मेरी चालू बीवी-89
वो मेरे सीने से लगी रही, मेरा हाथ कभी उसके नंगे चूतड़ों के सम्पूर्ण भाग को सहलाता, कभी उसके चूतड़ों की दरार तो कभी उसके गुदाद्वार को कुरेदता, तो कभी मैं चूतड़ों के नीचे उसकी चूत को भी सहला देता।
Meri Chalu Biwi – मैं सत्ताईस वर्ष का और मेरी बीवी सलोनी छब्बीस वर्ष की है, हमारी शादी ढाई वर्ष पूर्व हुई थी। हमारी कोई औलाद नहीं है। मैं सामान्य कद-काठी वाला साधारण काम करने वाला इन्सान हूँ, समाज से डरने वाला, अपनी कोई बात जग जाहिर करना नहीं चाहता और सेक्स में भी सामान्य हूँ।
मगर यह मेरी किस्मत या बदकिस्मती है कि मेरा विवाह एक अति सुन्दर लड़की सलोनी से हुआ, वह जैसे क़यामत है, 5’4″ कद, दूधिया रंग जिसमें सिंदूर मिला हो और लाजवाब बदन उसका, उसके अंग, चूची 36″ पतली नाजुक कमर 26″ और उभरे हुए चूतड़ 38″ ! उसके कूल्हे ऐसे गद्देदार हैं कि बड़ों बड़ों का लंड पानी छोड़ दे… इसे मैंने कई बार महसूस भी किया है, मेरी बीवी की इसी गांड के कारण सुहागरात को मेरे लंड ने भी जवाब दे दिया था।
अपनी इस लम्बी कहानी में मैं अपना और अपनी बीवी के सेक्स जीवन का कच्चा चिट्ठा खोल रहा हूँ.
वो मेरे सीने से लगी रही, मेरा हाथ कभी उसके नंगे चूतड़ों के सम्पूर्ण भाग को सहलाता, कभी उसके चूतड़ों की दरार तो कभी उसके गुदाद्वार को कुरेदता, तो कभी मैं चूतड़ों के नीचे उसकी चूत को भी सहला देता।
मैं चूत से लेकर गांड तक सब कुछ चाट रहा था, जो रोज़ी केवल 1-2 बार में साफ़ करने की बात कर रही थी, वो अब सिसकारियों के साथ-साथ चटवाने में सहयोग भी कर रही थी, वो खुद अपनी चूत मेरे मुँह से चिपकाये जा रही थी।
मैं दस मिनट तक उसके होंठों को चूसता रहा, मैं लगातार उसके पेट को सहलाते हुए अपना हाथ साड़ी के ऊपर से ही उसके बेशकीमती खजाने, रोज़ी की चूत के ऊपर ले गया और साड़ी के ऊपर से उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया।
अपने चूतड़ों पर मेरा हाथ महसूस करके ही उसका चेहरा पूरा लाल हो गया था और जब मैंने कच्छी के बारे में बात की तब तो उसका चेहरे के साथ-साथ उसका पूरा बदन ही सिमट रहा था।
अब उसके चेहरे पर एक कातिल सी मुस्कान आ गई थी... वो कल की तरह ही खुलने लगी थी... कभी लगता था कि उसको पटाने में समय लगेगा और कभी यह लगता था कि वो तैयार है... बस साड़ी उठाओ और डाल दो लण्ड।
उसकी पीठ मेरी ओर थी... उसकी स्कर्ट ऊपर तक हो गई और उसके नंगे चूतड़... कयामत चूतड़... क्या मजेदार गोल गोल चूतड़ थे... पूरे नंगे ही दिख रहे थे... क्योंकि उसकी पैंटी की डोरी बहुत पतली थी जो चूतड़ों की दरार से चिपकी थी।
मैं उससे बात कर ही रहा था कि जैसे ही बैक मिरर में देखा... ओह गॉड... उसने अपना टॉप निकल दिया था... वो केवल एक माइक्रो ऑफ व्हाइट ब्रा में बैठी थी...
मगर वो बड़े ही सेक्सी अंदाज़ में नंगी ही बिस्तर पर चढ़कर खड़ी हुईं, फिर एक अंगड़ाई ली और फिर अपने हाथ सर के नीचे रख लेट गई, उनके पैर दादाजी की ओर ही थे...
मैं गौर से उनकी हर हरकत को देख रहा था... अंकल का हाथ भाभी की कमर पकड़ने के लिए आगे बढ़ा और काँपता हुआ हाथ उनके नंगे चूतड़ों पर चला गया।
भाभी बाहर नंगी आने को तैयार हो गई थीं.. वो तो रोज ही घर ही रहती थीं, उनको पूरा आईडिया होगा कि दोपहर को इस समय सुनसान ही होता है क्योंकि ज्यादा चहल पहल सुबह-शाम ही रहती है।
मैंने देखा सलोनी पूरी नंगी कुछ बना रही थी... और वो लड़का अमित भी पूरा नंगा था... उसके पीछे खड़ा सिगरेट पी रहा था... दोनों जरूर चुदाई करने के बाद अब कुछ खाने रसोई में आये थे।
मेरे बेडरूम में मेरे बिस्तर पर नलिनी भाभी की मस्त नंगी जवानी बल खा रही थी, नलिनी भाभी पूरी नंगी, उनके चिकने, गोरे बदन पर एक रेशा तक नहीं था... वो लाल, वासना भरी आँखों से मुझे देखे जा रही थी...
मेरे लण्ड भाभी के लाल होठों के बीच फंसा था... उनके चूसने का स्टाइल एक ही दिन में बहुत सेक्सी हो गया था... अपने ही बैडरूम में भाभी के साथ अपना लण्ड चुसवाना मुझे बहुत रोमांचित कर रहा था...
सलोनी- फिर मुझे नंगी ही पार्किंग से यहाँ तक लाये... वो तो गनीमत थी कि किसी ने नहीं देखा... कितना डर गई थी मैं... पागल... अह्हाआआ पुचच च च पुचच च च...
मैं उसकी हर मस्ती में साथ था पर मेरी इच्छा उसको चुदाई करवाते देखने की थी और इतना सब होने के बाद भी मुझे दुःख इसी बात का था कि सलोनी ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया !
पिछले दो घंटे से अमित तो सलोनी के साथ ही है और आज तो उसने उसको पूरी नंगी भी देख लिया है। ना जाने वो क्या कर रहे होंगे? और अमित कह भी रहा था कि वो उसकी सेवा कर रही है।
दोनों पागलों की तरह हँसते हुए सलोनी को रगड़ रहे थे.. इंस्पेक्टर ने सलोनी की गर्दन पकड़ उसको झुका दिया और पीछे से उसके चूतड़ों पर चपत लगा लगा कर देखने लगा।
मैंने सलोनी की ओर देखा... वो आँखे फाड़े केवल उस कॉन्स्टेबल को देख रही थी, उसकी शर्ट पूरी अस्त-व्यस्त थी, चूची भी आधी बाहर थी और टांगें भी ऊपर तक नंगी ही दिख रही थी।
अंकल लगातार ऊपर देखते हुए पैंट को सलोनी के चिकने पैरों पर चढ़ाते हुए कमर तक ले गए.. सलोनी ने एक बार उनसे पैंट लेने की कोशिश की- ..लाइए अंकल, मैं पहन लेती हूँ !
अंकल खुद ही पैंट लेकर सलोनी को पहनाने लगे और सलोनी भी अपने पैर उठा पैंट को पहनने लगी ! ना जाने इन बूढ़ों को सुन्दर लड़की को कपड़े पहनाने में क्या मजा आता था...