मकान मालकिन की प्यासी चूत
(X Bhabi Chudai Story)
X भाबी चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि मैंने किराए का कमरा लिया तो खूबसूरत मकान मालकिन भाभी की मोटी गांड मुझे मुठ मारने पर मजबूर कर देती थी.
आप सभी पाठकों को मेरा नमस्कार!
मैं इस साइट पर नया तो नहीं हूं, पर अपनी पहली सेक्स कहानी लिख रहा हूं.
ये X भाबी चुदाई स्टोरी मेरे हसीन लम्हों में से एक है. आशा है कि इस सेक्स कहानी को पढ़ कर मर्दों के लंड और भाभियों की चुत से झरना बह जाएगा.
पहले मैं अपने बारे में बता देता हूं. मेरा नाम रवि है और मैं बिहार का रहने वाला हूं. मेरी उम्र 21 वर्ष है, आकर्षक बॉडी है और मेरा पोपट 7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है. जिसे देख कर हजारों बार लंड खाने वाली आंटियां तक पागल हो जाती हैं.
ये X भाबी चुदाई स्टोरी तब की है, जब मेरा कॉलेज शुरू हुआ था.
कॉलेज पटना में था तो मुझे वहां रूम लेना पड़ा था.
जहां मैंने रूम लिया था, उस समय उस मकान में मैं ही पहला किरायेदार था. पूरे मकान में मैं, मेरी मकान मालकिन और उनका एक 10 साल का लड़का ही रहते थे.
उनके हस्बैंड सी आर पी एफ में थे, तो 7-8 महीने में एक बार ही कुछ दिनों के लिए आ पाते थे.
शुरूआत में जब मैं उनसे मिला था, तभी घायल हो गया था. अपने रूम में अकेले बैठकर उन्हीं के बारे में सोचते हुए लंड हिला लिया करता था.
मैं आपको उनके बारे में बता देता हूँ ताकि आपको भी उनके हुस्न का अंदाज लगाने में आसानी हो.
भाबी का नाम रूबी था, उनकी उम्र यही कोई 32 या 33 साल की रही होगी. उनका बदन आग लगाने वाला था. भाबी ज्यादा मोटी तो नहीं पर भरी पूरी थीं. भाबी का फिगर 36-30-42 का था.
उनके रूप में बहुत ही आकर्षण था. उनकी मोटी गांड को लेकर तो क्या कहूं यार … बहुत ही मस्त गांड थी, बिल्कुल उभरी हुई.
मैं तो हर वक्त बस यही सोचता रहता था कि आखिर ये भाबी बिना सेक्स के इतने इतने दिन तक कैसे रहती होंगी.
फिर यही सब सोचते सोचते उनके नाम की मुट्ठी मार लेता.
कुछ दिन ऐसे ही चला.
फिर एक दिन की बात है.
उन्होंने मुझसे बोला- अरे रवि तुम पूरे पूरे दिन रूम में अकेले कैसे रहते हो … वो भी गेट बंद करके?
मैं- तो क्या करूं भाबी, कोई अगल बगल में है भी तो नहीं, जिससे बात की जाए.
भाबी- मैं रोज शाम को बाहर बैठती हूं और देखती हूं कि तुम्हारा गेट बंद है तो मैं भी कुछ नहीं बोलती.
मैं- ऑ … कोई नहीं भाबी आप आवाज मार दिया कीजिए.
फिर इसी तरह धीरे धीरे हम आपस में काफी फ्रैंक हो गए.
उनको अब जब भी कोई काम होता, तो वो मुझे आवाज लगा दिया करती थीं.
अब तो मुझे इधर रहने में एकदम अपने घर जैसे लगने लगा था.
लेकिन क्या बताऊं दोस्तो, मैं जब भी उनके पास रहता … मेरा ध्यान उनके मस्त मम्मों और गांड पर ही लगा रहता था.
सोचता रहता कि काश एक बार मुझे भाबी को चोदने का मौका मिल जाए.
आखिर में मेरी किस्मत ने मेरा साथ दे ही दिया.
एक दिन सुबह सुबह ही उनका लड़का मुझे बुलाने आया.
उस वक्त मैं सो ही रहा था.
मेरी एक आदत है कि जब मैं रात को सोता हूं तो सिर्फ लोअर पहन कर … अंडरवियर उतार देता हूं ताकि लंड आजाद रहे और मुझे बार बार उसे एडजस्ट ना करना पड़े.
जैसे ही मैंने उसकी आवाज सुनी, तो मैं उठा और आंखें मलते हुए ऊपर चला गया.
मैंने बोला- हां भाबी, क्या बोल रही थीं आप!
भाबी ने मुझे गौर से देखा और फिर आंखें इधर उधर करती हुई बोलीं- घर की सफाई करनी है … हेल्प करा दोगे थोड़ी!
उनकी नजरों का पीछा करते हुए मुझे अहसास हुआ कि मेरा पोपट तो खड़ा है और मैंने अंडरवियर भी नहीं पहना है. जिससे तम्बू बना हुआ है और भाबी की नजरें उसी पर टिकी हैं.
अब मैं जान कर भी अनजान बनते हुए बोला- ठीक है भाबी, मैं करा दूंगा.
भाबी ने मुस्कुरा कर थैंक्स कहा.
मैं वापस चला आया.
मैंने सोचा कि आज तो कुछ ना कुछ बात बन ही जाएगी.
मैं फ्रेश होकर वैसे ही सिर्फ लोअर पहने भाबी के पास चला गया और सफाई कराने में भाबी की हेल्प करवाने लगा.
भाबी को पंखा साफ करवाना था और सीढ़ी थी नहीं, तो मैंने बोला टेबल के ऊपर एक छोटी टेबल रख कर मैं चढ़ जाऊंगा. बस आप नीचे से पकड़ कर रखना.
उन्होंने बोला- ठीक है.
मैंने ऐसा ही किया.
लेकिन बड़ी वाली टेबल ज्यादा बड़ी होने के कारण भाबी उसे सही से पकड़ नहीं पा रही थीं, तो उन्होंने एक कुर्सी को लगाया और उस पर खड़ी होकर छोटी वाली टेबल पकड़ ली.
जब मैं उस पर खड़ा हुआ, तो इस प्रकार से था कि मेरा पोपट बिल्कुल उनके चेहरे के सामने था.
मैं पंखा साफ कर रहा था और तिरछी नजर से उनको देख रहा था.
भाबी मेरे सामान को बड़े गौर से देख रही थीं, जिसमें मेरे सामान की मोटाई साफ साफ दिख रही थी.
उनको ऐसे देख कर मेरा पोपट धीरे धीरे टाईट होने लगा और वो और भी मोटा और लम्बा दिखने लगा.
ये देख कर भाबी भी पागल सी होने लगीं और जानबूझ कर अपने सर को लंड से टच कर रही थीं.
मैं भी इस बात से जान कर अनजान बन रहा था.
मैंने पंखा साफ किया और नीचे उतर आया. मैंने देखा कि भाबी बिल्कुल मदहोश हो चुकी थीं और चुपचाप खड़ी होकर मुझे देख रही थीं.
मैं पसीना पौंछते हुए बोला- क्या हुआ भाबी?
वो एकदम से सकपकाते हुए बोलीं- क..कुछ नहीं … चलो अब किचन साफ करते हैं.
किचन साफ करते समय भाबी ने कई बार मेरे पोपट को टच किया, तो मैं समझ गया कि भाबी को मेरा मोटा लंड पसंद आ गया है.
मैं भी अनजान बना रहा और भाबी के मजा लेता रहा.
शाम को भाबी ने बोला- रवि आज तुम खाना मत बनाना, मैं बना दूंगी.
मैंने मना किया मगर भाबी ने मुझे चुप करा दिया और खाने के आने को कह दिया.
मैं भी समय से रात के खाने पर पहुंच गया. मैं उन्हें आज देख कर चौंक गया. भाबी क्या माल लग रही थीं!
उन्होंने पतले कपड़े की गुलाबी रंग की नाइटी पहन रखी थी. इस नाइटी से साफ़ समझ आ रहा था कि भाबी ने अन्दर और कुछ नहीं पहना था.
उनकी चूचियों के उभार और निप्पल साफ दिखाई दे रहे थे.
मेरा मन तो कर रहा था कि भाबी को पकड़ कर बस अभी ही चोद दूँ.
मैंने भी आज सिर्फ शॉर्ट्स पहना था और टी-शर्ट डाली हुई थी. मेरा शॉर्ट्स भी ऐसा था, जिसमें से मेरे लंड का आकार साफ पता चल रहा था.
चूंकि लंड फुंफकार रहा था, तो उसका आकार काफी आकर्षक लग रहा था.
मैंने नोटिस किया कि भाबी का ध्यान भी लंड पर ही है.
फिर हमने खाना खाया और तीनों बैठ कर टीवी देखने लगे. कुछ देर टीवी देखा और इधर उधर की बातें हुईं.
अब मैंने कहा- भाबी मैं चलता हूं.
इतने में उनका लड़का बोल पड़ा- भैया आज यहीं सो जाइए ना … क्या हो जाएगा.
मैं- नहीं, मैं यहां कैसे सो सकता हूं!
मगर उनका लड़का जिद करने लगा- नहीं भैया, आज आप यहीं पर सो जाइए. इधर इतनी तो जगह है.
इतने में भाबी भी बोल पड़ीं- कोई बात नहीं रवि, आज तुम भी इधर ही सो जाओ … क्या फर्क पड़ जाएगा.
मैंने भाबी की मदभरी आंखों में झांक कर कहा- ठीक है भाबी आप कहती हैं, तो मैं यहीं सो जाता हूँ.
भाबी के होंठों पर एक कातिलाना मुस्कान आ गई थी जिसे मैं समझ गया था कि आज क्या नहीं हो जाएगा.
मैं सोच रहा था कि आज तो भाबी की चुत मिलना पक्की है.
हम तीनों एक ही बेड पर सो गए. हम दोनों के बीच में उनका लड़का सोया था. दोनों किनारों पर हम दोनों लेटे थे.
उस समय यही कोई दस बजे का टाइम था.
कुछ देर में हम सब सो गए.
लेकिन मुझे नींद कहां आनी थी. मैं तो बस ऐसे आंखें बंद करके भाबी की चुदाई के बारे में सोच रहा था जिससे मेरा लंड खड़ा हो गया था.
लगभग एक घंटा हुआ होगा, तभी मुझे अहसास हुआ कि कोई मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहला रहा था. कभी उसको मुट्ठी में दाब रहा था.
मैं समझ गया कि आज तो भाबी लंड ले कर ही मानेंगी.
फिर मैंने सोचा कि अभी कुछ नहीं करता हूँ, थोड़ी देर बाद देखा जाएगा. मैं सोने का ड्रामा करते हुए लेटा रहा.
कुछ देर बाद कमरे की लाइट ऑन हो गई और भाबी मेरे बगल में आकर बैठ गईं.
उन्होंने मेरे लंड को अपने कोमल हाथों से सहलाना शुरू कर दिया. फिर अपने रसीले होंठों से पैंट के ऊपर से ही लंड को चूमने लगीं.
इससे मेरा लंड अपने विकराल रूप में आ चुका था और पूरा उफान मार रहा था.
भाबी समझ गई थीं कि लौंडा जाग रहा है.
उन्होंने देर न करते हुए मेरी पैंट को नीचे सरका दिया.
जैसे ही लंड को आजादी मिली, वो एकदम से झटके देता हुआ सीधा खड़ा हो गया और भाबी को सलाम करने लगा.
भाबी का चेहरा अब देखने लायक़ था. उनकी आंखें बड़ी और मुँह खुला हुआ था. भाबी बड़ी गौर से लंड ऐसे देख रही थीं, मानो कभी देखा ही नहीं हो.
उन्होंने मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ा और बालिश्त से नापने लगीं.
मुझे ये मौका सही लगा और मैं अनजान बनते हुए अचानक से उठ गया.
नजारा देख कर मैं बोला- अरे भाबी आप!
इतने में ही उन्होंने मेरे मुँह पर अपना हाथ रख दिया और बोलीं- चुप रहो, वरना छोटू जाग जाएगा.
मैं भी शांत हो गया.
भाबी धीमी आवाज में बोलीं- तुम्हारा लंड तो काफी लंबा और मोटा है.
मैं- इसमें क्या है, ये तो सबका होता है.
भाबी- नहीं, रवि मेरे उनका लंड है तो इतना ही मोटा, लेकिन लंबाई इससे बहुत कम है … और महीनों में कुछ ही दिनों के लिए मिलता है.
मैं- तो आप इतने दिनों तक कैसे रहती हो?
भाबी- क्या करूं … मन तो बहुत करता है. लेकिन कर भी क्या सकती हूं.
मैं- तो चलो … आज बुझा लीजिए अपनी चुत की प्यास.
फिर भाबी ने मेरे विकराल लंड को अपने मुँह में ले लिया और मस्ती से लंड चूसने लगीं.
उफ्फ क्या कहूं, भाबी मेरे लंड को ऐसे चूस रही थीं … मानो कच्चा ही खा जाएंगी. मैं तो जन्नत में था.
लगभग 10 मिनट तक लगातार लंड चूसती रहने के बाद भाबी मस्त होकर मेरी आंखों में वासना से देखने लगीं.
मैंने कहा- भाबी लगता है आप इसका रस पीकर ही मानोगी.
वो बोलीं- हां, काफी मन कर रहा है लंड का रस पीने को … लेकिन निकल क्यों नहीं रहा.
मैं खड़ा हुआ और कहा- अब चूसो.
वो भी नीचे आ गईं और घुटनों के बल बैठ कर फिर से लंड चूसने लगीं.
अब मैंने भी उनका सिर पकड़ा और जोर से झटके मारने लगा.
थोड़ी ही देर में मैं झड़ने वाला था, तो एक जोर का झटका देते हुए पूरा लंड मुँह के अन्दर कर दिया और अन्दर ही झड़ गया.
इतने में भाबी की सांस फूलने लगी और वो खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगीं.
मुझे धक्का देते हुए मेरे लंड को मुँह से निकाला और खांसते हुए लंबी सांस लेकर बोलीं- लगी रवि तुम तो बड़े जालिम हो … लगता है आज मार ही डालोगे.
मैं- नहीं भाबी, ऐसा नहीं है और ये तो कुछ नहीं है. आज मैं जब आपकी मोटी गांड फाड़ूंगा, तब मज़ा आएगा.
भाबी- हां, आज तो तुम मेरी जान लेकर ही मानोगे. लेकिन यहां नहीं, तुम्हारे रूम में चलो. वहां जैसे मन करे … वैसे चोद लेना. यहां मेरा बेटा जाग जाएगा.
मैं- ठीक है तो चलिए.
फिर हम दोनों नीचे मेरे कमरे में आ गए.
उस समय लगभग 12 बज रहे थे. जैसे हम नीचे आए, मैंने उनको अपनी बांहों में कसके पकड़ लिया और किस करने लगा.
वो भी मेरा साथ देने लगीं.
उम्म्महा …
क्या स्वाद था उनके रसीले और कोमल होंठों का.
किस करते हुए मैं एक हाथ से उनके एक चूतड़ को मसल रहा था और दूसरा हाथ उनकी चूची पर लगा था.
हम दोनों एकदम मदहोश हो गए थे.
उनकी मोटी गांड को मसलते हुए मैं उस पर जोर जोर से चांटे मार रहा था, जिससे वो और भी पागल हुई जा रही थीं.
भाबी मुझे ऐसे किस कर रही थीं, मानो मेरे होंठ काट खाएंगी.
फिर मैंने उनकी नाइटी को उतार कर अलग कर दिया. वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी थीं.
भाबी का गोरा बदन, बड़े बड़े गोल चूचे और चिकनी चुत देख कर मेरा लंड भी टाइट हो गया. मैंने उनको पलंग पर लेटाया और पागलों की तरह चूचियों को चूसने लगा.
मेरे ऐसा करने से उनके मुँह से सिसकारी निकलने लगी- अह ऊहह रवि … तुम क्या कर रहे हो … प्लीज अब चोदो ना … म्महहा ऊऊफ़्फ़ अब बर्दाश्त नहीं होता.
वो ऐसे ही बोलती रहीं और मैं उनकी चूचियों को चूसता रहा.
बीच बीच में मैं उनके मम्मे को दांत से काट भी देता, तो वो और भी पागल हो जातीं और मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा देतीं.
फिर मैं चूमते हुए नीचे चुत पर आया. भाबी की सफाचट चुत पर मैं अपनी जीभ रगड़ने लगा.
उनकी चुत के ऊपर के दाने को होंठों से दबा कर खींचने लगा.
इससे वो एकदम से तड़प रही थीं- इस्स रवि … अब नहीं रहा जाता आहहा … रवि प्लीज … फक मी.
उनकी चुत बड़ी रसीली थी. मुझे चुत चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था.
उधर भाबी लंड लेने के लिए तड़प रही थीं.
लगभग 10 मिनट तक मैंने उनकी चुत चाटी जिससे उनकी चुत से फव्वारा निकलने लगा.
भाबी ने तेज स्वर में चिल्लाते हुए मेरा सिर पकड़ कर अपनी चुत पर ही दबा दिया.
मैं भी उनकी चुत का पूरा रस पी गया.
भाबी झड़ कर एकदम निढाल होकर पड़ गईं.
मैं भी उनके ऊपर ही लेट गया और उन्हें किस करने लगा. मैं उनके गले पर, उनके होंठों पर, कभी उनकी नाभि पर चूमता चला गया.
मैं भाबी को फिर से गर्म करने लगा.
फिर जब वो मेरा साथ देने लगीं, तो मैंने देर ना करते हुए अपना लंड निकाला और उनकी चुत पर रगड़ने लगा.
इससे उनके बदन में फिर से आग लग गई और वो बोलने लगीं- रवि, अब तो लंड चुत में डाल दो. मेरी चुत की आग को शांत कर दो.
मैंने बोला- ठीक है मेरी रानी … ये लो.
ये कहते हुए मैंने एक जोर का झटका दे दिया.
मेरा आधे से ज्यादा लंड चुत में अन्दर तक चला गया और उनकी चीख निकल गई- अह्हहह म्ममा मर गई!
‘क्या हुआ?’
उनकी आंखों में पानी आ गया और कहने लगीं- आह रवि प्लीज … अब नहीं … बहुत दर्द हो रहा है, पहले एक बार निकालो फिर करना.
लेकिन मैं कहां कुछ सुनने वाला था. मैंने दूसरा झटका दे दिया और पूरा लंड अन्दर पेल दिया.
वो और तेज चीख पड़ीं और मुझे धकेलने लगीं.
मैं उनकी चुत में लंड अड़ाये चढ़ा रहा. वो चीखती रहीं … और मैं धक्के मारता गया.
भाबी- उऊओ मम्मा मर गई रे आह साले ने फाड़ दी … आह रुक जाओ … आराम से करो.
लेकिन मुझे मज़ा आ रहा था, सो मैं लगा रहा.
अब भाबी गाली देने लगीं- आह मादरचोद … रुक जा … साले दर्द हो रहा है हरामी … चोद लेना मगर जरा तो रहम कर कमीने.
भाबी की हालत रोने जैसी हो गई थी.
मैं तीस धक्के मार कर रुक गया और उनकी तरफ देखने लगा.
भाबी कराहते हुए बोलीं- तुम सच में बड़े जालिम हो रवि.
ये बोलते हुए वो मुझे नाखून चुभा रही थीं.
मैं फिर से चालू हो गया और पन्द्रह मिनट की जोरदार झटके के बाद वो भी मेरा साथ देने लगीं और खूब मज़े से चुदवाने लगीं.
थोड़ी ही देर में भाबी झड़ गईं, लेकिन मेरा लंड तो अभी भी टाईट था और झटके दिए जा रहा था.
मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और बोला- गांड में डालूं क्या?
वो तुरंत सीधी हो गईं और बोल पड़ीं- ना बाबा ना … तुम बड़े जालिम हो … उसमें नहीं पेलना … बड़ा दर्द करता है.
मैं हंसते हुए बोला- चलो ठीक है, नहीं डालूंगा … लेकिन चुत तो चोदने दो.
वो घोड़ी बन गईं और मैं उनके पीछे से लंड पेल कर फिर से चालू हो गया.
फिर इसी पोजिशन मैं दस मिनट तक भाबी को चोदता रहा और उनकी गांड पर थप्पड़ मार मार कर उसे लाल कर दिया.
मैं जितनी तेजी से झटका मारता, भाबी उतनी तेजी से चूतड़ हिला देतीं.
अब मैं झड़ने वाला था, तो मैंने झटके तेज कर दिए और हम दोनों एक साथ झड़ गए.
इस जोरदार चुदाई के बाद हम दोनों निढाल होकर चिपक कर नंगे ही सो गए.
सुबह साढ़े चार बजे मेरी नींद खुली, तो मेरा मन किया कि भाबी को एक बार फिर से चोद दूं.
लेकिन देखा कि भाबी नींद में हैं, तो चुपचाप मैंने उनकी दोनों टांगें फैला दीं और लंड चुत में सैट करके एक ही झटके में लौड़ा अन्दर पेल दिया.
भाबी चीखती हुई उठीं और बोलीं- कमीने ऐसे कौन चोदता है … साले जगा देता.
मैं कुछ नहीं बोला बस उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर चुत चोदने लगा.
बीस मिनट की जोरदार चुदाई में वो फिर से दो बार झड़ गई थीं.
मैं भी झड़ गया और वैसे ही उनके ऊपर सो गया.
रात भर में भाबी की हालत बुरी तरीके से चुदाई के कारण खराब ही चुकी थी.
वो उठ भी नहीं पा रही थीं. उनकी आंखें लाल हो गई थीं.
लेकिन क्या करतीं, सुबह के 6 बज रहे थे. उनका बेटा कभी भी उठ सकता था.
वो किसी तरह से उठीं और दीवार के सहारे अपने कमरे में जाकर सो गईं और मैं भी अपने कमरे में सो गया.
सुबह जब उनका लड़का स्कूल चला गया तो भाबी ने मुझसे गर्भनिरोधक दवा मंगवाई और बाद में मैंने उनकी चुत सिकाई की.
तब कहीं जाकर भाबी की चुत की सूजन कम हुई.
अब जब भी मेरा मन करता है, मैं भाबी को पकड़ कर चोद देता हूँ.
दोस्तो, अगर मेरी X भाबी चुदाई स्टोरी पढ़ कर आपके लंड चुत से पानी निकल गया हो, तो प्लीज़ मुझे कमेंट और मेल करके जरूर बताएं ताकि इसके बाद मैंने कैसे भाबी की गांड भी मारी, वो बता सकूं.
मेरी ईमेल आईडी है
[email protected]
धन्यवाद.
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