फोन सेक्स से चुदाई का मजा- 2

(Sex Ki Baat Xxx Talk)

सेक्स की बात Xxx टॉक का मजा मैंने लिया 22 साल की एक सेक्सी लड़की से! उसे भी ऑनलाइन चुदाई की बात करने में बहुत मजा आता था, वह बहुत सेक्सी टॉक करती थी.

दोस्तो, मैं विकास मिश्रा आपको रतिजा नामक लड़की के साथ फोन सेक्स कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
सेक्स चैट करके चोद दिया
में अब तक आपने पढ़ा था कि रतिजा को एक बार फोन सेक्स से चोदने के बाद दूसरे दिन फिर से उसकी चूत का मजा लेने के लिए मैं उसके साथ सेक्स चैट करने लगा था.

अब आगे सेक्स की बात Xxx टॉक:

मैंने रतिजा को कॉल करने के लिए बोला क्योंकि मेरे फोन में बैलेंस नहीं था.
ऐसा मैंने उससे झूठ बोला.

रतिजा ने कॉल की.
मैं- हैलो.
रतिजा- क्यों कॉल करवाई मुझसे?

मैं- कल रात के बाद से मुझे तुमसे प्यार हो गया है.
रतिजा- क्यों कल रात क्या हुआ था, मुझे याद नहीं. मैं तो सो गयी थी न!

मैं- याद दिलाऊं?
रतिजा- नहीं, कोई ज़रूरत नहीं.

मैं- अच्छा एक बात बताओगी?
रतिजा- क्या?
मैं- आज क्या पहने हो?
रतिजा- क्यों?

मैं- बताओ ना!
रतिजा- कपड़े, जो रोजाना पहनती हूँ.

मैं- लेकिन आज तो तुमने लाल रंग की नाइटी पहनी है.
रतिजा हंसने लगी- मेरी सुहागरात थोड़ी ना है … जो मैं नाइटी पहनूँगी!

मैं- वही तो मैं भी सोचूं कि तुमने रेड नाइटी क्यों पहनी है और वह भी ट्रांसपरेन्ट.

रतिजा- तुम्हें कैसे पता?
मैं- क्योंकि मैं तुम्हारी बाल्कनी में खड़ा हूँ.

रतिजा- अरे तुम फिर आ गए, जाओ यहां से. वर्ना कोई आ जाएगा.
मैं- जैसे कल आया था.

रतिजा- तुम बहुत दुष्ट हो.
मैं- रेड ट्रांसपरेन्ट नाइटी क्यों पहनी तुमने आज?

रतिजा- मैंने कहां पहनी है?
मैं- पहनी है और ट्रांसपरेन्ट भी है.

रतिजा- ट्रांसपरेन्ट, फिर तो तुम्हें सब दिख रहा होगा!
मैं- और क्या.
रतिजा- अच्छा!

मैं- रेड कलर की ब्रा और रेड कलर की पैंटी भी पहनी हो तुम!
रतिजा- हाय राम, क्या क्या बोल देते हो! शर्म नहीं आती?

मैं- शर्म क्यों, कल तो नहीं शर्मा रही थी?
रतिजा- कल में नींद में थी और तुमने मेरा फ़ायदा उठाया था.

मैं- फायदा नहीं उठाया था बल्कि तुमने खुद दूध पिलाया था मुझे!

रतिजा- मैंने कब पिलाया तुम्हें? वह तो तुम ज़बरदस्ती आ गए थे और नौटंकी करने लगे थे.

मैं- एक चीज़ और पिलाई थी तुमने?
रतिजा- क्या?

मैं- जो तुम्हारी पैंटी में छिपी है वह!
रतिजा- हाय राम कितनी गंदी बातें करते हो तुम!

मैं- बताऊं कैसे पिया था मैंने?
रतिजा- नहीं जानना मुझे!

मैं- प्लीज बताने दो ना!
रतिजा- नहीं.

मैं- पहले मैंने तुम्हें कमर से पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया था.
रतिजा- नहीं यार!

मैं- फिर मैंने तुम्हारी साड़ी का पल्लू हटाया था.
रतिजा- अरे पागल हो क्या, मुझे नहीं सुनना!
मैं- सुनना तो पड़ेगा.

रतिजा- ज़बरदस्ती है क्या?
मैं- हां. जैसे कल की थी.

रतिजा- अच्छा. लेकिन अभी तो मैंने साड़ी नहीं पहनी है.
मैं- हां तो मैंने तुम्हारी नाइटी का टॉप उतार दिया है रतिजा.

रतिजा- ओह कितने नॉटी हो तुम!
मैं- अब मैंने तुम्हारी ब्रा भी उतार दी.
रतिजा- ब्रा क्यों उतारी?
मैं- तभी तो तुम्हारे दूध पी पाऊंगा रतिजा!

रतिजा- कल भी पिए थे तुमने … ऐसे तो मेरे बड़े बड़े हो जाएंगे.

मैं- तुम्हारे दूध बहुत गोल गोल हैं रतिजा.
रतिजा- तो मैं क्या करूं?

मैं- तो तुम बेड पर लेट जाओ.
रतिजा- क्यों?

मैं- लेटो तो पहले!
रतिजा- ओके.

मैं- रतिजा मैं तुम्हारे ऊपर आ गया हूँ और अब तुम्हारे दूध दबा रहा हूँ … निप्पल चूस रहा हूँ.

रतिजा- तुम्हें मेरे दूध बहुत अच्छे लगते हैं क्या?
मैं- हां, तभी तो दबा रहा हूँ और चूस रहा हूँ!

रतिजा- आआहह.
मैं- क्या हुआ?

रतिजा- कुछ नहीं.
मैं- बोलो ना!

रतिजा- दूध दबाते हो तो पैंटी गीली हो जाती है.
मैं- अच्छा!
रतिजा- हां.

मैं- फिर कल मैंने तुम्हारी पूरी साड़ी उतार दी थी.

रतिजा- लेकिन अभी तो मैं नाइटी में हूँ विकास!
मैं- तुम्हारी नाइटी की शॉर्ट्स उतार दी रतिजा!

रतिजा- फिर?
मैं- अब तुम पैंटी में हो ना, रतिजा!
रतिजा- हां.

मैं- तुम्हारी पैंटी भी उतार दी.
रतिजा- क्यों?

मैं- तभी तो तुम्हारी चूत चाट पाऊंगा न!
रतिजा- अच्छा लगता है क्या उसे चाटना?
मैं- बहुत अच्छा लगता है.

रतिजा- कैसे करोगे?
मैं- तुम्हारी दोनों टांगें फैला कर एक उंगली से तुम्हारी चूत को कुरेदूँगा … फिर अपनी जीभ से तुम्हारी चूत को खूब चाटूँगा.
रतिजा- चुप हो जाओ बेशर्म!

मैं- फिर तुम्हारी चूत को मुँह में भरके खूब चूसूंगा और दांतों से काटूँगा भी!
रतिजा- बहुत पानी आ रहा है. ऐसे क्यों बोलते हो?

मैं- रतिजा अभी तुम्हारी चूत पीनी है मुझे … चूस चूस कर.
रतिजा- आओ अच्छा.
मैं- बस आओ?

रतिजा- मेरी चूत पी लो आकर, बहुत पानी छोड़ रही है ये!

मैं- कैसे लेटी हो तुम?
रतिजा- विकास मैं अपने बिस्तर पर पूरी नंगी हूँ, दोनों टांगें फैलाए हुई!

मैं- तुम्हारी चूत को चाट रहा हूँ रतिजा!
रतिजा- आआहह.

मैं- क्या हुआ?
रतिजा- बहुत गुदगुदी होती है जब जीभ से चाटते हो तो!

मैं- बहुत नमकीन पानी है तुम्हारा रतिजा.
रतिजा- पी लो मन भर के.

मैं- तुम्हारी चूत पूरी मुँह में भर कर चूस रहा हूँ.
रतिजा- म्म्म्मी … तुम मार डालोगे मुझे आज!

मैं- तुम्हारी चूत को खूब चाट रहा हूँ और चूस रहा और पानी भी पी रहा हूँ.
रतिजा- पी लो विकास, पूरा पानी पी जाओ. मन कर रहा है पूरी रात तुम्हें अपनी चूत पिलाऊं.

मैं- अच्छा, एक बात बोलूँ रतिजा!
रतिजा- हां.

मैं- मेरा लंड बहुत टाइट हो गया है.
रतिजा- तो!

मैं- तुम्हें चोदने का बहुत मन कर रहा है.
रतिजा- एक बार और बोलो.

मैं- तुम्हें चोदने का बहुत मन कर रहा है रतिजा!
रतिजा- मुझे चोदोगे या मेरी चूत को चोदोगे?

मैं- दोनों को.
रतिजा- कैसे चोदोगे?

मैं- तुम्हारी दोनों टांगें उठाकर तुम्हारी चूत में अपना लंड डाल कर खूब अन्दर बाहर करूंगा और चुदाई करूंगा तुम्हारी.

रतिजा- ऐसे बोलते हो तो मन करता है पूरी रात चुदूँ तुमसे!
मैं- मैं तो तैयार हूँ तुम्हें पूरी रात चोदने को रतिजा!

रतिजा- आओ चोदो मुझे!
मैं- डालूं लंड तुम्हारी चूत में?

रतिजा- हां … मैं घुटने के बल बैठ गयी.
मैं- रतिजा मैंने तुम्हारे बाल पीछे से पकड़ लिए और अब लंड तुम्हारी चूत में डाल दिया है.

रतिजा- आह बहुत बड़ा लंड है तुम्हारा यार!
मैं- अब कस कसके तुम्हारी चूत में अन्दर बाहर कर रहा हूँ.

रतिजा- चोद लो मुझे कसके … आह.
मैं- हां चोद रहा हूँ रतिजा तुम्हें!

रतिजा- और कसके!
मैं- ले और तेज.

रतिजा- खूब गंदा गंदा बोल कर चुदाई करो मेरी!
मैं- तुम पूरी नंगी हो ना रतिजा?

रतिजा- पूरी नंगी हूँ. एक भी कपड़ा नहीं है मेरे बदन पर.
मैं- तुम्हारे बाल पकड़ कर तुम्हें घोड़ी बना कर चोद रहा हूँ रतिजा!

रतिजा- और कसके चोदो मुझे विकास.
मैं- और तेज?

रतिजा- हां बहुत बड़ा लंड है तुम्हारा यार, मेरी चूत एकदम फाड़ दी इसने. चोदो कसके मुझे!
मैं- कोई आएगा तो नहीं?

रतिजा- सब सो रहे हैं, कोई नहीं आएगा. तुम चुदाई करो मेरी बस!
मैं- चुदवाने में मज़ा आता है?

रतिजा- और क्या … अब मेरे ऊपर आकर चोदो.
मैं- लेट जाओ तुम.

रतिजा- लेट गयी हूँ. अब कैसे पेलोगे?
मैं- तुम्हारे ऊपर आ गया मैं.

रतिजा- फिर!
मैं- अब तुम्हारे दोनों हाथ पकड़ लिए.

रतिजा- अब?
मैं- तुम्हारे पैरों को अपने पैरों से लपेट लिया.

रतिजा- आह विकास!
मैं- अब तुम्हारे होंठों को अपने होंठों में भरके चूस रहा हूँ.

रतिजा- उम्म … और क्या कर रहे हो?
मैं- और तुम्हारी चूत में लंड डाल दिया रतिजा!

रतिजा- आआअहह … घुस गया.
मैं- अब अन्दर बाहर कर रहा हूँ. बहुत गीली चूत है तुम्हारी रतिजा!

रतिजा- जब भी इसका कुछ लेने का मन होता है, ये अपने आप गीली हो जाती है.

मैं- रतिजा, तुम्हें ऐसे लिपट कर चोदने में बहुत मज़ा आ रहा है.
रतिजा- मुझे भी. मेरे दूध मसलो अब!

मैं- दूध भी मसल रहा हूँ और तुम्हारी चुदाई भी कर रहा हूँ.
रतिजा- आआआआहह.

मैं- खूब कस कसके तुम्हें चोद रहा हूँ रतिजा!
रतिजा- हां और तेज चोदो!

मैं- हां और तेज पेल रहा हूँ तुम्हें!
रतिजा- हां और तेज विकास!

मैं- तुम्हारी चूत एकदम खुल गयी है रतिजा … लंड बहुत आराम से अन्दर बाहर हो रहा है.
रतिजा- और कस के चोदो मुझे!

मैं- तुमसे लिपट कर खूब चोद रहा हूँ तुम्हें!
रतिजा- आआहह विकास … मेरा पानी निकलने वाला है … और कसके चोदो और कसके आहह …

फिर रतिजा का स्खलन हो गया.

फिर 5 मिनट बाद मैंने रतिजा को बोला- आज तो नींद में नहीं थी ना!
रतिजा- चुप रहो, पता नहीं क्या गंदा गंदा सब सिखा दिया मुझे. मैं सोने जा रही हूँ. कल बात करेंगे. बाय.

फिर हम दोनों की दो तीन दिन सामान्य बातचीत हुई.

उसके बाद चौथे दिन मैंने रतिजा को रात में 11 बजे मैसेज किया- क्या कर रही हो?
रतिजा- तुमसे मतलब!

मैं- क्या हुआ … गुस्सा क्यों हो?
रतिजा- आज बदन दर्द हो रहा है इसलिए किसी से बात करने का मन नहीं है.
मैं- कहो तो मैं दबा दूँ!

रतिजा- तुम तो दूर ही रहना मुझसे. हमेशा मेरा फायदा उठाने के चक्कर में रहते हो.
मैं- मैंने कब फायदा उठाया तुम्हारा?

रतिजा- अच्छा ठीक है, नहीं उठाया तुमने फायदा!

मैं- अच्छा बताओ न … आज क्या पहनी हो?
रतिजा- अब कुछ नहीं बताऊंगी मैं, अब तुम्हें दूसरा तरीका आजमाना पड़ेगा.
यह बोल कर वह हंसने लगी.

मैं- मुझे बहुत से तरीके आते हैं.
रतिजा- बड़ी अच्छी बात है.

मैं- अच्छा जिस घर में रह रही हो, वह तुम्हारे पापा का है या किराए पर.
रतिजा- खुद का है पापा का … किराए पर नहीं रहते हम लोग!

मैं- अच्छा और तुम्हारे घर के आगे गार्डन है क्या?
रतिजा- हां है.

मैं- तो तुम्हारे गार्डन की घास बड़ी है या छोटी?
रतिजा- मुझे क्या पता!

मैं- क्यों, तुम घर में नहीं रहती क्या?
रतिजा- रहती हूँ.

मैं- तो देख कर बताओ न!
रतिजा हँसती हुई कहने लगी- घास कटी हुई है.

मैं- एक काम था तुमसे, रतिजा!
रतिजा- क्या?

मैं- मेरे यहां जगह कम पड़ गयी है, तो क्या तुम्हारे गार्डन में गाड़ी खड़ी कर लूं?

रतिजा- क्यों … मेरे गार्डन में ही क्यों?
मैं- मेरे यहां जगह नहीं है.

रतिजा- तो किसी और के गार्डन में खड़ी कर लो, जो पास में हो!

मैं- अभी तो तुमसे बात हो रही है, तो तुम्हीं पास हुई मेरे!

रतिजा- कितनी बड़ी गाड़ी है?
मैं- अच्छी ख़ासी बड़ी है. तुम्हारे गार्डन में आ जाएगी.

रतिजा- तो ठीक है खड़ी कर लो.
मैं- कोई कुछ कहेगा तो नहीं?

रतिजा- सब सो रहे हैं, तो कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन सुबह होते ही ले जाना अपनी गाड़ी!

मैं- तो मैं आऊं गाड़ी लेकर?
रतिजा- हां आ जाओ.

मैं- आ गया, लेकिन गार्डन में जो कपड़े फैले हैं, उन्हें तो हटाओ पहले.

रतिजा- क्या कपड़े फैले हैं?
मैं- एक टी-शर्ट है, स्कर्ट है और ब्रा-पैंटी है.

रतिजा- अरे पागल हो क्या, ये तो मेरे कपड़े हैं.
मैं- तो तुम आओगी हटाने … या मैं हटा दूँ?

रतिजा- तुम ही हटा दो. मैं नीचे नहीं आऊंगी.

मैं- पहले तुम्हारी टी-शर्ट उतारी रतिजा.
रतिजा- मेरी क्यों उतारोगे, जो गार्डन में लटकी है, वही उतारोगे ना!

मैं- एक ही बात है यार!
रतिजा- अच्छा ठीक है.

मैं- अब तुम्हारी स्कर्ट उतारी रतिजा.
‘हम्म.’

मैं- अब क्या बचा है?
रतिजा- सिर्फ़ ब्रा और पैंटी बची है.

मैं- अब मैंने तुम्हारी ब्रा भी उतार दी.
रतिजा- ओके.

मैं- अब सोच रहा हूँ कि गाड़ी खड़ी कर दूँ तुम्हारे गार्डन में!

रतिजा- बिना पैंटी उतारे गाड़ी कैसे खड़ी करोगे?

मैं- तो उतार दूँ तुम्हारी पैंटी … कोई आएगा तो नहीं ना!
रतिजा- कोई नहीं आएगा सब सो रहे हैं.

मैं- लो उतार दी तुम्हारी पैंटी.
रतिजा- लेकिन गार्डन तुम्हें कुछ सूखा नहीं लग रहा. गाड़ी खड़ी हो पाएगी तुम्हारी?

मैं- पानी डाल कर गीला कर दूँ थोड़ा … तब आराम से गाड़ी खड़ी हो जाएगी.

रतिजा- वह तुम देख लो, कैसे करना है. मैंने तो तुम्हें गार्डन दे दिया है एक रात के लिए.

मैं- यहां दो बैलून भी लगे है, जिनमें पानी भरा है. शायद उन्हें दबाने से गार्डन गीला हो जाए!

रतिजा- वह बैलून मैंने ही लगाए हैं वहां.
मैं- अच्छा कितने बड़े बड़े बैलून हैं.

रतिजा- बहुत बड़े तो नहीं हैं, पर तुम्हारे हाथ में आराम से आ जाएंगे.

मैं- मैंने दोनों बैलून हाथ में ले लिए रतिजा और कस कसके दबा भी रहा हूँ.

रतिजा- हां … इन्हें ऐसे ही दबाओ.
मैं- ये तो बहुत मुलायम बैलून हैं रतिजा!

रतिजा- तो दबाओ ना कस कसके … तभी तो गार्डन में पानी निकलेगा.

मैं- हां दबा रहा हूँ रतिजा कस कसके.
रतिजा- दबा लो, जितनी तेज दबा सकते हो.

मैं- ऐसा लग रहा है जैसे तुम्हारे दूध दबा रहा हूँ.
रतिजा- तुम्हें तो हर जगह मैं ही दिखाई देती हूँ!

मैं- नहीं, सच में यार लग रहा है कि मैं तुम्हारे दूध ही दबा रहा हूँ.
रतिजा- तो वही सोच कर दबाओ फिर!

मैं- हां रतिजा तुम्हारे दूध समझ कर ही दबा रहा हूँ.
रतिजा- हां ऐसे ही.

मैं- बहुत मज़ा आता है तुम्हारे दूध दबाने में.
रतिजा- अच्छा!

मैं- देखो, रतिजा पानी आया.
रतिजा- हां बहुत पानी आ रहा.

मैं- गार्डन गीला हो गया?
रतिजा- लग तो रहा है, तुम गाड़ी खड़ी करो.

मैं- खड़ी कर रहा हूँ गाड़ी. अन्दर गार्डन में … लेकिन जा नहीं रही. काफ़ी ढलान है.
रतिजा- अब गार्डन थोड़ी ज्यादा चिकनी गयी … चली जाएगी गाड़ी … ऐसे कैसे नहीं जाएगी … तुम धक्का तो दो अन्दर!

मैं- लगता है पानी कम आया है गार्डन में!
रतिजा- नहीं, गार्डन तो पूरा गीला है. गाड़ी आराम से आएगी. तुम धक्का तो दो.

मैं- रूको, मैं तेज धक्का देता हूँ … हां चली गयी गाड़ी अन्दर!
रतिजा- अब!

मैं- अब मैं वापिस जाता हूँ, गाड़ी खड़ी कर दी मैंने.

रतिजा- गार्डन गीला करके कैसे जा सकते हो तुम?
मैं- अभी भी पानी आ रहा है क्या?

रतिजा- हां बहुत पानी आ रहा है विकास!
मैं- तो फिर?

रतिजा- तुम बहुत दुष्ट हो, पहले गीला करते हो मुझे … फिर छोड़ कर जाने लगते हो.
मैं- तो क्या करूं बताओ?
रतिजा- अच्छा सॉरी बाबा, अब बहाने मत बनाओ. आ जाओ ना मेरे पास!

मैं- क्यों?
रतिजा- प्यार नहीं करोगे क्या मुझे?
मैं- प्यार नहीं करना है, कुछ और करना है!

रतिजा- क्या करना है?
मैं- चुदाई करनी है तुम्हारी.

रतिजा- चुदाई करोगे मेरी?
मैं- हां.
रतिजा- तो आ जाओ.

मैं- कैसी हो तुम?
रतिजा- पूरी नंगी लेटी हूँ अपने बेड पर.

मैं- पैंटी भी नहीं है.
रतिजा- नहीं कुछ नहीं पहनी हूँ, पूरी नंगी हूँ. मैंने अपनी दोनों टांगें भी फैला दी हैं तुम्हारे लिए. आकर चोद लो मुझे कसके … आह यार बहुत पानी आ रहा है!

मैं- कैसे चोदूं तुम्हें?
रतिजा- जैसे उस दिन चोदा था ना तुमने मुझे … वैसे ही मुझसे लिपट कर पूरा लंड डाल दो मेरी चूत में … और चुदाई करो कस कसके.

मैं- आ गया तुम्हारे ऊपर रतिजा.
रतिजा- क्या करने वाले हो आज मेरे साथ?

मैं- तुम्हारे दोनों हाथ पकड़ लिए रतिजा!
रतिजा- फिर?

मैं- अब मैंने अपने पैर से तुम्हारे पैर फंसा लिए.

रतिजा- फिर विकास!
मैं- अब मैंने तुम्हारे होंठों को अपने होंठों में भर लिया है.

रतिजा- फिर!
मैं- अब तुम्हारी चूत में लंड डाल रहा हूँ रतिजा … आह चला गया पूरा अन्दर.

रतिजा- आआअहह … बहुत बड़ा लंड है तुम्हारा यार!
मैं- तुमको चोद चोद कर ही बड़ा हुआ है ये!

रतिजा- तो आज थोड़ा और बड़ा कर लो.
मैं- चोद रहा हूँ तुमको रतिजा!

रतिजा- आआहह.
मैं- तुम्हारी छूट में तो लंड एकदम आराम से अन्दर बाहर हो रहा है.

रतिजा- विकास कसके लिपट जाओ मुझसे … और फिर करो धकापेल चुदाई.
मैं- हां मैं कसके तुमसे लिपटा हूँ रतिजा और ताबड़तोड़ चोद भी रहा हूँ तुम्हें!

रतिजा- ताबड़तोड़ का मतलब?
मैं- मतलब तुम्हें कसके पकड़ा हुआ है और खूब जोर जोर से चुदाई कर रहा हूँ तुम्हारी!

रतिजा- आआहह … मम्मी आह.
मैं- चुदाई में मज़ा आता है तो मम्मी की याद क्यों आ जाती है तुम्हें?

रतिजा- इतने बड़े लंड से एक 22 साल की लड़की को चोद रहे हो, पूरी नंगी करके … तो वह अपनी मम्मी को ही तो याद करेगी ना बेचारी!

मैं- आज तुम्हें चोदने में बहुत मज़ा आ रहा है रतिजा. लंड एकदम अन्दर बाहर हो रहा है तुम्हारी चूत में!
रतिजा- और मेरे दूध भी मसलो ना!
मैं- तुम्हारे दूध मसल भी मसल रहा हूँ.
‘आह …’
मैं- ये तुम अपना सीना क्यों ऊपर उठा लेती हो!

रतिजा- अपने आप हो जाता है. इतना मज़ा देते हो तुम!
मैं- तुम्हारे दूध दबाने में और तुम्हारी चूत में लंड पेलने में बहुत मज़ा आता है रतिजा.

रतिजा- एक बात बोलूँ.
मैं- हां.

रतिजा- मुझे बाथरूम में ले जाकर प्यार करोगे?
मैं- हां चलो.

रतिजा- मुझे गोद में उठा कर ले चलो.
मैं- उठा लिया और अब बाथरूम की तरफ जा रहा हूँ.

रतिजा- आज छोड़ना मत मुझे बिल्कुल.

मैं- आ गया बाथरूम में रतिजा.
रतिजा- अब?

मैं- मैंने तुम्हें कमर से झुका दिया रतिजा.
रतिजा- पीछे से करोगे क्या?

मैं- अब तुम्हारी चूत में लंड डाल रहा हूँ, चला गया अन्दर पूरा!
रतिजा- कर लो अब जितना मन करे.

मैं- धकापेल चोद रहा हूँ.
रतिजा- आह आह … और जोर से पेलो.

मैंने चोदता रहा और सेक्स की बात Xxx टॉक से उसे गर्म करता रहा. बाद में वह झड़ गई और हम दोनों थक कर सो गए.

दोस्तो, इस तरह से हम दोनों की फोन सेक्स से चुदाई होती रही.
और अब जब भी आमने सामने से सच्ची चुदाई होगी, तब वह सेक्स कहानी आपको सुनाऊंगा.
सेक्स की बात Xxx टॉक पर आपके मेल का इंतजार रहेगा.
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top