में एक लड़की बैठी हुई थी.
मैं सीधे उसके पास पहुंच गई और उसे बताया कि मुझे अपनी क्लिट पर एक पियर्सिंग सैट करवाना है.

शुरू में वह मुस्कुराई, फिर गंभीर होकर बोली- कैसी करवानी हैं?
तो मैंने उससे कहा कि आप ही कुछ सजेस्ट करो!

उसने एक फाइल निकाल कर मेरे सामने रख दी.

मैं फाइल में देखने लगी.

मुझसे पहले भी बहुत लड़कियों ने यहां से पियर्सिंग करवाया हुआ था.

बहुत देर तक देखने के बाद मुझे एक पसंद आया और मैंने उसके पैसे देकर पेपर वर्क करके फाइनल कर दिया और एक कोने में बैठ कर अपनी बारी का इंतजार करने लगी.

थोड़ी देर में मेरा नंबर आ गया और वह रिसेप्शन वाली लड़की ने मुझे अन्दर जाने को बोला.

मैं धीमे कदमों से चलते हुए जैसे ही अन्दर गई, मेरे तो होश ही फाख्ता हो गए क्योंकि अन्दर का आर्टिस्ट एक लड़का था.

बहुत देर तक तो मैं दरवाजे पर खड़ी सोचती रही कि ये मैंने क्या कर दिया … पैसे वापस मांग लूं क्या … लेकिन फॉर्म पर तो फीस नॉन रिफंडेबल थी.

यही सब सोच रही थी कि न जाने कब उस लड़के ने मेरे हाथ से मेरा फॉर्म लिया और पढ़ने लगा.

फिर उसने मुझसे चेयर पर बैठने को बोला और रूम के सारे परदे लगा दिए.

मैं चेयर पर जाकर बैठ गई.
वह मेरे पास आया और मुझसे टांगें ऊपर रखने को बोला.

मैंने भी धीमे से अपनी टांगें उठा कर रख दीं.
फिर उसने मुझसे जींस का बटन खोलने को बोला, तो मैंने बटन खोल कर चैन नीचे कर दी.

उसने जींस और मेरी पैंटी दोनों को पकड़ कर एक साथ नीचे किया.

थोड़ी देर रुकने के बाद उसने बोला- ऐसे करने में थोड़ा मुश्किल है मैम, आपकी जींस टाइट है … आप इसे उतार दीजिए.

मैंने दबी सी आवाज में बस इतना ही कहा- आप ही उतार दीजिए.
क्योंकि मैं अनजान लड़के के सामने खुद से नंगी नहीं होना चाहती थी.

वह लड़का आगे बढ़ा और जैसे ही उसने मेरी जींस को कमर से पकड़ा.
मैंने तुरंत आंखें बंद कर लीं.

उसने मेरी टांगों को थोड़ा मोड़ा और जींस को नीचे सरकाने लगा.
जींस इससे पहले मेरी गांड पर आकर अटकती, मैंने खुद ही अपनी गांड उठा ली.

उसने धीमे से सरकाते हुए मेरी जींस टांगों से निकाल कर दीवार पर लगी खूँटी पर टांग दी.
फिर उसने मेरी पैंटी भी निकाल कर टेबल पर रख दी.

अब उसने मेरी टांगें फैला कर चेयर के दोनों साइड रख दीं.

कमरे में एसी फुल पर चल रहा था, जिससे मेरी कमर के नीचे का हिस्सा ठंड से लगभग सुन्न हो गया था.

मेरी आंखें अभी भी बंद थीं लेकिन मैं आवाज से अंदाजा लगा रही थी कि वह क्या कर रहा है.

जैसे ही उनसे मेरी जांघ पर हाथ रखा, तो मेरे शरीर में ऐसी झुरझुरी उठी … जैसे मैंने बिजली का तार पकड़ लिया हो.

उसने पानी स्प्रे करके पहले मेरी चूत को गीला किया, फिर एक टिशू से चूत को पौंछने लगा.

मर्द का स्पर्श पाते ही मेरी चूत ने अपनी औकात दिखा दी और रोना शुरू कर दिया.
फिर उसने दस्ताने पहने और अपने हाथों पर कोई जैल लेकर मेरी चूत में सब जगह अन्दर बाहर लगाने लगा.

उसके हाथों के टच से मेरी धड़कन इतनी बढ़ चुकी थी कि दिल या तो मुँह से निकल आएगा या चूत से!

वह मुझसे शांत रहने को बोल रहा था.
अब उसे कैसे बताऊं कि कितने महीने बाद किसी मर्द हजरात ने मेरी प्यारी को छुआ है, तो उसका भी थोड़ा नखरे करना लाजमी है.

फिर उसने मुझे एक प्लास्टिक का लंबा सा टुकड़ा हाथों में पकड़ा कर कहा- इसे दोनों दांतों के बीच दबा लो.

मैंने वैसा ही किया.
अभी तक मेरी आंखें बंद थीं लेकिन मैं कनखियों से थोड़ा थोड़ा देख रही थी.

फिर उसने एक ऐसी कैंची उठाई जिसके दोनों सिरों में गोल छेद बना हुआ था.
उसने मेरी चूत के अन्दर दो उंगलियां डाल कर अन्दर से क्लिट को उठा दिया.

फिर जैसे ही उसने कैंची के दोनों सिरों के बीच में मेरा दाना पकड़ा, मेरी एक घुटी हुई सी चीख निकल गई … जिससे मेरी आंखें खुल गईं और मेरी आंखें उसकी आंखों से टकरा गईं.
मेरे चेहरे पर दर्द लकीरें देख कर वह मेरी क्लिट को अपने अंगूठे से सहलाने लगा.

अब क्लिट पीयर्सिंग का अनुभव लेव्ने के लिए मैंने भी शर्म को त्याग दिया था.

मुझे थोड़ा आराम मिलने के बाद उसने मुझसे आगे बढ़ने की अनुमति मांगी.
तो मैंने अपनी गर्दन हिला दी.

फिर उसने जैसी ही अपनी उंगलियां चूत से बाहर निकालीं तो उसकी उंगलियों पर मेरा इतना रस लग चुका था … जो उसकी उंगलियों से होते हुए टेबल पर यहां वहां गिरने लगा.
इस सब से एक बार फ़िर से मेरी आंखें शर्म से झुक गईं.

इस बार उसने बिना ऊपर देखे बोला- ये सब सामान्य है.
एक कपड़े से पहले मेरी चूत पौंछी, फिर मेज.

अंत में सब कुछ सैट करके उसने मुझे तैयार रहने को बोला.
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.

उसने अचानक से एक नुकीली लेकिन खोखली सी एक सुई मेरे दाने के आर-पार कर दी.

ये सब इतना जल्दी हुआ कि मुझे संभलने का मौका नहीं मिला और मेरे मुँह से चीख निकल गई.
जो प्लास्टिक का टुकड़ा मेरे मुँह में था, उस पर मेरे दांतों के निशान पड़ गए.

एसी फुल होने के बाद भी मेरे माथे पर पसीने की बूंदें आ गई थीं.

दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी इस क्लिट पीयर्सिंग कहानी में मजा आ रहा होगा.
आपके कमेंट्स मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगे.
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क्लिट पीयर्सिंग का अनुभव कहानी का अगला भाग: परपुरुष से शारीरिक सम्बन्ध- 2

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