मेरी पड़ोसन आंटी ने मेरा लंड लिया

(Sexy Aunty Ki Chudai kahani)

सेक्सी आंटी की चुदाई का मौक़ा मुझे तब मिला जब शहर में दंगों के कारण कर्फ्यू लगा हुआ था. मैंने दिन में उन्हें नंगी नहाती हुई और रात को ब्लू फिल्म देखते हुए देखा.

यह एक पुरानी पीडीऍफ़ कहानी का पुनर्प्रकाशन है.

मैं एक 21 साल का युवक हूँ। यहाँ मैं आपको चुदाई की एक सच्ची सेक्सी आंटी की चुदाई बताने जा रहा हूँ।

हमारे पड़ोस में एक आंटी रहती हैं। उनका मकान हमारे मकान से लगा हुआ है।
आंटी की उम्र लगभग 40 साल की है।

देखने में आंटी काफी सुंदर हैं पर उनका बदन काफी भारी है।
भारी बदन के साथ बड़े बड़े बूब्स और भारी चूतड़ बहुत ही सेक्सी लगते हैं।

वे लोग काफी समय से हमारे पड़ोस में रहते आ रहे हैं इसलिए हमारे उनसे अच्छे घरेलू संबंध हैं। घर के बीच की कॉमन दीवार को तोड़ कर रास्ता बनाया गया है जिससे हम लोग दिन में कभी भी एक दूसरे के घर आते जाते रहते हैं।

बात उन दिनों की है जब हमारे शहर में दंगे हो गए थे और कर्फ्यू लगा हुआ था।
अचानक लगे कर्फ्यू की वजह से जो जहां था वहीं पर फंस गया था।

आंटी के हसबैंड यानि हमारे अंकल भी फैक्ट्री में फंस गये थे और घर नहीं आ पा रहे थे इसलिए आंटी भी घर में अकेली थीं।

कर्फ्यू लगे हुए 2 दिन हो गये थे इसलिए घरों में दूध सब्जी आदि खत्म हो गये थे।

उस दिन शाम को कर्फ्यू में कुछ घंटे के लिए ठील दी गई तो मैं हमारी माताजी के कहने पर अच्छे पड़ोसी के नाते आंटी से दूध के लिए पूछने गया।
दरवाजा बंद था लेकिन कुण्डी खुली हुई थी।

“आंटी आंटी!” मैंने आवाज दी।
उधर से कोई जवाब नहीं आया।

मैंने एक बार और आवाज दी साथ में दरवाजे को धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया।
अंदर नल से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी।

मैंने एक बार फिर आवाज़ दी तो उधर से जवाब आया- हाँ पप्पू, क्या हुआ?

मैं आंटी को र्क्फ्यू में ढील के बारे में बताते हुए घर के अंदर चला गया।

बरामदा पार करते हुए जब में उनके बैडरूम की तरफ बढ़ा तो सामने का नज़ारा देखते ही मेरे होश उड़ गये।

उनके बैडरूम से पहले ही उनका बाथरूम पड़ता है जिसका दरवाजा खुला हुआ था और आंटी सामने बैठी नहा रही थीं।
उनके बदन का उपरी हिस्सा नंगा था।

उनके बड़े बड़े बूब्स पानी में भीगे हुए बहुत सैक्सी लग रहे थे।
आंटी के बदन पर खाली नीले रंग की एक पेन्टी थी जो उनके भारी शरीर को छुपाने के लिए काफी कम थी।

यह नजा़रा देख कर मैं वहीं खड़ा रह गया और मुझे तब होश आया जब आंटी की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी- क्या हुआ? कहां खो गया?

मैं जल्दी से एक साइड में हो गया और कहा- आंटी, बाजार में दूध मिल रहा है आपको मंगाना है तो बता दें मैं ला दूंगा।
आंटी ने कहा- हाँ 1 किलो दूध ले आ। मैं पैसे बाद में दे दूंगी।

मैं उत्तर मिलते ही तुरंत वहां से भाग आया लेकिन मेरा लोड़ा पैन्ट फाड़ कर बाहर निकलने लगा।

बहुत देर तक मैं अपना लण्ड सहलाता रहा और उस नजा़रे को याद करते हुए रंगीन ख्यालों में खो गया।
मेरे मन में आंटी को चोदने की इच्छा बलवान हो गयी.

लेकिन हमारे एज डिफरेंस को देखते हुए कुछ भी करने में डर लगता था इसलिए मन मार कर दूध लेने बाजार चला गया।

मुझे बाजार से लौटने में कुछ ज्यादा ही समय लग गया क्योंकि कुछ यार दोस्त मिल गये जिनके साथ घूमने फिरने और सिगरेट पीने में रात हो गयी।

रात को जब मैं घर पहुंचा तो हमारे यहां सब सो चुके थे।
मैंने सोचा कि आंटी को दूध दे देता हूँ.
और फिर मन में ये भी था कि शायद कोई और नजारा देखने को मिल जाये।

ये सोच कर मैं उनके घर के अहाते में पहुंचा तो देखा कि उनके बरामदे की लाईट बंद है।
उनके बरामदे की लाईट कभी भी बंद नहीं होती, रात को भी जीरो वॉट का बल्ब हमेशा जलता रहता है।

मैंने ध्यान से खिड़की में देखा तो अंदर से रंग बिरंगी रोशनी आ रही थी।
इसका मतलब टी.वी. चल रहा था और आंटी लाईट बंद करके टी.वी. देख रही थीं।

मेरा माना ठनका … क्योंकि आंटी कभी लाईट बंद करके टी.वी. नहीं देखतीं।

मैंने खिड़की में से झांका तो अंदर का नजारा बहुत ही शानदार था।
टी.वी. पर एक ब्लू फिल्म चल रही थी जिसमें एक औरत को पांच आदमी एक साथ चोद रहे थे।

आंटी की पीठ मेरी तरफ थी और वो जमीन पर बैठ कर फिल्म देख रही थीं।

उन्होंने नाईट गाउन पहन रखा था जो सामने से पूरा खुला हुआ लग रहा था लेकिन मुझे पीछे से कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।

मैं ये नजारा देख ही रहा था कि अचानक मेरे पैर के नीचे कुछ चीज आ गई जिसके हिलने से हल्की सी आवाज हुई.

और अंदर जल्दी से टी.वी. बंद होने की आवाज़ के साथ ही आंटी की आवाज़ आई- कौन है वहां?
मैं जल्दी से अपने कमरे में भाग आया और किताब खोल कर पढ़ने का नाटक करने लगा।

थोड़ी देर बाद ही मेरे कमरे के दरवाजे़ पर किसी ने दस्तक दी।

मैंने उठकर दरवाजा़ खोला तो देखा कि सामने आंटी खड़ी हैं।
तो मैंने थोड़ा सा नाटक करते हुए पूछा- क्या हुआ आंटी?
वो बोलीं- मुझे लगता है पप्पू … अभी अभी कोई हमारे घर में कूदा था।

मैंने झूठ बोलते हुए कहा- नहीं आंटी, ये आपका वहम होगा. अभी तो इधर कोई नहीं आया।
आंटी ने कहा- नहीं पप्पू, माहौल खराब है और मैं अकेली हूं. मुझे बहुत डर लग रहा है। तुम आज रात को हमारे यहां आ कर पढ़ लो।

मैं तो चाहता ही यही था इसलिए तुरंत ही तैयार हो गया और दो चार किताबें उठा कर उनके साथ हो लिया।

उनके घर में घुसते ही मैंने देखा आंटी का टी.वी. और सी.डी. प्लेयर सामने ही पड़े हैं।

आंटी ने कहा- तुम अगर पढ़ना चाहो तो दूसरे कमरे में जा कर पढ़ाई कर सकते हो. मुझे अभी नींद नहीं आ रही इसलिए मैं तो कोई फिल्म देखूँगी।
मैंने उत्तर दिया- आंटी, पढ़ने का मन तो मेरा भी नहीं है मैं भी फिल्म ही देख लूंगा।

आंटी मेरी तरफ मुस्कराते हुए बोली- लेकिन मेरे पास तुम्हारे देखने लायक कोई फिल्म नहीं है।
मैंने कहा- कोई बात नहीं जो आप देखोगी मैं भी वही देख लूंगा।

“जो फिल्म मैं दिखाऊंगी उसे देख कर भड़कोगे तो नहीं?” आंटी ने कहा।
“मैं कुछ समझा नहीं?” मैंने जवाब दिया।

आंटी मेरे पास आकर थोड़ा सा झुक गईं जिससे उनके गाउन में से बूब्स नजर आने लगे।
उन्होंने अंदर कोई कपड़ा नहीं पहना था।

आंटी मुस्कराते हुए बोलीं- मेरे पास तो बड़े लोगों के देखने की फिल्में हैं। बच्चों की फिल्में नहीं है।
मैंने कहा- आंटी, मैं भी अब बालिग हूं और बड़ा भी हो गया हूं।

आंटी ने मेरे गाल पर हाथ फिराते हुए कहा- ठीक है, आज देखते हैं तुम और तुम्हारा शरीर कितने बड़े हैं।

तब आंटी ने सी.डी. पर वही ब्लू फिल्म लगा दी।

फिल्म के पहले शाट में ही एक औरत चार आदमियों के साथ काम क्रीड़ा में लगी थी।
एक लण्ड उस औरत के मुंह में, एक-एक दोनो हाथों में और एक उसकी चूत में सजा था।

मैं कुछ देर तक फिल्म देखता रहा।
मेरा सामान भी तैयार हो गया था।

तभी मेरी नजर आंटी पर गई। आंटी ने अपने गाउन के ऊपर के दो बटन खोल दिये थे और अपने ही हाथों से अपने बूब्स मसलने में लगी थी।

यह देख कर मेरा और भी बुरा हाल हो गया मैंने भी अपने पायजामे में हाथ डाला और सामान सहलाने लगा।

इसी तरह कुछ समय बीत गया।
मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि पास में बैठी आंटी के साथ कुछ कर सकूं।

ये मेरे लिए चुदाई का पहला मेरा मौका था।

जब काफी देर हो गई तो आंटी ने सिसकारियां लेते हुए मेरी तरफ देखा और कहा- शर्म करो पप्पू, तुम कैसे मर्द हो। एक औरत तुम्हारे सामने प्यासी पड़ी है और तुम अपना नल छुपाते फिर रहे हो।
ये सुनते ही मेरे हौंसले बुलन्द हो गये और मैंने आव देखा न ताव और आंटी के गाउन के अंदर हाथ डाल कर उनके बड़े बड़े बूब्स बाहर निकाल लिए और लगा चूसने और मसलने!

छाती रगड़ने से आंटी को और मजा आने लगा और उनके मुंह से सिसकारियों की आवाज़ आना शुरू हो गई।

मैंने एक एक करके उनके गाउन के सारे बटन खोल दिये।

अंदर और कोई कपड़ा नहीं था। आंटी मेरे सामने मादरजात नंगी थीं।

मैं उनकी चूत के दर्शन कर धन्य हो गया।
आंटी की चूत पर छोटे छोटे बाल थे। लगता था उन्होंने कुछ दिन पहले ही अपनी चूत को शेव किया था।

पाव रोटी की तरह फूली हुई चूत से लार टपक रही थी।

मैंने उनकी चूत सहलानी शुरू कर दी और एक चूची चूसने लगा.

अब आंटी के मुंह से अजीब अजीब आवाजें आने लगी थी- आह … आह … मेरे राजा बेटा … और जोर से चूसो … पी लो! मेरे बोबे मसल दो … तोड़ … दो आज!

मैंने आंटी के ऊपर वाले होंठ को अपने मुंह में लिया और चूसने लगा.
तो आंटी ने भी मौका देख कर मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल दी जिसे मैं चूसने लगा।

थोड़ी ही देर में हमारे बदन से एक एक करके सारे कपड़े हट चुके थे और आंटी ने मुझे नीचे लिटा कर मेरी सवारी कर ली थी।

आंटी ने अपने हाथ से मेरा लण्ड अपनी चूत पर रगड़ा और फिर निशाना लगाते हुए एक हल्का सा धक्का दिया।

मेरा आधे से ज्यादा लण्ड उनकी चूत निगल गई थी।

अब मैं भी बड़बड़ाने लगा था- आह … आंटी … मेरी जान … मजा … आ गया। बहुत तड़पाया तुमने!

आंटी ने सिसकारते हुए कहा- मेरे राजा, मैंने तो सुबह भी तुम्हें न्योता दिया पर तुम आये ही नहीं। मैं तो कब से तुम्हारे लण्ड का स्वाद चखने को तरस रही हूं। तुम्हें तो मालूम ही है तुम्हारे अंकल से तो कुछ होता जाता नहीं।

मैंने पूछा- क्यों अंकल का खड़ा नहीं होता क्या?
“अरे कहां … मेरे राजा अगर उनका लण्ड काम का होता तो हमारे अब तक औलाद नहीं हो गई होती। वो तो हमेशा रात को मुझे अधूरा छोड़ कर सो जाते हैं। अपने लिए तो अपना हाथ जगन्नाथ है, पर अब चिन्ता नहीं रही, अब तुम मिल गये हो ना तो बस तुम्हारे नल के पानी से ही प्यास बुझायेंगे।

मैं लगभग झड़ने की स्थिति में था. मैंने जवाब दिया- आ…ह … आंटी पीना है तो पी लो मेरे नल से पानी आने ही वाला है!
ये कह कर मैंने नीचे से धक्कों की स्पीड बढ़ानी चाही लेकिन आंटी की भारी बदन की वजह से नहीं कर पाया।

तभी आंटी ने भी जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिये और चिल्लाने लगीं- आ…ह … ला भर दे मेरी बाल्टी भर दे … मेरे … राजा … पिला दे … मुझे आ…ह!

इसी बीच मेरे लण्ड से पिचकारी छूट गई।
आंटी को मेरे गर्म गर्म रस का एक अहसास हुआ कि उन्होंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और आठ दस धक्कों के बाद ही ‘आ…आ…ह … मेरे राजा … मैं भी आ रहीं हूं … ले आ … गई मैं… भी … हहह!’ बोलते बोलते आंटी भी झड़ गईं।

आंटी ने अपने गाउन से मेरा लण्ड और अपनी चूत साफ की और मेरे बगल मैं आ कर लेट गईं।

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