परायी नारी कोरोना पर भारी- 3
(Biwi Ko Chudwaya)
एक आदमी ने अपनी बीवी को चुदवाया. मैं उसके घर गया तो उसकी बीवी शर्माने लगी. फिर मैंने उसको गर्म किया और उसकी चूत मार कर मजा लिया और दिया.
दोस्तो, मैं राज अपनी सेक्स स्टोरी का अंतिम भाग आपको बता रहा हूं. बीवी को चुदवाया कहानी के पिछले भाग
बीवी की चुदाई करवाने गैर मर्द को घर बुलाया
में आपने जाना कि मैं रोहन के घर चंढीगढ़ गया तो उसने जाते ही मेरा लंड चूस लिया.
उसके बाद नेहा भी आ गयी. रात को शराब पीने के बाद सबको नशा होने लगा और रोहन ने नेहा को नंगी करना शुरू कर दिया. वो शर्माने लगी तो मैं उठकर बाहर चला गया.
जब वो ब्रा पैंटी में रह गयी तो मुझसे रुका न गया और मैं रूम में अंदर आ गया. मुझे देखते ही वो चौंक गयी.
अब आगे की कहानी कैसे उसने बीवी को चुदवाया:
कभी उसकी नजर मेरे लंड पर जाती तो कभी वो अपनी चूचियों को छिपाने की कोशिश करती.
अब नेहा के बदन पर मेरे हाथ थे जो उसकी ब्रा के आस पास उसके बदन को टटोल रहे थे.
नेहा सिमटना चाहती थी लेकिन मैं उसे बिस्तर पर फैलाने के मनसूबे लिए हुए था.
हालांकि जो भी हो रहा था उसमें नेहा की भी मंजूरी थी लेकिन वो थी तो एक पतिव्रता नारी.
शर्म उसका गहना थी और अब मैं उससे उसका गहना उतार कर उसे बेशर्म कर देना चाहता था।
मैं रोहन के पास सोफे पर ही बैठ गया और मैंने नेहा को रोहन की गोद से अपनी गोद में खींचने की कोशिश की तो रोहन ने नेहा पर पकड़ ढीली कर दी.
नेहा के लिए यह आसान नहीं था.
करती भी कैसे?
पहली बार खुद को अपने पति के सामने दूसरे मर्द की गोद में बैठाना इतना आसान भी नहीं होता, वह भी अचानक से।
मैंने हालात को देखते हुए नेहा की पीठ में चूमना शुरू कर दिया और उसकी ब्रा खोलकर उसके स्तनों को आजाद कर दिया।
अब मेरे हाथ उसके स्तनों को दबा रहे थे.
स्थिति यह थी कि नेहा रोहन की गोद में उसकी तरफ मुंह करके ही उस से चिपकी हुई थी.
मैंने धीरे धीरे नेहा के स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया और पीछे से उसकी पीठ और गर्दन पर चाटने लगा.
मेरे चुम्बनों के प्रहार से नेहा की बेचैनी बढ़ने लगी.
अब मेरे हाथों को नेहा और रोहन के बीच में जगह मिल रही थी.
मैं पीछे से चिपक कर उसकी गर्दन पर चाट रहा था.
उसकी आखें बन्द थीं और सिसकारियां निकल रही थीं.
मैं और रोहन दोनों ही उसके बदन की गर्मी को महसूस कर सकते थे.
वो हम दोनों के बीच में खुद को पिघलने से रोक नहीं पा रही थी.
मैंने नेहा के हाथ बाहर निकाल कर उसके स्तनों को आजाद कर दिया.
अब मैं उन्हें आसानी से मसल रहा था.
नेहा का हाथ मेरे अंडरवियर पर लगने लगा तो उसने धीरे से मेरे लन्ड को अपने हाथ से पकड़ कर उसकी मोटाई का अंदाजा लेना चाहा.
उसके पकड़ते ही कुछ ही क्षणों में लन्ड में अकड़न आ गयी, नतीजन वो तन गया.
नेहा ने उत्सुकतावश उसे देखने के लिए मेरा अंडरवियर नीचे कर दिया.
मेरे तने हुए लिंग को देख उसकी आँखों में चमक आ गई.
मैं यही तो चाहता था कि वो खुश हो जाये.
उसने लंड छोड़ दोबारा रोहन को गले लगा लिया.
मैंने दोबारा उसके हाथ को पीछे कर अपने लन्ड पर रख दिया.
अब नेहा उसे आगे पीछे करने लगी.
फिर मैं धीरे से नेहा की पीठ पर चाटते हुए उसकी कमर पर जा पहुँचा और फिर धीरे धीरे उसकी गाँड पर चूमने लगा.
मैंने धीरे से नेहा की पैंटी निकालने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाया.
नेहा रोहन की गोद में बैठी हुई थी इसलिए पैंटी उतार देना सरल नहीं था.
मैंने उसी अवस्था में उसकी गाँड पर चाटना शुरू कर दिया.
अब नेहा को मज़ा आने लगा.
मैं धीरे से एक हाथ पैंटी के अंदर डालकर उसकी चूत को सहलाने लगा.
नेहा अब मचलने लगी.
मैंने धीरे धीरे उँगली की गति तेज कर दी.
नेहा अब कसमासाने लगी. उसके लिए चूत और गाँड के उभार पर दोनों तरफ से हलचल हो रही थी।
अब एक बार फिर मैंने दांतों से नेहा की पैंटी पकड़ कर उसे उतारने की कोशिश की.
इस बीच मैंने उँगली अंदर बाहर करना जारी रखा ताकि नेहा फिर से पैंटी उतारने में इनकार न कर पाए और इस बार मेरी मेहनत रंग लाई.
कभी ऐसा हुआ है कि आपने किसी महिला को बांहों में कस लिया हो, आप उसकी ब्रा खोलना चाहते हों या पैंटी निकालना चाहते हों और वो न करने दे रही हो?
तो आप फिर से प्रयास करते हैं उसे गर्म करने का और फिर जब आप उसकी पैंटी निकालने की कोशिश करते हैं तो वो खुद कमर उठा कर आपकी सहायता करती है.
उस वक्त आपसे बड़ा सिकन्दर कोई नहीं होता. खुद पर गर्व महसूस होता है.
मुझे भी हो रहा था.
उस वक्त नेहा कमर उठाकर मेरी मदद कर रही थी.
मैंने उसकी पैंटी उसकी जाँघों तक निकाल दी और उसकी जांघों को सहलाने लगा.
नेहा अब रोहन को छोड़ मुझसे लिपट रही थी.
मैंने सोफे पर बैठकर नेहा को अपनी गोद में बैठा दिया. मैंने धीरे से उसके दोनों गालों को अपने हाथों से पकड़ कर उसके गाल को चाटा. जीभ फिर से उसके होंठों पर घुमाई.
अब नेहा भी गर्म होकर मेरी किस का जवाब देने को आतुर थी. लिहाजा उसने भी मेरी गर्दन पर किस कर मुझे और सुलगा दिया.
हम दोनों ने एक दूसरे को देखा और गर्मा गर्मी में एक दूसरे को चूमने चाटने लगे.
उस वक्त कुछ समय के लिये रोहन यहाँ है हम यह भी भूल गए.
मैंने नेहा को सोफे पर ही घोड़ी बनाकर उसकी चूत में और गांड में चाटना शुरू कर दिया.
बेबस नेहा छटपटाती हुई पैर चलाने लगी.
तभी उसका पैर मेरे लन्ड पर जा लगा. उसने अब दोनों पैरों से मेरे लंड को जकड़ लिया और पैरों को लंड पर आगे पीछे करने लगी।
मैं नेहा को और वो मुझे मस्त करने में व्यस्त थे।
नेहा को मैं घोड़ी बना कर ही उसकी चूत में पीछे से पूरी जीभ डाल रहा था और उसकी गाँड को नोंचते हुए उस पर हाथ से जोर जोर की थाप मार रहा था जिसका मज़ा नेहा सिसकारियों में जता रही थी.
तभी मैं उसकी चूत के नीचे लेटकर उसकी चूत पर मुंह को ऊपर नीचे करने लगा.
मदहोश नेहा मेरे मुंह पर ही बैठ गयी और उसने मेरे मुंह को अपनी दोनों जांघों से दबा लिया और ऊपर नीचे होने लगी.
मैंने खुद को छुड़ाने की कोशिश की लेकिन उस वक्त नेहा अपनी मस्ती में मेरी एक भी सुनने को राजी न थी.
उसने जोर जोर से मेरे मुंह पर अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया.
मैंने भी पूरे जोश से उसकी चूत को जीभ से भेदना जारी रखा.
आखिर में हुआ वही जो मैं चाहता था. नेहा हम्म … ह्म्म्म … ओह्ह … हह्ह … ओह्ह …. स्स्स … करते हुए मेरे मुंह पर ही बैठ गयी.
मैं समझ गया था कि उसका स्खलन हो गया है. लिहाजा मैंने उसकी कमर को सहलाना शुरू कर दिया ताकि वो आराम से अपनी थकान दूर कर ले.
रोहन का भी काम तमाम हो चुका था. वह उठा और कुछ देर में आने का बोलकर कमरे से बाहर चल गया.
नेहा की जब मदहोशी कम हुई तो वो उठ कर जाने लगी.
मैंने उसे कस कर पकड़ लिया.
नेहा मुस्कराते हुए बोली- छोड़ो मुझे, जाने दो. आपके लिये डिनर भी लगाना है.
मैं नेहा को सीने से चिपकाते हुए बोला- मगर मेरा तो गोश्त खाने का मन है.
ये बोलकर मैं उसके गाल चाटने लगा.
वो बोली- खा लेना. मना किसने किया है लेकिन अभी तो फिलहाल डिनर करें? चलो उठो।
मैं बाथरूम से मुंह हाथ धोकर निकला.
नेहा मुझे देख शर्मा रही थी.
मैंने उसे आँख मारते हुए बिस्तर में चलने का इशारा किया.
उसने भी जवाब में आँखें दिखाते हुए मुस्कान दी.
मेरे मुंह में रोटी का निवाला नहीं जा रहा था. कारण था एक तो मेरा स्खलन नहीं हुआ, दूसरा एक खूबसूरत नारी को पूरा नग्न कर उसको संतुष्ट भी कर दिया और सेक्स भी नहीं किया तो उस नारी के जिस्म का भोग लेने के प्रति आतुर होना भी लाजमी था।
मैंने जैसे तैसे भोजन कर हाथ धोये और कमरे में जाकर आने वाले समय का बेसब्री से इंतजार करने लगा.
मैं जानता था कि सिर्फ मैं ही नहीं बल्कि नेहा और रोहन भी उतने ही बेचैन हैं.
रोहन मेरे कमरे में आया और बोला- वाह यार … आज तो मज़ा आ गया. मैंने इतना आतुर नेहा को कभी नही देखा. अब तुम बस उसे मेरे सामने चोदकर मेरी इन आँखों को भी तृप्त कर दो. कब से सपने सजाये हैं अपनी बीवी के नंगे जिस्म को किसी गैर की बांहों में देखने के लिए। उसकी चूत में किसी और का लन्ड देखने के लिये।
मैंने मुस्करा कर हामी भरी और रोहन से कहा- तुम्हारे सपने आज पूरे हो जायेंगे. आने तो दो उसे। अभी तुम अपने कमरे में जाओ और नेहा के मेरे कमरे में घुसने के बाद आ जाना चुपके से।
रोहन चला गया और उसके जाने के बाद नेहा आयी और पानी का जग रख कर बोली- पानी लायी हूं आपके लिए. प्यास लगे तो पी लेना.
मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए बोला- अभी तो कुछ और पीने का मन है।
नेहा शर्माती हुई बोली- अच्छा क्या पीने का मन है?
उसके इतना पूछते ही मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया और उसके गालों पर व गर्दन पर किस करने लगा.
नेहा भी आतुर थी और जो होने वाला था उसके लिये तैयार थी तो मेरा साथ देने लगी.
देखते ही देखते हम दोनों ने एक दूसरे के लबों को चूसना चालू किया.
मगर एक बात है जो मैंने नोटिस की कि प्रत्येक महिला को गर्म करने का अलग अलग पॉइंट होता है. मतलब कुछ महिला गले में चूमने पर ही मादक हो जाती हैं. किसी को होंठ चूसने पर ही जोश आ जाता है.
किसी को स्तनों के मसलने, उन्हें चूसने, सहलाने पर उत्तेजना हो जाती है. किसी को नाभि के पास चाटने से तो किसी को योनि चाटने और किसी को गांड के उभार चटवाने पर गर्मी आ जाती है.
नेहा को उसके लबों पर चूसने से ही उसने खुद को ढीला छोड़ दिया. मैं समझ गया कि यही नेहा की कमजोर कड़ी है.
मैंने उसे नंगी कर उसके बदन को सहलाना, चाटना जारी रखा.
वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.
नेहा ने मेरा लंड हाथ में लेकर उसे हिलाना शुरू कर दिया.
तभी मेरी नज़र दरवाजे की तरफ गयी क्योंकि दरवाजा हिलता हुआ सा प्रतीत हुआ.
मैं समझ गया कि रोहन हमें छुप कर देख रहा है।
मैंने भी उसे अनदेखा कर नेहा के जिस्म पर चुम्बनों की बौछार कर दी क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि नेहा को पता चले कि रोहन हमें देख रहा है.
अभी मामला नया नया था. रोहन के आगे नेहा का शर्माना लाजमी था।
नेहा ने अब मेरे लिंग को अपने मुलायम हाथों में कस लिया और हिलाने लगी.
उसके स्पर्श से मेरे लिंग में तनाव आ गया जिसे देख नेहा ने पहले एक बार उसे जीभ लगा कर उसका स्वाद चखा.
फिर दूसरी बार में नेहा ने लन्ड को आधा मुंह में डाल कर आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
अब मैं नेहा के सिर को दोनों हाथों से थामे हुए था और नेहा खुद सिर हिला कर मेरा लन्ड चूसे जा रही थी.
अब मामला मेरे बर्दाश्त के बाहर होता जा रहा था. एक मन कर रहा था कि उसके मुंह में ही वीर्य गिरा दूँ लेकिन मैं नेहा को परपुरुष का चरमसुख देना चाहता था.
मैंने उसे बिस्तर में लेटने को कहा.
नेहा अब चुदने को तैयार थी.
मेरी बात सुन कर शांति से बिस्तर में लेट गई.
मैंने उसके ऊपर आकर उसके गालों पर फिर से किस किया और उसकी जांघों के बीच लन्ड रगड़ा ही था कि नेहा ने तुरंत अपनी टांगें खोल कर मुझे लन्ड अंदर डालने की अनुमति दे दी.
उसकी भावनाओं को मैं समझ सकता था.
पर-पुरुष के साथ या परायी स्त्री के साथ सम्भोग करने में एक नए ही आनंद की प्रप्ति होती है.
ये जवानी का ऐसा रस है जिसे सब पीना चाहते हैं.
कुछ अपनी इच्छा को एक दूसरे को बता कर उसे मनाकर इसका मज़ा लूटते हैं तो कुछ मन के अंदर ही रख कर रह जाते हैं.
नेहा भी उसी दौर से गुजर रही थी. पति की तरफ़ से मिली खुली छूट का खुल कर मज़ा लेना चाहती थी वो.
नेहा ने मेरे लिंग को पकड़ कर अपनी चूत के द्वार पर रख अपनी कामुकता का परिचय दे दिया था.
अब मेरी बारी थी उसकी चूत में लन्ड डाल कर उसके मुख से दर्द भरी आहह और मादकता भरी आहें निकलवाकर उसको मजा देने की.
मैंने नेहा के दोनों हाथ सिर के ऊपर ले जाकर दोनों को एक हाथ से पकड़ लिया. दूसरे हाथ से लन्ड को मैं उसकी चूत के द्वार पर रगड़ने लगा।
मदहोश नेहा कमर हिला कर मस्ती में खोने लगी.
अब मैंने लिंग को दोबारा से चूत के द्वार पर रख दोनों हाथों से नेहा के हाथ पकड़ लिए और झटके से नेहा की चूत में धक्का दे मारा.
नेहा उईईई … आईई … करती हुई तड़पी.
उसे मेरे लिंग के इस क्रूर कार्य का अंदाज़ा नहीं था।
मैंने एक बार और झटके से उसकी चूत में लन्ड धकेला.
वो पूरा लन्ड अंदर ले गयी.
अब बारी थी सेक्स सागर में डूबने की. मैं अपने नंगे बदन को उसके नंगे बदन पर घिसाने लगा.
नेहा ने मुझे कस लिया और मेरे कानों व गर्दन पर चूमने लगी.
उसके नाखून मेरी पीठ पर चलने लगे.
मैंने भी अपना काम चालू रखा और नेहा को पेलता चला गया.
नेहा कभी मेरे गालों को छूती तो कभी उसके हाथ मेरी गांड पर होते.
कभी वह अपने दोनों हाथों से मुझे अपने अंदर समा लेने की कोशिश कर रही थी.
उसकी हरकतें मुझे आभास करा रही थीं कि उसे मज़ा आ रहा है।
एक पुरुष को क्या चाहिये? यही कि बिस्तर पर वो अपने साथी को मज़ा दे.
वो मजा मैं नेहा को दे पा रहा था और मेरा यहां आना सफल हो रहा था.
मैंने नेहा को घोड़ी बनने को कहा.
नेहा घोड़ी बन मेरे सामने तैयार थी.
मैंने उसकी कमर को पकड़ कर लन्ड उसकी चूत में डाल दिया और अब घुड़सवारी शुरू कर दी.
घोड़ी बनाने में एक फायदा यह है दोस्तो, लंड पूरा जड़ तक जाता है जिसका मज़ा स्त्री को आता है.
नेहा भी अब मेरे लन्ड को अंदर तक लेती हुई आह्ह … आह्ह … कर रही थी.
मैंने उसके बालों की चोटी पकड़ कर घोड़ी की लगाम बना ली और उसे पेलने लगा.
मैं पूरी तेजी से चोद रहा था और नेहा आह्ह … राज … ओह्ह राज … करके अपनी चुदास को दिखा रही थी.
उसकी गांड पर मैं थाप मारने लगा.
नेहा अब रंडी की तरह मुझसे खुलकर चुद रही थी.
यही तो मैं चाहता था कि वो मज़ा ले.
उसे हक है मज़ा लेने का! कब तक शर्माती रहेगी.
नारी जितना मज़ा लेगी उससे अधिक साथी को देगी. वो अपने पास कुछ भी नहीं रखती.
आपको यकीन ना हो तो उसे मज़ा देकर देखो.
झटके मार मारकर मैं थोड़ा सा रुक कर खुद को सामान्य करने लगा तो नेहा ने खुद ही आगे पीछे होते हुए कमर हिलानी शुरू कर दी.
मैं समझ गया कि अब नेहा और मेरा दोनों का चरम का समय आ गया है.
पहले कौन जाता है ये देखना बाकी था.
मैंने नेहा को फिर से पीठ के बल लेटा दिया और उसके ऊपर चढ़कर फिर से लन्ड उसकी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगा.
नेहा अब मेरे हाथ व कंधे पर नोंच रही थी.
मैंने फिर से चूत से लन्ड बाहर निकाल कर लन्ड को एक बार चादर से साफ किया और फिर से नेहा की चूत में डाल दिया.
अब हम दोनों एक दूसरे को चूमते जा रहे थे. कभी गाल, कभी होंठ, कभी गर्दन.
एक समय आया जब नेहा मुझे तेज चुदाई करने को कहने लगी.
मैंने पूरी ताकत उस वक्त झटकों की रफ़्तार में लगा दी.
नेहा ने आंखें पलट दीं. उसने मुझे कस लिया और तेज तेज करने को कहने लगी.
मैं पूरी कोशिश से झटके मारता रहा.
तभी नेहा हम्म … ओह्ह … स्स् … आह्ह … करती हुई बिखर सी गयी.
मेरी गति अब और तेज हो गयी थी. मैं भी उसके कामुक चेहरे पर आते मादक भाव को देख स्खलित होने के चरम पर था।
मैंने पूरी शक्ति से झटकों की गति बढ़ा दी और नेहा के जिस्म को कस कर जकड़ लिया.
नेहा ने भी दोनों टांगें मेरी कमर पर लपेट मेरा स्वागत किया.
मेरी आँखों में नशा था. चरम पर जाकर स्खलित होने का अद्भुत नशा जिसे मैंने और नेहा ने मिलकर महसूस किया था।
दो दिन तक मैं उनके घर पर उनके साथ रहा. नेहा और रोहन दोनों ही बड़े अच्छे और व्यावहारिक कपल थे.
उन दो दिनों में नेहा को मैंने अपनी बीवी बना कर रखा. उसके पति ने अपनी बीवी को चुदवाया.
जब उसका मन करता वो मुझे नंगा कर देती थी. जब मेरा मन करता मैं उसे चोदता था.
इस तरह मैंने रोहन और नेहा से मुलाकात कर रोहन के कहने पर नेहा को पराये मर्द का सुख दिया.
दोस्तो, ये थी एक कपल के साथ मेरी चुदाई की कहानी.
आपको ये बीवी को चुदवाया स्टोरी कैसी लगी मुझे मेल में जरूर बताईयेगा.
मेरी मेल आईडी है
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