गोवा में मुठ मारने का झूठ

(Goa Me Muth Marne Ka Jhuth)

दोस्तो, मैं नीलेश अपनी पहली कहानी लिखने जा रहा हूँ.. यह कहानी मेरी और मेरे दोस्तों के बीच की है.. जो शायद इस कहानी के बाद मेरे दोस्तों को पता चलेगी।

यह कहानी मेरे दोस्त भूषण की है। हम जब गोवा गए थे तो वहाँ भूषण एक मसाज पार्लर में कुछ करवाने के लिए 3 हज़ार लेकर गया था और जब वापस आया तो कह रहा था कि यार पैसे तो गए और हाथ से ही मुठ मारनी पड़ी।

मैं उसका चेहरा देखते ही समझ गया था कि यह झूठ बोल रहा था।

जब मैंने रात को उससे पूछा- क्या हुआ था?
उसने जवाब दिया- किसी को मत बताना।
मैंने कहा- ओके..

उसने अपनी बात कहनी शुरू की।

वो बोला- जब मैं तुम सब लोगों से अलग हो कर पार्लर की ओर गया.. तो मुझे वहाँ एक दलाल मिला।
मुझे देखते ही वह समझ गया था कि मैं चूत का प्यासा हूँ।

वो मेरे पास आया और 3 लड़कियों की फोटो दिखाईं.. उनमें से एक देखने लायक थी.. तो मैंने उसे पसंद किया और वो मुझे एक कमरे में ले गया जहाँ उनका मसाज का काम चलता था।

वहाँ सी.सी. टीवी कैमरे लगे थे.. पर वो बंद थे।

वो लड़की आई.. उस लड़की ने मुझे सिर्फ़ अंडरवियर पर उल्टे लेटने के लिए कहा.. तो मैंने भी मज़ाक में कह डाला कि तुम कब लेटोगी..
तो वो हँस पड़ी।

मैं टेबल पर उल्टा पड़ा हुआ था.. उसने एक तेल की बोतल ली और सारा तेल मेरे पीछे के हिस्से पर डाल दिया और अपने मुलायम हाथों से मालिश करने लगी।

जैसे-जैसे उसका नर्म हाथ मेरे पैरों से जाँघों की तरफ जा रहा था.. मेरा लण्ड टेबल तोड़ने को कर रहा था।

वो धीरे-धीरे मेरी जाँघों के बीच में तेल लगाए जा रही थी और मैं कामोत्तेजना से तड़प रहा था।

पैरों की मालिश के बाद अब पीठ की बारी थी.. पीठ मसलने के बाद जब उसने मुझे पलटने को कहा.. तो मैंने कुछ वक्त माँगा।

वो समझ गई कि मेरा लिंगराज जाग गया है।

वो कुछ देर बाहर से घूम कर आई.. तब तक मेरा तंबू सपाट हो चुका था।

उसने गर्दन से मेरी मालिश करनी शुरू की।
पहले तो मुझे गुदगुदी हुई और उत्तेजना भी पर लंड खड़ा ना हो जाए इसलिए मैं कुछ और सोचने लगा।
पर लंड तो आख़िर लंड है.. उसकी मुलायम हथेलियों से तो मैं पिघल ही गया।

उसका एक हाथ मेरे पेट पर था और लंड का तंबू बना था।
मुझे लगा अब शायद इसे हाथ में लेगी.. पर उसने ऐसा नहीं किया।

अब उसने पैरों की तरफ बढ़ना शुरू किया और ऐसा करते हुए पूरे बदन की मालिश कर दी।

मैंने हिम्मत करके पूछा- क्या मेरे छोटूमल की मालिश नहीं होगी?
उसने हँसते हुए कहा- उसके 1000 ज़्यादा लगेंगे।

मैं कामवासना में इस तरह लिप्त हो गया था कि 1000 क्या 5000 भी कहा होता तो दे देता।
मैंने उससे कहा- ठीक है।

मैंने 500 के 2 नोट उसको दिए.. उसने मुझे आँखें बंद करने के लिए कहा तो मैंने आँखें बंद की.. पर पूरी नहीं।

उसने लाइट डिम की और वो अपने कपड़े उतारने लगी.. तो मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा- यह तो मेरा काम है।

मैं उसके कपड़ों को एक-एक कर उसके शरीर से कम करता गया।
अब वो मेरे सामने सिर्फ़ गुलाबी ब्रा और पैंटी में थी।
उसे देख कर मेरा बुरा हाल था।

उसने मुझसे कहा- जल्दी करो, वरना मालिक चिल्लाएगा।

मैंने उसके कुछ और कहने से पहले उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और पागलों की तरह चूसने लगा।
वो भी मेरा लण्ड देखकर काफ़ी उत्तेजना में थी।
हम खड़े-खड़े ही एक-दूसरे को किस करते रहे।

अब मैंने उसे टेबल पर लिटाया और उसके मम्मों को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा, वो ‘आह.. आह..’ की आवाज़ निकल कर मुझे मदहोश कर रही थी।

मैं और भी उत्तेजित हो गया, अब मेरा एक हाथ उसके मम्मों पर और एक उसकी चूत पर था।

मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उठ कर पैन्ट की जेब से कन्डोम का पैकेट निकाला और लौड़े पर लगाया लिया, वो मुझसे कहे जा रही थी- राजा जल्दी से आ जा।

मैं भी कहाँ रुकने वाला था.. मैंने लंड को उसकी चूत पर रखा और एक धक्का लगाया और 2 या 3 धक्कों में ही वो मेरे लंड को पूरा निगल गई।
मैं एक हाथ से उसके मम्मों को दबा रहा था और एक से उसके होंठों के साथ खेल रहा था।

थोड़ी देर की लड़ाई के बाद मैं झड़ने वाला था और वो भी आने वाली थी।
मैंने उससे कहा- मैं झड़ने वाला हूँ क्या करूँ।

वो बोली- मैं भी झड़ने वाली हूँ.. मुझे तुम्हारा रस पीना है।
मैंने ‘नहीं’ कहा.. तो वो ज़िद करने लगी और कहने लगी- पांच सौ कम दे देना.. पर ये पिला दो।

मैं हँस पड़ा और ‘ठीक है’ कह कर लंड बाहर निकाला और कन्डोम उतारकर लण्ड उसके हाथ में दिया।

वो लॉलीपॉप की तरह उसे चूसे जा रही थी और आखरी बूँद तक पी गई।
अब वो मुझसे पूछने लगी- क्या मेरा रस पियोगे?

मैंने ‘नहीं’ कहा.. तो उसने कुछ नहीं कहा। अब हमने कपड़े पहन लिए और दो किस और दो बार मम्मों को दबा कर रूम से बाहर आ गया।

जब मैं जा रहा था.. तो वो मेरे पास आई, उसने मुझे वादे के अनुसार 500 रुपए वापस किए।

फिर मैं तुम लोगों के पास आया और तुम्हें वो मनघड़ंत कहानी बताई कि कुछ हुआ ही नहीं।
फिर मैंने भूषण से कहा- अच्छा तो यही था तेरी मुठ मारने का झूठ।
वो हँसने लगा।

आपके ईमेल की प्रतीक्षा में।
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