स्वाति भाभी की अतृप्त यौनेच्छा का समाधान -2

(Swati Bhabhi Ki Chudas Ka Samadhan-2)

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स्वाति को इस रूप में देखकर मेरी आँखें फट रही थीं। लौड़ा क्या.. मेरा पूरा बदन गरम होकर जोश मारने लगा।
तभी उसने पेटिकोट की गाँठ खोल दी।
मेरे तो होश ही उड़ गए। पतली कमर और उस पर चूत के ऊपरी हिस्से के छोटे-छोटे बाल देखने में उत्तेजना बढ़ रही थी, उसके नीचे का कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।

वो झट से नहाने के लिए नीचे बैठ गई। मेरा लौड़ा आखरी पड़ाव पर आ चुका था और मैंने टॉयलेट में गरमा गरम पिचकारी मार दी। फिर धीरे से कमरे में वापस आ गया और चुपचाप सो गया।
कुछ शक न हो इसलिए अपने टाइम पर उठकर अपने काम निपटाकर मैं कॉलेज चला गया।

सारा दिन कॉलेज में मेरे लौड़े ने मुझे चैन से काम करने नहीं दिया।
दूसरे दिन मैं उठकर दीदार-ए-हुस्न के लिए सही मौका ढूंढ़कर सही जगह पर तैनात हो गया।

स्वाति भाभी ने सब उसी तरह किया और फिर नहाने नीचे बैठ गईं। मैंने आस-पास की छानबीन की और धीरे से बाथरूम की खिड़की के पास चला गया और जब मैंने अन्दर झांक कर देखा तो मेरी आँखें फट गईं। स्वाति बाथरूम की दीवार से पीठ लगाकर अपनी उंगलियों को अपनी चूत पर घुमाकर फर्श पर एड़ियाँ रगड़ रही थी।
यह नज़ारा देखकर मैं तो पागल ही हो गया।

फिर उसने अपनी दो उंगलियां चूत की गहराई में पहुँचा दीं और ज़ोर-ज़ोर से अन्दर-बाहर करने लगी.. और साथ ही एक हाथ से अपने मम्मों को भी रगड़ने लगी। उसका मुँह विरुद्ध दिशा में था.. उसे मेरी कुछ भी खबर न थी।
मैंने भी आव देखा न ताव.. अन्दर हाथ डालकर लौड़ा हिलाना शुरू कर दिया। जैसे ही उसने राहत की सांस ली.. मैंने भी अपनी अंडरवियर को अपने माल से भर दी और चुपचाप वहाँ से निकल गया।

मैं बहुत खुश हो गया क्यूंकि मेरा काम बस स्वाति को ये यकीन दिलाना रह गया था कि उसकी उंगलियों से बेहतर चीज़ मैं अपनी पैंट में लिए घूमता हूँ।
मुझे बस स्वाति से कुछ बात करने का यानि आग लगाने का एक छोटा सा मौका चाहिए था। फिर मैंने दिमाग चलाया और रूम मेट्स से जल्दी निकलने की सोच ली और रोज़ के टाइम से 15 मिनट पहले अपनी बाइक साफ़ करने लगा।

तभी अन्दर रसोई से आवाज़ आई- अरे साहिल सर.. आप जल्दी जा रहे हो क्या? बस दो मिनट रुकिए, मैं चाय लेकर आती हूँ।
मैंने सोचा अन्दर जाने से अच्छा यह है कि बाइक के पास ही रुका रहूँ।
मैं नीचे बैठकर बाइक के टायर साफ़ कर रहा था उतने में स्वाति भाभी चाय लेकर आ गईं।

मैंने कहा- नीचे रख दीजिए.. मैं ले लूंगा।
जैसे ही वो चाय रखने के लिए झुकी.. मैंने धीरे से कहा- आखिर कब तक उंगलियों से काम चलाओगी?
यह सुनकर उसकी सारी दुनिया ही हिल गई, वो झटसे पलट कर रसोई में चली गई।

मैंने बाइक पर बैठकर आसमान की तरफ देखते-देखते चाय पी ली।
जब बाइक निकाल रहा था.. तो मैंने ऐसे ही रसोई की खिड़की में देखा। स्वाति भाभी के पसीने छूट रहे थे। मैंने हॉर्न बजाया फिर भी उसने मेरी तरफ नज़र नहीं उठाईं, मैं मन ही मन खुश होकर चला गया।
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कॉलेज में तो मन ही नहीं लग रहा था, मैंने जैसे-तैसे दिन गुज़ार दिया।
मैंने वापस आते ही अपना काम शुरू कर दिया, मैंने स्वाति भाभी को अपनी वासना भरी आँखों का शिकार बनाना शुरू कर दिया।
मेरे सामने आते ही वो कांपने लगी।

रात को खाना खाते समय भी उस पर ही नज़रें बनाई रखीं। सब लोग यानि हम चार.. राकेश और उसका भाई खाना खा रहे थे और राकेश के पिताजी जिन्हें हम काका कहते थे.. वो परोस रहे थे और स्वाति रसोई से खाना ला रही थी।
नीचे वाले हाल में एक अलमारी थी.. जहाँ हम खाना खाते थे। उसका जो आईना था.. उसमें रसोई में खड़ी स्वाति भाभी साफ़-साफ़ दिखती थीं और मैं पहले से ही उसी पोजीशन में खाने बैठता था।

आखिर इंजीनियर हूँ.. इतना तो दिमाग लगा सकता हूँ, वहीं पर हमारी आँखें टकराने लगीं, वो भी हर थोड़ी देर में आईने पर नज़र डालती और हमारी नज़र टकरा जाती।
वो घबरा गई थी और थोड़ी सी मुस्कुरा भी रही थी।

खाना हो गया और हम अपने रूम में चले गए।
सब सो गए.. लेकिन मुझे नींद ही नहीं आ रही थी। मैंने ऐसे ही सोच-सोच कर पूरी रात गुज़ार दी और जब मैंने घड़ी देखी तो 4 बजे थे.. मैं उठ गया और सीधे जाकर ऊपर वाली गैलरी में बैठ गया।

मैंने स्वाति भाभी के देवर के कमरे को बाहर से बंद कर दिया। जैसे ही भाभी के बेडरूम का दरवाज़ा खुला.. मैं छुप गया और भाभी बाहर आ गईं।
मैं फिर बैठे हुए ही उसके रास्ते में आ गया और वो बिल्कुल डर गई।
मैंने उसे मुँह बंद रखने का इशारा किया और उसका हाथ पकड़ कर उसे ‘आई लव यू’ कह दिया।

मैंने कहा- भाभी.. मैंने जब से तुम्हें देखा है.. मैं तबसे तुम्हारे प्यार में पागल हूँ.. और प्लीज न नहीं कहना.. मैं तुम्हें हर बात से खुश रखूँगा और किसी भी मुश्किल में नहीं फसाऊँगा।
उसने कहा- क्या तुम सच कह रहे हो?
मैंने कहा- इतनी ठण्ड में इतनी सुबह उठकर मैं क्या मज़ाक कर रहा हूँ?

वो हँस पड़ी और मेरे कान में बोली- ये लोग बहुत खतरनाक हैं। मुझे बस इनका ही डर है और मेरा बच्चा भी छोटा है.. कुछ गड़बड़ हुई तो मेरी ज़िन्दगी बर्बाद हो जाएगी।
मैंने कहा- यह मेरा वादा है कि मैं ऐसा कभी भी होने नहीं दूँगा।

वो बोली- ठीक है बस तुम अभी बाथरूम में झाँकना बंद कर दो.. तुम्हें पता नहीं पकड़े गए तो कैसे फंसोगे और तुम्हारी क्या हालत होगी।
मैं नाराज़ हो गया.. पर उससे कहा- फिर आज दोपहर 2 बजे कॉलेज से आ जाऊँ क्या? घर पर तो कोई और नहीं रहता।
उसने ‘हाँ’ कह दिया।

मैं वहीं रुका और वो नीचे चली गई और जब वो बाथरूम में चली गई.. तो मैं धीरे से एक झ़लक देखने के लिए बाथरूम की खिड़की पर गया और उसका पूरा नंगा शरीर आँखों में भर लिया और ऊपर के टॉयलेट में जाकर लौड़ा हिला लिया, फिर उसके देवर के कमरे की कुण्डी खोल दी और नीचे आ गया।

बाक़ी सारे चूतिये ऐसे ही पड़े थे। उनको क्या खबर कि भाई ने आज क्या तय किया है।
दोस्तो, मैंने इस घटना को पूरी सच्चाई के साथ लिखा है और मुझे लगता है कि आपको मेरी इस घटना को पढ़ने में मजा आ रहा होगा। अपने विचारों को मुझ तक भेजने लिए मुझे ईमेल जरूर करें।

कहानी जारी है।
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