नवाजिश-ए-हुस्न-3
लेखक : अलवी साहब पूरी बस खाली थी, हम दोनों अन्दर अकेले थे, वो बैग ढूंढ़ रही थी और मैं उसके करीब ही था बिल्कुल, मैंने उसकी कलाई पकड़ी और सीट पर बिठा दिया, खुद भी बैठ गया, और बहुत ही संजीदगी के साथ उसे कहा- शहनाज़, खुदा जाने क्या बात है, आज जब से […]