पी जी वाले नीग्रो का लन्ड खाया
(PG Vale Negro Ka Lund Khaya)
कुछ दिन पहले की बात है, मुझे पता चला के हमारे पड़ोस में जो चावला आंटी रहती हैं, उनको उनके ही घर में पी जी रह रहे एक नीग्रो लड़के के साथ सेक्स करते उनके पति ने पकड़ लिया, घर में बहुत हंगामा हुआ, चावला अंकल ने तो आंटी को पीट भी दिया।
मगर बाद में सब कुछ शांत हो गया। उस पी जी रह रहे नीग्रो लड़के को भी घर से निकाल दिया गया।
बात तो चलो आई गई हो गई, मगर मेरे दिमाग में ये बात घर कर गई कि यार… चावला आंटी तो 50 साल की औरत है, पति है, अच्छा घर परिवार है, दो बेटे हैं, दोनों बाहर जॉब करते हैं, फिर दिक्कत क्या हो गई कि आंटी को एक हब्शी लड़के से चुदवाने की ज़रूरत पड़ गई।
वैसे ही खाली दिमाग शैतान का घर, सोचते सोचते मेरे खुराफाती दिमाग में एककहानी का प्लॉट बन गया, तो अपनी सोच को एक कहानी के रूप में आपके सामने पेश कर रहा हूँ, मुझे नहीं मालूम कि सच में ये सब हुआ होगा या नहीं मगर फिर भी मज़े लेने के लिए कहानी को पढ़ें और दिमाग से मत सोचना कि ऐसा क्यों हुआ।
दोस्तो, मेरा नाम शाहीन चावला है, मैं 51 साल की हूँ, पटियाला, पंजाब में रहती हूँ। पति है, जिनका बहुत अच्छा स्पेयर पार्ट्स का बिज़नस है, दो बेटे हैं, मगर इंजीनियरिंग करके एक बंगलोर और दूसरा मुंबई में जॉब कर रहे हैं।
घर में मैं अकेली बोर होती थी, तो सोचा चलो इतना बड़ा घर भी तो खाली पड़ा है तो हमने पी जी रखने का सोचा।
तो सोचा के लड़कियों के लिए पी जी खोलते हैं, बाद में सोचा के यहाँ तो अफ्रीकी देशों से भी बहुत से स्टूडेंट्स पढ़ने के लिए आते
हैं, क्यों ना उनको पी जी रख लिया जाए, खास बात यह कि वो लोग पैसे के लिए झिक झिक नहीं करते।
काफी सोच विचार के बाद हमने अखबार में ऍड दी और करीब 10-12 दिन बाद हमारे घर दो लड़के आए, एक नीग्रो था, दूसरा इंडियन।
उन्होंने मुझसे पी जी के बारे में बात की, मैंने फोन करके अपने पति से बात की, थोड़ी देर बाद वो भी आ गए और हमने सारी बातचीत सेटल करके पीछे वाला एक कमरा उनको किराए पे दे दिया।
दो दिन बाद उस नीग्रो लड़के पीटर ने अपना सामान भी लाकर रख लिया। वो अकेला ही रहता था, कभी कभार उसके दोस्त लड़के लड़कियाँ उससे मिलने आते रहते थे।
3-4 महीने तक तो सब ठीक चलता रहा, एक दिन दोपहर को मैं खाना खा कर लेटी हुई थी, पीटर के दो तीन दोस्त आए हुये थे।
मुझे पता था कि ये सब नीग्रो लड़के लड़कियां बीयर पीकर मस्ती करते हैं। मगर उस दिन उनके कमरे से कोई शोर शराबा या म्यूजिक की आवाज़ नहीं आ रही थी।
मुझे कुछ उत्सुकता हुई तो मैं उठ कर उनके कमरे में चली गई।
जब मैंने कमरे का दरवाजा खोल कर देखा तो मेरे तो होश ही उड़ गए। कमरे में दो लड़के और दो लड़कियां, चारों बिल्कुल नंगे एक साथ सेक्स कर रहे थे।
पीटर बेशक पतला दुबला था मगर उसका औज़ार कम से कम 10 इंच का और ये मोटा, जिसे एक भैंस जैसी लड़की नीचे बैठ कर अपने मुंह में लेकर चूस रही थी और दूसरा लड़का लड़की को घोड़ी बना कर चोद रहा था।
मैं तो ये सब देख कर उल्टे पैर वापिस आ गई, हालांकि उन्होंने मुझे पीछे से कई आवाज़ें लगाई। मैं अपने कमरे में वापिस आ तो गई, मगर मेरे जेहन में तो पीटर का लंड ही घूम रहा था, मैं बहुत बेचैन महसूस कर रही थी, बार बार मेरे दिमाग में पीटर के लंड की तस्वीर बन रही थी, कभी मैं सोचती कि अगर मैं उसके लंड अपने मुंह में लेकर चूसूँ तो कैसे लगेगा, और कभी मैं सोचती अगर पीटर अपना लंड मेरी चूत में डाल दे तो कैसा लगेगा।
यही नहीं मेरे मन में कई बार ख़्याल आया के वापिस जाऊँ और उस काली सी लड़की से छीन कर मैं पीटर का लंड चूसूँ।
हालांकि मैं और मेरे पति अब भी सेक्स करते हैं पर अपने मन में सेक्स की इतनी चाहत मैंने आज बहुत बरसों बाद देखी थी।
मैं बिस्तर पर पड़ी करवटें लेती रही और न जाने कब मुझे नींद आ गई।
उसके बाद जब भी पीटर से मेरा सामना होता, मैं उससे कन्नी काट जाती। हालांकि सुबह की चाय देने मैं हमेशा उसके कमरे में जाती थी, मगर चाय का कप रख कर मैं झट से वापिस आ जाती।
एक दो बार पीटर ने मुझसे बात करने की कोशिश की मगर मैंने उससे बात नहीं की क्योंकि मुझे खुद अपने आप से डर लग रहा था कि कहीं वो बात शुरू करे और मैं खुद पे काबू न रख पाऊँ।
जब भी वो दिखता मुझे सिर्फ उसका लंबा मोटा लंड ही झूलता दिखता।
एक दिन जब मैं सुबह सुबह चाय देने पीटर के कमरे में गई तो देखा, पीटर बेड पे सो रहा था, बिल्कुल नंगा… उसका लंड पूरा तना हुआ ऊपर को मुंह उठाए था।
मेरी तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गई… पहले तो मैं वापिस जाने लगी फिर दिल में एकाएक ख्याल आया कि रोज़ रोज़ तो ऐसे नज़ारे देखने को नहीं मिलते।
मैंने जानबूझ कर थोड़ा शोर किया यह देखने के लिए कि वो सो रहा है या नहीं, मगर वो नहीं जागा।
फिर मैं उसके पास गई और बेड के बिल्कुल पास नीचे फर्श पर बैठ गई, वहाँ बैठ कर मैं बड़े ध्यान से पीटर का लंड देखा, यह मेरी ज़िंदगी में देखा अब तक का सबसे बड़ा लंड था।
पहले दो चार मिनट मैं बैठ कर देखती रही, फिर थोड़ा सा आगे हो कर मैं अपना चेहरा लंड के पास ले गई, और उसे और करीब से देखा।
शायद रात को पीटर किसी बढ़िया साबुन से नहा कर सोया था, उसके बदन से बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी।
जितना मैं लंड को घूर रही थी, मेरी बेताबी बढ़ती जा रही थी। जब मुझसे और सब्र नहीं हुआ तो मैंने अपने हाथ से धीरे से लंड को छू दिया, मगर पीटर बेपरवाह सो रह था।
एक बार छू कर मैंने अपना हाथ पीछे खींच लिया, मगर अगले ही पल मैंने फिर उसे छू कर देखा। 2-3 बार छू कर देखने के बात मैंने अपने हाथ की हल्की सी पकड़ उसके लंड पे बनाई।
जब पीटर बिलकुल भी हिला जुला नहीं तो मैंने उसका लंड अच्छे से अपने हाथ में पकड़ लिया। पत्थर की तरह तना हुआ, मोटा, काला, मजबूत, नौजवान लंड। सिर्फ उसका लंड हाथ में पकड़ने भर से ही मेरी चूत में गीलापन आ गया।
मैं थोड़ा और आगे को हुई और मैंने उसके लंड के सिरे पे किस किया, किस करते ही उसके लंड की खुशबू मेरी साँसों में समा गई, मैंने अपने होंठों पे जीभ फेरी तो लंड का स्वाद मेरे मुंह में आ गया।
मैंने उसके अकड़े हुए लंड को सीधा किया और उसका टोपा अपने मुंह में ले लिया…
क्या भरपूर लंड का स्वाद आया मुंह में!
मैंने धीरे धीरे उसके लंड का पूरा टोपा अपने मुंह में समा लिया और उसे अपनी जीभ से चाटा।
एक हाथ से मैंने पीटर का लंड पकड़ रखा था और दूसरे हाथ से मैंने अपनी नाईटी ऊपर उठाई और अपनी उंगली से अपनी चूत का दाना सहलाने लगी।
जब चूत को छेड़ा तो उसके मुंह में भी पानी आ गया। इसी आनन्द के सरोवर में गोते लगाते मैं मदहोश हुई जा रही थी, जितना लंड मैं अपने मुंह में ले सकती थी मैंने उतना लंड अपने मुंह में ले लिया, मेरे मुंह से लार चू कर उसके आँड और झांट को भिगो रही थी।
मुझे इस बात की कोई खबर नहीं थी कि अगर इस वक़्त कोई आ जाए या पीटर ही उठ जाए तो क्या हो।
‘अरे! अगर पीटर उठ जाए तो क्या होगा?’ यह ख्याल मन में आते ही मैंने अपनी आँखें खोल कर देखा तो पीटर जाग चुका था और मेरी तरफ ही देख रहा था।
मैं तो एकदम से घबरा गई और उठ कर बाहर को भागी मगर पीटर बिजली की फुर्ती से उठा और उसने उठ कर मुझे पीछे से अपनी बाहों में जकड़ लिया।
‘नहीं आंटी, आज नहीं जाने दूँगा!’ वो अँग्रेजी में बोला।
‘नहीं पीटर, मुझे जाने दो, मुझसे गलती हो गई, मैं बहक गई थी!’ मैंने उसे जवाब दिया। ‘ओ के, मगर मैं बहका हुआ नहीं हूँ, मैं आपको चोदना चाहता हूँ!” कह कर उसने मेरे दोनों स्तन पकड़ लिए और दबाते हुए मेरे गर्दन और कंधों को चूमने लगा।
उसका लंड मेरे चूतड़ों की दरार पे लगा हुआ था जिसे वो घिसा घिसा कर मज़े ले रहा था।
मगर मैं इस सब से भाग जाना चाहती थी, शायद मुझे अपनी उम्र की फिक्र होने लगी थी। मैंने ज़ोर लगाया और पीटर की गिरफ्त से छूट भागी तो उसने पीछे से मेरी नाईटी पकड़ ली और इसे कशमकश में मेरी नाईटी चरर्र से फट गई, फट क्या गई जितनी फटी थी, बाकी पीटर ने खुद खींच के फाड़ दी और एक मिंट से भी कम समय में मैं पीटर के सामने बिल्कुल नंगी हो गई क्योंकि रात को मैं नाईटी के नीचे कुछ भी नहीं पहनती थी।
मैंने अपने हाथों से अपने बूब्स और चूत को ढकने का प्रयास किया, मगर पीटर ने मेरे दोनों हाथ पकड़ कर अलग कर दिये और अपनी ताकत से मेरे दोनों हाथ अपनी कमर के पीछे ले गया। हम दोनों एक दूसरे से चिपके पड़े थे, पीटर का तना हुआ लंड मेरी नाभि के साथ सटा था और मेरे दोनों स्तन पीटर के सीने से।
मेरे दिल की धड़कन बहुत बढ़ी हुई थी, पीटर ने मेरी गालों को चूमा और अपने मुंह मे लेकर चूसा, अपनी जीभ से चाटा।
मैं तो बेहाल हुई जा रही थी।
फिर पीटर ने मेरे हाथ छोड़ दिये और मुझे अपनी बाहों में भर लिया, मैंने भी उसका आलिंगन नहीं छोड़ा।
पीटर में मेरा चेहरा ऊपर उठाया और मेरे होंठों को अपने होंठो में कैद कर लिया, मैंने भी अब पूरी तरह से समर्पण कर दिया और उसका साथ देने लगी।
चूमते चूमते उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी, उसके लंड की तरह उसकी जीभ भी बड़ी लंबी थी, मेरे मुंह के अंदर उसने चारों तरफ अपनी जीभ घुमाई, मैंने भी उसकी जीभ को मज़े ले ले कर चूसा।
होंठों के बाद वो काँधों से होता हुआ, मेरे स्तनों तक आ गया और दोनों स्तनों को बारी बारी से चूसा, मेरे कहने पर दांतों से काटा भी। स्तनों से होकर वो नीचे कमर पे आ गया और उसके बाद कमर के नीचे पेडू से होता हुआ चूत के आस पास चाटने लगा।
मैंने उसको ऊपर उठाया और जाकर उसके ही बेड पे लेट गई और मैंने अपनी अपनी टाँगें पूरी तरह से चौड़ी कर फैला दी। वो बिना कहे मेरा इशारा समझ गया और उसने अपना सिर मेरी जांघों में फंसा दिया और अपनी जीभ से मेरी चूत चाटने लगा।
मैंने अपने दोनों स्तन अपने हाथों में पकड़ लिए और खूब दबाए, मेरे मुंह से सिसकियाँ, सिसकारियाँ, दबी दबी चीखें निकल रही थी, जो मेरी बर्दाश्त से बाहर थी, उसने तो जैसे अपनी जीभ मेरे मुंह में घुमाई थी ठीक वैसे ही मेरी चूत के अंदर तक अपनी जीभ डाल कर घूमा रहा था। मेरे पति भी मेरी चूत चाटते हैं मगर सिर्फ ऊपर ऊपर से, मगर ये तो अंदर तक जीभ डाल कर चाट रहा था।
मैं इतनी एक्साइटमेंट बर्दाश्त नहीं कर सकती थी, तो बस 2 मिनट में ही मैं झड़ गई, अपनी टाँगों को मैंने पूरे ज़ोर से पीटर के सर के गिर्द कस लिया और यहाँ तक कि उसके सर के बाल भी नोच दिये।
बहुत ही आनन्ददायक था ये सब।
जब पीटर को पता चल गया कि मैं झड़ चुकी हूँ, तो वो मेरे ऊपर आ गया और बिना कोई फोर्मेलिटी के उसने अपना लंड मेरी चूत पे रखा और अंदर धकेल दिया।
एक ‘आह…’ के साथ मैंने उसके मोटे काले और मजबूत लंड को अपनी चूत में समाहित कर लिया।
बहुत बरसों बाद इतना कड़क लंड मेरी चूत में समाया था। मगर उसका सिर्फ आधा लंड ही मेरी चूत में समा सका क्योंकि उसके आगे तो मेरी चूत की दीवार आ गई, थी, मगर वो हर बार और ज़ोर से लंड अंदर ठेलता, जैसे अपना पूरा लंड मेरी चूत में डालना चाहता हो, बेशक उसकी इस हरकत से मुझे तकलीफ हो रही थी, मगर इतने बड़े लंड को लेने की खुशी भी कोई कम नहीं थी।
फिर उसको भी समझ आ गई कि इससे ज़्यादा लंड अंदर नहीं जाएगा, तो वो वैसे ही चोदने लगा।
मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया।
उसने फिर से मेरे होंठों और जीभ को चूमना चूसना शुरू कर दिया। मैं तो जैसे कामानन्द में मरी जा रही थी और कामरस मेरी चूत से भर भर के बाहर छलक रहा था, जिस वजह से पीटर के हर धक्के के साथ मेरी चूत से पिच पिच की आवाज़ आ रही थी।
पीटर के खुरदुरे सख्त लंड और और उसकी जवानी के जोश के आगे मैं ज़्यादा देर नहीं टिक सकी और 3-4 मिनट बाद मैं फिर से झड़ गई, मगर पीटर के जोश में कोई कमी नहीं आ रही थी।
2 बार झड़ने के बाद मैं पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी और अब इस खेल को खत्म करना चाहती थी, मगर पीटर तो उसी रफ्तार से मुझे चोदने में लगा था।
अब क्योंकि मुझे कोई मज़ा नहीं आ रहा था, इसलिए मेरी चूत में कोई चिकनाहट नहीं हो रही थी, सूखा होने के कारण मुझे तकलीफ होने लगी, जिस वजह से मेरी हाये तौबा बढ़ गई, मगर पीटर को शायद ड्राई में ज़्यादा मज़ा आ रहा था, वो तो ‘ओह कम ऑन, यू फ़्कींग बिच, आई विल फक यूअर ऐस, फक यू बिच!” और न जाने क्या क्या कह रह था।
मैं नीचे पड़ी तड़प रही थी और वो ऊपर चढ़ा मज़े ले रहा था। सच कहूँ तो तकलीफ की वजह से मेरी आँखों से आँसू भी निकल आए। मगर वो जंगली सांड की तरह मेरी चुदाई कर रहा था। उसका पूरा बदन पसीने से भीग चुका था, आखिर उसका भी वीर्य स्खलित हुआ और उसने अपने कामरस से मेरी चूत को भर दिया, इतना भरा कि उसका वीर्य चू कर मेरी चूत से बाहर टपक रहा था।
निढाल हो कर वो मेरे ही ऊपर गिर गया।
मैं सच कहती हूँ, 51 साल की उम्र में मुझे आज वो कामसुख मिला, जो आज से पहले कभी नहीं मिला था। मैंने पीटर से कहा- जैसा तुमने आज मुझे चोदा है, वैसी चुदाई मेरी आज तक कभी नहीं हुई, तुम एक बहुत ही बढ़िया चोदू हो, तुम्हारा लंड लेकर मैं बहुत खुश हूँ।
उसने भी मेरा शुक्रिया अदा किया और आगे भी ऐसे ही सेक्स से मुझे संतुष्ट करने का वादा किया।
फिर मैंने उसी से कहा- तुमने तो मेरी नाईटी फाड़ दी अब मैं वापिस अपने कमरे में कैसे जाऊँ?
वो अँग्रेजी में बोला- आपकी चूत तो मार ली, अब सोचता हूँ, आपकी गाँड भी मार के देख लूँ!
उसका इतना कहना था कि मैं तो ऐसा भागी उसके कमरे से कि बिना किसी बात की परवाह किए सीधा अपने कमरे में आकर ही रुकी।
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