जब साजन ने खोली मोरी अंगिया-9
रूठना-मनाना सखी मैं साजन से रूठी थी, और साजन मुझे मनाता था मैं और दूर हट जाती थी, वह जितने कदम बढ़ाता था साजन के हाथों को मैंने, अपने बदन से परे हटाय दिया उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली मोरी अंगिया ! . साजन ने कितना समझाया, मैंने एक […]