वासना की न खत्म होती आग भाग-13
दोनों ही बड़ी गर्मजोशी से एक-दूसरे में खोने लगे थे, दोनों धक्कों के साथ एक-दूसरे को कभी चूमते तो कभी काटते जा रहे थे, कभी रमा अपने होंठों का रस चुसातीं..
मैं करीब एक साल से अन्तर्वासना से दूर रही पर अब मेरे पास एक नया अनुभव है जिसने मुझे फिर से विवश कर दिया अन्तर्वासना पर कुछ लिखने को!
उम्मीद करती हूँ कि मेरा यह नया अनुभव आपको रोमांच से भर देगा।
सम्भोग किसे नहीं पसंद? और अगर पसंद न होता तो न लोग यहाँ कहानियाँ पढ़ने आते न सुनाने… न मैं आती, न आप लोग!
मैं औरों के बारे में नहीं जानती पर जैसे जैसे मैंने सेक्स का आनन्द खुल कर लेना शुरू किया, मेरी इच्छाएँ और बढ़ती चली गई और फिर नई पसंद नया अनुभव…
मेरी पिछली कहानियों से तो आप पता ही चल गया कैसे मैंने सेक्स के नए नए अनुभवों को पाया।
पर पिछले सात महीनों में मैंने जो कुछ जाना और किया वो मेरी बाकी के अनुभवों से कहीं ज्यादा रोचक है क्योंकि यह मैंने स्वयं ही महसूस किया।
मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा करूँगी या इतनी बदल भी जाऊँगी।
एक औरत जिसके आगे पीछे इतने पहरे होते हैं, वो इतना कुछ कैसे कर लेगी… यह भी शायद आप लोग यकीं न करो पर जो मैंने किया वो सच में रोचक था।
दोनों ही बड़ी गर्मजोशी से एक-दूसरे में खोने लगे थे, दोनों धक्कों के साथ एक-दूसरे को कभी चूमते तो कभी काटते जा रहे थे, कभी रमा अपने होंठों का रस चुसातीं..
मित्र ने उसे चूमते हुए उसके चूतड़ों को दबोचते हुए इशारा किया और बबिता वहीं नीचे झुक गई। वो घुटनों के बल खड़ी होकर मेरे मित्र का लिंग अपने मुँह में भर कर चूसने लगी..
मैं एक तरफ तो सम्भोग का आनन्द लेना चाह रही थी.. वहीं मेरे मन और मस्तिष्क में दूसरों को सम्भोगरत देखने की भी लालसा भी थी। मेरे जिस्म के साथ पहली बार दो मर्द एक साथ खेल रहे थे।
मैं जब बाहर से अन्दर आ रही थी तो कराहने, सिसकने और हाँफने की आवाज उम्म्ह… अहह… हय… याह… बढ़ती जा रही थीं और जब अन्दर आई तो ऐसा माहौल था कि पूरा कमरा उन दोनों औरतों की कराहों से गूंज रहा था।
दोस्त से चुद कर मुझे मज़ा आया था और उसे भी.. लेकिन वो अब फिर मिलने की जिद कर रहा था और मेरा घर से निकलना मुश्किल था. तो मेरे दोस्त ने मुझे चोदने की क्या योजना बनाई?
मैं उनके लिंग के ऊपर बैठने उठने लगी जिससे लिंग योनि में अन्दर बाहर होने लगा। मेरी पकड़ कुछ पलों के धक्कों में फिर से मजबूत हो गई और मेरी योनि भी कसने लगी।
मेरी हालत अब और बुरी होने लगी थी, मैं वासना के सागर में गोते लगाने लगी थी, मेरा मन पल दर पल बदल रहा था। कभी उनके झटके मेरी चीख निकाल देते और सोचने लगती 'भगवान् ये जल्दी से झड़ जाएँ'
थोड़ी देर उंगली से खेलने के बाद मेरी योनि को उन्होंने और फैला दिया.. तो मैं कराह उठी और अपनी जुबान मेरी योनि से चिपका दी। वो मेरी योनि को चूसने लगे और जुबान को मेरी चूत के छेद पर धकेलने लगे।
मैं उनके ऊपर अपनी टाँगें फैला कर बैठ गई। मैंने एक हाथ से योनि को फ़ैलाने की कोशिश की.. और दूसरे हाथ से लिंग को पकड़ सीधा कर योनि के छेद पर रास्ता दिखाते हुए कमर नीचे दबाने लगी।
उन्होंने मुस्कुराते हुए मेरी योनि के दोनों होंठों को दोनों हाथों की उंगलियों से फैला कर छेद को चूम लिया.. ऐसा लगा जैसे एक बिजली का झटका मेरी योनि से होता हुआ मेरे दिमाग में चला गया।
मैं घबरा सी गई और पता नहीं मेरे मुँह से ऐसा क्यों निकल गया कि जल्दी कर लो.. मुझे शाम तक जाना है। इतना सुनने की देर थी कि उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया।
मेरा वो दोस्त मुझसे मिलने और सम्भोग के लिए इतना उत्सुक हो चुका था कि वो किसी भी हद तक जाने को तैयार था। मुझे वो रोज परेशान करने लगा तब मैंने यह बात तारा को बताई।
काफी दिन नीरस बिताने के बाद मेरी सहेली के बताने पर एक रिटायर्ड फौजी से ऑनलाइन दोस्ती हुई तो उसके साथ खुल कर बातें होने लगी और एक दिन उसने मुझे कैम पर खुद को दिखाया.