Hindi Sex Stories » काम-देवियों की चूत चुदाई
मेरे पास कोई असिस्टेंट ऑफिस के लिए नहीं था जिसके कारण मैं अपनी साइट से ऑफिस समय पर नहीं पहुँच पाता था, ऐसे में ऑफिस बंद रहने लगा.
मुझे अपने काम चिंता होने लगी तो मैंने छोटू से कहा- कोई लड़का या लड़की जो काम का इच्छुक हो और यहीं आसपास रहता हो, जो बारिश में भी ऑफिस आ सके, का इंतजाम करो ऑफिस के लिए, नहीं तो बहुत नुकसान हो रहा है!
दूसरे दिन सुबह छोटू ने बताया कि लीना आंटी ऑफिस में बैठने को तैयार हैं, बारहवीं तक पढ़ी लिखी हैं, ऑफिस के पास ही रहती हैं। अंकल नौकरी करते हैं तो वो दिन में फ्री रहती हैं।
मैंने आंटी सुनकर तुरन्त ही कह दिया- दोपहर बारह बजे भेज देना!
सोचा छोटू ने आंटी बोला है तो पैंतीस चालीस साल की तो होगी, फिर ऑफिस में फुर्सत का टाइम पास भी हो जायेगा, पहले भी कई महिलायें काम कर चुकी हैं और अपना काम करवा भी चुकी हैं।
मस्त बिंदास निश्चिंत होकर बिना किसी व्यवधान के मेरे रेस्ट रूम में से मैंने उनके मजे लिए है और उन्हें संतुष्ट करके मजे दिए हैं!
समय की कमी नहीं होती, 3 से 6 बजे मैं ऑफिस में ही रहता हूँ, कुछ महिलायें तो बड़ी जल्दी सेट हो जाती हैं, कई को सेट करने की जुगत लगाना पड़ती है, कुछ महिलायें इन कामों से दूर ही रहती है तो रोनी भी उनसे दूर ही रहता है, उन पर अपना समय व्यर्थ नहीं करता!
मंजू- रोनी, मैं तो तुम्हें बहुत ही भला इन्सान समझती थी, पर तुम तो बहुत चालू निकले। बहुत चाहते हुए भी मैंने भी तुमसे अपने दिल की बात नहीं बताई कि कहीं तुमने मेरी बात को नकार दिया तो मैं अपनी ही नजरो में गिर जाऊँगी। रोनी, तुम मुझे अच्छे लगते हो। और मैडम ने […]
एक दिन मैं ऑफिस में बैठा था शाम को हरिया के नंबर से फोन आया। मैंने उठाया तो किरण बोली- बाबू हरिया गांव गए कछु काम रही, आज चौकीदारी का कैसन करूँ? ठीक है मैंने कहा- देखता हूँ। फिर फोन बंद कर दिया। अब तक अँधेरा सा हो चला था। ऑफिस बंद करके साईट पर […]
दूसरे दिन साईट पर गया तो वहाँ का काम जिस द्रुतगति से चल रहा था। उसी गति से मेरा दिल गांव की गोरी किरण के हुस्न का दीवाना हुआ जा रहा था। मैं कमरे में जाकर दरवाजे लगाकर तख्त पर आराम करने लगा। तभी आंगन में मुझे चूड़ियों की खनक सुनाई दी। मुझसे रहा न […]
आप सभी को मेरी इस कहानी जिसमें कई कहानियाँ एक साथ हैं, पढ़ कर मजा आ रहा होगा। कहानी में सभी नाम और स्थान असली नहीं हैं, उन्हें परिवर्तित किया हुआ है। मजे में दिन यूँ ही निकलते गए। एक दिन शाम को लीना अपने घर जा चुकी थी, मैं भी ऑफिस बंद करने की […]
अब तक मैंने उसका साड़ी का पल्लू गिराकर उसके स्तनों पर कब्ज़ा कर लिया था। उन्हें पीछे से पकड़कर मसलने में अनुपम सुख मिलने लगा। मेरे लंड की हालत बिगड़ने लगी। वो खड़ा होकर लीना के नितम्बों को मेरी कमर से दूर धकेल रहा था। उसकी सिसकी छूटने लगी “स्सस्सस्स… सर… ये…क्या कर रहे हो… […]
दूसरे दिन ऑफिस की छुट्टी के कारण लीना को तो आना नहीं था, मैं सीधा साईट पर चला गया। फिर फुर्सत के समय में आकर ऑफिस खोल लिया। फिर लीना की चुदाई के लिए कोई युक्ति सोचने लगा। मुझे अब विश्वास हो गया की मेरा युक्ति कामयाब रही तो कल जरूर कुछ कर गुजरूँगा। आज […]
उसने काँपते हाथों से उन पैकेट को खोला तो उन ब्रा पैन्टी को देखकर बोली- सर ये तो बहुत ही सुन्दर और बिल्कुल नए फैशन की बहुत अच्छी हैं। ये तो मंहगी भी बहुत होंगी।
दूसरे दिन मैंने ऑफिस खोला ही था कि लीना आ पहुँची। वो सलवार सूट पहनकर आई थे, हरे रंग का सूट, उस पर लाल पीले फूल बने हुए थे, बिल्कुल सिम्पल सादे लिबास में उसकी असली खूबसूरती और भी निखरी हुई लग रही थी। मैंने उसे सारे काम एक बार फिर से समझा कर अपनी […]
मैं उससे एक एक सामान उठाने को कह रहा था जब वो झुककर उठाती तो उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल छातियों को गहराई तक देख देख कर मेरी छाती पर सांप लोट रहे थे।