कलयुग की लैला-1
अंधेरे में एक साया एक घर के पास रुका और सावधानी से उसने यहाँ-वहाँ देखा। सामने के घर की छोटी सी दीवार को एक फ़ुर्तीले और कसरती जवान की तरह उछल कर फ़ांद गया और वहाँ लगी झाड़ियों में दुबक गया। कमरे में कविता बिस्तर पर लेटी हुई कसमसा रही थी, उसे नींद नहीं आ […]