एक प्यारी सी औरत नेहा
(Ek Pyari Si Aurat Neha)
दोस्तो, मैं राहुल दिल्ली से !
याद आया या भूल गए आप लोग मुझे?
मैं आज एक और नई आपबीती आपके समक्ष लेकर आया हूँ। मेरी इस नई कहानी का पूरा श्रेय अन्तर्वासना और गुरूजी को जाता है।
मेरी पहली कहानी
के बाद मेरे पास कई मेल आये। मेरी यह आपबीती उन्ही मेल में से एक मेल का फल है।
मेरे पास आए मेल में एक मेल नेहा (नाम बदला हुआ है) का आया। वो दिल्ली में ही रहती है और तलाकशुदा है।
मैं यह कहानी उसकी रजामंदी के बाद ही प्रस्तुत कर रहा हूँ। मैं अब आपको मूल बात पर लाता हूँ।
मेरे पास नेहा का मेल आया और वो मेरी कहानी से बहुत प्रभावित थी। पहले तो उससे मेरी बात सिर्फ मेल पर होती थी, एक दिन नेहा ने मुझसे मिलने को कहा। शनिवार का दिन तय हुआ, मैं नियत समय पर उससे मिलने अंसल मॉल पहुँच गया। मैंने उसकी तस्वीर देख रखी थी इसलिए उसे पहचानने में कोई दिक्कत वाली बात नहीं थी।
मैं बहुत देर तक अंसल के एक रेस्तराँ में उसका इंतज़ार करता रहा, मैंने सोचा कि शायद उसने मुझे देख कर अपना इरादा बदल लिया होगा। तभी मेरे पास उसका कॉल आया- कब से बैठी हूँ ! तुम कहाँ पर हो?
मैंने कहा- मैं रेस्तराँ में हूँ !
उसने कहा- मैं भी उसी में हूँ।
मैं अपने चारों तरफ देखने लगा, एक लड़की अपने फ़ोन पर किसी से बात कर रही थी।
मेरे तो होश उड़ गए, वो नेहा ही थी पर अपनी फोटो से बिलकुल अलग दिख रही थी, जबरदस्त माल लग रही थी, वो जींस और टॉप में और कहीं से भी शादीशुदा नहीं लग रही थी।
आखिर मैं उसके पास गया और अपना परिचय दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
उसने कहा- तुम राहुल हो? तुम तो अपनी तस्वीर से एकदम अलग दिखते हो।
मैंने कहा- आप भी तो अपनी तस्वीर से कहीं ज्यादा खूबसूरत हो।
फिर हम लोगों ने कुछ खाया और मूवी देखने चल पड़े।
मूवी के बाद जब हम बाहर आए तो मैंने पूछा- अब क्या करें !
उसने कहा- बस तुमसे मिलना चाहती थी, मिल ली।
उसने मुझे अपना मोबाइल नंबर दिया और मेरा नंबर लिया। हम लोग अपने अपने घर को चले गए। मैं अन्दर ही अन्दर खुद को कोस रहा था कि कितनी शानदार माल थी और मैं कुछ भी नहीं कर पाया।
खैर दोस्तो, शायद बिल्कुल अनजान लोगों के साथ ऐसे ही शुरुआत होती है।
कुछ दिनों बाद उसका कॉल आया कि वो मुझसे अपने घर पर मिलना चाहती है।
मैंने कहा- आज तो मैं दिल्ली से बाहर हूँ सो आज नहीं मिल सकता।
उसने पूछा- कहाँ गए हुए हो?
मैंने कहा- चंडीगढ़ में हूँ ऑफिस के कुछ काम से !
जैसा कि आप लोग जानते हैं कि मैं जॉब भी करता हूँ इसलिए ऑफिस के काम से बाहर जाता रहता हूँ।
खैर कुछ दिनों के बाद मिलने का तय हुआ।
मैं नियत समय पर उसके घर पहुँचा वो मानो मेरा ही इंतज़ार कर रही थी, मुझे देखते ही उसके चेहरे पर ख़ुशी छा गई।
उसने मुझे बैठने के लिए कहा और पूछा- क्या लोगे?
मैंने कहा- कुछ भी ले लूँगा, जो तुम पिला दो।
वो मुस्कुराई और अन्दर चली गई। थोड़ी देर में वो कुछ नमकीन और दो खाली ग्लास ले आई और फ़्रिज से बीयर निकाली। हमने साथ साथ बीयर का पहला ग्लास लिया। पहले ग्लास के बाद वो आकर मेरे साथ सोफे पर बैठ गई।
मैंने उससे पूछा- तुम्हें कैसे पता कि मैं बीयर पीता हूँ?
उसने कहा- पहली बार जब हम मिले थे तो तुमने मुझे बता दिया था, इसलिए मैंने तुम्हारे लिए बीयर मंगवाई।
उसने इतने प्यार से कहा कि मैंने उसे गाल पर चूम लिया।
फ़िर हम शुरु ही हो गए, थोड़ी देर तक हम एक दूसरे को चूमते रहे। उसे मज़ा आ रहा था और मुझे उसके पतले होंठ चूसने में मज़ा आ रहा था। फिर हम अलग हुए और मैंने दूसरा ग्लास बना कर उसे दिया तो उसने कहा- राहुल तुम सबसे अलग हो ! मैंने अब तक दो कॉल बॉय के साथ सेक्स किया है लेकिन वे दोनों बात कम करते थे और जल्दी से सेक्स कर खुद की ख़ुशी चाहते थे।
मैंने कहा- मैं इतना प्रोफ़ेशनल नहीं हूँ, जॉब करता हूँ जिससे मुझे अच्छी खासी सैलरी मिलती है, मैं यह काम बस इत्तेफाक से करने लगा।
फिर मैंने अपना ग्लास खत्म किया और उसे चूमने लगा और साथ ही उसके स्तन दबाने लगा। बहुत मुलायम थे उसके वक्ष !
वो धीरे धीरे तैयार होने लगी थी, उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी थी। फिर मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू किया और चूमता रहा, उसे बहुत मज़ा आ रहा था।
उसने मेरे लण्ड को ऊपर से दबाना शुरु किया, मेरा लण्ड भी अब धीरे धीरे तैयार होने लगा था।
मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसने मेरे !
फिर सोफे पर ही वो लेट गई, मैं सोफे से नीचे आ गया और उसके जांघों को चूमते-चाटते उसकी चूत तक पहुँच गया और चाटने लगा।
वो जोर से आई…ई आ…ईई आईई…आई… बोलने लगी। मैं अपने दोनों हाथों से उसके चूचे भी दबाता जा रहा था। उसके चुचूकों का कड़ापन मुझे महसूस हो रहा था। मैं उसे चूमे जा रहा था और वो पागल हुए जा रही थी।
फिर मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और पूछा- बेडरूम कहाँ है?
उसने इशारा किया और मैं उसे बेडरूम में लेकर चला गया।
वो कह रही थी- अब कुछ और करो मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा !
मैंने कहा- जरूर !
मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी चूचियाँ चूसने लगा और अपनी उंगली उसकी चूत में घुसा दी।उसके मुँह से सीत्कार निकली।
फिर उसने मुझसे कहा- मुझे तुम्हारा लण्ड चूसना है।
और उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। इस बीच मैं उसके स्तन दबाता रहा और उसके चुचूकों को चुटकियों से मसलता रहा।
मुझे उसके चूसने से बहुत मज़ा आ रहा था, मुझे लगा कि अगर यह थोड़ी देर ऐसे ही करती रहेगी तो मेरा माल निकल जायेगा, मैंने उसे रुकने को कहा और फिर उसे लिटा कर अपना लण्ड उसकी चूत में डालने लगा।
बहुत कसी हुई चूत थी उसकी।
जब मेरा लण्ड थोड़ा अन्दर गया तो उसे दर्द होने लगा, उसने कहा- धीरे धीरे डालो ! मैं उसके स्तनों को दबाते हुए अपना लण्ड डालने लगा और एक जोर के झटके के साथ मेरा लण्ड अन्दर चला गया।
वो बहुत जोर से चिल्लाई और कहा- मार डालोगे क्या ?
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और चूसने लगा। जब वो थोड़ी सामान्य हुई तो मैं धीरे धीरे अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। उसे अब मजा आ रहा था, वो कह रही थी- और जोर से करो ! और जोर से !
तब मैंने अपनी गति बढ़ाई और दस-बारह मिनटों में मुझे लगा कि मैं छुटने वाला हूँ।
मैंने कहा- मैं जाने वाला हूँ !
उसने कहा- मैं भी !और इतना कहना था कि मेरा निकल गया और माल उसके चूत से बाहर निकलने लगा, वो भी छुट गई थी।
थोड़ी देर हम ऐसे ही पड़े रहे, मैं उसे चूमने लगा और उसने अपना सर मेरे सीने पर रख दिया।
उसकी आँखों में आँसू थे।
मैंने पूछा- रो क्यूँ रही हो?
उसने कहा- राहुल, आज मुझे बहुत ख़ुशी मिली, तुमने कॉल बॉय की तरह नहीं बल्कि किसी अपने की तरह मुझे ख़ुशी दी है।
मैंने उसे किस कर लिया और उसे अपनी बाहों में ले लिया। थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैंने कहा- फ्रेश हो लें?
उसने कहा- ठीक है !
और मैं फ्रेश होने चला गया। मेरे आने के बाद वो भी फ्रेश हुई।
मैंने पूछा- कुछ खाने को है या ऐसे ही रहना है?
उसने कहा- आर्डर देकर मंगवा लेती हूँ।
फिर उसने किसी रेस्तराँ में खाने का आर्डर दिया और खाना आने पर हमने खाना खाया। खाने के समय उसने बताया कि उसके पति ने उसे छोड़ दिया है और तीन सालो से वो अकेली ही रह रही है और जॉब करती है।
जब मैंने उसकी कम्पनी और और उसकी प्रोफाइल के बारे में जाना तो मुझे लगा कि यह औरत जितनी खूबसूरत है उतनी सफल भी है।
खैर, खाना खाने के बाद उसने कहा- आज रात यहीं रुक जाओ, कल चले जाना।
मैं उसकी बात टाल न सका और वहीं रुक गया। रात में हमने एक बार फिर सेक्स किया और बहुत मज़े किए। सेक्स के बाद वो पूरी रात मुझसे बात करती रही और अपनी ज़िन्दगी के उन पहलुओं के बारे में बताया जो कोई किसी कॉल बॉय को नहीं बताता।
मैंने पूछा- तुमने मुझे इतना कुछ क्यूँ बताया?
तो उसने कहा- मुझे तुम पर विश्वास है, तुम मुझे बदनाम नहीं करोगे।
मैं बस उसे देखता रह गया।
सुबह मैं उठा और फ्रेश होकर चाय बनाई उसे पिलाई और खुद भी पी।
जब मैं चलने को हुआ तो उसने मुझे दस हज़ार रुपए दिए।
मैंने कहा- इसकी जरूरत नहीं है !
उसने कहा- नहीं, रख लो !
तो मैंने कहा- ये बहुत ज्यादा हैं !
उसने कहा- यह मेरे साथ सेक्स करने की कीमत नहीं बल्कि जो अपनापन तुमने दिखाया उसके लिए हैं।
मैंने कहा- जब अपना मानती हो तो मत दो, मैं नहीं ले पाउँगा।
उसने कहा- राहुल अगर नहीं लोगे तो शायद मैं तुम्हें फिर कभी बुला नहीं पाऊँगी।
उसकी यह बात सुनकर मैंने पैसे ले लिए और चल दिया।
उसके बाद मैं कई बार नेहा से मिला और नेहा : बहुत अच्छी है वो !
दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताना।
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