Hindi Sex Stories » कुंवारी भोली
मेरा यह निश्चित मानना है कि यौन और यौन से सम्बंधित सभी क्रियाएँ, कल्पनाएँ, परिस्थितियाँ एवं वास्तविकताएँ हमारे जीवन को सबसे ज़्यादा प्रभावित करतीं हैं। यौनाकर्षण को संसार की सबसे प्रबल ताक़त कहना गलत नहीं होगा। सब जीवों पर इसका प्रभुत्व देखा जा सकता है। मानव जाति में ऐसा प्रतीत होता है मानो यौन का नशा केवल मर्दों को चढ़ता है और नारियाँ मर्दों की खुशी के लिए अपना समर्पण करती रहती हैं। पर विधान ऐसा नहीं है।
जब प्रकृति ने प्रजनन के लिए दो लिंगों का प्रकरण किया है तो यौन के प्रति दोनों, नर और मादा, में एक दूसरे के प्रति बराबर का आकर्षण रखा है।
यह और बात है कि मानव समाज में धार्मिक और सांस्कारिक बंधनों के कारण स्त्री को अपनी यौन पिपासा को दबा कर रखना पड़ता है।
यह प्राकृतिक नहीं अपितु एक मानविक मर्यादा है जो मर्दों ने स्त्रियों पर थोपी हुई है। अधिकाँश नारियाँ इसका पालन करने को मजबूर होती हैं पर कुछ इस कृत्रिम बंधन का बहिष्कार भी करती हैं।
कदाचित, मर्द स्त्री पर ऐसी मर्यादा थोपने के लिए इसलिए भी मजबूर हो गया होगा क्योंकि उसकी मैथुन शक्ति नारी के बनिस्पत बहुत सीमित है। जहाँ मर्द सीमित सम्भोग कर सकता है वहीं स्त्री की सम्भोग शक्ति अपार होती है। सामान्य मर्द एक समय में दो या तीन बार से ज़्यादा सम्भोग नहीं कर सकता है पर स्त्री की थकान तथा सूजन के अलावा कोई सीमा नहीं है।
प्रकृति ने मर्द को बलवान बनाने के बाजजूद उसकी सम्भोग-क्षमता पर लगाम लगा रखी है जिससे प्रजनन पर काबू रहे। अतः यौन के सन्दर्भ में स्त्री मर्द से कई गुना अधिक समर्थ होती है।
दस से अधिक भागों में विस्तारित इस कथा की मु्ख्य पात्र है भारत के एक छोटे कस्बे से एक साधारण परिवार की साधारण सदस्या एक नवयौवना जिसका नाम है भोली!
मैंने वे कपड़े पहन लिए। इतने महँगे कपड़े मैंने पहले नहीं पहने थे… मुलायम कपड़ा, बढ़िया सिलाई, शानदार रंग और बनावट। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। चाची ने मेरे बालों में कंघी की, गजरा लगाया, हाथ, गले और कानों में आभूषण डाले और अंत में एक इत्तर की शीशी खोल कर मेरे कपड़ों पर […]
शगन कुमार दरवाज़े पर महेश और उसके साथियों को देख कर मैं घबरा गई। वे पहले कभी मेरे घर नहीं आये थे। मैंने अपने होशोहवास पर काबू रखते हुए उन्हें नमस्ते की और सहजता से पूछा- आप यहाँ? महेश की नज़रें आधे खुले दरवाज़े और मेरे पार कुछ ढूंढ रही थीं। मैं वहीं खड़ी रही […]
शगन कुमार मैंने चुपचाप अपने छेद को 3-4 बार ढीला करने का अभ्यास कर लिया। “याद रखना… हम एक समय में छेद को एक-आध सेकंड के लिए ही ढीला कर सकते हैं… फिर वह अपने आप कस जायेगा… तुम करके देख लो…” वह सच ही कह रहा था… मैं कितनी भी देर ज़ोर लगाऊं…छेद थोड़ी […]
शगन कुमार मुझे भोंपू के मुरझाये और तन्नाये… दोनों दशा के लंड अच्छे लगने लगे थे। मुरझाये पर दुलार आता था और तन्नाये से तन-मन में हूक सी उठती थी। मुरझाये लिंग में जान डालने का मज़ा आता था तो तन्नाये लंड की जान निकालने का मौक़ा मिलता था। मुझे उसके मर्दाने दूध का स्वाद […]
शगन कुमार मुझे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं थी। मैं खड़ी हो कर उससे लिपट गई। एक बार फिर मेरे नंगे बदन को उसके लिंग के छूने का अहसास नहीं हुआ… वह फिर से थक कर लटक गया था। मैंने अपना हाथ नीचे करके लिंग को हाथ में लिया और उसे प्यार से सहलाने लगी। […]
शगन कुमार कोई 4-5 बार अपना दूध फेंकने के बाद भोंपू का लंड शिथिल हो गया और उसमें से वीर्य की बूँदें कुछ कुछ देर में टपक रही थी। उसने अपने मुरझाये लिंग को निचोड़ते हुए मर्दाने दूध की आखिरी बूँद मेरे पेट पर गिराई और बिस्तर से उठ गया। एक तौलिए से उसने मेरे […]
शगन कुमार रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी। हरदम नितेश या भोंपू के चेहरे और उनके साथ बिताये पल याद आ रहे थे। मेरे जीवन में एक बड़ा बदलाव आ गया था। अब मुझे अपने बदन की ज़रूरतों का अहसास हो गया था। जहाँ पहले मैं काम से थक कर रात को गहरी […]
शगन कुमार मैं खाना गरम करने में लग गई। भोंपू के साथ बिताये पल मेरे दिमाग में घूम रहे थे। खाना खाने के बाद शीलू और गुंटू अपने स्कूल का काम करने में लग गए। भोंपू ने रात के खाने का बंदोबस्त कर ही दिया था सो वह कल आने का वादा करके जाने लगा। […]
शगन कुमार शायद उसे इसी की प्रतीक्षा थी… उसने धीरे धीरे सुपारे का दबाव बढ़ाना शुरू किया… उसकी आँखें बंद थीं जिस कारण सुपारा अपने निशाने से चूक रहा था और योनि-रस के कारण फिसल रहा था। मुझे समझ नहीं आ रहा था मुझे डर ज़्यादा लग रहा है या काम-वासना ज़्यादा हो रही है। […]
शगन कुमार थोड़ी देर बाद भोंपू ने दोनों टांगों और पैरों की मालिश पूरी की और वह अपनी जगह बैठे बैठे घूम गया। मेरे पीछे के पूरे बदन पर तेल मालिश हो चुकी थी। उसने उकड़ू हो कर अपने आप को ऊपर उठाया और मेरे कूल्हे पर थपथपाते हुए मुझे पलट कर सीधा होने के […]
लेखक : शगन कुमार अब उसने मेरे ऊपर पड़ी हुई चादर मेरी कमर तक उघाड़ दी और उसे अपने घुटनों के नीचे दबा दिया। मैं डरे हुए खरगोश की तरह अपने आप में सिमटने लगी। “अरे डरती क्यों है… तेरी मर्ज़ी के बिना मैं कुछ नहीं करूँगा, ठीक है?” मैंने अपना सर हामी में हिलाया। […]
भोंपू को कुछ हो गया था… उसने आगे खिसक कर फिर संपर्क बना लिया और अपने लिंग को मेरे तलवे के साथ रगड़ने लगा। उसका चेहरा अकड़ने लगा था और सांस फूलने लगी थी… उसने अपनी गति तेज़ की और फिर अचानक वहाँ से भाग कर गुसलखाने में चला गया… भोंपू के अचानक भागने की […]
बात उन दिनों की है जब इस देश में टीवी नहीं होता था! इन्टरनेट और मोबाइल तो और भी बाद में आये थे। मैं उन दिनों जवानी की दहलीज पर क़दम रख रही थी। मेरा नाम सरोजा है पर घर में मुझे सब भोली ही बुलाते हैं। मैं 19 साल की सामान्य लड़की हूँ, गेहुँवा […]