चूत चाटने का मजा-2
(Choot Chatne Ka Maja- Part 2)
कहानी का पिछला भाग : चूत चाटने का मजा-1
उसने कहा- अब जरा उसका बुर साफ़ कर दो. उसने अपना स्कर्ट उतार दिया और नंगी सामने लेट गई और सामने टेबल पर लगा शेविंग का सामान बता दिया.
मैं गया और सामान लेकर उसके पास बैठ गया. उसके बुर के बाल काफी घने और लम्बे थे.नीलू आराम से लेट गई और मैंने कैंची लेकर उसके झांट के बाल पहले काट डाले, जिससे कि छोटे बाल होने पर रेज़र चल सके. फिर उसके बाद ब्रुश में साबुन लगाया और उसके बुर और उसके झांट पर अच्छे से लगा कर झाग उठाया.
उसके बुर में छेद पर से उंगली से झाग हटाया, नहीं तो रेज़र से उसकी बुर कट जाती. उसको साफ़ कर के उसके बुर को साफ़ करने लगा. उसके बुर के किनारे को पकड़ कर उसके बाल धीरे से साफ़ करने लगा.
उसकी बुर चिकनी हो गई थी. बार-बार उसका किनारा छूट जाता था. बहुत आराम से काम करना था. उसके बुर के अंदर तक साफ़ कर के उसके ऊपर के बाल आराम से जल्दी साफ़ हो गए.
उसको कपड़े से पौंछ दिया और साफ़ पानी से धोया. उसको फिर पूछा, उसको मजा आ गया था.
लेटे हुए उसने अपनी आँख बंद कर लीं थी और शायद रंगीन सपने में सो गई थी.
मैंने भी एक काम किया, उसकी साफ़ चिकनी बुर को देखा, लम्बी चिकनी सटी हुई महीन फांक थी. इतनी साफ़ और कोई बच्चे हुए नहीं थे, इसलिए चौड़ी हुई नहीं.
उसकी बुर में मैंने चाकलेट के टुकड़े किये और डाल दिए. अंदर जाते ही वो पिघल गई. उसके बुर के अंदर मैंने बदमाशी में सारी चाकलेट डाल दी और सब उसके अंदर उसकी बुर की गर्मी से पिघल गई.
अब मैं अपने घुटने पर बैठ कर उसके बुर में अपनी जुबान से चाकलेट लगा चाटने और उसके बुर की सफाई करने लगा.
नीलू तो मजा ले रही थी और जैसे-जैसे माल कम हो रहा था. मुझे मेहनत के साथ उसकी बुर खींच कर खोल कर अंदर तक चाटना पड़ रहा था. मैंने उसकी सारी बुर साफ़ कर दी. नीलू ऐंठ कर पड़ी रही. उसका पानी बह चुका था.
उसने मुझे कहा- आलोक, वाकयी में मजा आ रहा है.
उसने कहा- आज मजा आ गया, मैं सोच रही थी कि देखूँ तू इसमें क्या करता है, और तुमने मेरा दिल बाग़-बाग़ कर दिया.
वो उठी और बोली- चलो अब नाश्ता कर लो.
मैं बोला- इतना अच्छा नाश्ता तो किया है.
तो वो जोर से हंसी फिर बोली- अभी लड़कियाँ खाना बनाने आ जायेंगी. तुमको अपने कपड़े बदलने होंगे. उनके सामने चड्डी में रहोगे?
मैं बोला- अगर तुम कहो तो क्या फर्क पड़ता है, रह लूँगा.
नीलू फिर जोर से हंसी बोली- अच्छा चलो अब आ जाओ.
फिर हम लोग नाश्ता करने बैठ गए, नाश्ता किया, मैंने दलिया खाया.
उसने कहा- कुछ और लो.
मैंने नहीं लिया और फिर उठ कर फ्रिज से अनार और तरबूज निकाल लिया. उसको साफ़ कर के मैंने अनार और फिर तरबूज खाया और फिर अपनी मैगजीन लेकर पढ़ने लगा, और नीलू अपने कमरे मैं जाकर अपना काम करने लगी.
थोड़ी देर में लड़कियाँ आईं और काम करने लगीं. काम खत्म कर नीलू को बता कर घंटे भर में चल गई.
नीलू बोली- आलोक, तुम कहीं घूमना चाहो तो चलो बाहर होकर आयेंगे.
मैं बोला- अगर आप चलना चाहो तो चलो.
बोली- चलो पास ही थोड़ी देर का रास्ता है नदी तक होकर आते हैं.
मैं बोला- चलो.
नीलू ने अपनी कार निकाली और हम लोग निकल गए. नदी वहाँ से दूर थी. असल में वो एक झरना था, जिसका पानी वहाँ से हो कर निकल रहा था. गर्मी तो थी ही, और दिन का समय था.
मैं बोला- यहाँ पर नहीं जाये.
नीलू बोली- मैं तो कपड़े लाई नहीं, इसलिए मैं तो पानी में नहीं जाऊँगी. अगर तुम लाये हो तो जाओ.
मैं बोला- मैं कौन सा कपड़ा लाया हूँ. बस मुझे तो चड्डी चाहिए, मैं उसी में नहा लूँगा.
मैंने फटाफट अपने कपड़े उतारे और पानी में उतर गया. पानी तो ठंडा था लेकिन मजा आ गया. ज्यादा पानी भी नहीं था कि देर लगे. मुझे नहाते देखकर नीलू वहीं पर बैठ गई और मुझे देखने लगी.
मैं बोला- नहाना हो तो आ जाओ. तुम यहाँ पर अपनी बिकिनी में नहा लो, कोई है भी नहीं जो देखे.
नीलू तैयार नहीं हुई, फिर मैं निकल आया और अपनी चड्डी उतार कर दूसरी पहन ली और कपड़े पहन कर कार में आ गया.
नीलू बोली- तुम नहाते वक़्त मस्त लग रहे थे. तुमको देख कर लग रहा था कि बस चूम लूँ.
मैं बोला- अरे मैडम, क्या बोलती हो आप?
बोली- सही.
और फिर हम लोग वहाँ से वापस फार्म हाउस आ गये.
नीलू आकर तुरंत गई, अपने कपड़े बदले और फ्रेश होकर फ्रिज से संतरे का जूस निकाल कर पिया.
मुझसे बोली- तुम क्या लोगे?
मैं बोला- मैं तो अनार या तरबूज लूँगा.
नीलू बोल पड़ी- अरे यार तुम तरबूज क्यों लेना चाहते हो?
मैं बोला- गर्मी का फल है, ले लो. संतरे का जूस तो कभी भी मिल जायेगा.
वो जोर से हंसी, बोली- ले लो, ले लो.
मैंने अपना फल खाया और बोला- नीलू मैडम, अगर आप बोलो तो मैं थोड़ा आराम कर लूँ, नदी मैं नहाने से थकान आ गई है.
बोली- जाओ, मैं अपना काम कर लूँ फिर बुलाती हूँ.
वो अपने कमरे मैं चली गई.
मैं अपने कमरे में आया और चड्डी पहन कर लेट गया और जल्दी ही सो गया. थका तो था ही, अच्छी नींद आ गई.
नीलू ने मुझे तकरीबन दो घंटे बाद जगाया, तकरीबन तीन बजे थे.
बोली- चलो कुछ काम करो, आज मेरी अपने ढंग से जो सेवा करो, मैं लूँगी और फिर वहीं पर लेट गई.
मैंने उसको बोला- तुम आज क्या पसंद करोगी, दोपहर में क्या करूँ?
बोली- जो चाहे करो.
मैं समझ गया, आज इसको बुर में तेज़ खुजली हो रही है.
मैं बोला- चलो अब नया ही करूँ.
उसका मन ललचा रहा था कि पिछली रात की तरह उसकी बुर को मैं फिर चूसूं, उससे खेलूँ.
मैं उसके पास ही बैठ कर उसकी स्कर्ट हटा कर उसको ऊपर से नंगा कर दिया. फिर उसके बुर पर अपनी थूक लगाया, उसको थोड़ा चिकना किया और उसको सहलाने लगा.
फिर मैंने सोचा कि चोदने से अच्छा है, मालिश से ही इसका पानी निकाल दूँ क्योंकि इसने अभी तक इसका मजा लिया नहीं था.
मैं उठ कर तेल लाया और उसके बुर को तेल से नहला दिया. उसकी बुर साफ़ चिकनी थी और तेल से और चमचमा गई थी.
फिर क्या था, मेरा हाथ उसके ऊपर लगा भागने, उसकी बुर से लेकर गांड तक तेल भर दिया. उसके बुर की ऊपरी पारी को धीरे-धीरे मालिश करने लगा, उसकी पारी लाल हो गई.
उसको थोड़ी देर मसलने से ही नीलू के पसीना आ गया था जबकि कमरे में वातनुकूलित यंत्र चल रहा था.
उसको देख कर कोई भी कह सकता था कि अब कोई भी उसके अंदर लिंग डाल कर उसको ठंडा कर दे. लेकिन मेरा यह काम नहीं था. फिर मैंने उसके ऊपर की पारी को छोड़ कर उसकी दोनों तरफ की पुत्तियों को मसलना शुरू किया. इस क्रिया ने उसको मचला दिया.
वो बार-बार उठ कर बैठ जाती. उसको बहुत अच्छा लग रहा था. उसकी एक-एक फांक की आराम से मालिश की, अब उसका पानी निकाल रहा था, जो तेल में मिलकर उसको थोड़ा भरी कर रहा था.
मैं आराम से उसको मसाज देने के बाद अपनी उंगली उसके अंदर प्रविष्ट कर दी, जिससे वो गनगना गई. फिर उसके योनि के अंदर उसके ऊपरी हिस्से को धीरे-धीरे मालिश करने लगा. उसकी इस वजह से उतेज्ना चरम पर आ गई.
वो बिल्कुल लाल हो चुकी थी पसीने से तर. उसके भगनासे की झालर को धीरे से छेड़ दिया और फिर क्या था, नीलू उठ कर बस लिपट गई और मेरा चड्डी निकालकर मेरे लिंग को जबरन अपने योनि में डाल लिया.
फिर क्या था! लगा गाड़ी चलाने और थोड़ी देर में मेरा वीर्य उसके योनि में भर गया. वो निढाल पड़ी थी, पसीने से तर और उसको कुछ सूझ नहीं रहा था.
मैं भी थक कर उसके ऊपर पड़ा था. उसको शायद अच्छा लग रहा था, मेरा उसके ऊपर पड़ा रहना. उसकी थकान दूर हो रही थी. मैं उसके ऊपर पड़ा रहा.
फिर जब लिंग खुद-ब-खुद बाहर आ गया, मैं उठा और अपने को साफ़ कर के कपड़े पहन कर बैठ गया, और नीलू वहीं आखें बंद करके पड़ी रही. शायद नीलू सो गई थी. मैं कुछ देर बाद वहाँ से उठ कर अपने कमरे में चला गया.
तकरीबन दो घंटे बाद नीलू आई, और बोली- मजा आ गया यार, बहुत अच्छा लगा आज.
मैं बोला- चलो, मेरा काम आपको पसंद आया यही अपनी तारीफ है.
उसने कहा- आलोक, देखने में तुम साधारण लगते हो लेकिन तुम काम सटीक करते हो. कोई बड़ा या मोटा लिंग न होकर के भी साधारण में भी तुम अच्छा काम कर लेते हो.
फिर हम लोगों ने खाना खाया और बात करते हुए रात तकरीबन गयारह बजा दिए.
तभी नीलू को कोई फोन आया और बात करने के बाद बोली- आलोक, हम लोग कल शाम को निकलेंगे, क्योंकि मुझे एक काम आ गया है. जिसको करना जरूरी होगा.
मैं बोला- जैसा आप बोलो.
फिर उसने कहा- आज रात तुम मेरे बुर की चुसाई जरूर कर देना, क्योंकि पहले दिन जो किया था, उसने मुझे पागल बना दिया है. आज तुमको मैं कुछ और सामान डालकर चूसने को कहूँगी.
वो दलिया लाई और कहा- आज इसको मेरे बुर में डाल कर खाओ, देखूँ तो.
मैं बोला- चलो, आज यह भी करके देखते हैं.
रात एक बज गया था. मैं आया और नीलू भी अपने बुर को साफ़ कर के आ गई थी.
मैंने उसको वहीं पर चित लेटा कर उसके बुर में चम्मच से दलिया डाल दिया. फिर मुँह उसके बुर के अंदर अपनी जीभ डाल-डाल कर खाने लगा.
उसको तो चूत चटवाने का ही चस्का लग गया था, उसने कहा- तुमको दलिया डालने की जरूरत नहीं है, वो डालती जाएगी और मैं उसको साफ़ करूं.
वो डालती जाती और मैं खाता जाता. उसका पानी निकल आया था. आज पानी थोड़ा दूसरा निकला. उसका पानी सफ़ेद था. मैं उसको भी चाट गया.
उसने मुझे कहा- यार बस अब चाट लिया और जाओ लेट जाओ.
मैं उठ गया, अपने को फ्रेश किया और सो गया. सुबह मैं देर तक सोया हुआ था. तकरीबन 11 बजे जगा. नीलू नहा कर तैयारी कर रही थी.
उसने कहा- चलो फ्रेश होकर तैयार हो जाओ, एक घंटे के बाद निकल जायेंगे.
फिर मैं जल्दी फ्रेश होकर निकल गया, स्टेशन पर मुझे छोड़ कर नीलू एयरपोर्ट चली गई और मैं वापस आ गया.
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