अब तो मेरी रोज़ गांड बजती है-5
मैंने पैन्ट खोल कर टेबल से सामान हटाया कुहनियाँ टिका कर घोड़ी बन गया। उसने गीला करके लुल्ला घुसा दिया और दस मिनट मुझे फुल चोदा।
जिस्म से तो मैं लड़का हूँ मगर मेरे शौक लड़कियों वाले हैं. जहां लड़कियाँ लंड के सामने सौ नखरे करती हैं वहीं मुझे प्यासे लंड को तरसाना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता, चाहे किसी का भी हो बस मिल जाए.
मैंने पैन्ट खोल कर टेबल से सामान हटाया कुहनियाँ टिका कर घोड़ी बन गया। उसने गीला करके लुल्ला घुसा दिया और दस मिनट मुझे फुल चोदा।
आज तो लंड मेरे खुद के बिस्तर पर था, वो भी मुझे सोता हुआ समझ कर मुझ पर हाथ फेर चुका था। अगले दिन वो मुझे शरारत वाली नजर से देख रहा था।
मुझे लगा भी कि अब वो सारा डर छोड़ कर मुझे बाँहों में भर लेगा और मेरे नंगे जिस्म की तारीफ करते ही मुझ पर सवार हो जाएगा, लेकिन वो झिझक रहा था।
बदन पर सिर्फ नाम की एक फ्रेंची थी, वो भी काले रंग की जिसमें मेरा गोरा जिस्म और आकर्षक दिख रहा था, चूतड़ों पर भी फ्रेंची आधी चिपकी थी और बाक़ी गांड के चीर में फँसी थी।
मैं सोचता हूँ कि अगर मैं लड़की होती, तो चालू बनती, कई आशिक बनाती, स्कूल कॉलेज में बदनाम होती और जब औरत बनती, तो गैर मर्दों से चुदवाती मतलब फुल करेक्टर-लैस होती।