पहला प्यार.. पहला लंड-3
लंड काफी स्वस्थ लग रहा था.. बिल्कुल सीधा और सख्त था.. मैंने फूले हुए सुपाड़े की चमड़ी पीछे की ओर खींचकर उसके मस्त गुलाबी सुपारे के दर्शन किए.. जिसमें से मदमस्त महक आ रही थी।
मुझे अपनी क्लास का एक गबरू जवान लड़का पसंद आने लगा था. वो जात से बंजारा था. धीरे-धीरे बढ़ता हुआ ये आकर्षण आखिर कहां पर खत्म हुआ? एक कामुक गे सेक्स स्टोरी!
लंड काफी स्वस्थ लग रहा था.. बिल्कुल सीधा और सख्त था.. मैंने फूले हुए सुपाड़े की चमड़ी पीछे की ओर खींचकर उसके मस्त गुलाबी सुपारे के दर्शन किए.. जिसमें से मदमस्त महक आ रही थी।
उसने साइड से लगभग मुझे बांहों में ही भर लिया था और उसका मुँह और होंठ भी मेरे मुँह के काफी करीब थे। उसके मुँह की गर्म भाप मेरे होंठों को छू रही थी.. क्योंकि दिसंबर की ठंड थी..
जब मैं पढ़ता था और मुझे सेक्स, प्यार, लंड, चूत और गांड के बारे में कुछ ज्यादा पता नहीं था और ना ही मुझे कुछ समझ आता था। तब से मुझे मेरी कक्षा का एक लड़का अच्छा लगता था।