मैं अपने जेठ की पत्नी बन कर चुदी -18
मैंने अपनी चिकनी चूत पर एक बहुत ही छोटी स्कर्ट पहन कर और ऊपर एक बिना बांह की बनियान पहन ली। मैंने अपनी आदत के अनुसार ब्रा पहनी लेकिन पेंटी नहीं पहनी।
मेरे एक विधुर जेठ हमारे साथ ही रहते थे. वे रोज मुठ मार कर अपनी अन्तर्वासना शांत करते थे. मुझे लगता था कि वे मेरे बदन को घूरते हैं. कहानी पढ़ के देखिए मैंने क्या किया?
मैंने अपनी चिकनी चूत पर एक बहुत ही छोटी स्कर्ट पहन कर और ऊपर एक बिना बांह की बनियान पहन ली। मैंने अपनी आदत के अनुसार ब्रा पहनी लेकिन पेंटी नहीं पहनी।
मैं धीमे-धीमे चलते हुए लेटने से पहले अपने टॉप को निकाल कर केवल ब्रा और स्कर्ट में लेट गई। मेरी ब्रा में कसी चूचियों को देख कर संतोष एकटक मुझे देखने लगा।
मैं बिलकुल नंगी किसी दूसरे की छत पर क्या कर रही हूँ.. मेरी हया और हालत इस बात की चीख-चीख कर गवाही दे रही थी कि मैं चुदने आई हूँ।
चाचा मेरी छत पर आकर मुझसे सटकर मेरी छाती पर हाथ रखकर मेरी चूचियों को दबाने लगे। मैं चाचा से छुड़ाकर दूर भागी- यह काम आपके बस का नहीं है.. यह काम किसी जवान मर्द का है।
वह कोशिश कर रहा था कि मेरी मुनिया दिखे.. मैंने भी संतोष की यह कोशिश जरा आसान कर दी। मैंने पूरी तरह सोफे पर लेटकर पैरों को चौड़ा कर दिया। मेरा ऐसा करने से मानो संतोष के लिए किसी जन्नत का दरवाजा खुल गया हो.. वह आँखें फाड़े मेरी मुनिया को देखने लगा।
मैं पति से जानबूझ कर थोड़ा गुस्सा होकर बोली- मैं यहाँ चुदने आई थी.. पर यहाँ तो परिन्दा भी नहीं है, जो मेरी चुदाई कर सके.. शायद मेरी किस्मत में आज चुदाई लिखी ही नहीं है।
चाचा का सुपाड़ा मेरी चूत के अन्दर घुस गया था। 'उह.. उफ्फ्फ उह आहह्ह्ह..' करते हुए चाचा से लिपट कर पूरी चूत चाचा के हवाले करके मैं बुर को चाचा की तरफ करके दूसरे शॉट का इंतजार करने लगी।
मैं चाचा को याद करके चूत के लहसुन को रगड़ने लगी और यह सोचने लगी कि चाचा मेरी रस भरी चूत को चाट रहे हैं और मैं सेक्स में मतवाली होकर चूत चटा रही हूँ।
पूरी रात मैं चुदाई से थककर जेठ की बाँहों में ही सो गई। सुबह नायर दरवाजा खटकाने लगा तो मैं अपनी नाइटी उठा कर पिछले दरवाजे से बाहर निकल कर छत पर भाग गई लेकिन नाइटी पहननी भूल गई।
तभी जेठ धीरे-धीरे चूमते हुए मेरी चूत तक पहुँचे और मेरी चूत पर जीभ घुमाते हुए मेरी चिकनी बुर को बेदर्दी से चाटने लगे। मैं तड़प उठी, मेरी मस्ती से अब जेठ ने भी मेरी चूत के निकलते रस को चाटते हुए जैसे ही मेरी चूत के फांकों को मुँह में भर कर खींचकर चूसा.. मैं दोहरी हो उठी।
नायर मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए बोला- जानेमन वाकयी आप एक गरम और जबरदस्त चुदक्कड़ माल हो.. अगर आप इजाजत दें तो आप की करारी गदराई गांड को भी चोद लूँ।
'ओ माई गाड.. फिर मुझे रात में किसने चोदा.. और अगर जेठ जी मेरी बात को रोककर यह बात ना कहते.. तो मैं यही बोलने जा रही थी कि रात में मेरी चूत चोदकर फुला दिए हो तो.. अब क्यों मुँह फुलाकर घूम रहे हो.. और अगर मैं ऐसा बोल देती तो क्या होता.. यानि मेरी बुर को नायर ने चोदा.. साला बोला भी नहीं बस मेरी चूत चोदता रहा।'
मैं मदहोश होकर अपनी चूत उठा उठा कर चुदवाने लगी, मेरे हिलते उरोजों को जेठ जी बेरहमी से मसलते हुए लम्बे-लम्बे धक्के मारते हुए मेरी चूत को चोदते जा रहे थे
'हाँ भाई साहब, चूत अब यह आपकी है, जब चाहो आप इसे चोद सकते हो, पर मेरे पति के सामने वैसे रहना, जैसे पहले थे, मैं नहीं चाहती कि उनको कुछ पता चले!'
मैं झूठा प्रतिरोध जो कर रही थी, बंद कर दिया लेकिन मैं शर्म के कारण जेठ का साथ नहीं दे पा रही थी, बस जिस्म को ढीला छोड़ दिया- मैं आपके छोटे भाई की बीवी हूँ।
मेरे प्यारे मित्रो.. क्या आप पैन्टी खोजने में मेरी मदद करोगे.. कि मेरी पैन्टी गई कहाँ.. पति ले गए कि कहीं छिपाकर गए हैं.. या फिर मेरे सोने के बाद जेठ जी आए और वो ले गए..
मैं खुद को छुड़ाने को जितना छटपटाती.. उतना ही वह मेरे जिस्म को दबोच रहे थे, लगभग सारे हिस्सों को स्पर्श कर रहे थे। मैं बोली- मैं आपकी बहू हूँ.. छोटे भाई की बीवी हूँ.. कोई जेठ अपनी बहू को छूता तक नहीं है और आप तो..
मेरे एक विधुर जेठ हमारे साथ ही रहते थे. वे रोज मुठ मार कर अपनी अन्तर्वासना शांत करते थे. मुझे लगता था कि वे मेरे बदन को घूरते हैं. कहानी पढ़ के देखिए मैंने क्या किया?