पड़ोसन किरायेदार भाभी की मस्त चुदाई
(Sexy Bhabhi Hot Chudai Kahani)
सेक्सी भाभी हॉट चुदाई कहानी में एक पड़ोसन ने मुझसे अपनी चूत मरवाकर सेक्स का मजा लिया. उसका पति उसे चुदाई का मजा नहीं दे पाता था.
दोस्तो, मैं एक मस्तमौला इंसान हूं. और अन्तर्वासना की कहानियां सन 2012 से पढ़ता आ रहा हूं.
अब तो हाल ये गया है कि मुझे इसकी कहानी पढ़े बगैर नींद ही नहीं आती है.
मैंने इसकी लगभग सभी कहानियां पढ़ी हैं, सच में मुझे इन सेक्स कहानियों को पढ़ कर बहुत मजा आता है.
मैं 5 फुट 8 इंच लंबा खूबसूरत और आकर्षक मर्द हूं. मेरे लंड की लम्बाई 6 इंच है.
अब इस सेक्सी भाभी हॉट चुदाई कहानी का मजा लीजिये.
मैं सोने के आभूषण बनाने का कार्य करता था.
पिछले साल लॉकडाउन खत्म होने के बाद कर्जा होने के कारण अब मैं एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रहा हूं.
इसी कठिन समय में मुझे दूसरे शहर में जाकर अपना काम करना पड़ा था.
वहां हमारे कमरे के बिल्कुल सामने एक मदमस्त औरत रहती थी.
मेरी उम्र उस समय 24 साल की थी. उसकी 38 साल थी और उसके पति की 42 साल थी.
एक बार मेरी पत्नी हमारी बहन की शादी के कारण 15 दिन पहले ही चली गई.
पड़ोसन मुझे मस्त नजरों से देखती थी.
मैं भी उसे काफी पसंद करता था.
मेरी बीवी के जाने के बाद रात को मैं पेशाब करने के लिए जा रहा था, तो मैंने देखा कि उसके कूलर का पिछला ढक्कन खुला हुआ था और अन्दर कमरे में उसका पति उसे चोदने की तैयारी कर रहा था.
मेरे लिए ये एक अचानक से घटी घटना थी.
मैं आंखें फाड़े उन्हें देखने लगा.
मगर ये क्या … भाईसाब ने 2-3 धक्के लगाए और धड़ाम से गिर गए.
मैं चकित था कि भाईसाब चोदने के नाम पर भाभी के साथ मजाक करते हैं.
मैं यही सोचता हुआ पेशाब करके भाभी के नाम की मुठ मारकर अपने कमरे में आकर सो गया.
सारी रात मैं पड़ोसन भाभी के ख्वाबों में ही सोता रहा और देर तक सोता रहा.
जब मैं उठा तब भाईसाब अपनी ड्यूटी पर चले गए थे.
नौ बजे के करीब भाभी की लड़की ने मेरा दरवाजा खटखटाया, जिससे मेरी अचानक नींद खुली.
मैंने हड़बड़ाहट में अपने किबाड़ खोले और देखा तो सामने भाभी खड़ी हुई मुस्करा रही थीं.
वो मेरे निक्कर में बने हुए तम्बू को बड़ी गौर से देख रही थीं.
मैं शर्माकर पीछे हो गया और लोअर पहन कर नित्यक्रिया करने चला गया.
वापस कमरे में आने के बाद मैं रसोई में चाय बनाने जाने लगा तो भाभी एक प्याला चाय और सिकी हुई ब्रेड लिए हुए सामने आ गईं.
भाभी बोलीं- कभी हमारी भी चाय पी लिया करो.
मैंने उनसे चाय ब्रेड लेकर नाश्ता किया.
फिर वो बोलीं- आज इतनी देर तक क्यों सोते रहे, क्या काम नहीं है?
मैं बोला- आज कुछ काम भी नहीं है और रात कुछ ऐसा देखा कि मैं उसी बारे में सोचते विचारते कुछ कर बैठा. फिर नींद इतनी गहरी आई कि अभी आंख खुली है.
वो बोलीं- ऐसा क्या देख लिया रात में?
उसी वक्त मेरी नजर इत्तफ़ाक़ से उनके कूलर की तरफ चली गयी, जिसे देख कर वो एकदम से मायूस हो गईं और रोने लगीं.
फिर मेरी तरफ आशा भरी नजरों से देखने लगीं और नजरें चुराकर बोलीं- आज काम पर नहीं जाओगे क्या?
मैं बोला- रात मेरा दिल बहुत दुखा है, इसलिए आज तबियत खराब लग रही है. आज काम की छुट्टी कर लेता हूँ.
ये सुनकर भाभी के चेहरे पर एक मुस्कान दौड़ गई.
मैं समझ गया कि भाभी को मुझसे क्या चाहिए.
फिर वो खाना बनाने लगीं.
मैं अपने कमरे में टीवी देखने लगा.
थोड़ी देर बाद उनकी लड़की आई और तोतली आवाज में कहने लगी- अंतल त्या छ्बजी थाओदे? (अंकल क्या सब्जी खाओगे)
मैंने बाहर देखा तो भाभी मेरे दरवाजे के बाहर खड़ी हुई मुस्करा रही थीं और बहुत ही मस्त नजरों से मुझे देखे जा रही थीं.
मैं उनसे बोला- मैं तो होटल में खा आऊंगा.
इस पर भाभी बोलीं- आप तो हमें अपना समझते ही नहीं, लेकिन हम तो आपको अपना समझते हैं. जब तक आपकी बीवी नहीं आती हैं, तब तक मैं आपको कुछ नहीं बनाने दूंगी.
मैं बोला- उसे या आपके आदमी को पता चलेगा तो हमारे बारे में गलत बात ना सोचने लगें.
वो बोलीं- ना मैं इन्हें कुछ बताऊंगी और ना तुम अपनी बीवी को बताना.
मैं बोला- इतनी मेहरबानी की वजह?
उस पर वो बोलीं- तुम देखने में तो बुद्धू तो नहीं लगते, फिर क्यूं इतने बुद्धू बन रहे हो?
मैं बोला- मतलब?
भाभी बोलीं- रात कूलर का ढक्कन मैंने जानबूझकर खुला छोड़ा था, जिससे तुम्हें पता लगे कि कोई कितना प्यासा है. जब रात को तुम्हारे कमरे से तुम्हारी बीवी की पाजेबों की और मस्त सिसकारियों की आवाज आती है … और मेरे ये मुझे ऐसे ही छोड़ देते हैं, तो तुम नहीं जानते कि मेरे दिल में कैसे बिजलियां गिरती थीं. प्लीज़ मुझे भी थोड़ा सा सुख दे दो.
मैं बोला- अगर किसी को पता चला तो?
वो बोलीं- किसी को पता नहीं चलेगा.
ये सुनकर मैंने उनके कमरे में जाकर उन्हें बहुत ही जोर से अपने सीने से लगा लिया और हम दोनों के होंठ ऐसे चिपक गए, जैसे अब छूटेंगे ही नहीं.
उसी बीच उन्होंने नीचे मेरा लंड पकड़ लिया.
मैंने उनकी चूची दबानी शुरू कर दी.
इतने में ही उसकी लड़की पीछे से बोली- मेली मम्मी है ये.
मैं बोला- नई मेली मम्मी है ये.
भाभी हंस कर बोलीं- मैं इसे सुलाकर अभी आई.
फिर उन्होंने उसे मेरे सामने ही अपनी चूचियों से दूध पिलाना शुरू कर दिया.
भाभी की चूचियां देख कर मुझ पर काबू ना रहा, मैं अपना लंड निकाल कर उनके सामने ही सहलाने लगा.
वो लंड देखकर और मस्त होने लगीं, अपने होंठों पर जीभ फिराने लगीं.
मैं धीरे से भाभी के पास पहुंच गया और लंड को उनके होंठों के पास ले गया.
उन्होंने मुँह दूसरी ओर कर लिया.
मैं बोला- एक चुस्सा तो लगा दो.
ये कह कर मैंने भाभी की दूसरी चूची अपने मुँह में ले ली.
वो आआऊऊईई करने लगीं.
मैं बोला- प्लीज़ मेरे लंड को एक चुस्सा तो दो.
भाभी बोलीं- मैंने आज तक मुँह में नहीं लिया.
मैं बोला- तो आज ले लो न … मजा आ जाएगा.
वो बोलीं- कोशिश करती हूँ.
उन्होंने पहले मेरे सुपारे पर एक चुम्बन किया, फिर सुपारे को होंठों के बीच दबाकर धीरे धीरे चुसकने लगीं.
मैं तो आनन्द के मारे आसमान में उड़ने लगा था.
फिर मैंने धीरे धीरे पूरा लंड उनके मुँह में डाल दिया.
वो उसे बाहर निकाल कर बोलीं- पहले इसे सुला दूं. तुम मेरा इन्तजार करो.
भाभी वो अपने कमरे में लड़की को सुला कर मेरे कमरे में आ गईं.
मैंने उनकी चूची पकड़ कर जोर से भींच दी.
वो बोलीं- धीरे … दर्द होता है.
मैं बोला- दर्द में ही तो मजा है.
मैंने अपना लंड उनके मुँह में दे दिया, जिसे वो चूसने लगीं.
मैं लेटे हुए ही उनके लोअर के पास जाकर उसे उतारने लगा.
भाभी शर्माकर अपने चूतड़ इधर उधर करने लगीं.
मैंने उनके चूतड़ पकड़कर उनका लोअर उतार दिया.
मेरे सामने एक मनमोहक चूत थी, जिस पर नाखून जितनी झांटें थीं.
मैंने प्यार से उसे सहलाया, फिर उस पर एक चुम्बन दिया. फिर उसे होंठों में भर लिया.
भाभी ‘आआ ऊऊईई मर गई मम्मी …’ करने लगीं.
मैं बोला- क्या हुआ … मेरा लंड क्यूं नहीं चूस रही हो?
भाभी बोलीं- आज मेरी चूत में किसी ने पहली बार मुँह लगाया है, बहुत मजा आ रहा है.
मैं बोला- जैसे तुम्हें मजा आ रहा है ऐसे ही मुझे भी आ रहा था. प्लीज़ मेरा लंड मुँह में ही रखो.
भाभी ने मेरा लंड मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं.
मैं अपनी जीभ से उसके दाने को चचोरने लगा.
भाभी की चूत पानी छोड़ रही थी.
मेरे लंड से भी प्रीकम निकल रहा था.
फिर वो बोलीं- अब मुझसे रहा नहीं जा रहा … एक बार अपने लंड से मेरी चूत की प्यास बुझा दो, फिर खूब चुसवा लेना और मेरी चूत भी खूब चाट लेना. प्लीज़ अभी रहा नहीं जा रहा.
मुझे उन पर बहुत प्यार आया, मैंने भाभी को सीधा लिटाया और अपने लंड से उनकी चूत के दाने को रगड़ने लगा.
वो आआ ऊऊईई करने लगीं.
फिर मैंने धीरे से एक धक्का मारा, जिससे मेरा सुपारा भाभी की चूत में घुस गया.
वो जोर से बिलखने लगीं और आह आऊ ऊईई करती हुई बोलीं- बाहर निकालो जानू … बहुत दर्द हो रहा है.
मैं बोला- तुम्हारी तो लड़की हो चुकी है फिर दर्द क्यूं?
वो बोलीं- इसके पापा तो दो तीन धक्के में ही खलास हो जाते हैं, फिर इनका तुम्हारे से आधा ही है. घर वालों ने इनकी नौकरी देखकर मेरी जिन्दगी खराब कर दी. लड़की भी ऑपरेशन से हुई है. आज इनके अलावा मैं तुम्हारा ही लंड ले रही हूं.
मैं बोला- अभी तो सुपारा ही घुसा है. अभी तो पूरा बाकी है. तुम कैसे सहन करोगी?
भाभी बोलीं- धीरे धीरे करो, कोशिश करती हूं.
फिर मैंने धीरे से धक्का लगाया तो मुझे लगा मेरा लंड किसी गर्म और तंग गुफा में बहुत ही मुशिकल से कुछ ही अन्दर जा पाया.
इतने में ही वो चिल्लाने के लिए हुईं तो मैंने अपने होंठों से उनके होंठ जकड़ कर एक ही धक्के में अपना पूरा लंड उनकी चूत में घुसा दिया.
वो मेरी पकड़ से निकलने के लिए तड़पने लगीं, उनकी आंखों से गंगा जमुना बहने लगी.
मुझे भी लगा कि मेरा लंड किसी शिकंजे में फंस गया है; मुझे भी बहुत जलन होने लगी.
कुछ द्रव्य भी मुझे अपने लंड पर महसूस होने लगा.
मैंने नीचे झांक कर देखा तो उनकी चूत से खून बहने लगा था.
वो रोती हुई बोलीं- अब निकाल लो, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
मैंने फिर से उनके होंठों को अपने होंठों के बीच दबाकर बहुत ही मुश्किल से धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया.
मेरे लंड पर भी ऐसा लग रहा था, जैसे कई जगह से कट फट गया हो लेकिन मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए.
फिर थोड़ी देर बाद वो भी अपने चूतड़ धीरे धीरे चलाने लगीं तो मैंने उनके होंठ छोड़ दिए.
वो आआ ऊऊई ई करने लगीं.
मैंने उनकी एक चूची मुँह में ले ली और दूसरी को धीरे धीरे दबाने लगा.
वो बोलीं- तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी, ऐसे भी कोई करता है क्या?
फिर मैं उन्हें धीरे धीरे चोदने लगा. वो उई उई आऊ ईई कर रही थीं.
मुझे भाभी की टाईट चूत चोदने में थोड़ी कठिनाई हो रही थी लेकिन आनन्द की भी कोई सीमा नहीं थी.
उनकी चूत भी चिकनाई छोड़ने लगी थी जिससे अब लंड को थोड़ी आसानी हो गई थी.
मैं अपनी रफ्तार थोड़ी बढ़ाकर एक्सप्रेस पर आ गया.
फिर मैं उन्हें घोड़ी बनाकर चोदने लगा, उनकी गांड के छेद में अपनी बीच वाली उंगली दे दी.
वो एकदम आगे को हो गईं और बोलीं- पहले मेरी चूत तो ठंडी करो, बहुत सुलग रही है.
मैंने कहा- जब चूत ठंडी हो जाएगी तो गांड भी मारूंगा.
वो बोलीं- तुमने तो चूत में डालने में ही जान निकाल दी … सुना है कि गांड में तो बहुत दर्द होता है, मैं तो मर ही जाऊंगी.
मैंने कहा- चूत गांड मरवाकर अगर कोई मरी हो, तो मुझे एकाध नाम बताओ. तुम्हें न जाने किसने बहका दिया है.
वो बोलीं- आंटी कह रही थीं.
भाभी हमारी मकान मालकिन को आंटी कहती थीं.
मैंने कहा- क्या अपने आदमी से बुढ़िया ने भी गांड मराई थी? वैसे तुम दोनों आपस में ऐसी बातें कर लेती हो?
वो बोलीं- हां, हम जब अकेली होती हैं तो ऐसी बातें कर लेती हैं.
मैं बोला- तो आंटी बिना अंकल के अब क्या करती हैं?
वो बोलीं- बुढ़िया खीरे से अपनी चूत की प्यास बुझाती है. मुझसे भी कह रही थी लेकिन मैंने कह दिया. मैं तो अपने सुनार से ही चुदाऊंगी.
मैं जरा हैरान हुआ.
“वो कह रही थीं कि वाकयी जब इसकी बीवी की पाजेबों की आवाज आती है तो मेरी चूत भी पनिया जाती है. पहले तू चुद ले सुनार से, फिर मुझे भी उसके लंड का स्वाद दिलवा देना. बुढ़िया की नजर भी है तुम पर!”
मैं बोला- क्या कह रही हो भाभी. ऐसा भी होता है कहीं … वो तो उम्र में मेरी मां से भी बड़ी ही होंगी. उनका लड़का बहू भी है. वैसे आजकल सुबह से ही आंटी कहां चली जाती हैं.
भाभी बोलीं- उनका दूसरा घर बन रहा है. सुबह से शाम तक वहीं रहती हैं.
फिर भाभी बोलीं- जो औरत प्यासी होती है, वो छोटा बड़ा नहीं देखती. हम दोनों में भी कितना ज्यादा फ़र्क है. मैं भी तो तुमसे चुदवा रही हूं. ऐसे ही आंटी को भी ठंडी कर देना.
मैं बोला- देखेंगे, पहले तुम्हें तो जी भर कर प्यार कर लूं. जब से यहां आया हूं तब से तुम पर नजर थी … आआह क्या मजा आ रहा है भाभी … जी करता है कि यूँ ही लंड तुम्हारी चूत या गांड में ही डाल कर बस चोदता ही रहूं … बड़ा मजा आ रहा है. तुम्हें आ रहा है या नहीं?
भाभी बोलीं- हां बहुत मजा आ रहा है … बस अब जल्दी जल्दी कर लो … कहीं बुढ़िया आ गई तो मुझे उतारकर खुद तुम्हारे लंड पर बैठ जाएगी.
मैं बोला- उसे बताओगी कि आज हमने चुदाई कर ली?
भाभी बोलीं- उसी ने तो मुझे तुमसे चुदवाने को कहा था. यदि उसे ना करती हूँ तो उसे शक होगा कि आज तुम कहीं गए भी नहीं … और मैं चुदी भी नहीं!
मैं बोला- तुम्हें मेरे साथ मजा आ रहा है या नहीं?
भाभी बोलीं- बहुत ही मजा आ रहा है … आह आअय मर गई रे … सुनार ने पण्डितानी चोद दी … आआई ऊऊऊ आआह … और जोर से चोदो राजा.
मैं भी पूरी ताकत से उन्हें चोदने लगा ‘आआह क्या नई चूत का मजा आ रहा था … आह आअय …’
भाभी मेरे लंड पर अपनी कमर पटकने लगीं और ‘अह आह आआह …’ करने लगीं.
अब तक मुझे कोई 20 मिनट उन्हें चोदते हुए हो गए थे और मेरा लंड अब कभी भी पानी फैंक सकता था.
मैं भाभी से बोला- पानी कहां निकालूँ?
भाभी बोलीं- मेरी चूत अपने रस से भर दो, मुझे तुमसे एक बेटा चाहिए.
मैं ये सुनकर भाभी को ताबड़तोड़ चोदने लगा.
इतने में ही उन्होंने अपने चूतड़ मेरे लंड पर पूरे कस दिए जिससे मेरे आंड भी भिंच गए और वो बहुत ही जोर से झड़ने लगीं.
झड़ने के बाद वो शिथिल स्वर में बोलीं- आह मेरा हो गया … तुम्हारा हुआ या नहीं?
मैं गाली देता हुआ बोला- बहन की लौड़ी तूने तो मेरे आंड ही भींच दिए.
भाभी हंसती हुई बोलीं- आह … आज लंड से पहली बार झड़ी हूं … जानू माफ कर दो प्लीज़.
मैंने भाभी के होंठों को अपने होंठों में दबाकर जोरदार कस कस कर 20-25 धक्के मारे और उसके बाद अपना सारा माल उनकी चूत में ही छोड़ दिया.
झड़ कर मैंने उन्हें देखा, तो वो तो आंखें बंद करके मजे में पड़ी थीं.
शायद इतनी जोरदार चुदाई से भाभी को सुकून मिल गया था.
सेक्सी भाभी हॉट चुदाई के बाद आंखें बंद किए हुई ही बोलीं- आआह … आज शादी के 6 साल बाद मेरी असली सुहागरात मनी है.
मैं बोला- सुहागरात या सुहागदिन?
वो हंस कर बोलीं- हां सुहागदिन … पर अब रात को तुम संभल कर सोना, कहीं आंटी तुम्हारे पास सुहागरात मनाने ना आ जाए.
मैं बोला- जो होगा देखा जाएगा.
फिर भाभी उठने लगीं लेकिन उनसे उठा नहीं जा रहा था.
मैंने उन्हें अपनी बांहों में उठाकर उनके कमरे में ले जाकर लिटाया और गर्म पानी से भाभी की चूत की सिकाई की.
थोड़ी सी सिकाई अपने लंड की भी की.
फिर उन्हें थोड़ा बहुत चलवाया.
भाभी की तो चाल ही बदल गई थी.
मैं उन्हें फिर से दुलारने लगा, तो बोलीं- अब बाजार जाकर कुछ काम देख आओ.
मैं बोला- मन नहीं कर रहा तुम्हें छोड़ने का!
तभी बाहर घर की घंटी बजी तो मैं अपने कमरे में आ गया.
मैं अपने कमरे में आकर बाहर का जायजा लेने लगा.
आंटी ही आई थीं, अन्दर आते ही बोलीं- आज तो घर बड़ा महक रहा है. बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है.
दोस्तो, भाभी का नाम नीतू (बदला हुआ) था.
आंटी- अरी नीतू, आज क्या बना लिया, जो इतनी प्यारी महक आ रही है?
फिर फुसफुसाने की आवाज आने लगी. उन दोनों की हल्की हंसी की आवाज सुनाई देने लगी. जिसमें आंटी की सिसकारी भी शामिल थीं.
मैं समझ गया कि नीतू भाभी ने आंटी को बता दिया है कि आज क्या हुआ.
मैं भी रसोई में जाकर चाय बनाकर पी कर बाजार निकल गया.
फिर रात को 9 बजे वापिस आ गया.
इशारों में नीतू भाभी ने बताया कि खाना आंटी के पास रख दिया है.
आंटी भी मुझे घूर रही थीं और मंद मंद मुस्करा रही थीं.
मैं जब खाना लेने लगा, तो आंटी बोलीं- आज अपने कमरे की कुंडी मत लगाना.
मुझे आंटी से शर्म आ रही थी तो मैं बिना कुछ बोले अपने कमरे में आकर पर्दा गिराकर टीवी देखने लगा.
मुझे बार बार आंटी की शक्ल याद आ रही थी और मैं सोच रहा था कि सेक्स की खुमारी न जाने किस उम्र तक ज़िंदा रहती है. उस समय आंटी 60 साल की थीं.
खैर … अब जो भी होना होगा, सो देखा जाएगा.
आंटी की चुदास किस तरह से खत्म हुई, वो मैं आपको अगली सेक्स कहानी में लिखूंगा.
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