अनजानी और प्यासी दिव्या-2
जैसे-जैसे उसकी कमीज ऊपर की ओर सरकती.. वैसे-वैसे उसका दूध सा गोरा बदन मेरे आँखों में कैद होता जा रहा था। मैं उसकी इस अफलातून जवानी को अपने आँखों से पीने के साथ साथ होंठों से प्यार भी कर रहा था।
दिवाली पर मुझे अपने घर जाना था। भीड़ के चलते ट्रेन में टिकट नहीं मिला तो मैं बस से ही चल पड़ा। इस सफर के दौरान मुझे 28 साल की एक लड़की मिली। जिसे मैंने पटाकर चलती बस में ही चोद दिया। इस तरह मेरा लम्बा सफर भी आसानी से कट गया।
जैसे-जैसे उसकी कमीज ऊपर की ओर सरकती.. वैसे-वैसे उसका दूध सा गोरा बदन मेरे आँखों में कैद होता जा रहा था। मैं उसकी इस अफलातून जवानी को अपने आँखों से पीने के साथ साथ होंठों से प्यार भी कर रहा था।
स्लीपर बस में रात में मेरी नजर एक हसीं कली पर पड़ी, वो मुझे ही देख रही थी मेरे लंड ने हलचल शुरू कर दी। कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने एक अनजानी को जानी पहचानी बनाया!