पापा मम्मी की दूसरी सुहागरात -11
मम्मी ने पापा को एक बार कस के चूमा और फिर वो निढाल सी पापा के सीने से चिपक गई, उनके हाथ पापा की पीठ के चारों ओर कस गए, उनका शरीर पसीने पसीने था जो यह बता रहा था कि आज उन्होंने बहुत मेहनत की है।
मेरी पहली कहानी मम्मी पापा इतनी रात में करते क्या हैं? कई भागों में प्रकाशित हुई जिसे आप सब पाठकों ने पढ़ा और खूब पसंद किया इसलिए आप सभी सम्मानित पाठकों का धन्यवाद।
अच्छा अब मैं उसी कहानी के अगले चरण पर आता हूँ।
जब से मैंने पापा मम्मी को चुदाई करते देखा, तब से मुझे जैसे उनकी चुदाई देखने का चस्का लग गया।
मम्मी ने पापा को एक बार कस के चूमा और फिर वो निढाल सी पापा के सीने से चिपक गई, उनके हाथ पापा की पीठ के चारों ओर कस गए, उनका शरीर पसीने पसीने था जो यह बता रहा था कि आज उन्होंने बहुत मेहनत की है।
मम्मी पापा के ऊपर आ कर लन्ड चूत में लेकर चुद रही थी और दोनों खूब बातें कर रहे थे… मम्मी पापा के साथ मस्ती कर रही थी, कह रही थी कि वो थक गई हैं!
पहले तो मम्मी ने पापा के लिंग को जीभ से हल्के से टच किया जैसे वो उसका स्वाद चेक कर रही हों, कुछ 1 मिनट इस तरह करने के बाद उनकी हिचक जैसे समाप्त से हो गई और वो पापा के लिंग के चारों ओर जुबान फेरने लगी कभी वो उसको चूमती, तो कभी लिक करती (चूसती), कभी गलांस के टिप पर जवान रगड़ती जिससे पापा काफी उत्तेजित हो चुके थे।
मम्मी के चेहरे से लग रहा था कि वो आज बहुत खुश है पर उनका भी मन अभी भरा नहीं था चुदाई से और अभी और मज़े लूटना चाहती है और केवल ऐसे ही न नुकर कर रही थी क्योंकि शायद वो चाहती थी कि आज हर बार पहल पापा ही करें।
धक्के लगाते लगाते पापा को पता नहीं क्या सूझा, अपना चुम्बन तोड़ा, मम्मी के चेहरे की ओर देखकर मुस्कुरा कर बोले- सुरभि, एक बात बताओ, जब अंदर जाता हैं जो पता चलता है? मम्मी मुस्कुराई और बोली- मुझे नहीं मालूम!
मम्मी की बातों को सुनकर मैं अचम्भे में पड़ गया कि हमेशा इतनी सभ्य और शालीनता से रहने वाली मेरी मम्मी आज फ़ूहड़ भाषा का इस्तेमाल कर रही थी पर शायद मज़े और उत्तेजना की लिए।
पापा का हाथ मम्मी की कमर से होता हुआ उनके पेटीकोट पर जा टिका, पापा ने एक झटके में ही मम्मी के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और मम्मी से बोले- सुरभि, थोड़ा कमर उठा ना!
अब पापा ने फिर से मम्मी के गालों को, कभी कोमल अधरों को, कभी उरोजों की घाटी, कभी मम्मी की नरम बाँहों को चूमना चूसना शुरु कर दिया। मम्मी भी अब पापा के सुर सुर मिला रही थी और उनका पूरा साथ दे रही थी, कभी वो पापा के गालों को पुचकारती, तो कभी उनके माथे को चूम लेती।
जहाँ पापा मम्मी के गुलाबी अधरों का रस पान कर रहे थे, वहीं मम्मी पापा के मुँह का रस पी रही थी और रोमाँच के कारण उनके मुँह से केवल उम्म... उम्ह... उम्ह की सिसकारी रूपी आवाजें निकल रही थी। अब पापा के हाथ मम्मी के ब्लाउज पर आ गए, पापा अपने हाथ मम्मी के उरोजों पर ब्लाउज के ऊपर से ही फिराने लगे।
मुझे मम्मी पापा की उस रात की बात याद थी कि वो दोनों इस बार अकेले और सुहागरात वाली रात की तरह सेक्स करना चाहते हैं। मैं पापा मम्मी को उनकी दूसरी सुहागरात मनाने और उन लोगो को उसका पूरा आनंन्द लेने का मौका देना चाहता था और उन्हें सुहागरात मनाते देखना चाहता था।
मम्मी पापा और मैं एक ही बेडरूम में सोते थे तो जब भी पापा मम्मी की चुदाई की कोशिश करते तो मम्मी कभी मेरे जाग जाने तो कभी बिना कंडोम के गर्भ ठहरने के डर से चुदाने से मना कर देती थी , मैं यह सब देखता था.