सेक्स भरी कुछ पुरानी यादें-6
भाभी, ज़रा आप अपनी टाँगें मोड़ लो, मैं बैठ कर आपकी योनि चाटता हूँ। उन्होंने जैसे ही अपनी टाँगें मोड़ीं, मैंने भी फुर्ती में अपना लिंग उनकी योनि में डाल दिया।
एक दिन मेरे दोस्त ने मुझे एक पारिवारिक चुदाई की कहानी सुना दी। मैंने उस कहानी को सुना तो मेरे मन में वही कहानी चलती रही। जब दिवाली की सफाई हो रही थी तो मुझे एक नंगी फोटो वाली किताब मिली जिसमें एक मां-बेटे की चुदाई की कहानी भी थी। फिर मैंने अपनी जवानी को कैसे निखारा?
भाभी, ज़रा आप अपनी टाँगें मोड़ लो, मैं बैठ कर आपकी योनि चाटता हूँ। उन्होंने जैसे ही अपनी टाँगें मोड़ीं, मैंने भी फुर्ती में अपना लिंग उनकी योनि में डाल दिया।
जब तुम मेरे मम्मे को सहला रहे थे और अपने हाथ से अपना लिंग हिला रहे थे, मैं तब से ही जाग रही थी। फिर जब तुमने मेरे नीचे हाथ डाला तब मुझमें भी झुनझुनी आ गई!
मैंने अपना हाथ अब उसकी पैन्टी के अन्दर डाला ही था कि अचानक मेरे कमरे की डोरबेल बजी। हम दोनों चौंक गए कि इस समय कौन आया होगा। मेरी योनि देखने को हसरत आज फिर अधूरी रह गई।
मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी सलवार को नीचे खिसका दिया। मेरा सपना पूरा होने वाला था, मेरे सामने किसी औरत की योनि दिखने वाली थी। मैं उसकी योनि को उसकी पैन्टी के ऊपर से ही अपने हाथ से सहला रहा था।
मैं पेशाब करने के लिए उठा और पेशाब करने लगा और जब वापिस आया तो मैंने देखा मेरी मौसी की लड़की मेरे बिस्तर के पास लेटी थी। उसका सीना मेरी पैरों की तरफ़ था। मैं धीरे-धीरे अपने पैर के पंजों से उसके मम्मे को छूना शुरू कर दिया
मेरे एक दोस्त ने मुझे एक पारिवारिक चुदाई की कहानी सुनाई। फिर जब शाम को स्कूल से घर वापिस आया, पर वो कहानी मेरे दिमाग़ में चलती रही और जब मैं अपने घर में किसी भी लड़की या महिला को देखता तो अजीब सा महसूस करने लगता था।