पड़ोसन भाभी के जिस्म का भोग- 1
(Xxx Khani Chut Chudai Ki)
Xxx क्हानी चूत चुदाई की में पढ़ें कि हमारे पड़ोस में एक नयी भाभी आई तो उनका भरा पूरा जिस्म देखकर मेरी नजर तो उनके विशाल चुचों पर ही टिक गयी. उनको भी पता चल गया.
सभी अन्तर्वासना पाठकों को नमस्कार,
मेरा बदला हुआ नाम बाबा बकचोद है, मैं राजस्थान का रहने वाला हूं।
मेरी उम्र 28 वर्ष है, मेरा रंग गेंहुआ, कद काठी सामान्य और मेरा लिंग भी सामान्य साइज जितना ही है।
यह Xxx क्हानी चूत चुदाई की है कुछ साल पहले दीवाली की जब इस कहानी की नायिका से मेरी मुलाकात हुई थी।
वाह क्या सुंदर माल थी वो … रूप रंग सांवला ही था उनका!
लेकिन उनके रूप से ज्यादा उनका शारीरिक सौंदर्य था, जिसने मुझे मोहित किया।
उनके शरीर की बनावट 36- 30-38 थी।
उनके बड़े बड़े खरबूजे देख कर तो हमेशा मुंह में पानी आ जाता था.
मैं हमेशा सोचता था कि काश किसी दिन बस ये जन्नत मिल जाए, मैं धन्य हो जाऊंगा।
और भगवान ने मेरी सुनी भी एक दिन।
इस कहानी की नायिका से मेरी पहली मुलाकात दीवाली पर हुई थी।
उनका नाम कोमल है, वो हमारे पड़ोस में नई नई रहने आई थी.
उनके घर में उनकी सास, पति और वो रहती थी।
सास घर में ही रहती थी और उनका पति प्राइवेट कंपनी में काम करते थे जो ज्यादातर टूर पर रहते थे।
कोमल भाभी की उम्र 34 साल थी जो की मुझे बाद में पता चला।
हमारे यहां दीवाली पर घर में पूजा होने के बाद सभी के घर मिठाई देने और बड़ों का आशीर्वाद लेने जाते हैं।
मैं भी दीवाली वाले दिन घर पे पूजा करके, मम्मी पापा का आशीर्वाद लेकर बाहर पटाखे जला रहा था।
तब वो पड़ोसन भाभी कोमल हाथ में मिठाई का डिब्बा लिए हमारे घर पर आई थी।
उफ्फ … क्या लग रही थी वो उस दिन!
जैसे कोई अप्सरा उतर आई हो।
लाल लहंगा, पूरा शृंगार, सब कुछ लाल था ( शायद अंदर भी लाल ही हो? )
उनके लो कट ब्लाउज में से खरबूजे बाहर निकलने को तड़प रहे थे.
मेरी नजर उनके खरबूजों से हट ही नहीं रही थी।
कब वो मेरे पास आकर सामने खड़ी हो गई, पता ही नहीं चला.
फिर उन्होंने ही मुझे हाथ लगा कर मेरे ख्यालों से बाहर निकाला- अरे, कहाँ खो गए … दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं!
मुझे तो उस वक्त कुछ होश ही नहीं था जैसे बस मन कर रहा था कि पटक के यहीं निचोड़ दूं उनको!
मैं- जी, आपको भी भाभी जी!
यकीन मानो दोस्तो, उस वक्त मैंने शरीफ दिखने की पूरी कोशिश करी. लेकिन मेरे अंदर का बकचोद कोमल भाभी के खरबूजों का दीवाना हो गया था.
कोमल- ऐसे क्या देख रहे हो, अच्छी नहीं लग रही हूं क्या?
मैं- आप तो बहुत सुंदर लग रहे हो भाभी, ए दम माल …
कहते कहते मैंने बात अधूरी छोड़ दी.
उनके हाव भाव से मुझे एहसास तो हो गया था कि भाभी मेरी बात समझ गई हैं.
मेरी नजर उन पर आकर रुक सी गई थी।
इससे पहले मैंने कभी सेक्स नहीं किया था, ना ही किसी के बारे के ऐसा सोचा था लेकिन भाभी को देखने के बाद बस मन कर रहा था कि कब इस माल भाभी का रसपान करने को मिले।
दीवाली पर तो बात आयी गई हो गई.
लेकिन उनके घर मेरा आना जाना शुरू हो गया।
अब मैं बस उनके घर जाने के बहाने तलाश करता, बस कैसे भी एक बार मुझे भाभी से अकेले में मिलने का मौका मिल जाए।
एक दिन ऐसे ही किसी काम से मैं उनके घर गया था.
कोमल भाभी अपने कमरे में थी, कपड़े बदल रही थी ये मुझे मालूम नहीं था.
जब मैं उनके कमरे के पास से निकला तो दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था और कोमल भाभी ब्लाऊज और पेटीकोट पहने शीशे के सामने खड़ी बाल संवार रही थी।
उनकी पीठ मेरी तरफ थी, मुझे उनका पीछे का नजारा पूरा दिख रहा था और शीशे में सामने का।
उफ़ क्या नजारा था वो!
आगे दो बड़े बड़े खरबूजे जैसे ब्लाउज फाड़ बूब्स!
और पीछे को उठी हुई उनकी बड़ी गांड.
मेरा तो मन किया कि अभी दरवाजा खोल के सीधा अंदर चला जाऊं और पकड़ के चोद डालूं उनकी गांड.
लेकिन घर में उनकी सास भी थी।
इसलिए मैं पहले सीधा उनकी सास के पास गया.
उन्होंने कुछ काम बताया और उनके बेटे से बात करवाने की कहा.
मैंने भी उनके बेटे को फोन लगाया और उन्हें दे दिया.
वो बात करते करते बालकनी में चली गई।
इतने में भाभी साड़ी पहन कर ऊपर आ गई।
भाभी- अरे भैया, आप कब आए?
मैं- बस भाभी जी अभी अभी आया.
यह कहते हुए मेरी नजर फिर से उनकी बड़े बड़े खरबूजों पर अटक गई.
जिसे भाभी ने देख लिया था लेकिन उन्होंने बोला कुछ नहीं.
बल्कि अपनी छाती और फूला के आगे को कर दी और बोली- आप बैठो, मैं आपके लिए चाय बना के लाती हूं.
भाभी जब किचन में जाने के लिए मुड़ी तो मेरा ध्यान फिर से उनके मोटे मोटे चूतड़ों पर गया।
मेरा तो मन कर रहा था कि अभी पकड़ लूं भाभी को!
लेकिन उनकी सास भी बाहर बालकनी में ही थी, उनका डर भी था।
लेकिन भाभी का मस्त बदन, मोटे मोटे खरबूजे और बड़ी गांड देख के मन किया कि चांस लेना चाहिए … शायद भाभी पट जाए।
क्योंकि बात करते वक्त उनकी आंखों में वो शरारत और अदा देखी थी मैंने।
बस यही सोच कर पहले मैं बालकनी के पास जाकर आंटी को देख कर आया.
वो फोन पर भैया से बात कर रही थी।
मुझे यही सही मौका लगा भाभी से नजदीकियां बढ़ाने का!
तो मैं भी थोड़ी हिम्मत कर के सीधा भाभी के पास किचन में चला गया।
मुझे किचन में देख कर पहले तो भाभी घबरा गई.
फिर बाहर देख के बोली- भैया, आप बाहर ही बैठिए. नहीं तो कोई देख लेगा हमें यहां!
बात तो उनकी सही थी.
उनकी सास थोड़ी खडूस और लड़ाकू किस्म की औरत थी.
मैं- अरे भाभी, आंटी बालकनी में बात कर रही है भैया से!
यह सुन के उनका शायद थोड़ा डर कम हो गया था.
फिर वो मुझसे इधर उधर की बाते करने लगी, मेरे बारे में पूछने लगी।
लेकिन मेरा ध्यान तो उनके खरबूजों पर ही था सिर्फ!
जिसे भाभी ने भी पहचान लिया था शायद!
इतने में भाभी ने बोला- इरादा क्या है जनाब? कहाँ नजर है आपकी?
मैंने कहा- कहीं नहीं भाभी, बस आज आप बहुत सुंदर लग रही हो.
भाभी- अच्छा जी, वो तो दिख रहा है कि आपको मैं कहां से सुंदर लग रही हूं.
मुझे डर भी लग रहा था और भाभी के खरबूजों को खा जाने का मन भी कर रहा था।
मैं बिना कुछ बोले बस उनके लो कट ब्लाउज पे देखे जा रहा था।
इतने में भाभी ने वो कहा, जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी.
लेकिन उसके बाद मुझे मेरी किस्मत पर यकीन होने लगा था।
भाभी- ये सिर्फ देखने के लिए ही नहीं हैं.
इतना कह कर भाभी हल्की सी मुस्कुरा दी.
मेरी तो जैसे लॉटरी निकल गई थी।
मुझे यकीन नहीं था कि भाभी चांस दे देगी इतनी जल्दी।
बस इतना सुनना था कि मैं खुद को रोक ही नहीं पाया और सीधा कोमल भाभी को पकड़ के उनके होंठों को चूमने लग गया।
कोमल भाभी एक पल को पीछे हुई.
लेकिन पीछे दीवार थी.
तो अब कोमल भाभी का रसीला बदन मेरे और किचन की दीवार के बीच में दबा हुआ था।
मैं तो जैसे अपने होश में ही नहीं था, मैं बस उनको होंठों को चूमे जा रहा था और मेरे हाथ उनको दोनों खरबूजों को दबा रहे थे।
उफ़ … क्या रसीले होंठ थे कोमल भाभी के!
कोमल भाभी की एक खास बात थी कि उनके बदन में एक भी चीज पतली नहीं थी, हर अंग पूरा खिला हुआ और भरा हुआ था।
भाभी भी मेरे अचानक हमले से खुद को रोक नहीं पाई थी तो वो भी मेरा साथ देने लगी।
फिर मैंने उन्हें चूमना छोड़ा और एक हाथ से भाभी के मोटे मोटे खरबूजे दबा रहा था और दूसरा हाथ नीचे ले जाकर साड़ी के ऊपर से ही उनकी चूत पर दबा दिया।
जिससे भाभी एक पल को कसमसाई और धीरे से आवाज में बोली- अभी नहीं, सासू मां यहीं हैं, देख लेंगी.
कोमल भाभी ने हाथ बढ़ा कर गैस बंद की और मुझे रोकने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
लेकिन उनकी कोशिश में वो जोर नहीं दिख रहा था।
मैं भी पूरे जोश में बस ब्लाउज के ऊपर से उनके स्तनों पर काट रहा था और एक हाथ से उनकी चूत को मसल रहा था।
मैं इतने जोश में था कि उनके एक स्तन को ब्लाउज के उप्पर से ही जोर से काट लिया जिससे भाभी की हल्की सी चीख निकल गई और उन्होंने मुझे दूर धकेल दिया।
कोमल भाभी- क्या कर रहे हो भैया, इतनी जोर से कोई काटता है क्या? देखो निशान कर लिया ना!
मैं- सॉरी भाभी, कंट्रोल नहीं कर पाया. आपको जब से देखा है, बस आपका ही ख्याल दिमाग में रहता है, बिल्कुल दीवाना कर दिया है मुझे तो इसलिए ज्यादा जोश में आ गया था, सॉरी.
कोमल भाभी ने ये सुना तो अपनी साड़ी ठीक करते हुए थोड़ा मुस्कुराई और बोली- अच्छा जी, तो क्या पसंद आया आपको मुझमें … जो आप इतना बेकाबू हो गए?
मैं- भाभी, आप तो पूरी ही मुझे पसंद हो सर से लेकर पैर तक पूरी! बनाने वाले ने भी कितनी फुर्सत से आपको बनाया है, आपका हर अंग तराशा हुआ और भरा हुआ है. काश मुझे भी ऐसी ही बीवी मिले मैं तो उसे दिन रात बस प्यार ही प्यार करूं.
कोमल भाभी हंसी और मेरे गाल पर धीरे से थपड़ लगाते हुए बोली- अच्छा जी मेरे दीवाने जी, लेकिन मैं आपकी बीवी तो नहीं हूं ना जो आप मुझ पर अपना जोर आजमा रहे थे.
मैं- बीवी नहीं हो तो क्या हुआ भाभी, जब साली आधी घरवाली हो सकती है तो भाभी भी तो आधी घरवाली हो ही सकती है ना.
इस पर कोमल भाभी हंस दी और मेरे गाल पर चपत लगाते हुए बोली- और अगर मैं मना कर दूं तो?
भाभी बस मजाक कर रही थी.
लेकिन मेरा मुंह उतर गया था उनकी बात सुन के!
और ये वो समझ गई थी।
तो भाभी मेरे पास आई और मेरे बालों में हाथ फिरते हुए धीरे से मेरे गाल पर किस कर के बोली- अच्छा ठीक है. लेकिन ध्यान रहे की ये बात किसी को पता ना चले.
मेरी खुशी का तो ठिकाना ही नहीं था, भाभी पट गई थी।
मैंने जल्दी से भाभी को अपना नंबर दिया और उन्हें व्हाट्स एप पर मैसेज करने को कहा।
इतने में उनकी सास भी बालकनी से रूम में आ गई थी.
तो मैं भी उनसे अपना फोन लेकर घर आ गया और भाभी के मैसेज का इंतजार करने लग गया।
आगे क्या हुआ?
कैसे मैं कोमल भाभी की चूत चोद पाया, कैसे उनकी गांड मारी।
जानने के लिए Xxx क्हानी चूत चुदाई की अगला पार्ट जरूर पढ़िए, जल्द मिलते हैं अगले पार्ट में।
तब तक के लिए पढ़ते रहिए अन्तर्वासना स्टोरीज!
आपका प्यारा लेखक
बाबा बकचोद
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