पंजाबन भाभी को जन्म दिन पर चूत चुदाई का तोहफा -3
(Punjaban Bhabhi Ko Janamdin Par Chut Chudai Ka Tohfa- Part 3)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left पंजाबन भाभी को जन्म दिन पर चूत चुदाई का तोहफा -2
-
keyboard_arrow_right पंजाबन भाभी को जन्म दिन पर चूत चुदाई का तोहफा -4
-
View all stories in series
अब तक आपने पढ़ा..
कुछ पलों के बाद मैंने प्रीत की ब्रा को खोल दिया और देखा एकदम सफ़ेद और चिकने चूचे खुली हवा में खिलने लगे।
मैंने देर न करते हुए उसके चूचों को अपने मुँह में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगा।
प्रीत सिसकारियाँ लेने लगी- अअअअ.. आआआअ.. ह्ह्ह्ह्ह्.. ऊऊ..ओह्ह्ह्ह्.. यश बेबी.. और जोर-जोर से चूसो.. ऊओ..ह्.. बहुत अच्छा लग रहा है।
एक चूचा चूसने के साथ ही मैं उसके दूसरे चूचे को जोर-जोर से दबाए भी जा रहा था।
प्रीत अब गर्म हो चली थी.. पर मैं उसे और गर्म करना चाहता था। मैं अब प्रीत की टाँगों के बीच में आ गया और उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को चाटने लगा।
अब आगे..
कुछ देर यूँ ही ऊपर से चूत को चाटने के बाद मैंने उसकी पैंटी को भी उतार दिया.. और अपना अंडरवियर भी उतार दिया।
अब मैं उसकी टाँगों को चुम्बन कर रहा था। मैं हल्का सा ऊपर को हुआ और उसकी नाभि पर अपनी जीभ को गोल-गोल घुमाने लगा।
प्रीत की मादक सीत्कारें ‘ऊओह्हह्ह ऊओह्हह्ह आअह्ह्ह.. आहह्ह्ह आहह्ह्ह.. आआह्ह्ह्..’ माहौल को कामुक बनाने लगी थीं।
साथ ही उसकी पूरी बॉडी पर मैं अपना हाथ चला रहा था।
अभी इतना हुआ ही था कि प्रीत बोली- यश, हुन् वाड़ वी द्यो ना अपना लंड.. मेरी फ़ुद्दी विच.. (यश अब डाल भी दो ना.. अपना लंड.. मेरी चूत में..)
अब मैं दुबारा उसकी टाँगों के बीच आ गया और उसकी चूत के दाने को चाटने लगा और प्रीत सिसियाने लगी- आअह्ह्ह.. ऊओह्हह्हह ऊओह्ह्ह आआह्ह्ह्ह और चाटो.. और जोर-जोर से चाटो.. आहह्ह्ह..
मैं जोर-जोर से उसके चूत के दाने को चाटने लगा। मैंने देखा कि उसकी चूत बहुत गीली हो गई है.. तो अब उसकी चूत को चाटने लगा।
चूत पर जीभ के लगते ही प्रीत जोर-जोर से सांस लेने लगी और भी जोर से सिसकारियाँ लेने लगी थी- ऊऊह्ह्ह्ह्.. यश.. मैन्नू मार के छड्डोगे? आह्हह.. ऊओह्ह्हा.. ह्ह्ह्हूऊऊऊ.. आह्ह्ह्ह्ह्..
मैंने प्रीत की चूत चाटना जारी रखा।
करीब 5 मिनट प्रीत की चूत चाटने पर मैंने प्रीत को अपने ऊपर लेटा लिया।
प्रीत मेरे ऊपर पेट के बल लेटी हुई थी मैंने 69 पोज़ किया हुआ था.. जिससे प्रीत मेरे लंड को चूस रही थी और मैंने प्रीत की चूत को चाट-चाट कर लाल कर दिया था।
करीब 10 मिनट हम दोनों हम एक-दूसरे के मुँह में पानी निकाल दिया।
इसके बाद 5 मिनट तक हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे।
प्रीत बोली- यार तुम तो काफी अच्छे खिलाड़ी हो।
मैंने कहा- अभी खेल बाकी है जानेमन।
अब मैं फिर से प्रीत को होंठों पर चुम्बन करने लगा और मैंने प्रीत से पूछा- कोई क्रीम मिलेगी डार्लिंग..
तो वो बिस्तर से उठी और क्रीम लेने ड्रेसिंग तक गई, मुझे उसके मटकते हुए नंगे चूतड़ दिख रहे थे पीछे से… उत्तेजना के मारे जैसे मेरी जान निकल गई…
उसने मुझे क्रीम दी.. मैंने प्रीत को पीठ के बल फिर से लेटा दिया, मैं दो उंगली में क्रीम ले कर प्रीत की चूत में डालने लगा.. उसकी चूत काफी टाइट थी।
फिर मैंने एक उंगली जैसे ही उसकी चूत में डाली.. प्रीत की आवाज निकल गई- ओहह्ह्ह..
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब मैंने उंगली को अन्दर-बाहर करना शुरू किया.. फिर जल्दी ही मैंने दो उंगली डालीं.. फिर से प्रीत ‘ओओहह्ह्ह..’ करने लगी।
अब मैं जोर-जोर से उसकी चूत में उंगली करने लगा.. प्रीत मस्ती में आवाज निकालने लगी- ऊऊह्ह ह्ह्.. आह्.. ह्ह्ह्हा.. ऊओह्ह्ह..
करीब 5 मिनट तक मैं ऐसे ही उंगली अन्दर-बाहर करता रहा।
अब मैंने देखा कि प्रीत की चूत फिर से गीली हो गई है। मैंने उसकी चूत में ढेर सारी क्रीम उसकी चूत पर और अपने लंड पर लगा ली और लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
कुछ देर रगड़ने पर प्रीत बोली- यश अब डाल भी दो.. कितना तरसाते हो तुम..
मैंने प्रीत की चूत पर अपना लंड रखा और जोर से धक्का मारा।
एक आवाज हुई ‘ओओओ… ओहह्ह्ह आआहह्हह..’
मेरा आधा लंड प्रीत की चूत में चला गया।
अब मैंने देर ना की.. और हल्का सा लंड बाहर निकाल कर पूरी जान से धक्का लगा दिया, प्रीत की लम्बी चीख निकल गई और आँखों से आंसू निकलने लगे।
मैं 2 मिनट ऐसे ही उसके चूचों को चूसने लगा.. कुछ ही पलों में प्रीत अपनी गांड हिलाने लगी थी.. तो मैंने भी धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू कर दिए, साथ ही मैं उसके चूचों को भी दबा रहा था।
प्रीत ‘ऊओह्हह्ह आअह्ह्ह ऊओईई..’ की जोर-जोर से सिसकारियाँ ले रही थी।
मैंने अपनी स्पीड थोड़ी तेज कर दी और जोर-जोर से प्रीत की चुदाई करने लगा, प्रीत तो बस ‘ह्हह्हाआ ह्ह्ह.. ऊओह्हह्ह..’ की आवाजें निकाले जा रही थी।
जब वो ऐसी आवाज निकालती तो मैं और जोर-जोर से उसकी चुदाई करने लगता।
करीब 10 मिनट ऐसे ही चुदाई हुई। अब मैंने प्रीत की एक टांग को ऊपर अपने कंधे पर किया और फिर से उसकी जोर से चुदाई करना शुरू कर दिया।
‘ऊओह्ह आअह्ह ह्हहा.. ऐसे ही और चोदो.. और जोर से ऊह्ह्ह ह्ह्ह्ह्..’
मैं कुछ देर रुका और मैंने प्रीत को घोड़ी बना दिया। पीछे से उसकी कमर इतनी मस्त लग रही थी.. तो उसकी गोरे गोरे चूतड़ों को देख कर और भी जोश आ रहा था।
मैंने अब उसकी चूत पर लंड रखा और एक जोर के धक्के में आधे से ज्यादा लंड अब उसकी चूत में पेल दिया। मैं हल्के-हल्के से लंड को अन्दर-बाहर करने लगा और फिर लौड़े के सैट होते ही उसकी चुदाई जोर-जोर से करने लगा।
प्रीत की चुदाई की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थीं- ऊहह.. ह्ह्ह्ह… आह.. ह्हूऊऊ ऊओ… ह्ह्ह्ह्ह्.. ह्ह चोदो और जोर-जोर से..
5 से 10 मिनट तक धकापेल चुदाई हुई.. फिर मैंने अब प्रीत को पेट के बल लेटा दिया और उसकी चूत में लंड डाल कर फिर से उसकी चुदाई करना चालू कर दी।
प्रीत और मैं दोनों ही पसीने से पूरे नहा चुके थे।
इसी तरह प्रीत को चोदते हुए कोई 5 से 7 मिनट हुए ही होंगे.. कि प्रीत बोली- आआह्ह्ह्ह.. यश ऊओह्ह्ह मेरा होने वाला है।
मैंने भी अपनी फुल स्पीड में प्रीत की चुदाई करना चालू कर दी.. बस 25 से 30 धक्के मारे ही होंगे कि प्रीत छूट गई और इसी के साथ मैंने भी अपना सारा माल प्रीत की चूत में डाल दिया और मेरे माल की गर्मी से प्रीत एकदम निढाल हो गई और हम दोनों ऐसे ही लेट गए।
अब 15 से 20 मिनट तक हम दोनों ऐसे ही एक-दूसरे की बाँहों में पड़े रहे.. फिर कुछ ही देर में प्रीत बोली- तैयार हो एक और राउंड के लिए बेबी?
मैंने कहा- एक क्या.. दस राउंड भी तुम्हारे साथ करने को तैयार हूँ मेरी जान।
फिर मैंने प्रीत के कोमल होंठों पर अपने होंठों रख कर.. जोर-जोर से दबा कर चूसने लगा.. और काटने भी लगा।
इस बीच प्रीत बोली- तुम जो ये मेरे होंठों को चूसते-चूसते काटते हो ना.. दर्द तो होता ही है.. पर इसमें मजा भी बहुत आता है।
अब एकदम से मुझे याद आया कि प्रीत का गिफ्ट तो मेरे रूम में है।
मैं उठा और प्रीत को बोला- जान अभी आता हूँ और जल्दी से गया.. और दोनों गिफ्ट उसको लाकर दे दिए।
प्रीत बोली- ये क्या है यश?
मैंने कहा- तुम्हारा गिफ्ट है जान.. अब जो तुमको पसंद आए वो तुम जल्दी से पहन कर मुझे दिखाओ।
प्रीत- ओके.. अभी जाती हूँ।
मैंने कहा- यहीं पहन लो न।
प्रीत- नहीं.. थोड़ा साफ़ भी तो कर लूँ अपनी बॉडी को।
ये कह कर वो बाथरूम में चली गई और 20 मिनट बाद जब बाहर निकली.. तो मेरा लंड तो प्रीत को देखते ही फिर से खड़ा हो गया।
क्योंकि मैंने सोचा कि प्रीत को शॉर्ट्स पसंद आएगा.. पर वो तो लॉन्ग सफ़ेद सूट पहन कर निकली और क्या प्यारी सी और परी लग रही थी।
अब मुझसे रहा नहीं गया और प्रीत का हाथ पकड़ कर अपनी बाँहों में कस कर जकड़ लिया। मैंने प्रीत का चेहरा दोनों हाथों से ऊपर किया.. सच में कितना चमक रहा था और सबसे ज्यादा जो चीज़ मुझे परेशान कर रही थी.. वो थी प्रीत के बदन की खुशबू।
मैं उसके लबों का चुम्बन करने लगा, मेरे हाथ प्रीत के कूल्हों को जोर-जोर से दबाने लगे थे और मैं सूट के ऊपर से ही उसकी गांड में उंगली करने लगा।
यारो.. प्रीत को जैसे ही उसके लिप्स को अपने लिप्स से छूता.. तो मुझे ऐसा लगता कि जैसे कोई नशा हो रहा है।
कुछ देर चुम्बन करने के बाद प्रीत फिर से गर्म हो गई। अब मैं उसकी गर्दन को जोर-जोर से चूम रहा था और अपने दोनों हाथों से सूट को उठा था। मैं उसकी पजामी के अन्दर हाथ डाल कर उसकी गांड को जोर-जोर से दबाता और उसकी गांड में उंगली डाल देता.. जिससे वो थोड़ा उछल जाती।
मैं तो उसके होंठों पर ही मर मिटा था और जोर-जोर से उसके लिप्स को चूस रहा था। मैंने उसको चूमते हुए पीछे को कर दिया और उसे दीवार से लगा दिया, मैंने उसका शर्ट ऊपर कि तो ऊपर का हिस्सा नंगा हो गया.. उसके रसीले चूचे मुझे बुला रहे थे.. मैं चूचों को चूसने लगा।
जैसे ही उसके चूचों पर मेरी जीभ लगी.. प्रीत सिसकारियां लेने लगी ‘आआ.. ह्ह् ऊऊह्ह्ह्ह्ह्.. यश..’
मैं उसके एक चूचे को एक हाथ से दबा रहा था.. तो दूसरे को जोर-जोर से चूस चूस कर लाल कर रहा था।
प्रीत लगातार सिसकारियां ले रही थी ‘ऊओह्ह.. आह्ह्ह्ह.. हूऊऊओ.. ह्ह्ह्ह.. हाआह.. आआअह्ह्ह..’
मैं प्रीत की पजामी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहला रहा था.. पजामी का कपड़ा मुलायम और पतला था.. तो प्रीत की चूत अपने हाथों से महसूस कर रहा था। प्रीत की चूत अब तक बुरी तरह से पानी-पानी हुई पड़ी थी।
कुछ ही देर में मैंने प्रीत की पजामी को भी उतार दिया। अब प्रीत और मैंने कुछ भी नहीं पहन रखा था। मैंने प्रीत को नीचे घुटने के बल बैठा दिया और उसके मुँह में अपना लंड को डाल दिया।
प्रीत हौले-हौले से मेरे लंड को चूसने लगी थी। मैंने दोनों हाथों से उसका सर पकड़ा और लंड को जोर-जोर से प्रीत के मुँह के अन्दर-बाहर करने लगा।
दोस्तो.. इस कहानी में पंजाबन भाभी की चूत चुदाई की दास्तान काफी रसीले अंदाज में लिखा गया है.. कि आपको अपने गुप्तांगों को हिलाना ही पड़ेगा। मेरी इस आपबीती का आनन्द लीजिएगा और मुझे ईमेल से अपने कमेंट्स जरूर भेजिएगा।
कहानी जारी है।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments