जवानी का ‘ज़हरीला’ जोश-8
उसके जाने के गम का घाव अभी भरा भी नहीं था कि एक और सदमे ने मुझे हिलाकर रख दिया। अब मुझे भी दिन रात ये चिंता खाए जा रही थी कि कहीं मुझे भी तो...
मैं जवान होने लगा तभी मुझे पता लगा कि मैं लड़कों की ओर आकर्षित होता हूं लेकिन मैं गांव रहने वाला था तो अपनी भावनाओं को दबा कर बस मुठ मार कर काम चला लेता था। हालांकि मुझे अपनी समलैंगिक वृत्ति के बारे में यह पता नहीं था कि मुझे लड़कों के लण्ड को अपनी गाण्ड में डलवाने में मज़ा आएगा या अपने लण्ड को किसी लड़के की गाण्ड में डालकर उसको चोदने में।
उसके जाने के गम का घाव अभी भरा भी नहीं था कि एक और सदमे ने मुझे हिलाकर रख दिया। अब मुझे भी दिन रात ये चिंता खाए जा रही थी कि कहीं मुझे भी तो...
हम दोनों साथ बैठकर मूवी देखने लगे। मूवी काफी हॉट थी, हीरो की नंगी चेस्ट देखकर मेरे अंदर वासना जागने लगी... मैंने उसके शार्ट्स की तरफ देखा तो उसका लंड तना हुआ था, और फिर..
मैंने गगन से अपने रिलेशन से जुड़ी छोटी से छोटी बात भी नहीं छिपाई क्योंकि मैं उसको लेकर बहुत पज़ेसिव था। अब वो कई बार जब दूसरे लड़कों की बातें करता तो मुझे जलन होने लगती थी, मुझे लगता था कि वो सिर्फ मेरा है।
मेरे ऑफिस की नेहा मेरे साथ सेक्स करना चाहती थी लेकिन मैं खुद को इसके लिए तैयार नहीं कर पाया मेरे अंदर वो फीलिंग नहीं आई। लेकिन इसमें नेहा की कोई गलती नहीं क्योंकि उसे नहीं पता था कि मैं लड़कियों में रुचि नहीं रखता हूं।
पुराना ऑफिस छोड़ने के बाद नए ऑफिस में मेरी दोस्त बनी नेहा ने मुझे बीयर पिला दी। नशे में उसने अपनी ब्रा और पैंटी भी उतार दी और मेरे ऊपर आकर चढ़ गई, उसने मेरी उंगलियां अपनी चूत में डलवा लीं.
भूषण देखने में तो हैंडसम था ही आज मैं उसका लंड भी देख चुका था। अब उसके लिए प्यार वाली फीलिंग आनी शुरू हो गई थी। जबकि वो प्यार नहीं था इस बात का अंदाज़ा अब मुझे आसानी से हो जाता है।
वो सेक्सी मर्द टांगें चौड़ी करके पेशाब कर रहा था, उसका एक हाथ पीछे कमर था और दूसरा नीचे लंड की तरफ। मैं उसके बगल वाले पॉट पर जाकर मूतने की एक्टिंग करते हुए उसके लंड को देखने की कोशिश करने लगा।
रोज़ कईयों के लंड को सहलाकर आता था। कोई हाथ हटवा लेता तो किसी का खड़ा हो जाता। वो भी मज़े ले लेता। मेरी गांड को दबाने लगता, कंधों को सहलाते हुए मेरी निप्पल्स को टटोलने की कोशिश करता, मुझे भी अच्छा लगता था।