किसी की खुशी वो मेरी खुशी-2

जय कुमार 2008-10-15 Comments

जय कुमार
हाय दोस्तो, मैं जय कुमार कालबॉय एक बार फिर से अपनी पिछली कहानी

किसी की खुशी वो मेरी खुशी
शालू के गर्भाधान के लिए मैंने उसके साथ सम्भोग किया तो उसके बाद शालू ने कहा- आपने तो मुझे जन्नत की सैर करा दी ! और मुझे क्या चाहिए था जय !

मैं अपने घर चला आया।

उसके दो दिन बाद फिर शालू का फोन आया, कहने लगी- जय, अब कब आ रहे हो?

मैंने कहा- शालू, जब आप बुलाओ, मैं हाजिर हो जाऊँगा।

तो कहने लगी- आज शाम को !

मैंने कहा- नहीं कल !

तो शालू कहने लगी- नहीं आज ही !

तो मैंने कहा- ठीक है, पर रात को 12 बजे !

तो शालू ने कहा- जल्दी क्यों नहीं? मैंने कहा- आज मुझे कुछ काम है, इससे पहले मैं नहीं आ सकता !

तो कहने लगी- मैं आपका इन्तज़ार करूँगी, आप जरुर आना !

मैंने कहा- हाँ मैं समय से पहुँच जाऊँगा !

और मैं ठीक 12 बजे शालू के घर पहुँच गया, शालू ने दरवाज़ा खोला, मेरे गले लगी और कहने लगी- जय, इतना इन्तज़ार मत करवाया करो।

कहते ही शालू ने मुझे बाहों में भर लिया और हम दोनों आपस में चूमने लगे।

फिर मैंने कहा- शालू, पहले कुछ खाने को ?

शालू कहने लगी- जय खाने से पहले कुछ पीने को बीयर हो जाये ?

तो मैंने कहा- जैसी आपकी मर्जी।

शालू ने कहा- फिर ठीक है।

हम दोनो ने बीयर पी, एक दूसरे के गले लगे और फिर खाना खाया।

और फिर हम दोनो ने अपना चुदाई का कार्यक्रम शुरु किया और उसके बाद मैं अपने घर आ गया। उसके बाद हमारा यही सिलसिला हफ्ते में कभी दो दिन कभी तीन दिन चलता रहा, लगातार कम से कम 4-5 महीने तक।

जब डाक्टर ने शालू को बता दिया कि वह गर्भवती है तो मनोज मेरे पास आया, मुझे अपने गले से लगाया और हम दोनों में बहुत बात हुई जो मैं आप सब को नहीं बता सकता।

उसके कई महीने के बाद शालू का फोन आया- जय, मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ !

मैंने कहा- डियर, मुझे माफ करना, मैं आपसे अब कोई बात नहीं कर सकता।

और फोन रख दिया तो अगले ही दिन मनोज और शालू मेरे घर शाम के पाँच बजे पहुँच गये।

हम आपस में बात करने लगे, तभी शालू बोली- जय हमारा बच्चा ! और मेरी बाहों में थमा दिया !

पहले तो मैं उसको देखता ही रह गया, अचानक ही मनोज बोला- जय लगता है ना मेरे जैसा ! ना कि तुम्हारे जैसा !

तो मैंने कहा- नहीं मनोज, लगता तो मेरे जैसा ही है पर मुझे तो लगता है शालू की शक्ल पर ही गया है।

मेरे यह कहते ही हम तीनों हंसने लगे।

मैंने कहा- अब तुम लोग क्या लोगे ?

तो शालू कहने लगी- जय आज तो हम दोनो बीयर पीयेंगे वो भी जी भरकर !

मैंने फ्रिज से दो बोतल बीयर की निकाली, तीन गिलास में डाली और हम लोग पीने लगे। उसके बाद हम लोगों ने खाना खाया और मैंने मनोज से कहा- यार आज मेरे घर पर ही रुकने का इरादा है?

तो मनोज ने कहा- अब तो हम लोग निकलते हैं, बस एक बार तुम अकेले में शालू से बात कर लेना !

और यह कहकर मनोज बच्चे को लेकर दूसरे कमरे में चला गया।

मैंने कहा- शालू, अब कैसा लग रहा है आप सबको?

तो शालू कहने लगी- लगता है सारे जहां की खुशी भगवान ने मेरे झोली में डाल दी है ! मैं जिन्दगी में तुम्हें कभी भी नहीं भूल सकती ! बस एक आखिरी बार मेरी प्यास और बुझा दो !

और हम दोनों शुरु हो गये।

उसके बाद मैंने शालू से कहा- अब तुम मुझे भूल जाना !

शालू ने मुझे गले से लगा लिया।

तभी मैंने मनोज को आवाज लगाई, हम तीनों ने खुलकर बात की और दोनों खुश होकर कहने लगे- जय अब हम चलते हैं !

मैंने दोनों को गाड़ी तक छोड़ा, मैंने वैसे ही मजाक में बोला- मनोज मेरी आज की फीस?

तो शालू गाड़ी से उतरकर एक बैग उठाकर लाई, बोली- जय, अन्दर चलो !

मैं अन्दर आ गया, मुझे चूमते हुए बोली- जय हम भूल गये थे, यह बैग हम तुम्हारे लिए ही लेकर आये थे।

मैंने शालू को अपनी बाहों में भरकर कहा- यार, मैंने तो ऐसे ही कह दिया था मजाक में।

शालू कहने लगी- जय बस जल्दी से एक बार मजा दो ना !

मैंने कहा- नहीं ! मनोज तुम्हारा इन्तज़ार कर रहा है।

तो शालू बोली- करने दो ना !

और मुझे अन्दर धकेलते हुऐ मुझे मेरे बैडरूम तक ले गई और हम दोनों शुरु हो गये। हम दोनों ने 10-12 मिनट में ही अपना काम खत्म किया और कहने लगी- इस बैग में तुम्हारी फीस और एक ऐसा ही काम है, तुम तैयार रहना ! मैं फोन कर दूँगी। वो लोग चले गये।

मैंने उस बैग को ऐसे ही रख दिया।

दो दिन बाद रविवार को चार बजे मेरे घर की घण्टी बजी।
मैं तो सो रहा था काफी देर तक बजने के बाद मैं उठा और दरवाजा खोला तो देखा कि शालू और उसके साथ में एक और महिला खड़ी थी।

मैंने दोनों को अपने बैडरूम में बैठाया और कहा- शालू यार, तुम्हें कहा था ना कि मुझे अब परेशान मत करना, पर लगता हैं कि तुम मुझे कभी नहीं छोड़ोगी। अब बताओ तुम को क्या चाहिये?

तो शालू बोली- जय मुझे क्या पता था कि तुम एक बार काम करने के बाद सब कुछ भूल जाते हों, मैं माफी माँगती हूँ ! मैंने तो सोचा था कि तुमने बैग खोल कर देख लिया होगा।

मैंने कहा- कौन सा बैग?

शालू कहने लगी- जो मैंने तुम्हें दिया था !

मैंने कहा- यहीं कहीं पड़ा होगा, अभी देखता हूँ !

शालू बोली- जय, चलो हम दोनो दूसरे कमरे में चलते हैं !

और मुझे धकेलते हुई दूसरे कमरे में ले आई, कहने लगी- जय तुमने मेरी झोली खुशियों से भर दी है। मेरे साथ मेरी सहेली हैं जिसको मैं बहुत ही ज्यादा प्यार करती हूँ।

मैंने शालू से कहा- बताओ तुम्हारी क्या समस्या है, मैं तुम्हारी सारी परेशानी दूर करने की कोशिश करुँगा।

शालू कहने लगी- यह मेरी सबसे प्यारी सहेली है और इसे भी मेरी वाली परेशानी है !

मैं थोड़ी देर तक सोचता रहा और शालू भी खामोश बैठी रही। 3-4 मिनट के बाद मैंने शालू से कहा- सारी बात बताओ !

शालू कहने लगी- मेरी सहेली का नाम रोमी है, मेरी तरह इतनी खूबसूरत भी नहीं है, इसकी भी वही परेशानी है जो मेरी थी।

हम दोनों रोमी के पास गये, मैंने रोमी से कहा- मेरा नाम जय है, मैं एक काल बाय हूँ और अपनी तरफ से जो हो सकता है, मैं उसमें मैं अपनी तरफ से 100% कोशिश करता हूँ बस तब तक कि जब तक ग्राहक का काम पूरा ना हो जाये ! मेरी फीस बहुत ज्यादा है, शायद तुम ना दे पाओ।

तभी मैं उठा और शालू से कहा- तुम बात कर लेना !

उसके बाद वही सब !

रोमी दो-तीन महीने में गर्भवती हो गई। उसके पहली बेटी हुई तो उसने मेरी फ़िर मदद ली, फ़िर बेटी हुई, लेकिन तीसरी बार में बेटा हुआ।

मेरी यह सच्ची कहानी आप लोगो को कैसे लगी मुझे मेल करना।
1901

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