अगर खुदा न करे… -6
हमारे कमर के नीचे कपड़े क्रमशः ही खुले, साए की डोर और पैंट की चेन एक साथ खुले, पैंटी और चड्डी की साथ-साथ विदाई हुई, जैसे दूल्हा और दुल्हन साथ विदा होकर जा रहे हों।
मेरी उम्र 45 साल है और मेरी पत्नी मुझसे आठ साल छोटी है. हमारे बच्चे भी बड़े – बड़े हैं. लेकिन मेरा बहुत दिनों से एक ख्वाब था कि मैं किसी दूसरी महिला के साथ सोऊं और अपनी पत्नी को किसी पराए मर्द के साथ सुलाऊं. मेरी इस कहानी में आप पाएंगे कि कैसे मैंने ये सब किया.
हमारे कमर के नीचे कपड़े क्रमशः ही खुले, साए की डोर और पैंट की चेन एक साथ खुले, पैंटी और चड्डी की साथ-साथ विदाई हुई, जैसे दूल्हा और दुल्हन साथ विदा होकर जा रहे हों।
असल काम की घड़ी, वर्षों प्रतीक्षा की घड़ी, मेरी पतिव्रता बीवी के व्यभिचार की घड़ी, उसकी योनि में परपुरूष के प्रवेश की घड़ी… मैं - उसका पति - उत्साह से उसकी योनि के होंठों को फैलाकर उसके शीलभंग में मदद कर रहा था।
प्रकाश पैंटी को हटाने की संकोच सहित कोशिश कर रहा था, अंजलि अपने पाँव कसे थी, वह बेचारा उसे कमर से भी ठीक से खिसका नहीं पाया था। अंजलि उसके हाथ पकड़ ले रही थी या पैरों से ठेल दे रही थी।
मुझे गर्व हुआ। यह तेज साँस छोड़ती, मेरे होंठों के नीचे उम्म उम्म करती, उड़हुल की तरह चेहरा लाल कर रही औरत मेरी है। वह जितना असहाय हो रही थी उतनी ही मुझे उत्तेजना हो रही थी।
मैंने उसे फिर चूमा, इस बार दोनों हाथों से उसका चेहरा पकड़कर देर तक चुम्बन दिया। वह मेरे चुम्बन को पहचान गई और तब उसको लग गया कि साए के अंदर घुस गया हाथ दूसरे का है, उसको पाँव से ठेलने लगी।
अपनी खूबसूरत पत्नी को किसी दूसरे मर्द की बाँहों में देखने की कल्पना! वह उसके गोरे सुंदर शरीर को अनावृत करे, उसके अंगों को, जिनका सौंदर्य अबतक केवल मैंने देखा है, उसकी नजरों के सामने आएँ; वह उनका संचालन करे, उसके सु्ंदर गोल बड़े स्तनों, उन पर सजे साँवले चूचुकों का चुम्बन, चूषण, मर्दन करे...