अवनी मौसी-2
प्रेषिका : निशा भागवत कुछ देर तो वो दोनों बतियाते रहे, फिर बस एक जगह रुक गई। समय देखा तो रात के ठीक बारह बज रहे थे। ‘बस यहां आधे घण्टे रुकेगी, चाय, पानी पेशाब नाश्ता खाना … के लिये आ जाओ।’ बाहर होटल वाला अपनी बुलंद आवाज में पुकार रहा था। ‘चलो, क्या पियोगे […]