जबलपुर की ममता की अतृप्त वासना

यह कहानी ऑफिस के मेरे दोस्त की है जिसने नया-नया कंप्यूटर चलाना सीखा था. कंप्यूटर के साथ वह इंटरनेट पर भी हाथ आजमाने लगे थे. एक दिन उनको एक नई दोस्त भी मिल गई. फिर क्या हुआ?

जबलपुर की ममता की अतृप्त वासना -4

मैं बेरहम बनकर जंगली चुदाई का मन बना चुका था। उसकी बात को अनसुना करके एक बार पूरा लण्ड निकाला और फिर से एक झटके से पूरा चूत में उतार दिया।

जबलपुर की ममता की अतृप्त वासना -3

मैंने उसके ऊपर लेट कर उसके लबों को चूमना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में किस और उसकी चूची के मसलने का नतीजा सामने आया.. उसकी गांड उछलने लगी.. अब वो मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से दबाने और मसलने लगी थी।

जबलपुर की ममता की अतृप्त वासना -2

वो कमर उठा-उठा कर मुझे बुला रही थी। मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी.. अब वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने थी। मैं गौर से उसके जिस्म को देख रहा था। नारी सौंदर्य सच में ऐसा होता है.. कंचन सी कोमल सी काया.. गोरी-गोरी त्वचा..

जबलपुर की ममता की अतृप्त वासना -1

यह कहानी जबलपुर की ममता और मेरे दोस्त मुंबई के राजीव जी की है जो फेसबुक में मिले और अंत में दोनों ने ही सम्भोग की परम संतुष्टि को प्राप्त किया...

Scroll To Top