नादानी में शुरू हुए खेल को जवानी में बहन की चुदाई करके पूरा किया-2
गाँव की चचेरी बहन मेरे साथ चुदने की तैयारी में थी। पेंटी निकाल कर उसकी चुत के दर्शन किए- अरे वाह.. चुत पर एक भी बाल नहीं है डार्लिंग... क्या गुलाबी चुत है!
बचपन में दादा जी की मृत्यु हो गई तो मैं गांव गया था. वहां पर अंकल की बेटी के साथ गांव में हम परिवार के सब बच्चे खेलने लगे. अंकल की बेटी के साथ नादानी में जो खेल शुरू हुआ था उसको मैंने जवानी में चुदाई करके कैसे पूरा किया?
गाँव की चचेरी बहन मेरे साथ चुदने की तैयारी में थी। पेंटी निकाल कर उसकी चुत के दर्शन किए- अरे वाह.. चुत पर एक भी बाल नहीं है डार्लिंग... क्या गुलाबी चुत है!
मेरी चचेरी बहन के साथ चुदाई की कहानी है यह… मेरे अंकल की बेटी मेरी उम्र की ही है, हम दोनों में काफ़ी दोस्ती थी, वो मुझे पसंद भी करती थी।