उस हसीन भाभी का मैं दीवाना
(Us Hasin Bhabhi Ka Me Diwana)
दोस्तो, मेर नाम अमित है, मेरा कद 5’11” और लण्ड का आकार 7 इन्च है। मैं दिल्ली में एक सोफ़्टवेयर कम्पनी में एक इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर हूँ।
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। यहाँ कहानियाँ पढ़ने के बाद मुझे लगा कि मुझे भी अपनी यौन-क्रीड़ा के बारे में आपको बताना चाहिए।
मुझे उम्मीद है कि मेरी इस रसीली घटना को पढ़ते हुए लड़के मुठ्ठ मारने लगेंगे और लड़कियों, भाभियों और आन्टियों को लण्ड की प्यास लग आएगी। अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है।
चलो, इन बातों को छोड़ कर मुद्दे पर आते हैं। मैं वैसे तो सोनीपत का रहने वाला हूँ और जहाँ मैं रहता हूँ.. वहाँ पर भाभियों की कोई कमी नहीं है।
मेरे घर के साथ वाला जो घर है.. उसमें मेरी सबसे फ़ेवरेट भाभी रहती हैं जिनका नाम है कोमल.. उनकी उम्र भी करीब 30 साल की होगी। उनकी मस्त जांघें देखकर किसी का भी लंड सलामी दे दे और उनकी गाण्ड के तो क्या कहने.. वो देखने में बिलकुल कातिल हसीना की तरह थीं।
एक सपना सा लगता था जब वो पास आकर बातें करती थीं।
आस-पास के सारे लड़के उन पर मरते थे।
एक दिन किसी काम से मैं उनके घर गया.. घर की घण्टी बजाई तो भाभी ने दरवाज़ा खोला और कुछ पल तक तक वो मैं उन्हें देखता ही रहा।
वो लग ही कुछ खास रही थीं.. लगता था कि अभी-अभी नहा कर आई हैं। उन्हें देख कर मेरा लण्ड सलामी मारने लगा। न जाने कितनी ही बार मैंने उनके नाम की मुठ्ठ मारी होगी।
मैंने उनसे पूछा- भैया हैं?
बोली- तुम्हारे भैया अभी गए हैं.. शाम तक आएंगे.. क्या काम था?
मैंने कहा- मैंने भैया को कल हिंदी फिल्मों की सीडी दी थी.. क्या आप मुझे वो वापस कर देंगी?
बोलीं- तुम दो मिनट रुको.. मैं अभी लाती हूँ।
उन्होंने मुझे सीडी लाकर दी और मैं सीडी लेकर घर आ गया। जब मैंने उसे अपने कम्प्यूटर में चलाकर देखी.. तो वह एक ब्लू फ़िल्म की सीडी थी। मेरे मन में ये ख्याल आ रहा था कि भाभी ने मुझे ये गलती से दी है.. या जानबूझ कर दी है। फ़िर मैंने सोचा गलती से दे दी होगी और मैं उसे वापस करने गया।
मैंने कहा- भाभी ये गलती से गलत सीडी आ गई है.. मेरी कोई और थी।
भाभी ने कहा- रुक.. मैं चला कर देखती हूँ।
मैंने कहा- ओके..
क्योंकि उनको चोदना एक सपना सा ही था और मैं उस सपने को पूरा करने का एक भी चान्स मिस नहीं करना चाहता था।
जैसे ही उन्होंने सीडी अपने कम्प्यूटर में चलाई और जैसे ही फ़िल्म चली.. भाभी ने कम्प्यूटर बन्द कर दिया और बोलीं- सॉरी.. ये तुम्हारे भैया की सीडी है।
मैंने कहा- क्या मैं ये रख लूँ?
वो बोली- तुम क्या करोगे?
मैंने कहा- जो आप दोनों करते हो।
तो उन्होंने मुझसे पूछा- क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है..?
मैंने कहा- नहीं.. अभी तक तो नहीं है।
भाभी बोली- क्यों अपनी जवानी खराब कर रहे हो देवर जी।
मैंने कहा- भाभी.. बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ..
वो बोलीं- हाँ कहो..
मैंने कहा- आप बहुत खूबसूरत हो और मुझे आप बहुत पसंद हो.. आई लव यू..
भाभी कुछ नहीं बोलीं और मुस्कुराकर उठ कर रसोई की ओर जाने लगीं। तभी भाभी का पैर लचक गया और वो वहीं गिर पड़ीं।
देखने से साफ पता लग रहा था कि ये उनका नाटक है। मैंने भी सोचा मौका है.. हाथ से क्यों जाने दिया जाए।
फ़िर मैंने उन्हें उठाया.. उनका एक हाथ अपना कंधे पर रखा और दूसरा हाथ उनकी कमर के थोड़ा ऊपर उनके स्तनों के एकदम नीचे और उन्हें रूम में ले जाकर सोफे पर बिठा दिया।
भाभी से पूछ कर आयोडेक्स लिया और उनकी साड़ी को घुटने के ऊपर करके आयोडेक्स लगा दिया। उतने में भाभी ने अपने दोनों पैरों को थोड़ा सा और खोल दिया। मैं समझ गया कि भाभी अब क्या चाहती हैं।
आयोडेक्स लगाते लगाते मेरा हाथ भाभी की जांघ तक पहुँच गया। तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर सीधे अपनी चूत पर रख दिया जो कि पूरी की पूरी गीली हो गई थी।
मैं भाभी के लाल होंठों को चूमने लगा और भाभी की गाण्ड पर हाथ डाल कर उठा लिया।
भाभी ने अपने दोनों पैर मेरी कमर पर लपेट दिए। अब भाभी का पूरा वजन मेरे ऊपर था।
भाभी बोली- अब चूमते-चूमते बेडरूम तक मुझे ले चलो।
मैंने वही किया। चूमते-चूमते भाभी को बिस्तर पर लेटाया और एक हाथ भाभी के सर पर रखा। दूसरे हाथ से भाभी के स्तन ऊपर से दबाने लगा।
भाभी का हाथ मेरे पैंट के ऊपर से मेरे लण्ड को दबा रहा था। मैंने भाभी के ब्लाउज को खोल दिया और ब्रा के ऊपर से स्तनों को दबाने लगा।
उनके मस्त मम्मों को दबाते चूमते हुए मैंने भाभी की साड़ी खोल दी। फिर भाभी के पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया और पेटीकोट को उतार दिया।
अब भाभी मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थीं।
मैं भी अपने कपड़े उतारने लगा। तभी भाभी बोलीं- मेरे कपड़े तुमने उतारे थे.. अब मैं तुम्हारे कपड़े उतारूंगी।
भाभी ने पहले मेरी टी-शर्ट उतारी और मेरी छाती को चूमने लगीं। फिर मेरी जींस का बटन खोला और एक झटके से जींस के साथ मेरा अंडरवियर भी उतार दिया।
मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया। जैसे-जैसे मेरी जीभ उसकी चूत के छल्लों को चाटते हुए चूत के अन्दर गुलाबी वाले हिस्से में गई.. भाभी के मुँह से सिसकारियों का सैलाब फूट पड़ा।
‘उह्ह.. आह.. आह्ह.. ऊई.. उई.. ईई हुम्म्म अह्ह्ह्ह.. बस बस.. प्लीज़.. ओह.. ह ह्ह्ह्हह.. अब डाल दो न प्लीज़.. अमित.. मर जाऊँगी.. ईई ईई म्म्मआह्ह.. ह्हआह आह्ह.. जल्दी करो..’
फिर हम 69 की अवस्था में आ गए।
क्या बताऊँ साथियो.. भाभी क्या मस्त लंड चूसती हैं.. आह्ह.. मैं तो कुछ ही देर में झड़ गया.. और वो भी अपनी चूत का रस छोड़ बैठीं।
भाभी सिसियाते हुए बोलीं- अब मत तड़पाओ.. जल्दी से कुछ करो और मेरी चूत की प्यास बुझा दो..
मैंने अपने लण्ड को हिलाया और भाभी की चूत पर थपथपाने लगा।
भाभी बोली- ऐसे मत तड़पाओ न.. अपना लण्ड मेरी प्यासी चूत में डाल दो.. प्लीज़..
सबसे पहले मैंने अपने लण्ड का सुपारा एक हल्के से झटके से भाभी की चूत में पेल दिया।
इतने में ही भाभी कराहने लगीं- आह.. ओहह.. ऊह.. ओऊ..
दूसरे झटके में मेरा पूरा का पूरा लण्ड चूत की गहराई नाप रहा था और भाभी जोर-जोर से सिसकियाँ लेने लगीं- उह्ह आह आह्हह्ह.. ऊई.. उई.. ईई.. हुम्म्म.. अह्ह्ह्ह.. बस बस.. प्लीज़.. ओहह.. ह्ह्ह्हह..
कुछ देर बाद भाभी का शरीर अकड़ने लगा। मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली हैं।
तभी मेरे लण्ड ने भाभी की चूत का बांध तोड़ दिया और वो झड़ गईं.. पर मेरी मंजिल अभी दूर थी। मैंने चुदाई चालू रखी और कुछ मिनट बाद मैं भी झड़ गया, तब तक भाभी तीन बार झड़ चुकी थी।
मेरी नजरें अब भाभी की गाण्ड पर थीं। भाभी बोलीं- तुम्हारे भैया आने वाले हैं.. इसे फिर कभी मार लेना।
मैंने कहा- भाभी जल्दी-जल्दी देती रहना..
दोस्तो.. इस तरह मोहल्ले की सबसे मस्त भाभी मेरे लौड़े से बंध चुकी थी.. अगले भाग में लिखूंगा कि भाभी की गाण्ड कितनी रसीली थी। आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. मेल करके मुझे ज़रूर बताएं।
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