दिव्य दिव्या-2
फिर वो बोली- जान अब मत तड़पाओ ! मेरी भोसड़ी फाड़ डालो… चोद डालो…लण्ड पूरा घुसा डालो…
मैं उसकी चूत पर अपना लण्ड रगड़ने लगा और हल्के से झटके के साथ आगे प्रस्थान किया।
पहले से मैंने उसकी पिच गीली कर दी थी इसलिए आराम से मेरे आठ इंच लम्बा लण्ड उसके कसे छेद के अंदर चला गया…
वो जोर से चिल्लाई- आह्ह्ह्हः निकालो…आःहहः म्मम्म…
पर मैं कहाँ रुकने वाला था…
यह सब उसकी नौकरानी देख रही थी और बाहर खड़ी होकर अपनी चूत मसल रही थी…
मैंने उसकी मालकिन को यह बताया और अपनी स्पीड बढ़ाता गया, पूरे बेडरूम में उसकी ही चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी…अह्ह्ह्हा ह्म्म्म और चोदो…जोर से चोदो…अह्ह्ह …कसकस्क …
मैंने उसके मम्मे को जोर से पकड़ा और कहा- मैं झड़ने वाला हूँ !
उतने में वो दो बार झड़ चुकी थी..
उसने कहा- मेरी चूत को तुम्हारा गर्म पानी महसूस करना है, सारा पानी चूत में छोड़ दो…
मैंने जोर से ठोकना चालू किया और जैसे ही मेरा पानी निकला तो उसकी चूत से पुचक…पुचक…आवाज़ आने लगी।
फिर मैं उसके ऊपर ही लेट गया।
हम दोनों पूरे नंगे ही बिस्तर पर लेटे थे… नौकरानी जाने वाली थी पर दिव्या ने उसको बुलाया, वो अंदर आई और मेरे लण्ड पर उसकी नज़र गई।
दिव्या ने उससे तीन ग्लास रेड वाइन मंगवाई…
वो वाइन लेकर आई, मुझे और अपनी मालकिन को ग्लास दिए…
दिव्या ने कहा- यह तीसरा ग्लास तुम्हारे लिए है, तुम पियो…
वो पहले मना करने लगी, फिर दिव्या ने उसे कहा- मैं कह रही हूँ ना, पी लो जल्दी से !
और वो भी वाइन पीने लगी…
दिव्या ने मुझसे कहा- अब इसको तुम चोदो ! बहुत शौक है इसे रण्डी को चुदवाने का…
मेरी नियत तो पहले से उस पर ख़राब थी, मैं मन में खुश हो गया, मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बिठाया और लण्ड उसके हाथ में पकड़वाया…
वो भी मेरा लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी, मैं उसके मम्मे दबाने लगा…
वो सिसकने लगी- अह्ह्ह आ…म्म्म्म…अहह्म्म्म
फिर उसके एक एक करके कपड़े उतारने लगा… वो भी अब नशे में थी… वो मेरा लण्ड जोर जोर से हिलाने लगी…
मैंने उसकी ब्रा उतार दी और उसके मम्मे चूसने लगा, फिर उसकी पेंटी उतारने के लिए जैसे ही हाथ लगाया, वो पहले से ही गीली थी…
मैंने कहा- बाहर खड़ी खड़ी उंगली डाल रही थी चूत में, अब मैं लौड़ा डालता हूँ…
मैंने उसकी पेंटी भी उतार दी। क्या चूत थी साली की, एक भी बाल नहीं था… और थोड़ी काली चूत थी, लेकिन थी मजेदार…
उसकी मालकिन उसकी चूत चाटने लगी और वो मेरा लण्ड चूसने लगी…
हम तीनों एक दूसरे को चाट रहे थे।
फिर मैंने उसकी चूत में लण्ड घुसा दिया, वो जोर से चिल्लाई- आःह्ह्ह हम्म्म्मा…और जोर से चोदो…मम्म्म्मम्ह्ह…
मैंने कहा- भोसड़ी की ! बाहर जब चूत में उंगली कर रही थी तब तो चीख नहीं निकली, अब क्या हुआ…?
मैं उसको चोद रहा था, मुझे पता नहीं था कि इनको सर्विस मैं दे रहा हूँ या वो लोग मुझे… मुझे बहुत मज़ा आ रहा था…
इतने में दिव्या एक बार झड़ गई और उसकी नौकरानी को चटवा दिया…
नौकरानी भी दो बार झड़ चुकी थी…मैंने तो अपना काम चालू रखा और पूरा लण्ड अंदर-बाहर करने लगा…
मैंने फिर उसको घुमा दिया और उसकी गांड मारने के लिये घोड़ी बनाकर चोदना चालू किया पर उसकी गांड एकदम कोरी थी…
मैंने थोड़ा थूक लगाया, गीली की और लण्ड को उसकी गांड के छेद में घुसेड़ दिया…
वो जोर से चिल्लाई और कहा- मेरी गांड फाड़ डाली आह… अंह… निकालो…मैं मर गई…
पर मैं कहाँ रुकने वाला था, पूरा लण्ड उसकी गांड में पेल दिया और अंदर-बाहर करने लगा।
फिर दिव्या ने कहा- मुझे भी गांड मरवानी है…
मैंने कहा- अब तू घूम जा जानेमन ! अब तेरी ही बारी है, तेरी गांड मारे बिना तो मैं भी कैसे जा पाऊँगा…
मैंने उसको घोड़ी बनाया और उसकी गांड में लण्ड डाल दिया…
वो भी जोर से चिल्लाई- अह…आह…और करो मज़ा आ रहा है…और मारो मेरी गांड !
मैं अब पूरी तरह उसकी गांड के मज़े ले रहा था…थोड़ी देर में मैं भी झड़ने वाला था, मैंने कहा- किसको चाहिए मेरा पानी?
तो दिव्या ने कहा- इस भोसड़ी की को ही पिलाओ !
नौकरानी मना करने लगी- नहीं, मुझे उल्टी हो जाएगी।
मैंने दो-चार धक्के लगाये और पूरा पानी नौकरानी के मुँह में छोड़ दिया, उसने एक दो उबकाई ली पर दिव्या के डाँटने पर वो सारा माल निगल गई और हम तीनों एक ही बिस्तर पर लेट गए…
दोस्तो, कैसी लगी मेरी सच्ची कहानी?
मुझे बताने के लिए मुझे मेल करें…
मुझे फेसबुक पर भी एड कर सकते हो…
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