बावले उतावले-3
मैं अपनी चचेरी बहन को उसके मामा के लड़के के साथ चोद रहा था कि "क्यों बे हरामखोरो ... क्या हो रहा है ये?" अचानक ये आवाज़ हमारे कानों में पड़ी। ये भाभी की आवाज थी.
अठारह का हो चुका था तो लुल्ली सर उठाने लगी थी. चूत का कोई इंतजाम नहीं था तो मुठ से काम चल रहा था. लेकिन चूत का मजा तो चूत ही दे सकती है.
मैं अपनी चचेरी बहन को उसके मामा के लड़के के साथ चोद रहा था कि "क्यों बे हरामखोरो ... क्या हो रहा है ये?" अचानक ये आवाज़ हमारे कानों में पड़ी। ये भाभी की आवाज थी.
मैं अपनी चचेरी बहन के साथ चुम्मा-चाटी करके और उसके चूचे मसल कर मजा ले रहा था. वो भी मेरी लुल्ली पकड़ कर मुठ मारा देती थी. मैं उसे चोदना चाहता था लेकिन ...
मैं 18 पार कर चुका था, खून में गर्मी कुछ ज़्यादा ही है तो लुल्ली उठने लगी थी, दिल फुद्दी मारने को करता था। गर्मी की छुट्टियों में गाँव गया तो मैंने अपनी चाचा की लड़की को देखा तो ...