मित्र की चचेरी भाभी का प्यार मिला- 1

(Beautiful Bhabhi Love Story)

ब्यूटीफुल भाभी लव स्टोरी में मेरे दोस्त के भाई की शादी हुई तो दुल्हन को देखकर मुझे लगा कि मेरी शादी भी ऐसी लड़की से हो. भाभी के साथ मुझे सम्बन्ध बनाने का अवसर कैसे मिला?

प्रिय पाठको,
मैं सुमित राजपूत हूँ; अपनी जिन्दगी की एक घटना इस कहानी के रूप में बता रहा हूँ.

यह कहानी मेरे एवं मेरी प्यारी अर्चना भाभी के बीच प्यार की है जो लगभग 25 वर्ष पुरानी है.
और आज भी हम दोनों के बीच प्यार बेशुमार है.

चूंकि यह कहानी सच्ची है इस कारण मैं स्थान का उल्लेख नहीं कर रहा हूँ.

ब्यूटीफुल भाभी लव स्टोरी शुरू होती है आज से लगभग 25 वर्ष पहले, जब मेरे एक मित्र के चचेरे भाई की शादी हुई और उसकी भाभी आई.

मेरे उस मित्र के भाई से बहुत ही अच्छे संबंध हैं क्योंकि वे मुझसे उम्र में 3 साल ही बड़े हैं.

भैया की बारात में जब मैं गया तो स्टेज पर भाभी को दुल्हन के रूप में देखकर मंत्रमुग्ध हो गया था और सोच रहा था कि काश मेरी बीवी भी इतनी सुंदर और प्यारी आए!

खैर भाभी शादी के बाद घर आ गई.
और मेरा लगातार उनके घर आना जाना लगा रहता था.
मगर मेरे मन में कभी भी उनके लिए कोई गलत विचार नहीं आया.

मैं उनके हर जन्मदिन एवं शादी की सालगिरह पर जरूर उनके घर जाता था और उन्हें बधाई, शुभकामनाएं देता था.

इसके अलावा भी मेरा अकसर उनके घर आना जाना होता रहता था और हम घंटों बैठकर आपस में बात करते थे.
मैं भाभी और मैं एक ही उम्र के थे तो हम दोनों के बीच बहुत ही ज्यादा दोस्ताना व्यवहार था.

हमारे संबंधों में मोड़ तब आया जब उनकी शादी के 3 साल बाद उनके जन्मदिन पर मैं उनके घर गया.

रात के लगभग 8:00 बजे थे.

मैंने एक बहुत प्यारा सा गुलदस्ता और कैडबरी का फैमिली पैक लिया और भाभी से मिलने घर गया.

दरवाजा भाभी ने खोला.
मैंने देखा कि पूरा घर बहुत ही अच्छे खूबसूरती से सजाया गया था!

तब मैंने भाभी को बर्थडे विश किया और पूछा- भैया कहां हैं?

भाभी ने बहुत ही उदासी से जवाब दिया- उनको अचानक एक काम से 2 दिन के लिए बाहर जाना पड़ा.

वे बहुत उदास थी, बोली- हमने आज जन्मदिन के लिए इतनी तैयारी की थी और ये अचानक चले गए.

भाभी को उदास देखकर मैंने उनको समझाया- भाभी, कोई बात नहीं. कभी ऐसा हो जाता है. कोई बहुत जरूरी काम आ गया होगा इसलिए चले गए होंगे!

मगर भाभी की उदासी कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी.
मुझसे भाभी की उदासी देखी नहीं जा रही थी.

मैंने कहा- भाभी, आप उदास मत हो, मैं आपका जन्मदिन बहुत अच्छे से मनाऊंगा.

तभी मैंने एक केक वाले को केक का ऑर्डर किया और उसे जल्दी केक लाने को कहा.

थोड़ी देर बाद केक आ गया.

मैंने केक अच्छे से सजा कर भाभी को बुलाया, उनसे केक काटने को कहा.

भाभी अब थोड़ी खुश दिखाई दे रही थी, उन्होंने केक काटा और मुझे खिलाया.
मैंने भी उन्हें केक खिलाया.

थोड़ी देर हम बात करते रहे.

भाभी बोली- चलो ना सुमित, थोड़ा डांस करते हैं.
मैंने हां बोला.

भाभी ने एक प्यारा सा रोमांटिक गीत लगाया और हम डांस करने लगे.

मैं भाभी से थोड़ा दूर ही रह कर झिझक कर डांस कर रहा था.

भाभी ने मेरे दोनों हाथ अपने कमर में रखवा लिए और अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रखकर डांस करने लगी.

जीवन में शायद पहली बार था कि जब भाभी मेरे इतने करीब थी.
हम दोनों एक दूसरे की सांसों को भी महसूस कर रहे थे.

शायद यह पहली बार था कि जब मेरे मन में भाभी को लेकर प्यार भरे विचार आ रहे थे.

मैं धीरे-धीरे भाभी की कमर को सहला रहा था और कमर पर अपना दबाव बना रहा था.

ब्यूटीफुल भाभी अब मेरे और करीब आ गई.

कमरे में एक लाल रंग का नाइट बल्ब जल रहा था तो कमरे का माहौल बहुत ही रोमांटिक होते जा रहा था.

मैंने डांस करते हुए धीरे-धीरे थोड़ा सा और दबाव बनाया तो भाभी मेरे और करीब आ गई.

भाभी के बूब्स अब थोड़े-थोड़े मेरी छाती पर टच हो रहे थे.

हम अब और एक दूसरे के करीब आ गए; होठों के बीच अब थोड़ा सा फासला बचा था.

दोनों के होंठ मिलना चाह रहे थे.
पर पहल कौन करे … यह संकोच हो रहा था.

लगभग 5 मिनट के बाद जब मुझसे सहन नहीं हुआ तो मैं अपने होंठ बिल्कुल भाभी के लबों के पास ले गया.

भाभी ने अपनी आंखें बंद कर ली और मैंने धीरे से अपने होठों को भाभी की होंठों पर रख दिया.
यह मेरे जीवन का पहला किस था.

धीरे-धीरे मैं भाभी के होठों को चूम रहा था.
भाभी भी मेरे होठों को चूमने लगी.

ऐसा लग रहा था कि हम दोनों जन्मो-जन्म के प्यासे हों और अपनी प्यास बुझा रहे हों.

लगभग 5 मिनट तक हम पागलों की तरह एक दूसरे के होंठों को चूमते रहे.

इतनी देर भाभी के होंठ चूमने से भाभी की सांस भारी हो गई.
वे मुझसे दूर होकर दीवार की तरफ मुंह करके दीवार से चिपक कर खड़ी हो गई और अपनी सांसों पर काबू पाने लगी.

मैं धीरे से भाभी के पास गया और भाभी की खुली पीठ पर एक किस कर दिया.
भाभी की सिसकारी निकल गई.

वे बोली- नहीं सुमित, प्लीज मत करो.
मैं- नहीं भाभी, आज मत रोको!

यह कहते ही मैंने उनकी गर्दन पर एक और किस कर दिया और अपने दोनों हाथ उनके पेट पर रख दिये.

पेट पर हाथ रखते ही भाभी और सिहर उठी.

अब मैं उनके इतने करीब आ चुका था कि मेरे पैंट के अंदर ही मेरा लंड खड़ा हो चुका था.

भाभी से चिपकने के कारण मेरा लंड भाभी को पूरा अपनी गांड पर महसूस हो रहा था.

धीरे-धीरे मैं भाभी की पूरी पीठ गर्दन और कान के आसपास किस कर रहा था.
उत्तेजना के मारे भाभी का बुरा हाल था.

पेट पर हाथ चलाते-चलाते अब मेरे हाथ धीरे-धीरे भाभी की बूब्स की ओर जा रहे थे.

ऊपर करते-करते मैंने अपने दोनों हाथ ब्लाउज़ के ऊपर से ही भाभी के बूब्स पर रख दिया.

क्या बताऊं दोस्तो … मुझे कैसा महसूस हो रहा था.
लग रहा था कि जैसे मैंने किसी मखमल पर अपने हाथ रख दिया है!

मैं अब ब्लाउज़ के ऊपर से ही धीरे-धीरे भाभी के बूब्स दबा रहा था.

भाभी ने अपने दोनों हाथ मेरे हाथ के ऊपर रख दिया.
पर वे मुझे रोक नहीं रही थी.

मैंने धीरे-धीरे बूब्स पर दबाव बनाना चालू कर दिया और हल्के हाथ से दबाने लगा.
भाभी ने अपने दोनों हाथ दीवाल पर रख दिए.

बूब्स दबाते हुए मैं भाभी की गर्दन के आस पास लगातार किस कर रहा था.

काफी देर तक किस करने के बाद मैं अपना हाथ भाभी के ब्लाउज के पास ले गया.
भाभी ने सामने हुक वाला ब्लाउज पहना था.

जैसे ही मैंने पहला हुक खोला, भाभी ने अपने हाथों से मेरा हाथ पकड़ लिया और रोकने की कोशिश करने लगी.
मैंने भाभी के हाथों को हटाकर दीवाल पर टिका दिया और धीरे-धीरे भाभी के ब्लाउज के सारे हुक खोल दिए; भाभी के ब्लाउज को उनके शरीर से अलग कर दिया.

भाभी ने बहुत ही प्यारी काली रंग की ब्रा पहनी थी. काली ब्रा उनके गोरे शरीर पर लाल रंग की मद्धम रोशनी में कहर ढा रही थी.

उनकी पीठ मेरी ओर थी. भाभी की पूरी दूध जैसी गोरी पीठ पर काली ब्रा के स्ट्रैप दिख रहे थे.

मैंने धीरे-धीरे भाभी की पूरी पीठ को चूमना शुरू किया.
भाभी की पीठ को हर जगह को मैं प्यार से चूम रहा था.

चूमते चूमते मैंने अपने दोनों हाथ भाभी की ब्रा के ऊपर बूब्स पर रख दिए.
ब्रा के ऊपर से भाभी के बूब्स दबाते हुए मैं उनकी गर्दन के आसपास किस कर रहा था.

भाभी अभी भी अपने दोनों हाथों को दीवार पर रखकर खड़ी थी.

धीरे-धीरे मैं अपने खड़े लंड को भाभी की गांड में घिस रहा था.

भाभी के बूब्स को दबाते हुए मैं अपने हाथ धीरे-धीरे भाभी के पेट के पास ले आया.

हाथ नीचे लाकर अब मैंने धीरे से भाभी की साड़ी को खोलना शुरू कर दिया.

एक हाथ से भाभी की ब्रा को ऊपर से दबाते हुए सहला रहा था, दूसरे हाथ से धीरे-धीरे भाभी की साड़ी खोल रहा था.

थोड़ी देर के बाद अब भाभी की साड़ी उनके बदन से अलग हो गई.

भाभी ब्रा पैन्टी एवं पेटीकोट में थी.

अब मैंने घुमा कर भाभी का मुंह अपनी ओर कर लिया.
भाभी ने शर्मा कर अपनी आंखें बंद कर ली.

दोस्तो, क्या नजारा था … भाभी काली कसी हुई ब्रा में मेरे करीब थी.
भाभी के बूब्स ब्रा से बाहर निकलने को बेताब हो रहे थे.

मैंने सामने भाभी की गर्दन के नीचे किस करना चालू किया.
नीचे आते हुए ब्रा के ऊपर किस कर रहा था.

किस करते हुए मैं अपना एक हाथ पेटीकोट के नाड़े पर ले आया और पेटीकोट का नाड़ा खोलने की कोशिश करने लगा.
पेटीकोट में शायद गठान पड़ गई थी तो खुल ही नहीं रही थी.

थोड़ी मेहनत के बाद पेटीकोट की गांठ खुल गई और पेटीकोट भाभी के पैरों में गिर पड़ा.

भाभी ने अंदर भी काली रंग की पैन्टी पहनी हुई थी.
पेटीकोट उतरते ही भाभी कस कर मुझसे लिपट गई.

भाभी के बूब्स मेरी छाती पर दब रहे थे.
पैन्ट के ऊपर से ही मेरा लंड पैंटी के ऊपर से ही भाभी की चूत पर छू रहा था.

लिपटी हुई भाभी ने पीछे से मेरी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ को सहलाना शुरू कर दिया.
मेरे भी दोनों हाथ भाभी की पीठ पर चल रहे थे.

बीच-बीच में मैं भाभी की ब्रा के स्टेप को खींचकर धीरे से छोड़ देता था.

अब हम दोनों में बेताबी बढ़ती ही जा रही थी.

भाभी अब धीरे-धीरे मेरी टीशर्ट को ऊपर करने लगी.
मैंने अपने दोनों हाथ ऊपर कर दिए, भाभी ने मेरी टी-शर्ट उतार कर अलग कर दिया.

तब मैंने भाभी के दोनों हाथों को अपने पैन्ट के पास रख दिया.
भाभी मेरी मंशा समझ गई और वे धीरे से मेरे बेल्ट को खोलने लगी.

पैन्ट खुलते ही भाभी ने मेरी पैन्ट के हुक भी खोल दिये और चैन नीचे कर दी.
चैन नीचे करती ही पैंट मेरे पैर पर गिर पड़ी. मैंने पैरों से ही पैंट को बाहर कर दिया.

मैंने फ्रेंची पहनी हुई थी, जिससे अब मेरा लंड बाहर आने को बेताब हो रहा था.

तब मैंने भाभी की शर्म को दूर करने के लिए भाभी का हाथ पकड़कर अपने लंड के ऊपर रखवा दिया.

भाभी ने जैसे ही मेरे लंड को पकड़ा … मेरे मुंह से आह निकल गई.

वे फ्रेंची के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी.
ऐसा लग रहा था कि सहलाते हुए वे अपने हाथों से मेरे लंड की लंबाई और मोटाई को तोल रही हैं.

मैंने कसकर भाभी को गले लगा लिया और उनकी पीठ सहलाने लगा.
पीठ सहलाते हुए भाभी के ब्रा के स्टेप बार बार बीच में आ रहे थे.

आखिरकार मैंने भाभी के ब्रा के स्टेप को खोल, भाभी की ब्रा को भाभी के तन से अलग कर दिया.

मित्रो, अब भाभी के दूध जैसे सफेद 34 साइज के तने हुए बूब्स मेरी आंखों के सामने थे.
और गोरे स्तनों पर भूरे रंग के निप्पल और कहर ढा रहे थे.

मैंने अब तक फिल्मों में बूब्स कई बार देखे थे पर सामने से पहली बार बूब्स को देख रहा था.

तब मैंने अपना एक हाथ भाभी के बूब्स पर रख दिया और बूब्स को सहलाते हुए दबाने लगा.

भाभी की सांसें गर्म होने लगी और उनके मुंह से प्यार भरी सिसकारियां निकलने लगी.

एक हाथ से भाभी के बूब्स को दबाते हुए मैंने अपना दूसरा हाथ पीछे से भाभी की पैन्टी में डाल दिया और भाभी की मुलायम गांड को भी सहलाने लगा.

थोड़ी देर बाद मैंने भाभी को दीवाल की तरफ करके खड़ा कर दिया और भाभी की पीठ से चिपक गया.

अब मैं साइड से अपने दोनों हाथ डाल भाभी के दोनों बूब्स पर रखकर दोनों बूब्स को दबाते हुए मसलने लगा.
पीछे से भाभी की गर्दन पर किस करते हुए मैं भाभी के दोनों कबूतरों को मसल रहा था.

अब मैंने धीरे से भाभी की पैन्टी को भी नीचे कर दिया.
भाभी की दूध जैसी गोरी गांड अब मेरी आंखों के सामने थी.

मैं नीचे बैठ गया और भाभी की गांड पर किस करने लगा.
भाभी मचलने लगी

उनकी पूरी गांड को मैं किस करते हुए जीभ से चाटते जा रहा था.

मैंने खड़े होकर भाभी का मुंह अपनी ओर किया.
भाभी के चेहरे ऐसा लग रहा था कि ना जाने भाभी को कितनी खुशी मिल रही है.

अब मुझे भी सहन नहीं हो रहा था.
मैंने भाभी का हाथ पकड़ा और अपनी फ्रेंची के अंदर कर दिया.
भाभी के हाथ में मेरा लंड आ गया.

पहली बार किसी औरत ने मेरे लंड को छुआ था.

भाभी धीरे-धीरे मेरे लंड को सहला रही थी
मेरा लंड अब बाहर आने को बेताब था.

ब्यूटीफुल भाभी लव स्टोरी अगले भाग में चलेगी.
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ब्यूटीफुल भाभी लव स्टोरी का अगला भाग: मित्र की चचेरी भाभी का प्यार मिला- 2

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