लौड़े की तकदीर-2
वो दिन मैं कभी नहीं भुला सकता.. उस दिन मैंने एक लड़की कहूँ या औरत को.. वो कहा.. जो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। वो फोन था निहारिका का था.. और वो बात आज भी मुझे शब्द दर शब्द याद है। वो- आशु.. मैं बताऊँ.. क्या हुआ था उस दिन.. दरअसल तुम्हारा दोस्त सेक्स के काबिल ही नहीं है।