मासूम अक्षतयौवना-1
उन्होंने मेरा घाघरा उठाना शुरू किया, मैंने अपने दुबले पतले हाथों से रोकना चाहा मगर उन्होंने अपने मोटे हाथ से मेरी दोनों कलाइयाँ पकड़ कर सर के ऊपर कर दी.
उन्होंने मेरा घाघरा उठाना शुरू किया, मैंने अपने दुबले पतले हाथों से रोकना चाहा मगर उन्होंने अपने मोटे हाथ से मेरी दोनों कलाइयाँ पकड़ कर सर के ऊपर कर दी.
कविता ने गाण्ड इतनी ऊँची कर रखी थी कि उसकी चूत तक भी स्पष्ट नजर आ रही थी। रोहण ने अपना हाथ उसके नीचे घुसा दिया और उसकी चूत को भी सहलाने लगा।
वो स्नान करके बाहर आई, पूरी भीगी हुई थी। उसने तौलिये के लिये नजर दौड़ाई। अभी वो मात्र पेंटी में ही थी और गीली पेंटी उसके कोमल चूतड़ों से चिपकी हुई थी।
रोहण के बन्द कमरे की पीछे वाली खिड़की से एक बार कविता ने रोहण को ब्ल्यू फ़िल्म देखते फिर मुठ्ठ मारते देख लिया था। वो भी जवान थी, उसके दिल के अरमान भी जाग उठे थे।
कहानी का पिछ्ला भाग: बारिश की एक रात-1 मैं अपनी तारीफ सुन कर खुश हो रही थी और उसने देखा कि हल्की सी हंसी मेरे चेहरे पर दिख रही थी। वो मौके का फायदा उठाते हुए बोला- काश, कुछ और भी देखने को मिल जाता ! तो आज स्वर्ग का आनंद मिल जाता ! मैं […]
मेरा नाम तनिषा है, मैं यहाँ अपनी कहानी पहली बार बताने जा रही हूँ, यह मेरी सच्ची कहानी है। मैं दिखने में बहुत सुन्दर और अच्छी बदनाकृति वाली लड़की हूँ, मेरे साथ पढ़ने वाली सारी लड़कियाँ मेरे बदन को देखकर जलती हैं और लड़के मुझे करिश्मा कपूर कह कर बुलाते हैं पर मैंने किसी को […]
मेरे ऑफिस की जन संपर्क अधिकारी का नाम वंशिका है। चूँकि हम दोनों हमउम्र हैं इसलिये एक दूसरे से कई प्रकार के मजाक भी कर लेती थीं। उसने बहुत बार मुझे अपने घर चलने को कहा और एक दिन मैं ऑफिस के बाद उसके घर चली गई। उसके माता-पिता ने मेरा बहुत सत्कार किया और […]
‘नमस्कार चटर्जी बाबू, क्या चल रहा है?’ कहते कहते घोष बाबू दरवाज़ा खोल कर अन्दर आ गए। चटर्जी बाबू बरामदे में बैठे चाय की चुसकियाँ ले रहे थे। ‘कुछ खास नहीं घोष बाबू, बस अभी अभी दफ्तर से आया था, सोचा एक कप चाय ही पी लूँ !’ ‘बैठिए, एक कप चाय तो चलेगी?’ ‘नहीं […]
प्रेषक : वरिंदर सबसे पहले धन्यवाद सभी पाठकों का जिन्होंने मेरी हर कहानी को पढ़कर मुझे बहुत प्यार दिया। आज मैं एक बार फिर से अपनी नई कहानी आपके सामने लेकर हाजिर हूँ। शायद भगवान् ने मुझे लण्ड लगाते वक़्त लिख दिया होगा कि यह नीचे जाकर औरतों को खुश करेगा, पहले पिंकी, सोनिया, छोटी […]
प्रेषिका : लीला “बाबू, तू मेरा प्यार है, चाहे अब मैं तेरी बाहर वाली बन कर रह गई हूँ, तुझसे चुदवाते हुए मैं किसी और को सामने नहीं रखती। बस पेलता जा मुझे ! उससे चुदने के बाद मैं जब अलग हुई तो कमरे का तूफ़ान थम गया। उसने रस से लथपथ अपने लौड़े को […]
प्रेषिका : लीला एक के बाद जब मैंने दूजे से नाता जोड़ा, मतलब बाबू से नाता जोड़ा, यह जानते हुए कि वो मेरे जैसी से शादी नहीं करेगा, बस वो मेरे शौक पूरे करता था, बदले में मैं उसे अपनी जवानी देती, मुँह को जब कच्ची उम्र में सेक्स का रस चख जाए तो, ऊपर […]
कहानी का पिछ्ला भाग: जिस्म की मांग-1 हम दोनों खड़े हुए, खून का धब्बा बोरे पर देखा- यह क्या हुआ? “तेरी जवानी की झिल्ली फटी है रानी !” “बिटटू मुझे धोखा मत देना, देख इसमें कोई शक नहीं रहा कि तुमने ही मेरी सील तोड़ी, यकीन करो पहला मौका तेरे संग है !” “फिकर मत […]
प्रणाम पाठको, उम्मीद है सब कुशल मंगल से होंगे, सबका काम सर रहा होगा। (समझे?) मेरा नाम लीला है, मेरा हुस्न देख हर किसी के मुँह से लारें टपकने लगती हैं, मेरे तीखे मम्मे गोल मोल से, पतली सी कमरिया है, गोल मोल सेक्सी गाण्ड है, मेरी उम्र अभी सिर्फ बाईस की है, मेरी शादी […]
दोस्तो, मैं श्रेया आहूजा एक बार फिर आपके सामने पेश हूँ !! इतने दिन तक गायब रहने का कारण मेरे भाई की शादी थी ! उसकी शादी कनाडा में हुई आपकी दुआ से ! मैं आज आपको अपने भाई के बारे बताने जा रही हूँ ! शक्ल-सूरत से भोला-भाला पतला-दुबला छरहरा बदन ! वो मुझसे […]
लेखक : राज कार्तिक तभी कमल ने सुधा को जाने को कहा और मुझे बोला- यहीं सो जाओ ! तो मुझसे पहले ही सुधा बोल पड़ी- इनके सोने का इंतजाम ऊपर वाले कमरे में किया हुआ है पहले से ही। कमल के कमरे में डबलबेड था तो मैंने कहा- यहीं सो जाता हूँ ! तो […]
लेखक : राज कार्तिक यह कहानी मैं आप सब दोस्तों की मांग पर लिख रहा हूँ। यह खूबसूरत हादसा मेरे एक मित्र के साथ हुआ था। उसने अपनी कहानी मुझे बताई और अन्तर्वासना पर भेजने के लिए कहा। पर वो अपना नाम नहीं डालना चाहता था तो मैंने यह कहानी अपने नाम से ही लिखी […]
लेखक : सन्दीप शर्मा दोस्तो, उम्मीद है आप सभी मजे में होंगे मेरी पिछली कहानी पलक की चाहत और मुंबई के सफर का मुझे शानदार जवाब मिला है दोस्तों और उसके लिए आप सभी का धन्यवाद। इस कहानी का पूरा आनन्द लेने के लिए “पलक की चाहत के सारे भाग ” एवं “पलक और अंकित” […]
अंकित ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गया। उसने मेरी टीशर्ट उतारने की कोशिश की, मैंने उसका पूरा साथ दिया और हाथ ऊँचे करके उठ कर टी शर्ट उतरवा ली।
मैं उसकी पीठ सहलाने लगा, फिर उसकी फ़्रॉक को निकाल दिया। अब उसके भरे हुए स्तन, जो गुलाबी ब्रा में समां नहीं रहे थे, को मसलना शुरु कर दिया।
मैं उसे बाँहों में उठाकर बेडरूम में ले गया उसके सारे कपड़े उतारकर उसके ऊपर छा गया। वो सिसकारने लगी, उसने मेरी पैंट उतार दी, चड्डी हटा कर लंड थामकर चूमने लगी।