प्यासी दुल्हन -4
भाभी बोलीं- चिंता न कर ! हम दोनों की यह यात्रा चुदाई यात्रा होगी। दोनों मस्त होकर चुदवाएंगी, तू जितने लंडों से खेलना चाहेगी उतने से खिलवाऊँगी तुझे।
मेरी नई-नई शादी हुई थी. मेरे पति तीन महीने तीन सौ बार मेरी चूत चोद चुके थे, मैं भी दिल खोल कर उनका लंड लेती थी. लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरी चूत की खुजली मुझे शादी के बंधन को लांघने पर भी मजबूर कर देगी।
भाभी बोलीं- चिंता न कर ! हम दोनों की यह यात्रा चुदाई यात्रा होगी। दोनों मस्त होकर चुदवाएंगी, तू जितने लंडों से खेलना चाहेगी उतने से खिलवाऊँगी तुझे।
सुबह 9 बजे मेरी नंगी चूत में भाभी ने अपनी उंगली घुसा दी, मैं हड़बड़ा कर उठी, भाभी ने मेरी चूचियाँ दबाते हुए चुटकी ली और बोलीं- अब उठ जाओ, देवर जी ऑफिस जाने वाले हैं, दो बार पूछ गए कि भाभी उठीं या नहीं ! जाओ और थोड़ा अपनी जवानी का रस पिला आओ।
मैंने अपना कुरता ऊपर उठाया और बोली- सिर्फ एक-एक बार दोनों चुचूक चूस लो और काटना नहीं। मेरे दोनों चूतड़ों को दबाते हुए अमित ने दोनों चुचूक एक एक करके मुँह में लिए और लॉलीपोप की तरह एक एक बार चूसे।
सासु माँ ने पापाजी की चड्डी उतार दी और उनका लंड अपने हाथ में लेकर सहला रहीं थीं। थोड़ी देर में उन्होंने उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगीं। मेरी चूत गर्म भट्टी हो रही थी, मन कर रहा था कि पापाजी लंड मेरी चूत में डाल दें।