मेरे बस के सफ़र से आगे का सफ़र-3
लंड तो अब मेरा भी दुखने लगा था क्योंकि गांड का छेद बहुत ही छोटा था. मामी ने अपनी गांड नीचे से उठानी शुरू कर दी थी. वो गांड तो नीचे से उठा रही थी, साथ में चिल्ला भी रही थी.
लंड तो अब मेरा भी दुखने लगा था क्योंकि गांड का छेद बहुत ही छोटा था. मामी ने अपनी गांड नीचे से उठानी शुरू कर दी थी. वो गांड तो नीचे से उठा रही थी, साथ में चिल्ला भी रही थी.
उस रात बस में आप मुझसे मम्मे दबवा रही थी, चूत चुसवा रही थी, उंगलियाँ डलवा रही थी और मेरा लंड हिला रही थी, और ये सब आप नींद का नाटक कर के करवा रही थी
फिर 6 दिन बाद मैं कॉलेज गई तो वो गेट के बाहर मेरा इंतज़ार कर रहा था … मैं बिना कुछ बोले उसकी बाईक पर बैठ गई… वो सीधे अपने घर ले गया और पूछा- आज भी करवओगी या नहीं …? मैं बोली- आज पूरी तरह तैयार हूँ … तुम कंडोम ले आये? वो बोला- […]
दोस्तो, मैं आपकी अर्चना लेकर आई हूँ अपनी कहानी ! मैं २३ साल की युवती हूँ, कॉलेज में बी ए फ़ाइनल इयर की छात्रा हूँ। एक बार की बात है मैं गौरव टावर पर शौपिंग करने गई थी, वहाँ मुझे एक लड़का बार बार घूर रहा था। जब मैं वहाँ से निकली तो वो लड़का […]
प्रेषक : समय मिश्रा प्रिय दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है जो मैं आप सबके साथ बाँट रहा हूँ। यह मेरी शादी की कहानी है। यूँ तो मैंने एक दो लड़कियों की जवानी को रौंदा है परन्तु खुद की बीवी के कपड़ों को रात भर तार तार कर के मजे लेना, वो भी सबकी रजामंदी […]
प्रेषक : कविन दास बात बहुत पुरानी है लेकिन मेरी पहली चुदाई की है। इससे पहले मैं रात में अपनी चड्डी गन्दी करता था। फ़िर एक बार दोस्तों के साथ ब्लू फ़िल्म देखी थी.. तब भी हाथ से दबाने से ही मेरी लंड से बहुत सारा चिपचिपा गाढ़ा गाढ़ा सफ़ेद जूस निकल गया था.. तो […]
उस रात मैंने मीना और सोनू को दो बार और चोदा, मैंने उनकी गान्ड मारने की भी असफ़ल कोशिश कई बार की परन्तु आज मेरी शादी को पन्द्रह साल हो गए, परन्तु ना तो सोनू ने, ना ही मीना ने आज तक मुझे अपनी गान्ड पर हाथ रखने दिया।
साली ने कहा- क्यों मेरे रहते तुम्हारा लन्ड खड़ा नहीं होगा क्या? दो-दो को देख़ कर गान्ड फ़ट गई, या दोनों को एक साथ झेलने की हिम्मत नहीं है?
लेखिका : रीता शर्मा हम दोनों ने अब शर्म छोड़ सी दी थी। वो मुझसे रोज अपनी पीठ दबवाती, शायद मजे लेने के लिये ! मैं भी उसे सहला सहला कर मस्त कर देता था। फिर वो भी मेरी पीठ दबा देती थी, मेरी टांगें, जांघें मस्त हो कर दबाती थी, फिर मेरे लण्ड के […]
लेखिका : रीता शर्मा घर में बस हम दो भाई थे। दिनेश मुझसे दस साल बड़ा था। वो एक फ़ेक्टरी में काम करता था। भाभी रीता भी मुझसे सात साल बड़ी थी। मम्मी पापा नौकरी करते थे। घर का सारा काम भाभी पर आ गया था। मुझे यह देख कर बहुत बुरा लगता था कि […]
लेखक : सनी सबसे पहले गुरूजी और उसके बाद अन्तर्वासना पढ़ने वाले एक एक पाठक को सनी की तरफ से प्यार ! भगवन करे यह वेबसाइट ऐसे ही हिट होती जाये और हम सबकी मस्त मस्त चुदाइयाँ बिस्तर से, कमरे से, इन्टरनेट पर छपती रहे और सभी लुत्फ उठाते रहें। आप सबने मुझे बहुत बहुत […]
आशा करता हूँ कि मेरी यह कहानी आप लोगों को बहुत पसंद आएगी और यदि कहानी पसंद आई तो मुझे मेल करियेगा, मैं और कहानियाँ आप लोगों की सेवा में पेश करता रहूँगा! मेरा नाम शामी है! मैं रायपुर में रहता हूँ, बी.ए. सेकंड का छात्र हूँ, मेरे घर में मैं, मेरे पापा और मेरी […]
प्रेषक : करिश्मा पुरुष यह कहानी उस वक्त की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था। मध्यप्रदेश के जबलपुर में चौधरी चाल में मैं रहता हूँ। हमारे चाल में कविता, रेशमा, और पिंकी ये तीन लड़कियाँ रहती हैं। जब वे स्कूल में थी तब उनका मेरे घर में आना जाना रहता था। अब वे 18 […]
मैं गुप्ता बहुत समय से अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ रहा हूँ. कई बार सोचा कि अपने जीवन की घटनाओं के बारे में लिखूँ. पर पता नहीं हिम्मत नहीं हो रही थी. आज जब एक बार फिर से मैं अन्तर्वासना की साईट पर गया तो फ़ैसला किया कि एक बार तो अपना अनुभव मैं भी लिखूँ. […]
मैंने मेम की सलवार को खोला और फिर क्या छोटी मेम नंगी लेट गई .. मैंने अपना लुंगी गंजी खोली और कूद पड़ा मैदान ऐ ज़ंग में... मैंने जांघें फैलाई और देसी कुते के तरह मेम को नोचने लगा ..
यह मेरे पड़ोस में रहनी वाली विश्रांती-रेशमा की कहानी जिनको मैंने गणित सिखाने के बहाने कैसे चोदा। एक दिन मेरे घर पर कोई नहीं था। उस दिन विश्रांती और रेशमा दोनों मेरे घर चली आई। मैं उनके लिए चाय बनाने के लिए रसोई में गया। वे दोनों गप्पे हाँक रही थीं… मैं पीछे छुप कर […]
प्रेषक : अजय झा दोस्तों मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ। मैं इसकी सारी कहानियाँ बहुत मज़े से पढता हूँ। आज मेरे दिल में भी यह ख्याल आया कि मैं भी अपनी कहानी आप लोगों के समक्ष पेश करुँ। मेरा मकसद सिर्फ वोट पाना नहीं है अपितु आप सब के समक्ष अपने दिल की […]
प्रेषक : कुमोद कुमार बात उस समय की है जब मैं अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर रहा था। मैं उसी समय एक स्कूल में टीचर के रूप में भी काम करता था। मैं दसवीं तक के बच्चों को पढ़ाता था। उसमें लड़के और लड़कियाँ दोनों ही थी। दसवीं क्लास की लड़कियों को मैं हमेशा […]
मम्मे बिल्कुल गोल गोल हैं जब ब्रा के बिना टी-शर्ट पहनती हूँ तो मम्मो का उछाल देखकर लड़कों के छक्के छूट जाते हैं ! वैक्सिंग के बाद मेरा जिस्म और भी खिल जाता है !
मैं तुम्हारे साथ इसके लिए ही आई थी। मैंने जबसे तुम को देखा है तबसे तुम्हें अपने ऊपर लेने को तरस रही हूँ। इसीलिए मैं तुम्हें यहाँ लाई थी।