बहूरानी के मायके में चुदाई-3
हसीनाओं की ये भोली अदाएं ही तो चुदाई का आनन्द दोगुना कर देतीं हैं; इनका ये रोना धोना, नखरे कर कर के चुदना, एक प्रकार का कॉम्प्लीमेंट, उत्साहवर्धक ही है हम चोदने वालों के लिये.
एक रात मैं अपनी पत्नी के साथ सम्भोग कर रहा था कि मेरी बीवी ने बहूरानी की बात छेड़ दी. बहू रानी का नाम सुनते ही मेरा लंड में अनायास ही रक्त का अतिरिक्त संचार हो गया, मैं और ताकत से अपनी पत्नी की चुत चुदाई करने लगा.
ससुर और बहू की कामवासना और चुदाई की कहानी का मजा लें!
हसीनाओं की ये भोली अदाएं ही तो चुदाई का आनन्द दोगुना कर देतीं हैं; इनका ये रोना धोना, नखरे कर कर के चुदना, एक प्रकार का कॉम्प्लीमेंट, उत्साहवर्धक ही है हम चोदने वालों के लिये.
बहू के मायके में मैं अपनी बहू को बंजारन के लिबास में देख कर उसकी चुदाई के लिए बेचैन हो रहा था, बहू भी मेरी लालसा को जानती थी और वो भी यही चाहती थी. हमारी प्यास कैसे बुझी?
मैं अपनी पूत्रवधू को लेकर उसके चचेरे भाई की शादी में गया. अब शादी में तो रंग बिरंगी तितलियाँ आई ही होती हैं, मैं चक्षु चोदन कर रहा था कि मेरी बहू बंजारन लिबास में मेरे पास आई.
बहूरानी खनकती हुई हंसी हंसी- हा हा हा, अरे नहीं पापा जी. मैं तो बस ऐसे ही हंसी ठट्ठा कर रही थी. ये ससुरी ना दुखती... इसे तो लंड से जितना मारो पीटो... उतनी ही ज्यादा खुश होती है बेशरम! यह आपकी चहेती हो गई है, बिगड़ गई है, पूरी की पूरी ढीठ हो गई है, हद कर दी इसने तो बेशर्मी की!
वक़्त की नजाकत को समझते हुए मैंने अपना लंड बहूरानी की चूत की देहरी पर रख दिया और उसके दोनों दूध कसकर दबोचे और... इससे पहले कि मैं धक्का मारता, बहूरानी ने अपनी कमर पूरे दम से ऊपर उछाली और मेरा लंड लील लिया अपनी चूत में.
बहूरानी के साथ आने वाले छत्तीस घंटे बिताने के ख़याल से ही मुझे रोमांच होने लगा था. मैंने उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसके दोनों गालों को बारी बारी से चूमने लगा. बहू बार बार अपना चेहरा अपनी हथेलियों से छुपाने का जतन करती लेकिन मैं उसके दोनों स्तन अपने अधिकार में करके अपनी मनमानी करने लगा
पाठक पाठिकाओं के मन यह जिज्ञासा जरूर होगी कि हम ससुर बहू के मध्य यौन सम्बन्ध कैसे स्थापित हो गये? अत्यंत संक्षेप में मैं यहाँ पूरा वाकया दोहराता हूँ कि मेरी बहूरानी अदिति और मेरे बीच अनैतिक चुदाई के सम्बन्ध कैसे स्थापित हुए.
बहूरानी के होंठ मेरे होंठों से बस चंद इंच की दूरी पर थे, उसके होंठ प्राकृतिक रूप से ही गुलाबी हैं. मन कर रहा था कि अभी बहू के लबों को चूम लूं... लेकिन मैंने सब्र किया... मन में सोचा कि अभी कुछ देर मैं इन लबों को चूम लेने की लालसा को मन ले लिए तड़पता रहूँगा, इस तड़प में मुझे और ज्यादा आनन्द मिलेगा.
मैं अपनी बीवी की चुदाई कर रहा था कि उसने बहू रानी की बात छेड़ दी. बहूरानी का नाम सुनते ही मेरा लंड अचानक ही फूल कर कुप्पा हो गया, मै और जोर से अपनी बीवी को चोदने लगा. ससुर और बहू की कामवासना और चुदाई की कहानी का मजा लें!