विधवा आंटी की हवस
(Vidhwa Aunty Ki Hawas)
हैलो दोस्तो, मेरा नाम गौरव है। मैं लाल कोठी.. जयपुर का रहने वाला हूँ।
मैं सीए का स्टूडेंट हूँ और यहीं किराए के फ्लैट में रहता हूँ।
मैं आज आपको मेरी पहली चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ।
मेरे वहाँ जाने से एक महीने पहले मेरे फ्लैट के मलिक की मौत हुई थी.. तो आंटी ने अधिक सवाल ना करते हुए मेरी आईडी लेकर किराए की बात बताकर फ्लैट की चाभी मुझे दे दी.. और मैं होटल से अपना सामान लेकर फ्लैट में आ गया।
वो फ्लैट उन आंटी के साथ वाला ही था।
आंटी के दो बेटे थे और दोनों विवाहित थे। वे अपने परिवार के साथ ऑस्ट्रेलिया में रहते थे और हर छह महीने में यहाँ आते थे।
अब मैं आंटी के बारे में बताता हूँ.. आंटी की उम्र 50 साल थी.. पर उन्होंने अपनी बॉडी को जिम से मेंटेन कर रखा था और किसी भी दृष्टि से 30-35 से बड़ी नहीं लगती थीं।
उनकी फिगर 36-30-38 की रही होगी.. और वे एक मस्त माल थीं।
वो सारा घर का काम खुद ही करती थीं.. और उसी में बिज़ी रहती थीं।
मेरे पास एक रॉयल एनफील्ड बाइक थी और आंटी को जब भी मार्केट का काम होता था.. तो वे मुझे ही बोलती थीं।
अक्सर वो मेरे साथ बाइक पर ही मार्केट चली जाती थीं।
मुझे आंटी अच्छी लगती थीं.. लेकिन मेरे मन में उनके बारे में कोई ग़लत ख़याल नहीं थे।
लेकिन एक दिन जब हम दोनों मार्केट से आ रहे थे.. तो अचानक तेज बारिश शुरू हो गई.. तो मैंने बाइक एक शेड के नीचे रोक ली।
तभी आंटी ने बोला- आज बारिश में भीगने का मन कर रहा है.. तो तू बाइक को मत रोक।
मुझे भी बारिश में भीगना अच्छा लगता है.. तो मैंने आंटी का कहना मानते हुए बाइक को रोड पर बढ़ा दी.. और हम दोनों भीगते हुए घर पहुँचे।
मैं आंटी को घर के गेट पर उतार कर जैसे ही बाइक को आगे बढ़ाने लगा.. तो आंटी ने बोला- बेटा बहुत भीग गए हो.. अन्दर आ जाओ।
मैं उनके घर में चला गया.. उन्होंने मुझे अंकल के कपड़े और तौलिया दे दिया।
मैं मना करने लगा.. तो आंटी ने डाँट कर मुझे कपड़े बदलने के लिए दे दिए और मैं बाथरूम में गया। वहाँ मुझे कुछ किताबें दिखीं.. जो नग्न तस्वीरों वाली थीं।
उन किताबों के पास ही एक लम्बा सा डिल्डो रखा हुआ था.. तो मैं देखने लगा.. जिससे मेरे मन में वासना जाग गई और मैंने आंटी की ब्रा और पैंटी में मुठ मार दी और पैंटी में अपना माल छोड़ दिया।
तभी आंटी की आवाज़ आई- क्या हुआ बेटा?
तो मैं कुछ नहीं बोला और चेंज करके बाहर आ गया.. पर मुझे याद आया कि मैं आंटी की पैन्टी साफ करना भूल गया।
मैं जैसे ही उसे साफ करने के लिए जाने लगा.. तो देखा की आंटी ने बाथरूम में जाकर दरवाजा बंद कर लिया।
मैंने सोचा कि आज तो मैं गया..
लेकिन आंटी ने बाहर आकर मुझसे कुछ नहीं कहा तो मैंने सोचा कि आंटी ने उसे नहीं देखा होगा.. तो मेरे मन में शांति हुई।
लेकिन जब मैं फिर से बाथरूम में गया.. तो मुझे वो पैंटी वहाँ नहीं मिली। मैं सोचने लगा कि अब क्या होगा।
तभी आंटी ने आवाज़ लगाई- आ जाओ बेटा चाय बन गई है।
मैं बाहर चला आया.. लेकिन आंटी को देख कर हक्का-बक्का रह गया.. क्योंकि मैंने आंटी को पहले कभी भी इस रूप में नहीं देखा था।
उन्होंने अंकल की एक लंबी शर्ट पहनी थी.. जो उनके घुटने तक आ रही थी और आंटी ने इसके अलावा कुछ नहीं पहना था।
वो बिल्कुल मेरे पास आकर सोफे पर बैठ गईं और जब मैं थोड़ा दूर हटने लगा.. तो आंटी ने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और अपनी और खींच लिया.. जिससे मेरा मुँह उनकी छाती पर लग गया।
मैं हैरान होकर खड़ा हो गया और जाने लगा।
तभी आंटी ने बोला- मैंने किया तो जा रहा है.. और तूने किया वो क्या था?
तो मैं कुछ ना बोला और वहीं खड़ा रहा.. तभी आंटी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने पास खींच लिया और मेरे होंठों पर एक जम के लंबा किस कर दिया..
जिससे मैं भी थोड़ा खुल गया।
फिर आंटी बोलीं- आज से तू मेरे साथ इसी घर में सोएगा।
तो मैं कुछ नहीं बोला।
फिर आंटी बोलीं- क्या तेरी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैं थोड़ा शर्मा कर बोला- नहीं.. मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।
फिर आंटी ने जो कहा.. वो सुन कर मैं कुछ नहीं बोला और उन्हें देखता रह गया।
आंटी ने बोला- क्या तूने कभी सेक्स किया है?
मैंने सर नीचे कर लिया।
आंटी बोलीं- शर्मा क्यूँ रहा है.. बोल ना..
मैं बोला- ना.. कभी नहीं किया।
‘कभी नहीं किया?’
मैंने कहा- आंटी मैंने तो कभी किसी लड़की को नंगी भी नहीं देखा.. सेक्स तो दूर की बात है।
आंटी कुछ नहीं बोलीं और खड़ी होकर अंकल की शर्ट जो उन्होंने पहनी थी.. उतार दी और बोलीं- ले पहले तू अच्छे से देख ले।
जैसे ही मैंने आंटी को देखा तो मेरा लण्ड भी जाग गया।
मैं खड़ा हुआ तो आंटी ने मेरी पैंट में खड़े लौड़े को महसूस कर लिया और मेरे पास आकर मेरे लण्ड को पैंट के ऊपर से पकड़ कर बोलीं- बड़ी जल्दी है तेरे इस महाराज को.. महल में जाने की?
तो मैंने थोड़ी बेशर्मी से आंटी के दूध पकड़ कर बोला- क्या करें आंटी जी.. पहली बार किसी को इस तरह देख रहा है.. तो पगला गया है.. ग़लती कर बैठा है।
आंटी ने चुटकी लेते हुए कहा- इसको इसकी ग़लती की सजा मिलेगी।
आंटी ने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए और मुझे पूरा नंगा कर दिया।
फिर वे मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर किस करने लगीं.. तो मैं भी उन्हें बाँहों में भर कर किस में साथ देने लगा।
कुछ पलों बाद जब हम अलग हुए.. तो आंटी ने मुझे सोफे पर धक्का दिया और घुटने पर बैठ कर मेरे लण्ड को मुँह में ले लिया और एक बच्चे की तरह लॉलीपॉप समझ कर चूसने लगीं।
कुछ देर बाद मैंने आंटी से बोला- मेरा निकलने वाला है..
तो वो बोलीं- मेरे मुँह में ही डाल दे.. तीन महीने हो गए.. मिला नहीं है.. आज तेरा सारा माल मैं ही लूँगी.. एक बूँद भी बर्बाद नहीं होने दूँगी।
वो फिर मेरे लण्ड को चूसने लगीं और 5 मिनट के बाद मेरे लण्ड ने उनके मुँह को भर दिया और वो मेरी तरफ देखते हुए पी गईं।
वो मुझसे बोलीं- मेरी रानी बहुत दिनों से सूखी है.. जरा इसे अपनी जीभ से गीला कर दे..
तो मैं नीचे बैठ करके चूत चाटने लगा.. तो वो सिसकारियाँ भरने लगीं और मेरा सिर प्कड़ कर दवाब बनाने लगीं। उनकी चूत से नमकीन गाढ़ा सा पानी निकलने लगा.. जिसे मैंने मुँह में ले लिया और किस करते हुए थोड़ा उन्हें भी चखा दिया।
इतनी देर में लण्ड फिर सलामी करने लगा.. तो आंटी बोलीं- जानेमन अब नहीं रहा जाता.. डाल इस मूसल को मेरी रानी में..
तो मैंने कहा- मैं नहीं डालूँगा.. तू ही डाल ले..
आंटी ने अपने हाथ से लण्ड को चूत पर सैट किया और बोला- धक्का तो मार दे।
मैंने एक ज़ोरदार धक्का मारा तो आंटी ने चीख मारी.. और बोलीं- ओऊ.. मादरचोद.. आराम से.. मारेगा क्या?
आंटी के मुँह से गाली सुन कर मैं हैरान हो गया.. तो मैंने कुछ नहीं किया.. जैसे था.. वैसे ही रुका रहा।
अब आंटी का आदेश आया- अब जम कर क्यूँ रह गया.. मार धक्का..
फिर दूसरे धक्के में मेरा लम्बा लण्ड आंटी की चूत में पूरा घुस गया।
आंटी की चूत थोड़ी टाइट थी.. क्योंकि वो पिछले 3 महीने से नहीं चुदी थी।
मैं लण्ड को आगे-पीछे करने लगा और आंटी भी कमर उठा-उठा कर साथ देने लगीं।
मैं उनकी चूचियों को चूसते हुए ज़ोर-ज़ोर से आंटी को चोद रहा था।
मैं काफी देर तक धक्के मारता रहा। मैं और आंटी एक साथ झड़ गए.. और एक-दूसरे के लिपट कर वैसे ही लेट गए।
पंद्रह मिनट बाद हम एक साथ बाथरूम में गए.. जहाँ आंटी मूतने लगीं तो मैं बोला- मुझे भी मूतना है.. जल्दी करो।
आंटी बोलीं- मुझे नहला दे.. अपने मूत से..
मैंने वैसे ही किया और फिर हमने एक साथ शावर लिया और आंटी को एक बार शावर लेते-लेते चोद दिया।
अब तो हम जब चाहते.. तब मज़े करते। मैं आज भी यहीं रहता हूँ और आंटी के साथ-साथ उनकी सहेलियों के साथ मजे ले रहा हूँ।
मैंने कैसे आंटी की गाण्ड मारी.. ये अगली कहानी में..
मुझे ज़रूर बताना की मेरी कहानी कैसी लगी। मुझे बताने के लिए मेल कीजिएगा और प्लीज मुझसे आंटी के बारे में मत पूछिएगा।
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