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जन्मदिन का जश्न

On 2011-01-19 Category: कोई मिल गया Tags:

अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार ! आप लोगों के इतने मेल आते हैं कि मैं सबका जवाब भी नहीं दे पाता, इससे पता चलता है कि आप लोगो को मेरी कहानियाँ अच्छी लगती हैं। आज मैं अपनी अगली कहानी पेश करता हूँ। नए पाठकों को बता दूँ कि मेरा नाम अमित अग्रवाल है और […]

अठरह की उम्र में लगा चस्का-3

मैं नीचे झुकी तो सामने नाग देवता मुझे सलामी दे रहे थे, गुप्ता जी ने लंड निकाल रखा था, मैं कुतिया की तरह गई, पकड़ सहलाने लगी, मुँह में डालकर चूसने लगी, लंड को चूस चूस मैंने मलाई पूरी निकाली और पी गई।

अठरह की उम्र में लगा चस्का-2

छोटी उम्र में मैंने खुद पर काबू नहीं रखा, अब अपनी शरीर की ज़रुरत काबू में नहीं रख पाती, चाह कर भी मुझसे बिना चुदाई रहा नहीं जाता, चाहे वो लौड़ा किसी नौकर का हो या किसी अमीर का।

अठरह की उम्र में लगा चस्का-1

उसने मेरा कमीज़ उतरवा दिया, लाल ब्रा में कैद मेरे मम्मों को देख उनका लंड खड़ा हो चुका था जो मेरे गर्दन के करीब था, साफ़ उभरा हुआ दिख रहा था। उसने छाती से हाथ नीचे ले जाते हुए मेरा नाड़ा खोल चड्डी में हाथ घुसा दिया

कैसे कन्ट्रोल करूँ-2

कहानी का पिछ्ला भाग: कैसे कन्ट्रोल करूँ-1 अब तो जीजू मुझे किसी सेक्सी फ़िल्मी हीरो जैसे लगने लगे थे, वो तो मेरे लिये कामदेव की तरह हो चुके थे। दिन को भी मैंने अन्जाने में दो बार हाथ से चूत को घिस घिस कर, जीजू के नाम से अपना पानी निकाल दिया था। मेरी नजरें […]

कैसे कन्ट्रोल करूँ-1

जब से मुझे पर जवानी आई है, मन चुदने को करने लगा है, रंगीन सपने आने लगे हैं। हाय, मुझे पहले की तरह फिर से कोई ऊपर चढ़ कर चोद डाले। मेरी चूचियाँ मसल डाले…मेरे नरम नरम होंठों को चूस डाले। मैं जैसे ही मूतने जाती हूँ तो मूतने के अलावा मुझे वहाँ बड़ी नरमी […]

पहली बार की उत्सुकता

On 2011-01-13 Category: पहली बार चुदाई Tags:

मैं रोहित एक बार फिर हाज़िर हूँ एक नई कहानी के साथ… पिछली कहानियों की तरह यह भी मेरा एक सच्चा अनुभव है… दरअसल जब मैंने अपनी पिछली कहानियाँ अन्तर्वासना पर भेजी तो मेरे पास काफी मेल्स आए। इन्हीं में से एक मेल मुझे दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक लड़की का आया। लड़की का नाम निशा […]

पड़ोसन दीदी-2

वो जिस्म की आग से तप रही थी। उसने मुझे अपनी ओर खींचा जैसे कह रही हो- मेरे जिस्म में समा जाओ ! मैंने उसके जिस्म को ऐसे चाटना शुरु किया जैसे वो कोई लॉलीपॉप हो ! फिर थोड़ी देर बाद घंटी बजी और हम दोनों डर गए कि आज तो मर गए, हमें लगा […]

अंगूर का दाना-8

अंगूर ने अपने दोनों हाथ पीछे किये और अपने नितम्बों को पकड़ कर उन्हें चौड़ा कर दिया। आह... अब तो उसके नितम्ब फ़ैल से गए और गांड का छेद भी और खुल गया। अब जन्नत के गृह प्रवेश में चंद पल ही तो बाकी रह गए थे।

पड़ोसन दीदी-1

दोस्तो, मैं अपनी सच्ची कहानी आपको बता रहा हूँ। मेरा नाम संदीप है, करनाल का रहने वाला, 23 साल का एक कुंवारा लड़का हूँ। वैसे मैं दिल्ली में कोचिंग ले रहा हूँ पर आजकल मैं करनाल में ही हूँ। आज मैं आप लोगों को अपनी हकीकत कहानी सुनाने जा रहा हूँ, उम्मीद है कि आप […]

अंगूर का दाना-7

उसकी गांड के छेद पर लगाने में लिए जैसे ही अपना हाथ बढ़ाया, वो बोली- बाबू... जरा धीरे करना... मुझे डर लग रहा है... ज्यादा दर्द तो नहीं होगा ना?'

मदहोश बरसात

On 2011-01-10 Category: कोई मिल गया Tags:

प्रेषक : अजय मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ और दिखने में स्मार्ट हूँ। बात उन दिनों की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था, 2-3 लड़कियों से मेरा चक्कर हमेशा रहता था लेकिन तब तक किसी को चोदा नहीं था, बस चूमना, चूची दबाना बस इतना ही किया था। उन दिनों मेरे कॉलेज में […]

अंगूर का दाना-6

बापू कहाँ मानते हैं। वो तो अम्मा को अपना हथियार चूसने को भी कहते हैं पर अम्मा को घिन आती है इसलिए वो नहीं चूसती इस पर बापू को गुस्सा आ जाता है और वो उसे उल्टा करके जोर जोर से पिछले छेद में चोदने लग जाते हैं।

अव्वल दर्जे के पाजी

मेरा नाम समीर है। मैं 36 साल का जवान हूँ। सुंदर लड़की को देखकर मुझे अच्छा लगता है, चोदने की इच्छा हो जाती है। मन करता है कि उसके नर्म नर्म गालों को चूम लूँ और उसके होठों को चूस लूँ, अपनी बाहों में भरकर उसकी चूचियों को दबा दूँ और अपने लण्ड को उसकी […]

क्वीनस्लैण्ड क्वीन

क्या मस्त माल थी। अब मैंने उसकी पैन्टी उतारी, चूत बिल्कुल चिकनी थी क्योंकि मैंने उसे पहले ही बताया था कि मुझे चिकनी चूत पसंद है इसलिए उसने अपनी चूत के बाल साफ कर लिए थे।

अंगूर का दाना-4

उसकी कुंवारी बुर से आती मादक महक से मैं तो मस्त ही हो गया। उसने अपने दोनों हाथों से मेरा सिर पकड़ लिया। अब मैंने अपनी जीभ को थोड़ा सा नुकीला बनाया और उसकी फांकों के बीच में लगा कर ऊपर नीचे करने लगा।

लिफ़्ट देकर गांड को लिफ्ट दिलवाई

पीछे वाला जयादा उछल रहा था, मैंने उसके लंड को दबोच लिया। दोनों खड़े रहे, मैंने घुटनों के बल होकर उसकी जिप खोली, कच्छे को सरकाया, उसका काला लंड देख मेरी गांड गीली हो गई।

अंगूर का दाना-3

मैंने उसे बाजू से पकड़ कर उठाया और इस तरह अपने आप से चिपकाए हुए वाशबेसिन की ओर ले गया कि उसका कमसिन बदन मेरे साथ चिपक ही गया। मैं अपना बायाँ हाथ उसकी बगल में करते हुए उसके उरोजों तक ले आया।

यह है सील तोड़ने का मज़ा

On 2011-01-06 Category: कोई मिल गया Tags:

लेखक : अमित मेरी तरफ से अन्तर्वासना के सभी पाठकों को नमस्कार ! मेरा नाम अमित है, मैं 22 साल का लड़का हूँ। अन्तर्वासना में यह मेरी पहली कहानी है। यह घटना 2 साल पहले की है जब मैं 20 साल का था। उन दिनों मैं कॉलेज में पढ़ता था, शाम को मैं पढ़ने के […]

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