शादीशुदा लड़की के साथ बिताये कुछ हसीन पल
मेरी कहानी की नायिका की शादी को दो साल हुए हैं। मेरी बात मेल के जरिये चालू हुई। कुछ दिन बाद हमने असल में मिलने का तय किया। मिलने पर क्या हुआ?
मेरी कहानी की नायिका की शादी को दो साल हुए हैं। मेरी बात मेल के जरिये चालू हुई। कुछ दिन बाद हमने असल में मिलने का तय किया। मिलने पर क्या हुआ?
मेरी हालात तो जैसे किसी रंडी जैसी हो गयी थी. मैंने भाई को पूरी तरह से खुद को समर्पित कर दिया था. उसे जो मन करे, वो मेरे साथ कर रहा था. मैं उसकी गुलाम थी.
बेरोजगारी का मारा मैं मजदूरों के साथ खड़ा था कि एक औरत मुझे अपनी गाड़ी में बैठा कर अपने घर ले गयी. वहां उसने मुझसे क्या काम करवाया? उसने मुझे अपनी वासना का शिकार बनाया.
अपनी कक्षा की एक खूबसूरत लड़की को पसंद करने लगा लेकिन वो भाव नहीं देती थी. मैंने अपना दिमाग लगाकर उसको पटाया. दोस्ती में हमने कितने मजे लिये, मेरी इस कहानी में पढ़ें.
मेरी अपार्टमेंट बिल्डिंग में एक भाभी मुझे तिरछी नजर से देखती थी. एक दिन मैं मुस्कुरा दिया तो वो भी मुस्कुरा दी. बात आगे कैसे बढ़ी? पढ़ें इस भाभी सेक्स कहानी में!
मैंने अपनी तरकीब लगा कर अपनी मौसेरी बहन को उसी के सगे भाई से चुदवा दिया था लेकिन उन दोनों की चुदाई देख मेरा मन भी भाई से चुदने को करने लगा. तो मैंने क्या किया?
अपने भाई की ये अदा मुझे बड़ी पसंद थी. वो धीरे धीरे प्यार करते करते अचानक से जंगली हो जाता था, जब मैं इसकी कामना भी नहीं कर रही होती थी. यह बात मुझे और उत्तेजित करती थी.
नम्रता आयी, उसने अपनी गीली चूत को सीधा मेरे मुँह पर रख दिया. उसकी चूत से पेशाब की गंध आ रही थी. दूसरी तरफ नम्रता ने मेरे सोये हुए लंड को मुँह में भर लिया.
कामवासना के चलते मैंने अपने स्कूल के एक बांके जवान लड़के को पटा कर अपनी चूत मरवा ली. लेकिन अब वो मेरी गांड मारना चाहता था. तो मैंने क्या किया?
पड़ोसन के घर उसकी भतीजी रहने आई हुई थी. मेरे बार बार कहने पर वो अपनी भतीजी को मेरे पास भेजने को राजी हो गई. तो क्या वो लड़की आई और मैं कुछ कर पाया?
मैं मामा की बेटी की शादी में गयी तो वहां मौसी की बेटी और बेटा मिले. वे दोनों मेरे हमउम्र थे. मैंने उन दोनों को किस हालत में देखा? और मैंने तब क्या किया?
मैं अपने गांव गया तो मेरी बुआ भी आई हुई थी. वैसे तो सब नॉर्मल था लेकिन मेरे ताऊ जी और बुआ के बीच मुझे कुछ खिचड़ी पकती हुई दिखाई दी. मैंने जासूसी की तो पता चला कि ...
मेरा भाई मुझे कई तरीकों से गर्म कर रहा था. पहले हॉल में, फिर सड़क पर, फिर यहां अपनी ही बिल्डिंग में मुझे नंगी घुमा रहा था. मैं अब इतनी गर्म हो चुकी थी कि मुझे जिस मर्द का भी लंड मिले, मैं उससे चूत खोल कर चुद जाऊं.
ऑफिस में एक लड़की को मैं पसंद करता था. पर वह जॉब छोड़ दूसरे शहर में चली गई. मैं उसको चोदने के ख्वाब देख रहा था. मेरा यह सपना कैसे पूरा हुआ, मेरी कहानी में पढ़ें.
पड़ोसन की जवान बेटी को मैं चोद चोद कर पूरे मजे ले चुका था. अब बारी उसकी मम्मी की थी. मैंने उस पर अपना जाल फेंका तो वो भी आसानी से फंस गयी या नहीं? पढ़ें कहानी के इस भाग में!
मैं अपनी खराब कार के साथ एक मकैनिक के गेराज में थी. सर्दी के मौसम में उस मकैनिक को देख कर मेरी चूत में कुछ कुछ होने लगा. मैंने उसे चारा डालना शुरू कर दिया.
एक दिन मेरे पति और मैंने तय किया अब हमें बच्चे की प्लानिंग करनी चाहिए। मेरे पति सुबह ऑफिस जाते टाइम बोले- आज शाम को बिना कॉन्डम के चुदाई होगी। लेकिन शाम को क्या हुआ?
नम्रता पलंग पर पेटकर बल लेट गयी, टांगें फैला कर दोनों हाथों से कूल्हे को पकड़ कर फैला कर बोली- शरद आ जाओ, मैंने गांड खोल दी है.. इसकी खुजली मिटाओ.
मेरे पास लण्ड अब भी था पर मैं मन से और लिबास से औरत थी और अपने दोनों पतियों के साथ प्यार से रहती थी। तभी होली आयी तो हमने वो त्यौहार कैसे मनाया?
पड़ोसन की बेटी को मैं पेपर दिलाने लखनऊ ले गया. वहां होटल में चुदाई के खूब मजे लेने के बाद दूसरे दिन हम वापस आ गए. लेकिन अब मैं उसकी दोबारा चुदाई के जुगाड़ में था.