मेरी मतवाली कुंवारी गाण्ड मार ही ली-2
मैं औंधा लेटा था.. सर ने मेरे चेहरे के नीचे एक तकिया लगा दिया और अपने घुटने मेरे बदन के दोनों ओर टेक कर बैठ गए। ‘अब अपने चूतड़ पकड़ और खोल.. तुझे भी आसानी होगी और मुझे भी.. और एक बात है बेटे.. गुदा को ढीला छोड़ना.. नहीं तो तुझे ही दर्द होगा.. समझ […]