चाची चार सौ बीस-3
जवान चूत जितना पिटती थी उतनी ही और जोर से लण्ड खाना चाह रही थी। मेरे चुदने की तमन्ना चाची ने पूरी करवा दी थी। फिर तो जी भर कर मैंने अंकल का लण्ड खाया और फिर अपने आप को रोक नहीं पाई...
मेरे चाचा जब घर पर नहीं होते थे उनकी गैरमौजूदगी में एक अंकल मेरी चाची के पास आते थे और उनके लिए तोहफे भी लाते थे. जब मुझे उनके चक्कर की भनक लगी तो मेरे साथ क्या हुआ?
जवान चूत जितना पिटती थी उतनी ही और जोर से लण्ड खाना चाह रही थी। मेरे चुदने की तमन्ना चाची ने पूरी करवा दी थी। फिर तो जी भर कर मैंने अंकल का लण्ड खाया और फिर अपने आप को रोक नहीं पाई...
‘यशोदा … सो गई क्या?’ ‘उंह्ह … चाची, क्या है? ओह, खाना लग गया क्या?’ ‘देख अंकल तुझे कुछ कहना चाह रहे हैं।’ फिर चाची पीछे मुड़ी और जाने लगी। अंकल ने तुरन्त चाची का हाथ पकड़ लिया, चाची रुक गई। ‘अंकल आप तो नंगे हैं !’ मैं जान करके हंस पड़ी। उनका लण्ड सख्त […]
चाची ने मेरे दोनों हाथ ऊपर खींच कर दबा दिये। अंकल मेरी टांगों की तरफ़ आ गये और उन्हें पकड़ कर दोनों और चौड़ा दिये। मेरी चूत खुल गई। अंकल का लण्ड हाय राम ...