ये चूत मांगे मोर- 3

(Nude Virgin Hot Sex Kahani)

सनी वर्मा 2023-05-14 Comments

न्यूड वर्जिन हॉट सेक्स कहानी में पढ़ें कि नपुंसक पति ने अपनी कुंवारी बीवी की अन्तर्वासना तृप्ति के लिए एक जिगोलो का प्रबंध किया और सारा खेल खुद देखा.

कहानी के दूसरे भाग
नपुंसक पति की दुल्हन की वासना
में आपने पढ़ा कि

विशाल ने अपनी उँगलियाँ उसकी फाँकों के अंदर घुसा दीं और अंदर बाहर करने लगा। विशाल अब सारिका की टांगों के ऊपर बैठ कर ऊपर से नीचे अपने हाथ फिराने लगा।
सारिका छटपटा रही थी; उसके हाथ की मुट्ठियाँ भिच रहीं थीं।
शायद उसे विशाल के लंड की तलाश थी।

अब आगे न्यूड वर्जिन हॉट सेक्स कहानी:

विशाल ने सारिका से फुसफुसाकर पूछा- मैडम, कैसा लग रहा है? रुकूँ या और करूँ?
सारिका कसमसा कर बोली- रुकने का नाम मत लो।

विशाल ने पूछा कि अगर आप चाहें तो बॉडी टू बॉडी मसाज दूँ।
सारिका ने ये सुनकर अपनी बाहें फैला दीं और विशाल की टीशर्ट उतार फेंकी।

अब विशाल ने अपनी चौड़ी छाती पर तेल डाला और आहिस्ता से सारिका के ऊपर लेट कर फिसलने लगा।
उसका मजबूत लंड बरमूडा के अंदर से ही सारिका की चूत के ऊपर मचल रहा था।

कुछ ही मिनटों में सारिका ने विशाल से कहा- इसे भी उतार दो, पर अंदर मत करना।

अब तो विशाल ने पूरे शरीर पर तेल डाला और वापिस सारिका के शरीर पर ऐसे फिसलने लगा जैसे तैर रहा हो।

सारिका की आहें निकालने लगीं।

विजय भी दरवाजे की ओट से सब कुछ देख रहा था।

सारिका ने विशाल का लंड पकड़कर अपने मुंह में ले लिया और लपर लपर चूसने लगी।

विशाल ने भी अपनी उँगलियों से सारिका की चूत का पानी कई बार निकाल दिया।

सारिका उससे चुदना चाह रही थी।

विशाल समझ गया; उसने कहा- मैडम, कंडोम है मेरे पास, अगर कहें तो यूज करूँ?
सारिका उछल गयी, बोली- हाँ जल्दी से लगा लो और अंदर आ जाओ।

विशाल ने अपने बैग से कंडोम निकाला।
सारिका ने उससे वो कंडोम ले लिया और पैकेट खोलकर खुद विशाल के लंड पर चढ़ा दिया।

विशाल ने एक नए सिरे से नयी पारी की शुरुआत की।
उसने काफी मात्रा में तेल सारिका की गर्दन से नीचे टांगों पर और अपनी छाती पर डाला और सारिका के घुटनों पर बिना वजन डाले बैठते हुए दोनों हाथ आगे फैलाकर उसकी कमर से गर्दन तक मालिश करने लगा।

जब वो मम्मों के पास से हाथ ऊपर ले जाता तो गोलाइयों को गोल गोल करके मसल देता।
उसने फिर सारिका की फाँकों के बीच में उँगलियाँ घुसते हुए दाने को खूब रगड़ा।

अब सारिका उससे मिन्नतें करने लगी कि एक बार अंदर आ जाओ, फिर बाद में जो करना है वो करते रहना!

विशाल उसे और गर्म करना चाहता था; वो सारिका के चिकने बदन पर पूरा फिसलने लगा।
अब उसका लंड बार बार चूत पर रगड़ मारता हुआ आगे पीछे हो जाता।

सारिका की कसमसाहट बढ़ती गयी और जब आहें और कामाग्नि बेकाबू हो गयी तो सारिका ने अपने हाथ से उसका लंड पकड़ लिया और अपनी चूत पर रख दिया और विशाल से बोली- घुसा दो इसे अंदर!

विशाल ने भी अब और तड़फना अच्छा नहीं समझा। उसका हल्का सा धक्का लगा और तना हुआ लंड सीधे सारिका की चिकनी चूत में घुस गया।

हालांकि सारिका की चूत पूरी चिकनी पड़ी थी पर किसी असली मर्द का तना हुआ लंड पहली बार उसकी चूत में घुसा था तो सारिका चीख उठी।
सारिका ने अपने लंबे नाखून विशाल की कमर में गड़ा दिये।
वह विशाल से चिपट गयी।

विशाल ने अब धीरे धीरे धक्के शुरू किए। उसने सारिका की दोनों टांगें ऊपर करके चौड़ाईं और फैला कर उसकी चुदाई शुरु की और स्पीड बढ़ता गया।

सारिका तो पागल हो रही थी; उसे ज़िंदगी का चरम सुख प्राप्त हो रहा था।
वह अब चुदाई में विशाल का पूरा साथ दे रही थी और गंदी भाषा में उसे उकसा रही थी।

वो विशाल से बोल रही थी- जानू, मजा आ गया. मेरी चूत मस्त हो गयी. और ज़ोर से करो … क्या दम नहीं है … अरे भड़वे … और ज़ोर से पेल फाड़ दे मेरी चूत को!

विशाल पूरे दमखम से उसे चोद रहा था पर सारिका की गर्मी थम ही नहीं रही थी।
सारिका ने अब विशाल को नीचे किया और खुद चढ़ गयी उसके ऊपर और लगी ज़ोर ज़ोर से उछलने।

विशाल की भी ज़िंदगी में एसी चुदासी लड़कियां कम ही आयी थीं।
वरना और तो दस पाँच धक्कों में ही टें बोल जाती थीं।

विशाल ने सारिका के मम्मे मसल मसल कर लाल कर दिये थे।

सारिका की बड़बड़ाहट बढ़ती जा रही थी, वह पागलों जैसे बदहवास होकर विशाल के ऊपर उछल रही थी।

अब दोनों का ही होने वाला था।
सारिका ज़ोर से उछलते हुए विशाल की छाती पर पसर गयी।
उसका काम हो गया था।

विशाल ने अब उसे नीचे किया और फिर अपनी फ्रंटियर मेल चालू कर दी।
सारिका अब थक गयी थी.

विशाल ने भी एक झटका मारा और सारा माल कंडोम में निकाल कर वो भी निढाल होकर एक ओर पड़ गया।
कुछ मिनट बाद सारिका उठी और वाशरूम चली गयी।

शो खत्म हो चुका था।
विजय भी कमरे में आ गया था।

विशाल ने अपना कंडोम उतारकर डस्टबिन में डाला और कपड़े पहन लिए।

विजय ने विशाल को पैसे दिये।

सारिका वाशरूम से कपड़े पहन कर आ गयी थी।
उसने विशाल को मुसकुराकर थैंक्स बोला।
विशाल चला गया।

विजय ने सारिका से कुछ बात करने की कोशिश भी की तो सारिका बस उसे थैंक्स कहकर और गुड नाइट कहकर बिस्तर में घुस गयी।

अगले दिन शाम को उन्हें वापिस जाना था।

विजय ने बिना सारिका से पूछे विशाल को एक बार दोपहर को बुलाने के लिए फोन किया तो मालूम पड़ा कि उसे तो सुबह से तेज बुखार है।

खैर आज उसकी और सारिका की कोई खास बात नहीं हुई.
पर सारिका खुश थी।
उसने दोपहर को खूब शॉपिंग भी की।

देर शाम तक दोनों वापिस घर आ गए।
रात को बिस्तर पर जब विजय ने सारिका के नजदीक आने की कोशिश की तो सारिका ने उसे झिड़क दिया और कहा- कल पूरा मंजर तुमने देख ही लिया, इसे चुदाई कहते हैं और मुझे अब ये ही चाहिए। अगर तुम नहीं कर सकते तो किसी और का इंतजाम करो या मैं खुद कोठे पर बैठ जाती हूँ।

विजय उसकी बात सुन कर घबरा गया।
उसने सारिका को प्यार से समझते हुए कहा- मुझे कुछ समय दो.

विजय का कारोबार साझेदारी में था।
उसका पार्टनर अनुज भी उसी की उम्र का और खासा हैंडसम पढ़ा लिखा युवक था।

वो काफी समय जर्मनी रहता जहां इनकी फर्म का काफी एक्सपोर्ट था। विजय और अनुज का जर्मनी में भी एक ऑफिस था, जहां अधिकतर अनुज ही आता जाता रहता था।
सही मायनों में विजय का व्यापार जर्मनी में अनुज ही चलाता था। एक्सपोर्ट के काम में बहुत बड़ी रकम अनुज की लग रही थी।

अनुज की शादी तो दो साल पहले हो गयी थी पर किन्हीं कारणों से अनुज और उसकी बीवी की बनी नहीं और अब उसकी बीवी अपने मायके में ही रहती थी।
तलाक की बातचीत चल रही थी दोनों परिवारों में!

इस बार अनुज ने विजय से हिसाब में कुछ फर्क बताते हुए नाराजगी जाहिर की थी।
अनुज के अनुसार विजय ने कुछ खरीद महंगी करी थी जिससे फ़र्म को कई करोड़ की खरीद महंगी हो गयी थी।
कोई सबूत नहीं था तो अनुज ज्यादा कुछ नहीं कह पाया।
सारा हिसाब दो नंबर का था।

विजय भी अनुज से अपने संबंध ठीक करना चाहता था या कहें तो उस पर काबू करना चाहता था, तो उसने दिमाग में एक प्लान बनाया।

उसने अनुज को घर पर डिनर पर बुलाया अगले दिन!
सारिका अनुज से मिल चुकी थी और उससे प्रभावित थी।

विजय ने रात को सारिका को बेबाकी से कह दिया कि जो सारिका ने उससे मांगा है उसके लिए उसके पास एक प्लान है और कुछ शर्तें हैं।
सारिका शर्तों की बात सुन कर तुनकी.

तो विजय ने मर्दाना रुख अख़्तियार करते हुए कहा कि ठीक है कि उसके अंदर कमी है पर सारिका को ज्यादा उड़ने की जरूरत नहीं है। उसे जो ऐशो आराम यहाँ मिल रहा है, वो कहीं नहीं मिलेगा। वो चाहे तो तलाक ले ले।

अब सारिका को भी जमीन नजर आई।
वो चुप रही।

विजय ने उसे समझाया कि रोज रोज विशाल जैसे आदमी को बुलाने से आज नहीं तो कल बात खुल जाएगी और फिर उनके परिवार की बहुत बदनामी होगी। तो क्यों न सारिका अनुज को पटा ले।

आगे विजय ने अपनी शर्तें बताई:
अनुज को यह लगना चाहिए कि यह सब विजय को मालूम नहीं है और इस तरह से सारिका अपनी जिस्म की भूख मिटा ले।
पर सारिका कोई बात विजय से छिपा कर नहीं करेगी और विजय से नर्मी से और प्यार से पेश आना होगा और उनके बीच भी जैसे भी हों शारीरिक संबंध बना करेंगे, सारिका उसमें सहयोग करेगी। सारिका कभी किसी गैर मर्द के बच्चे की माँ नहीं बनेगी; चाहे उन्हें बच्चा गोद लेना पड़े।
सारिका अनुज को अपने पूरे चंगुल में रखेगी ताकि अनुज विजय को व्यापार में दिक्कत पैदा नहीं करे, पर किसी भी हालत में विजय की बिना जानकारी के अनुज से नजदीकी न बनाएगी।

यह सब सुनकर सारिका बोली- तुम अपनी बीवी के जिस्म का सौदा करना चाहते हो?
विजय फिर गरजा- मैं नहीं, तुम अपने जिस्म की भूख कैसे भी मिटाना चाहती हो। अगर शादी के बाद मेरा कोई एक्सिडेंट हो जाता तो भी क्या तुम कोठे पर बैठने की बात करती। ये तो मैं हूँ जो तुम्हारी भावनाओं को समझते हुए तुम्हें छूट दे रहा हूँ। आगे तुम्हारी मर्जी!

सारिका पूरी रात सोचती रही।
विजय सो गया।

आधी रात के बाद सारिका विजय से लिपट कर उसे चूमते हुए बोली- मुझे तुम्हारी सारी बातें मंजूर हैं। तुम बहुत अच्छे हो, पर मैं भी जिस्म के आगे मजबूर हो रही हूँ। कोशिश करूंगी कि सब ठीक ठाक चले।

अगली रात तो अनुज डिनर पर आया।

सारिका ने बहुत सेक्सी ब्लाउज़ पहना था; उसकी क्लीवेज और पूरी पीठ कयामत ढा रही थी।

अनुज और विजय ड्रिंक्स लेकर बैठे।
विजय के कहने पर सारिका ने भी छोटा पेग ले लिया।

अनुज की निगाहें सारिका से हट ही नहीं रही थीं।
और सारिका भी उसे पूरा भाव दे रही थी।

सारिका तो एक पेग के बाद डिनर की तैयारी का बहाना करके हट गयी पर विजय और अनुज देर तक पीते रहे।

बीच में सारिका ने उन्हें कई बार टोका कि अब हो गया पीना, डिनर ठंडा हो रहा है।
पर विजय आज मूड में था तो उसने अनुज से काफी ज्यादा पी ली और वो खासे नशे में हो गया।

अनुज सलीकेदार था तो उसने बहुत कम पी, जैसा वो अन्य पार्टियों में पीता था।

खैर जैसे तैसे सारिका ने विजय को डिनर टेबल तक पहुंचाया।
विजय ने बहुत कम खाया।
वो तो नशे में अनाप शनाप बोल रहा था।

पर हाँ, सारिका ने अनुज की आवभगत में कोई कसर नहीं छोड़ी।

अनुज भी सारिका के बनाय खाने की बहुत तारीफ कर रहा था।

डिनर खत्म होते होते रात के 12 बज गए।
अनुज जाना चाहता था पर सारिका ने उसे इसरार करके रोक लिया कि अभी वो कॉफी बना रही है, पीकर ही जाये।

अनुज ने जिद की तो सारिका ने एक ऐसा दाव मारा जिसका अनुज के पास कोई जवाब नहीं था।
सारिका उससे बोली- घर पर कौन तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है, कम से कम यहाँ तो एक जवान लड़की की कंपनी है तुम्हें!
अनुज मुस्कुराकर रह गया।

उसने कहा- ठीक है, चलो मुझे कॉफी दो फेंटने के लिए, इस बीच आप टेबल समेट लो।
विजय तो उनसे माफी मांग कर बेड रूम में चला गया।

सारिका भी कॉफी बना लाई।

इस बीच में अनुज ने सारिका से पूछ कर सिगरेट जला ली।
दोनों बैठ गए।

सारिका ने अनुज से सिगरेट लेकर एक दो सुट्टे मार लिए।

अनुज ने कहा कि वो उसके लिए दूसर्री सिगरेट जला देता है तो सारिका ने मुस्कुराकर कहा कि वो अब नहीं पीती, बस हॉस्टल लाइफ की याद ताज़ा कर रही है।

सारिका ने अनुज की दुखती रग पर हाथ रख कर पूछा- तुम दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेते?
अनुज फीकी हंसी हंस कर बोला- अब प्यार से विश्वास उठ गया।

सारिका ने कहा- ऐसा नहीं होता, ज़िंदगी अकेले कटनी बहुत मुश्किल है।
अनुज बोला- तुम जैसी खूबसूरत कोई मिल जाएगी तो कर लूँगा।

सारिका शर्मा कर लाल हो गयी।
अनुज उठकर सारिका के बगल में बैठ गया।

सारिका का दिल धड़क रहा था, जैसे आज वो पहली बार किसी लड़के के साथ डेट पर हो।
उसे लग रहा था कि अब वो बहक जाएगी और कुछ गलत हो जाएगा।

अनुज ने थोड़ा और करीब आकर सारिका का हाथ अपने हाथ में ले लिया और कहा- तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। क्या विजय तुम्हें खुश रखता है?

बस इतने में ही दोनों ओर का बांध टूट गया।
सारिका बेल की तरह अनुज से लिपट गयी, दोनों के होंठ मिल गए।
अनुज ने सारिका को कस के भींच लिया।

तभी बेडरूम से विजय की लड़खड़ाती आवाज आई- सारिका तुम कहाँ हो, क्या अनुज चला गया?
तभी कुछ आवाज हुई, लगा विजय ने कुछ गिराया था।

दोनों एक झटके में अलग हुए।
सारिका भागती हुई बेडरूम में गयी तो देखा विजय बेड पर बैठा हुआ था, उससे पास रखा लैम्प गिर गया था।

विजय बोला- सॉरी डार्लिंग, आज ज्यादा हो गयी। अनुज को भी बुरा लगा होगा।
सारिका बोली- अनुज बस जा ही रहा है।

तभी अनुज कमरे में आया।
विजय ने उसे भी सॉरी बोला।

अब अनुज के सामने वापिस जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।
वो जाने लगा, सारिका उसे छोड़ने गेट तक गयी।

बाहर गैलरी में दोनों एक बार फिर चिपट गए और एक दूसरे को चूम कर बाय कहा।

जब सारिका रूम में आई तो विजय मुस्कुरा रहा था।
सारिका उससे गुस्सा हुई कि ये क्या तमाशा है।
विजय बोला- अगर आज ही सब कुछ हो जाता तो आग कहाँ भड़कती। आज चिंगारी लगी है, आग भड़कने दो … फिर मजा आयेगा। अब कपड़े उतार कर मेरे पास आ जाओ।

हालांकि सारिका का मूड ऑफ था, पर विजय से तय शर्त के हिसाब से उसे विजय का साथ देना था।

और फिर सारिका भी मानती थी कि भले ही विजय उसे सेक्स की खुशी नहीं दे पाता हो पर वो उससे बेहद प्यार करता है और उसे खुश देखने के लिए कुछ भी कर सकता है।

सारिका वाश रूम में गयी और फ्रेश होकर बिना कपड़ों के ही बेड पर आ गयी और विजय से चिपक कर सो गई।

प्रिय पाठको, आपको इस न्यूड वर्जिन हॉट सेक्स कहानी में आपको खूब मजा मिला होगा.
अगला भाग और वासनामय होगा.
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न्यूड वर्जिन हॉट सेक्स कहानी का अगला भाग: ये चूत मांगे मोर- 4

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